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पिछली रक्षाबंधन पर भैया ने मुझे ऐसे चोदा था! एक भाई बहन की चुदाई की सच्ची कहानी

दोस्तों आज मैं अपने ज़िंदगी की एक बात आपसे बताना चाह रही हु, अक्सर भाई बहन का रिश्ता पवित्र रिश्ता होता है, पर पिछले साल जो हुआ वो शायद नहीं होना चाहिए था, पर क्या करती वो मुझे ऐसा जाल में फंसाया की मैं निकल नहीं सकी और अपने भाई से ही चुदवा बैठी, आज मैं अपने मन की बात को आपलोगों से शेयर कर के कुछ हल्का कर लेना चाहती हु, अब मैं आपको अपनी पिछले राखी पे मेरी चुदाई की कहानी ला रही हु,

मेरा नाम शीतल है, मैं उत्तरप्रदेश से हु, मेरे घर में मैं भाई बहन और मम्मी पापा है, मैं १९ साल की हु, और मेरा भाई २० साल का, ये बात पिछले साल की है, मेरा भाई दिल्ली में पढता है और मैं पास के भी कॉलेज में पढ़ती हु, मैं अपने शहर का नाम नहीं बताना चाह रही हु, होली के चार दिन पहले ही मैंने अपने भाई को फ़ोन की की राहुल भइया आप टाइम पर आ जाना क्यों की पिछले साल आप राखी के सुबह सुबह आये थे, ऐसी भी क्या पढाई करना की अपने बहन को ही भूल जाएँ, प्लीज इस बार एक दिन पहले ही आना, और हां मेरा गिफ्ट दिल्ली से ही ले के आना, भैया बोले तुम चिंता नहीं करो मैं पहले ही आ जाऊंगा, पर इस बार सिर्फ मैं ही गिफ्ट नहीं दूंगा बल्कि मैं गिफ्ट लूंगा भी.

मैं बोली ठीक है भैया, आप बताओ आपको क्या चाहिए, कल ही मैं बाजार जाकर ले आती हु, या तो ऑनलाइन आर्डर कर देती हु, तो राहुल भैया बोले नहीं पगली तुम कुछ भी मत खरीदना, मैं बाहर की चीज नहीं लूंगा, वो तुम्हारे पास है, मैं बोली चलो ठीक है जो भी मेरे पास है ले लेना, तो भैया बोले, तुम्हे कसम खाना पड़ेगा की तुम जरूर दोगी, मैंने कहा भैया आप अपने बहन पर विश्वास करो, मैं आजकल आपसे कोई भी चीज नहीं छुपाई, बाँट कर खाया और प्यार से दिया, चाहे कितनी भी कीमती और मेरी प्यारी क्यों नहीं हो. इसलिए तुम चिंता नहीं करो, मैं तुम्हारी कसम कहती हु, जो भी मेरा पास होगा जो तुम्हे पसंद है जरुरु दूंगी, राहुल भैया बोले, अब तुम बताओ क्या लोगी.

मैंने कहा, मुझे इस बार अनारकली ड्रेस और एक मोबाइल फ़ोन चाहिए, पापा बोले थे की जब तुम अठारह साल की हो जाएगी मैं मोबाइल दूंगा, पर मुझे पापा को याद दिलाना ठीक नहीं लगा था की मैं अठारह की हो चुकी हु, तो भैया इस बार तुम ही लेके आना, भैया बोले ठीक है, मैं लेके आऊंगा, और फिर मैं खुश हो गई थी की अब मैं भी व्हाट्सप्प और फेसबुक चलाऊंगी, और अपनी अच्छी सेल्फी लुंगी, राखी के एक दिन पहले ही भैया आ गए थे शाम को. मुझे बहुत ख़ुशी हुई थी. मैं दौड़कर भैया के पास गई और बोली मेरा गिफ्ट लेके आये हो? उन्होंने बोला हां, मैं तुम्हारे लिए दोनों गिफ्ट लेके आया हु.

