हेलो दोस्तों मैं आप सभी का नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालो से इसकी नियमित पाठिका रही हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी सेक्सी स्टोरीज नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी कहानी सूना रही थी। आशा है की ये आपको बहुत पसंद आएगी।
मेरा नाम सुनीता हूँ। मथुरा में घर है मेरा। मेरी शादी हो चुकी है। अब अपने पति के साथ ससुराल में ही रहती हूँ। मैं 35 साल की जवान और सेक्सी औरत हूँ। देखने में काफी खूबसूरत और हसीन हूँ। लोग मुझ पर मरते है। मेरा पति अनिल मुझे बहुत प्यार करता है। वो मेरे साथ चुदाई भी खूब करता है। दोस्तों मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है। चुदाई में मुझे विशेष प्रकार का सुख और संतुस्टी मिलती है। पति मुझे रात में खूब चोदते है। उनको भी सेक्स करना बहुत पसंद है। जब मैं साड़ी ब्लाउस पहनकर बजार में निकलती हूँ तो लोग बार बार पलट पलट कर देखते है। मैं बिलकुल ताजे गुलाब का फूल दिखती हूँ। लडकों के साथ साथ अधेढ़ उम्र के मर्दों के लंड भी खड़े हो जाते है। सब मुझे एक बार चोदना चाहते है। पर वो कहावत है ना की दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम और चूत चूत पर लिखा है चोदने वाले का नाम। सब लोगो को मेरी चूत मारने को नसीब नही होती है। कुछ किस्मत वाले मर्द ही अभी तक मुझे चोद पाये है।
जो बात आपको बताने जा रहूँ उसने मेरी जिन्दगी पूरी तरह से बदल दी। पिछले साल की बात है मेरे पति अनिल का फुफेरा भाई (उनकी सगी बुआ का लड़का) हमारे घर रहने आ गया। गाँव में उसे कोई काम धंधा नही मिल रहा था, इसलिए मेरे पति अनिल ने उसे मथुरा बुला लिया। यही पर एक बिस्कुट बनाने वाली फैक्ट्री में उसकी नौकरी लगवा दी। अनिल के फुफेरे भाई का नाम चमनलाल था। धीरे धीरे वो हमारे घर ही रहने लगा। हमारे घर में सिर्फ 2 कमरे थे, किचन और टॉयलेट था। अनिल की बुआ जी का बड़ा अहसान था हमपर। इसलिए अनिल मना नही कर पाया। चमनलाल हम लोगो के साथ ही रहने लगा।
“देखो अनिल!! हमारा घर तो बहुत छोटा है। इसलिए तरह से हम दोनों को दिक्कत हो जाएगी। अपने फुफेरे भाई से कह दो की कहीं कमरा ले ले” मैंने अनिल से कहा
“जान!! थोडा एडजस्ट कर लो। अभी उसके पास पैसा नही है। कुछ दिन फैक्ट्री में काम कर लेगा तो पैसा आ जाएगा। फिर चमनलाल चला जाएगा” अनिल बोला
मैं एडजस्ट करने लगी। पर ये मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी भूल थी। मेरा पति अनिल देखने में दुबला पतला चूहा जैसा था। अनिल का मुंह भी चूहे की तरह था। दूसरी तरह चमनलाल देखने में काफी स्मार्ट था। दोस्तों जिस तरह से गाँव के गबरू जवान मर्द होते है चमनलाल उसी तरह से था। 6 फुट लम्बा, मर्दानी छाती। वो देखने में सुलतान फिल्म का सलमान खान दिखता था। चमनलाल को पहलवानी का बड़ा शौक था। धीरे धीरे मैं उसे पसंद करने लगी। जब चमनलाल सुबह सुबह नल चला चलाकर बाल्टी भर भरके नहाता था मैं उसे सिर्फ कच्छे में देखते थी। उसका कच्छा पानी से भीगा हुआ होता था। उसका लंड बहुत बड़ा था जो बाहर से ही दिख जाता था। कम से कम 10” का लंड होगा। रिश्ते में मैं उसकी भाभी लगती थी। मेरा पति अनिल चमनलाल से उम्र में बड़ा था। इसलिए मैं भाभी लगती थी।
“भाभी!! जरा पानी चला दो आकर” चमनलाल कहता
