हेलो दोस्तों , मैं किरन आपको अपनी सेक्सी कहानी सुना रही हूँ मैं हरियाणा की रहने वाली हूँ मैं काफी सेक्सी और मस्त मौला लड़की हूँ मेरा बदन कमाल का है मेरे मम्मे ३६ साइज़ के है मेरे मम्मे खूब बड़े बड़े है मेरे बाल भी बहुत काले लम्बे और घने है जब मैं रोड से निकलती हूँ तो लडके मुझे देखकर सीटी मारते है मेरी कॉलोनी में हर जवान लड़का मुझको चोदना चाहता है तो मैं आपको अपनी कहानी सुनाती हूँ
मैंने बी कॉम फर्स्ट इयर में एड्मीसन ले लिया था मेरे सारे टीचर्स बहुत बढ़िया थे मैंने फर्स्ट इयर बड़ी लगन से पढ़ा मैंने कभी क्लास भी बंक नही की पर फिर भी दोस्तों मेरी फर्स्ट क्लास नही आई मैं बड़ी जोर जोर से रोने लगी मनोज सर ने मुझको देखा तो बोले मेरे केबिन में चलो मैं उसके केबिन में चली गयी मनोज सर बहुत अच्छे थे वो सभी बच्चों को बड़ी मेहनत से पढ़ाते थे कालेज में हर कोई उनकी बड़ी तारीफ करते था देखो किरन! अभी तुम्हारे पास सेकंड इयर और थर्ड इयर दो साल है एक कम करो तुम हर शाम को ७ बजे मेरे घर आ जाया करो मैं तुमको इतनी मेहनत से पढ़ाऊँगा की तुम्हारी फर्स्ट डिवीज़न क्लियर हो जाएगी वो बोले और मेरे सर पर प्यार से हाथ फेर दिया सर मैं आज से ही आपके घर आना सुरु कर देती हूँ आप कितनी फ़ीस लेंगे मैंने पूछा अरे किरन, पहले तुम आओ तो सही मनोज सर बोले दोस्तों, मैंने सुना था की जो जो लडकी उनसे ट्यूशन पढ़ती थी सब टॉप करती थी इसलिए मैं भी बहुत खुस हो गयी थी
दोस्तों , मैंने उसी शाम से मनोज सर से ट्यूशन पढना सुरु कर दिया वो मुझको बड़ी महनत से पढ़ाने लगे कोई फ़ीस की बात भी नही की एक दिन मुझको पेशाब लगी सर टॉयलेट जाना है बाथरूम किधर है?? मैंने पूछा उधर आगे से बायीं तरफ मनोज सर बोले मैं अंदर बाथरूम में आ गये मैंने अपनी सलवार खोली चड्ढी उतारी और छुल् छुल मूतने लगी जब मैं वापिस गयी तो पेशाब की २ ४ बुँदे मेरी सलवार में लगी थी सायद मनोज सर ने वो भीगी जगह देख ली थी थोडा मुस्कुरा दिए मैं भी थोडा हस दी हम दोनों गुरु चेली फिर से पढने लगे दोस्तों जब पढ़ते पढ़ते बोर हो गए तो गुरु जी का चाय पीने का मन हुआ किरन! अगर तुम्हारे हाथों की गर्म गर्म चाय मिल जाए तो मजा आ जाए तुम मुझको हर रोज एक प्याला चाय पिला दिया करो समझ लो यही मेरी फ़ीस होगी
जैसा आप कहे सर मैंने कहा मैं उनके किचेन में गयी और चाय बनाने लगी मैं अपने और उनके लिए चाय बना लायी हम फिर से पढने लगे एक महीना गुजर गया उन्होंने कोई पैसा नही लिया बस मैं हर रोज उनके लिए चाय बना देती थी एक दिन बड़ी गर्मी पड़ रही थी पढाई करने का मेरा जरा भी मन नही था सर का भी मन नही था किरन तुम साथ चलो तो आज कोई फिल्म देख ली जाए कितने दिन हो गए कोई पिक्चर नही देखी है मैं मान गयी सर और मैं उनकी कार में पिक्चर देखने गये सर ने बालकनी की टिकट ली ये कोई हॉरर पिक्चर थी डर के मारे मैंने मनोज सर का हाथ पकड़ लिया फिर एक सीन में बड़ा डेंजर भूत था मैं सर के सीने से चिपक गयी दोस्तों इस तरह हम आये दिन पिक्चर , मॉल , मेले , नुमाईस जाने लगे धीरे धीरे मुझको भी अच्छा लगने लगा