मैं ज़िद करने लगी की जल्दी दिखाओ जल्दी दिखाओ, तभी माँ बोली अरे सुबह सुबह गिफ्ट लेना जब राखी बान्धोगी, मैंने कहा नहीं नहीं सुबह सुबह जब राखी बांधूंगी तक तो मैं एक हजार नोट लुंगी, तो भैया बोले अरे बाबा ठहर, और उन्होंने अपने बैग से एक मोबाइल निकाला, और पैकेट समेत मुझे दिया, वो पैकेट पहले से खुला हुआ था, उन्होंने बोला, मोबाइल में मैंने ३२ जीबी का मेमोरी और सारे एप्प्स डाउनलोड भी कर दिया हु, तो मैं बोली मैंने तो पहले से ही सिम भी ले ली. मैंने सिम भाई के तरफ बढ़ाया और उन्होंने सिम मेरे मोबाइल में लगा दिया. दोस्तों आप सोच नहीं सकते मैं कितनी खुश थी.

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रात को मैं अपने मोबाइल में लगी रही, नींद भी नहीं आ रही थी. बहुत ही ज्यादा खुश थी. मैंने तुरंत ही फेसबुक पर भी अकाउंट बना ली और व्हाट्सस्प में कई सारे फ्रेंड को भी मैसेज भेज दी. की मेरा नया मोबाइल आ गया है. फिर मैं इंटरनेट चलाई, उस समय रात के करीब एक बज रहे थे. दोस्तों जैसे ही मैंने इंटरनेट चलाया नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम साइट दिखा, शायद इस साइट को भैया ही ओपन किया थे, और उसमे एक कहानी जो थी, एक भाई बहन की सेक्स की. मैंने पूरी कहानी पढ़ी, पहले तो मुझे लग ही नहीं रहा था की ऐसा ही होता है, कोई भाई और बहन सेक्स कर सकता है, फिर मैं ऐसी करीब १० से जयादा कहानियां पढ़ ली. इसी वेबसाइट पर. दोस्तों अब मुझे धीरे धीरे समझ आने लगा की मेरा भाई मुझसे क्या गिफ्ट मांग रहा था, मैं पहली बार सेक्स के बारे में इतनी कहानियां पढ़ी, सच पूछिए तो मुझे भी चुदने का मन करने लगा था, मेरी चूत पहली बार इतनी गीली हुई थी. मेरी पेंटी भीग गई थी चूत के पास. मैं अपनी चूचियों को दबाने लगी थी, पहली बार मेरी साँसे गरम गरम चल रही थी. मैं अपने चूत को सहलाने लगी. और मुँह से सिसकियाँ आने लगी.

फिर सो गई क्यों की तीन बज रहे थे. सुबह का इंतज़ार था. मैं छह बजे उठी. उठा कर तैयार हुई. लाल रंग की एक ड्रेस पहनी, बढ़िया से मेकअप की, बाल खुले थे चूतड़ तक लटक रहे थे. चूचियां बड़ी बड़ी थी, आगे की और टाइट थी, मैंने नई ब्रा पहनी जो की चूचियों को आगे से नुकीला कर रहा था. मेरी माँ देखि वो बोली, अरे मेरी बेटी तो आज राजकुमारी लग रही है. अब तो तेरे लिए मुझे लड़का देखना पड़ेगा. मैं शरमा गई. बोली चुप हो जाओ माँ आप ऐसी ही बोलते रहती हु.

तभी भैया नहा कर बाथरूम से वापस आया, वो सिर्फ तौलिया लपेटा हुआ था, वो मुझे देखा तो देखते ही रह गया, उसकी नजर मेरी चूचियों पर था, मैं भी उसके गठीले बदन को निहार रही थी. क्यों की उसके डोले शोले बन गए थे, फिर मैंने कहा भैया जल्दी कपडे पहन लो. मुहूर्त बिता जा रहा है, वो तुरंत ही चला गया और वो कपडे पहन रहा था और मैं राखी की थाली तैयार करने लगी.

वो कपडे पहन का आ गया और मेरी थाली भी तैयार हो गई. माँ पापा वही सोफे पे बैठे थे, हम दोनों सेंटर टेबल के दोनों छोर पर खड़े थे और बिच में थाली राखी थी. राखी बांधने लगी. वो काफी खुश था माँ पापा भी बैठे बैठे मुस्कुरा रहे थे, जब मैं कोई भी चीज लेने के लिए झुकती थी, मेरे गले के ऊपर से चूचियां दिखती, मेरा भाई निहार रहा था, अब मुझे भी खराब नहीं लग रहा था, मैं भी दुप्पटा ऊपर कर ली और अंग प्रदर्शन में कोई कमी नहीं छोड़ी, इतना सब होते होते मैं भी आकर्षति होने लगी.