ना चाहते हुए भी मुझे जाना पड़ जाता। जब 4 महीने बीत गये तो चमनलाल मेरे दिलो दिमाग पर छा गया। जब दोपहर में घर में कोई ना होता, मैं बेडरूम में जाकर नंगी हो जाती और अपने पति के फुफेरे भाई चमनलाल को याद कर करके चूत में ऊँगली करती। हर बार पहले से जादा आनंद आता। “काश…..चमनलाल मुझे कसके चोद ले!! मेरी मासूम चूत को अपने 10” के लौड़े से फाड़ दे!!” इस तरह के विचार मेरे दिमाग में रोज आने लगे। साफ़ था की मैं चमनलाल से चुदना चाहती थी पर कह नही रही थी। शाम के वक़्त मैं पास के बजार में सब्जी लाने गयी थी। अनिल और चमनलाल का आने का वक़्त हो रहा था। मुझे खाना बनाना था। बजार में 2 अवारा लड़को ने मेरा हाथ पकड़ लिया और जोर जबरदस्ती करने लगे। वो मुझे छेड़ रहे थे।
“बचाओ!! कोई बचाओ मुझे!!” मैंने चिल्लाने लगी।
उन गुंडों से चाक़ू निकाल लिया। “ऐ छमिया! चल हमारी मोटर साईकिल पर जल्दी से बैठ जा” एक गुंडा बोला। मैं इनकार किया। इतने में उसने मुझे एक चांटा खींच के मार दिया। वो दोनों गुंडे मुझे किडनैप करना चाहते थे। शायद मेरी जवानी देखकर मेरी इज्जत लूटना चाहते है। उनके हाथ में चाक़ू देखकर कोई भी पास नही जा रहा था। इतने में कहीं से चमनलाल आ गया। उसके बाद जो मार हुई की आपको क्या बताऊं। गुंडे ने चमनलाल के उपर कई बार चाक़ू से हमला किया। पर उसने दोनों को दौड़ा दौड़ाकर मारा। पुलिस के हवाले दोनों को कर दिया। उसके हाथ से खून बहुत जादा बह रह था। मैं घबरा गयी।
“क्यों तुम बीच में कूद पड़े??? कुछ हो जाता तो???” मैंने नाराज होकर चमनलाल से पूछा। अपनी साड़ी को फाड़ कर उसके हाथ में बाँध दिया।
“भाभी!! आप हमारी भाभी हो। किसी के अंदर इतनी हिम्मत नही की चमनलाल के रहते हुए आपके उपर बुरी नजर डाल सके। आज इन सालो को इतना पीट दिया है की जिन्दगी पर तुमको परेशान नही करेंगे”वो बोला
उसे मैं डॉक्टर के पास ले गयी। रात में मेरा पति अनिल जब घर आया तो मैंने उसे पूरा किस्सा सुनाया। वो आभार व्यक्त कर रहा था। उस रात मैं सो नही सकी। बार बार वो सीन याद आ रहा था। किस तरह हटते कटते चमनलाल ने उन गुंडों को भरे बजार में दौड़ा दौड़ाकर मारा। अब मुझे उससे प्यार हो गया था। अब मेरा उससे चुदने का बहुत दिल कर रहा था।
अगले दिन मेरा पति अपने काम पर निकल गया। चमनलाल दूसरे कमरे में अपनी शर्ट में प्रेस कर रहा था। घर में सिर्फ हम दो लोग ही थे। मैं बाथरूम में गयी और साड़ी उतार दी। अब मैं सिर्फ लाल रंग के ब्लाउस और पेटीकोट में थी। मैं जानबूझकर तौलिया बहार छोड़ दी। ब्रा और पेंटी भी तौलिया के बगल रस्सी पर टंगी थी। मैंने जान बुझकर अपना ब्लाउस उतार दिया। ब्रा भी उतार दी। नंगी हो गयी। मेरी 36” की चूचियां बड़ी बड़ी गोल गोल थी। आज मैं किसी भी तरह चमनलाल से चुदना चाहती थी। मैंने सिर्फ पेटीकोट पहन रखा था। उपर से पूरी तरह से नंगी थी। मैंने नहाने लगी। पूरी तरह से भीग गयी।
“चमन!! जरा तौलिया देना। बाहर रस्सी पर है। ब्रा और पेंटी भी दे दो” मैंने आवाज लगाई
“जी भाभी!!” वो बोला
जब उसने मेरी ब्रा और पेंटी देखी तो कुछ सोच में पड़ गया। सायद मेरे सेक्सी जिस्म के बारे में सोच रहा था। उसने तौलिया, ब्रा और पेंटी एक साथ उठा ली और बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक दी। मैंने जल्दी से पूरा दरवाजा खोल दिया। मैं पानी में भीगी नंगी खड़ी थी। अनिल का फुफेरा भाई चमनलाल मुझे देख जड़ हो गया। मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी थी। मेरी चूचियां गोल गोल कलश जैसे सुंदर दिख रही थी। वो मेरे बूब्स को ताड़ने लगा। वो सब कुछ भूल गया। मेरा लाल रंग का पेटीकोट भी पानी से तर था। मेरी चूत की फांक उसे साफ़ साफ़ दिख रही थी क्यूंकि मैं पूरी तरह से भीगी थी। चमनलाल सुध बुध भूल गया। सिर्फ मेरी चूत और चूचों की तरह देख रहा था।