एक दिन एक मॉल में मैं मनोज सर के साथ घूम रही थी उन्होंने मेरा हाथ चूम लिया मुझको बुरा नही लगा मुझको अच्छा लगा फिर इसी तरह कभी वो मेरा हाथ चूम लेते कभी मैं उनका हाथ चूम लेती धीरे धीरे मुझको उसने प्यार हो गया एक दिन जब शाम को मैं पढने गयी तो उन्होंने मुझको पकड़ लिया किरन ! मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ अब मैं तुम्हारे बिना नही रह सकता सर बोले सर मैं भी आपसे प्यार करने लगी हूँ मैंने भी कहा हम दोनों एक दुसरे के करीब आ गए सर ने मुझको गले से लगा लिया मैंने भी उनको गले लगा लिया हम दोनों उनके बेडरूम में चले गये सर ने मुझको बिस्तर पर लिटा दिया खुद भी मेरे पास आ गये अब हम दोनों एक दुसरे से पूरी तरह लिपटे थे वो मेरे रसीले मधुर होंठ पीने लगे मैंने भी उसके होंठ पीने लगी मेरी सांसों की सुगंध उनके बदन में समा गयी धीरे से सर ने अपनी डेनिम जींस की बेल्ट खोल दी उसका लंड बाहर निकल आया पता नही दोस्तों मैं कब उनके लंड से खेलने लगी जब मुझको होश आया तब मैं मनोज सर के लंड को चूस रही थी मैं रंडियों की तरह बर्ताव कर रही थी मैं पढ़ते पढ़ते ३० साल की हो गयी थी मगर कभी लंड के दर्शन नही किये थे आज मैं पहली बार किसी मर्द का जवान बड़ा सा मोम्बत्ते जैसा लंड हाथ में ली हुई थी आज मेरे हाथ में एक अजूबा लग गया था सायद अंदर ही अंदर मैं लंड की प्यासी थी मेरी अन्तर्वासना आज भड़क गयी थी सायद लोक लाज के डर से मैंने आज तक किसी लडके से नही कहा की मुझको एक बार चोद दो
जब मुझको होश आया तो मैंने सर का लंड चूसने में मस्त थी मैं जल्दी जल्दी अपने हाथों से उनके लंड पकड़ कर लंड उपर नीचे रगड़ रही थी खूब फेट रही थी फिर मुह में लेकर चूस रही थी उधर सर ने मेरी सलवार खोल दी थी मेरी PANTY के अंदर हाथ डाल के चला रहे थे धीरे धीरे हम दोनों ६९ की पोजीशन में आ गये हम दोनों अब नंगे हो गये थे मनोज सर मस्ती से मेरी बुर पी रहे थे और मैं उनका लंड पी रही थी सर को जब मेरी चूत जब कुछ सुखी लगी तो उन्होंने मेरी बुर में थोडा थूक दिया अब मेरी बुर गीली हो गयी और वो मजे से पीने लगे अब तो जैसे मैं भी जोश में आ गयी मैंने भी उनके लंड पर खूब सारा थूक दिया अब उनका लंड चिकना हो गया मैं मजे से रंडियों जैसे हुनर के साथ उनका लंड चूसने लगी
मनोज सर को बड़ी जोर की चुदास चढ़ गयी उन्होंने मुजको २ ४ थप्पड़ जड दिए चल छिनाल! मुह खोल वो बोले मेरे मुह में उन्होंने अपना लंड पेल दिया मै साँस नही ले पा रही थी सर मेरे मुह चोदने लगे हप्प हप्प करके वो मेरे छोटे से मुह को बुर का छेद समझ के चोदने लगे मेरी चूत तो बिलकुल गीली हो गयी दोस्तों मेरी चूत बहने लगी फिर सर ने अपना बड़ा सा लंड निकाला और मेरे मुह पर थपकी देने लगे अपने हट्टे कट्टे लंड से थपकी देने लगे मैं तो निहाल हो गयी मनोज मेरे मुह को अपने लंड से खूब जोर जोर से मारने लगे
फिर उन्होंने मेरे मम्मो को भी अपने लंड से खूब थपकी दी फिर से एक बार मेरे मुह को बुर समझ के वो चोदने लगे मुझको इतना अच्छा लगा की मेरी बुर बिलकुल गीली गीली हो गयी दोस्तों सर ने २ ४ तमाचे मुझको और जड़ दिये अब उन्होंने मेरी चूत पर फोकस किया मेरी बुर खूब बड़ी सी फूली हुई थी मैंने कुछ दिन पहले ही झांटे बनायीं थी सर ने अब मुझको पूरी तरह नंगा कर दिया था मेरी पुसी बिलकुल हीरो हौंडा जैसी खुब्सूरत और शानदार थी सर मेरी बुर को गहरी नजर ने देखने लगे जैसे उसको खा जाएँगे एक सेकंड को तो मैं दर गयी मैंने डर से आँखे बंद कर ली सर मेरी पुसी को छूने लगे मेरी पुसी मेरे गरम जिस्म का सबसे सन्वेदनशील हिस्सा थी आज तक मैंने किसी लडके को अपनी पुसी तक नही पहुचने दिया था इसलिए मनोज सर ही वो किस्मतवाले मर्द थे जो मेरे