और फिर मिठाई खिलाई, भैया ने मुझे दो हजार रूपये दिए, माँ पापा बोले अरे वह दो हजार, क्या बात है? अपने बहन से बहुत प्यार करने लगा है, पिछले साल तक तो पांच सौ देता था, और सब ठहाका मार कर हसने लगे. तभी पापा बोले निर्मला तुम भी तैयार हो जाओ, चलो मैं भी तेरे साथ ही अपने ससुराल चला जाऊं, तुम अपने भाई को राखी बाँध लेना और मैं थोड़ा एन्जॉय भी कर लूंगा, मैं वह से वापस कमरे में चली गई. तभी पापा बोल रहे थे, सरहज को भी देख लूंगा, बड़ी माल है तुम्हारी भाभी. तो माँ बोली चुप हो जाओ, मुझे तो खुश कर ही नहीं पाते हो और चले है, सरहज को खुश करने, वो तेरे जैसे चार चार मर्द से भी अगर चुदवा ले तो भी उसको पूर्ति नहीं होगी, आपका तो छोटा भी हो गया है. और वो दोनों हसने लगे.

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माँ तैयार हो गई, वो वो दोनों मामा घर के लिए निकल पड़े. बोले देखो बहुत दिन बाद जा रहे है, अगर रात को आने नहीं दे तो सुबह सुबह आएंगे, तुम दोनों भाई बहन अच्छे से रहना. खूब मस्ती करना, और हां ये ले दो हजार रूपये फिल्म देख लेना और जो मन होगा खरीद भी लेना. वो दोनों चले गए और अब हम दोनों को तो खुली छूट मिल गई थी. दोनों घूमने निकल गए . मोवी देखि खाना खाया पर कुछ खरीदी नहीं, शाम को करीब चार बज रहे थे तभी माँ पापा का फ़ोन आया वो दोनों बोले हम लोग सुबह आएंगे.

मेरा भाई थोड़ा चुपचाप हो गया था, शायद वो डर रहा था, और डरना भी चाहिए, पर मैं सब कुछ समझ गई थी, मैं पूछी भइया इस रक्षा बंधन पर आपने इतना कुछ दिया आपको बहुत बहुत धन्यवाद, और हां आपने भी बोला था मैं भी गिफ्ट लूंगा, अभी तक आपने माँगा नहीं, तो वो बोले नहीं नहीं छोडो, मुझे पता नहीं नहीं दोगी. मैं बोली मांग कर तो देखो . वो बोले नहीं नहीं, छोडो, मैंने बोली अरे बोलो तो सही, वो हड़बड़ा रहे थे, मैं समझ गई, मैं आगे बढ़ी और उनके आँखों में आँखे डाल कर बोली, चलो मानगो जो लेना है, वो बडबाडते हुए कांपते हुए होठो से बोले,

मैं तुम्हे……. मैं फिर बोली हां बाबा बोलो तो ……. मैं तुम्हे चोदना चाहता हु, मैं थोड़ा नाटक करने लगी. भैया ये क्या बोल रहे हो? वो बोले तुमने कसम खाया है…. तुम मना कर रही हो. ………….मैं बोली नहीं भैया अगर किसी को पता चल गया तो………… भैया बोले किसी को पता नहीं चलेगा. मम्मी पापा नहीं है, और मैं थोड़े ना किसी को बताऊंगा… प्लीज मान जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,, प्लीज…………………. मैं बोली पर भाई बहन में ये नहीं होता है… तो भैया बोले कैसे नहीं होता है, मैंने कई सारे कहानियां पढ़ी है. लोग अपनी कहानी नॉनवेज स्टोरी पर भेजते है,

मैं चुप हो गई, वो मेरे करीब आ गया और मुझे अपनी बाँहों में जकड लिया, मेरे होठ काँप रहे थे, उसकी भी साँसे तेज हो रही थी. मेरी भी धड़कन बढ़ रही थी. वो मुझे किश करने लगा. वो मेरे होठो को चूसने लगा. मैं चुपचाप थी. वो बोले क्यों बहन तुम्हे अच्छा नहीं लग रहा है? मैंने चुपचाप थी. वो बोले ठीक है तो, मैं नहीं करता… देखना यही रक्षाबंधन आखिरी होगा, मैं बोली क्या बोल रहे हो भैया, मैंने कब बोली मैं तैयार नहीं हु, इतना कहते ही वो मेरे ऊपर टूट पड़ा.