“ला..” मैंने कहा
जैसे ही उसने हाथ आगे बढाया मैं उसकी कलाई पकड़ कर अपनी ओर जोर से खीच लिया। चमनलाल बाथरूम के अंदर आ गया। मैं किसी चलाक चुदासी औरत की तरह दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। चमनलाल को बाहों के भर लिया।
“ऐसे क्या देख रहा है चमन??? क्या कभी किसी सुंदर औरत को नंगी नही देखा??? बता सुंदर हूँ मैं??? बोल कैसी लग रही हूँ मैं?? चोदेगा मुझे?? बोल??” मैं एक ही बार में हजार सवाल पूछ डाले।
वो बेचारा घबराया लग लग रहा था। उसका गला सुख रहा था। सायद वो अभी तक कुवारा था। शायद किसी औरत को अभी तक नही चोदा था उसने। आज मुझे कैसे भी उनका लंड खाना था। उससे चुदवाने के सपने मैंने पिछले 4 महीने से देख रही थी। मैंने उसे छोड़ा ही नही। जल्दी जल्दी सीने से लगाकर किस करने लगी। उसके गाल, गले, आँखों सब जगह मैं किस कर रही थी। चमनलाल अभी भी डरा हुआ था।
“देख डर मत!! आज चोद ले मुझे! ये बात मेरे और तेरे बीच में रहेगी। मथुरा में सब चलता है। शहर है ये” मैंने कहा और चमनलाल का हाथ लेकर अपने नंगे दूध पर रख दिया। कुछ देर बाद वो रेडी हो गया। मेरे सुंदर स्तनों को सहलाने लगा। मुझे प्यार करने लगा। मैं बाल्टी भरकर पानी उसपर डाल दिया। दोनों साथ नहाने लगे। 15 मिनट बाद हम बिस्तर पर थे। चमनलाल ने खुद ही तौलिया लेकर मेरा गिला सिर पोछ दिया। मेरे भीगे पेटीकोट की डोरी खोल दी। मैं नंगी हो गयी। चमनलाल ने अपने सारे कपड़े उतार दिए। उनका लंड सच मुच 10” लम्बा और 4” मोटा था। मैं बिस्तर पर लेट गयी। अपने दोनों पैर खोल दिए। चमनलाल तौलिया ने मेरे दोनों पैर पोछ दिए। फिर अपना गिला सिर उसने अच्छी तरह से पोछ डाला। मेरे पास आकर लेट गया। मेरा दिल धकर धकर कर रहा था। आज पहली बार किसी गैर मर्द से चुदने जा रही थी।
चमनलाल ने मुझे बाहों में भर लिया। मेरे गालो पर उसने अपनी उँगलियाँ कई बार सहलाई और फेरी। कुछ देर मेरी आँखों में देखता रहा। अंत में मेरे गुलाबी होठो पर उसने अपने होठ रख दिए और चूसना शुरू कर दिया। मैं उसे दोनों हाथो से कस लिया। अपने पति की तरह उनको प्यार करने लगी। कमरे में शांति थी। हम किस कर रहे थे। गरमा गर्म किस। खूब चूसा उसने मेरे लबो को। कई बात दांत से काट लिया। मैं “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….” करने लगी। मुझे अपनी औरत की तरह प्यार कर रहा था। मैं उसके साथ चिपकी हुई थी। चमनलाल मेरे पेट, कमर, पुट्ठो को खूब सहला मसल रहा था। मजे लूट रहा था। मैं खुद ही उसके उनके हाथो को लेकर अपनी दोनों छातियों पर रख दिया।
“ले दबा ले इसे!! मजा लूट ले पूरा” मैंने कहा
चमनलाल अब पूरी तरह से खुल गया। मेरे 36” के गोल गोल दूध को सहलाने लगा।
“भाभी! तुम्हारे मम्मे बहुत मस्त है। माँ कसम!!” वो बोला
फिर जोर जोर से दबाने लगा। मेरे स्तन दूधिया मक्खन की तरह सॉफ्ट और मुलायम थे। वो दबा दबाकर मजा लेने लगा। आज एक गैर मर्द से मैं चुदने जा रही थी। मेरा पति अनिल अपने काम कर गया था। चमनलाल कस कसे मेरे आम को मसल रहा था। मैं “ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह…अह्हह्हह…अई..अई. .