वो मेरी चूचियों को दबाने लगा, मेरे होठ चूमने लगी. मेरी गांड को सहलाने लगा, और मेरे चूत के ऊपर से अपना लंड रगड़ने लगा. मैं भी कामुक हो गई थी. फिर वो मुझे बैडरूम में लेके आ गया, और वापस जाकर, मैं गेट में ताला लगा दिया, और वापस आते हो वो मेरे सारे कपडे उतार दिए. वो एक एक कपडे उतार फेंके, मैं बेड पर लेट गई. वो मेरे ऊपर चढ़ गया, मेरी चूचिओं को पिने लगा. मेरे जिस्म से खेलने लगा. मेरे होठ को कभी मेरी चूची को कभी नाभि को, और फिर वो निचे हो गया मेरी टांगो को अलग अलग कर दिए.

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मैं सुबह ही अपने चूत के बाल को साफ़ की थी. वो तो देख कर पागल हो गया और चाटने लगा. मेरे अंदर सिहरन होने लगी. मैं अंगड़ाइयां लेने लगी मेरी चूत गरम हो गई थी. पानी निकल रहा था, मेरा भाई अपने जीभ से चूत की गरम गरम पानी को पि रहा था, मैं अपने मुँह से आह आह आह की आवाज निकाल रही थी. मेरे रोम रोम खड़े हो रहे थे, मैं पागल हो रही थी. मेरी चूत में आग लगी हुई थी. मैं अपने भाई के बाल को पकड़ कर अपने चूत में रगड़ने लगी. उसने ऊपर आकर अपना मोटा लंड मेरे मुँह में देने लगा. मैं उसके लंड को चूसने लगी. फिर वो मेरी चूचियों के बिच में लंड को पेलने लगा.

मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. मैं बोली, भैया अब मत तड़पाओ. जल्दी चोद दो मुझे, उसने कहा अभी कहा रंडी आज तो पूरी रात छोडूंगा, वो मेरे पैर को अलग अलग कर दिया और बिच में लंड को रख कर जोर से धक्का दिया, पर चूत टाइट होने की वजह से छटक गया, क्यों की चूत पर काफी फिसलन थी. और चूत की छेद काफी छोटी थी. आज तक मैं कभी चुदी नहीं थी. उसने फिर से कोशिश की, फिर मैं खुद सेट की, उसके लंड को चूत पर, उसने एक जोरदार धक्का दिया, और चूत के अंदर लंड दाखिल हो गया, मैं कराह उठी. तकिये को कस के पकड़ ली, और जोर से चिल्ला उठी. पर वो थोड़ा शांत हुआ मेरी चूचियों को सहलाया और फिर अंदर बाहर करने लगा.

करीब दस मिनट में ही मुझे भी मजा आने लगा, और फिर क्या था, कभी मैं ऊपर कभी वो ऊपर, हम दोनों एक दूसरे को हेल्प कर रहे थे, और मजे ले रहे थे, दोस्तों हम दोनों ने पूरी रात चुदाई की, खूब छोड़ा उसने, मेरी चूत लाल हो गई थी और दर्द सहा नहीं जा रहा था, पर धीरे धीरे ठीक हो गया था. आज भी हु बहु याद है पिछली राखी.

पर फिर मौक़ा नहीं मिला था पुरे साल, क्यों की भाई राखी के तीसरे दिन ही वापस दिल्ली चला गया था, और उसकी जॉब लग गई थी दुबई चला गया था वह उसकी जॉब लग गई थी. कल ही फ़ोन आया बोला मैं आज रात दिल्ली पहुंच रहा हु, मैं रक्षाबंधन में अपने बहन को कैसे नाराज कर सकता हु. हम दोनों हसने लगे. मैं भी फिर से एक बार मजे लेने के मूड में हु.

आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी. रेट जरूर करें और कमेंट भी करें ताकि मैं रक्षाबंधन के बाद मैं अपनी कहानी पोस्ट कर सकू. आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

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