अई… उ उ उ उ उ…” की सेक्सी आवाजे निकाल रही थी। अब उसके छूने से मेरे दूध और तन गये थे। कड़े कड़े पत्थर जैसे हो गये। चमनलाल मुझे अपनी औरत की तरह हर जगह हाथ लगा रहा था, किस पर किस कर रहा था। मैं मस्त हो रही थी। फिर उसने मेरे स्तन मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया। आह !! कितना मजा आया मुझे मैं बता नही सकती। वो अनिल की तरह मेरे स्तन पी रहा था। मेरी चूत बर्फ की तरह पिछल रही थी। पानी पानी हुई जा रही थी। अनिल का फुफेरा भाई जी भरकर मजे लूट रहा था। मुंह में चबा चबाकर मेरी रसीली छातियों को चूस रहा था। मैं उसके बालों में ऊँगली घुमा रही थी। कम से कम 20 मिनट तक उसने मेरे बायीं और दाई चूची को चूस। अब मैं चुदने को मरी जा रही थी।
मेरा पेट बहुत पतला और सेक्सी था। मेरा फिगर 36 28 32 का था। चमनलाल मेरे पेट पर हाथ घुमाकर सहला रहा था। बार बार किस कर रहा था। मैं आनन्दित हो रही थी। मेरी नाभि को उसने 5 मिनट तक चूस लिया। मेरे पैर खोल दिए और जांघो पर हाथ घुमाने लगा।
“चमन!! जल्दी चोद। वरना शाम हो जाएगी और अनिल घर आ जाएगा” मैंने कहा
उसने मेरे पैर खोल दिए। चिकनी साफ़ बाल सफा चूत के दर्शन करने लगा। कुछ देर मेरी रसीली चूत को ताड़ता रहा। फिर अपने 10” के लौड़े को जल्दी जल्दी फेटने लगा। मैं उसके लंड को घुर रही थी। जैसे जैसे चमन उसे फेट रहा था वो कड़ा और जादा कड़ा हो रहा था। 6 7 मिनट मिनट तक उसने फेट फेटकर अच्छी तरह से खड़ा कर लिया।
“चल चमन!! अब वक़्त मत बर्बाद कर। डाल दे मेरे भोसड़े में” मैंने बेताबी से कहा
चमन हँसने लगा। उसने मेरे पैर खोल दिए। लंड को हाथ से पकड़कर मेरी चूत को पीटने लगा। प्यार वाली थपकी चूत पर देने लगा। मैं “आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….”की आवाजे निकाल रही थी। कुछ देर तक अपने मूसल जैसे लौड़े से मेरी चूत को पीटा उसने। फिर चूत पर सेट करके अंदर धक्का दिया। पूरा 10” मेरी चूत में अंदर उतार दिया। चमनलाल पागल हो गया। मेरी कमर पर उसने दोनों तरह हाथ रख दिया और चोदना शुरू कर दिया। मैं चुदने लगी। कुछ ही देर में कमरे का मौसम बेहद रूमानी बन गया था। आज लाइफ में पहली बार मैं किसी गैर मर्द का लंड खा रही थी। अपने पति अनिल के फुफेरे भाई का लंड खा रही थी। चमन की रफ्तार बढ़ने लगी। जोर जोर से मेरी रसीली चूत की सेवा करने लगा। जैसे मालिश कर रहा हो। सेक्स के नशे में आकर मैंने दोनों पैर किसी रांड की तरह उपर हवा में उठा दिए।
चमनलाल मेरी कमर को कसके पकड़कर मुझे धड़ा धड़ पेल रहा था। मैं भी किसी रंडी की तरह चुदवा रही थी। “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ—और तेज ….और तेज पेलो चमन!!” मैं चिल्ला रही थी। खूब मजा मिल रहा था। मेरी चूत अपना सफ़ेद रस अब छोड़ रही थी। चमन कस कसके मुझे भांज रहा था। जन्नत के मजे दे रहा था। दोस्तों मेरा पति अनिल तो चूहे जैसा था। उसका लंड भी सिर्फ 4” का था। वो मुझे कभी असली मर्द की तरह बिस्तर पर रगड़ के चोद नही पाया था। पर आज चमन ने मुझे खूब मजा दिया।
उसके ताकतवर धक्को से मेरा बेड चूं चूं करके हिल रहा था। डर था कहीं टूट ना जाए। अब चुदते हुए 18 मिनट हो गये थे। चमनलाल किसी बेलगाम घोड़े की तरह मुझे अपने 10” के लौड़े से दौड़ा दौड़ाकर चोद रहा था। अंत में 25 मिनट हो गये। अब वो झड़ने वाला था। उसका मुंह लटकने लगा।
“चमन!! चूत में माल मत गिराना वरना मैं पेट से हो जाउंगी। कमरे में कोने में गिरा दो” मैंने कहा
उसने ऐसा ही किया। जल्दी से लंड मेरी तड़पती चूत से निकाला और कोने में जाकर माल गिरा दिया। धीरे धीरे हमारा प्यार सारी हदों को पार कर गया। अब मैं उससे रोज ही चुदा लेती हूँ। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दे।