सबसे सन्वेदनशील अंग तक पहुचे थे मेरा दिल जोर से धक् धक् करने लगा पता नही सर मेरी पुसी के साथ कैसा व्यवहार करे सर ने एक बार मेरी शानदार बड़ी सी चूत को पप्पी ले ली वो मस्त हो गये मेरी बुर की फाकों और दरारों को अपनी उँगलियों से छूकर देखने लगे ,मेरी बुर काली चमकदार थी और बड़ी शानदार थी मनोज सर तो जैसे मेरी चूत से बातें ही करने लगे उन्होंने २ ४ बार मेरी चूत को पप्पी दे दी इस चूत के लिए कितना झगडा लड़ाई होता है कितने क़त्ल हो जाते है इसलिए मैं बार बार कह रही थी की सर बहुत किस्मत वाले थे जब सर ने काफी देर थक मेरी बुर के दीदार कर लिए तो अब वो उसको बड़े प्यार से चाटने लगे मैं सिसकियाँ लेने लगी
सर ने मेरी बुर को खोल के देखा मैं कुंवारी थी सर की खुसी दोगुनी हो गयी मैं सर की नजरों में उनकी ललचाई नजरे देखी थी इतनी शानदार उपर उठी हुई बड़ी सी चूत सर ने आज पहली बार देखी थी जब उन्होंने मेरी चूत से खूब प्यार मुहब्बत कर ली तो अब वो मुझको चोदने लगे लडकियों के इस छेद के लिए सारी दुनिया मरती है सर भी मरे जा रहे थे सर ने अपना पहलवान लंड मेरी बुर के दरवाजे पर रखा मेरी दिल धक् धक् करने लगा डर से मैंने आँखे बंद कर ली सर ने सुरुवाती धक्का मारा पर लंड फिसल के उपर भाग गया मैंने आँखे बंद की कर रखी थी क्यूंकि आजतक मैंने किसी से नही चुदवाया था सर ने एक बार और कोसिस की इस बार भी लंड दाए बाए फिसल गया सर ने अबकी बार जादा फोकस किया उसने मेरे भोसड़े पर ढेर सारा थूक दिया अब मेरी बुर गीली हो गयी सर ने अबकी बार पुरे फोकस से धक्का मारा लंड किसी बर्फ तोड़ने वाली मशीन की तरह मेरी बुर में अंदर घुस गया मेरी तो दोस्तों गांड ही फट गयी लगा की किसी ने मुझको चाक़ू मार दिया हो मुजको बहुत दर्द हुआ सर ने निचे देखा मेरी बुर से खून बह रहा था मैं तड़प रही थी सर ने एक धक्का और मारा लंड सीधा मेरी CHUT में गच ने उतर गया मैंने सर को हटाने लगी किरन बेबी! बस थोडा बर्दास्त करो अभी तुम भी मजा पाओगी सर बोले मेरे तो पसीना छुट गया मेरे सर में भी जोर का दर्द होने लगा था बुर में तो पहले ही था मनोज सर अब मुजको बड़े प्यार से धीरे धीरे चोदने लगे वो भी चाहते थे की मुजको कम से कम दर्द दो मैंने किसी तरह बर्दास्त किया सर मुजको होले होले चोदने लगे कुछ देर बाद दर्द कम हो गया और मुजको मजा मिलने लगा सर ने लंड निकाल लिया और मेरी बुर पीने लगे अब सब कुछ नार्मल हो गया था जब दोबारा उन्होंने मेरे अंदर अपना लंड डाला तो मुझको दर्द नही हुआ अब मुझे मजा आने लगा था अब मनोज सर मुजको जल्दी जल्दी पेलने लगे तो मेरी कमर भी उपर उठने लगी मैंने अपनी टाँगे और फैला ली जिससे सर मेरे अंदर पूरा अंदर तक गुस सके मैं कामयाब रही सर अब जोर जोर से गहरे फटके मरने लगे
अब तो जैसे मैं चरम सुख में डूब गयी पर ये तो अभी सुरवात थी जब १ घंटा गुजर गया तो मैंने ही खुद चिल्लाने लगी सर चोद लीजिये आज मुजको आप मुझको कितनी मेहनत से पढ़ाते है मुझसे कोई फ़ीस भी नहीं लेते है इसलिए सर मुझपर आपका पूरा हक बनता है आज चोद लीजिये जी भरके मुझको मैंने जोर जोर से गरम सिस्कारियां भरके कहने लगी मनोज सर मुझको धिन्चक धिन्चक राजी खुसी से पेलने लगे मैंने अपनी दोनों टाँगे उनकी पीठ में लपेट दी उनका जोश दोगुना बढ़ गया हच हच वो मुजको चोदने लगे उस दिन दोस्तों मैं खूब चूदी अपने प्यारे मनोज सर से उसके बाद तो जैसे चुदवाने की मुझको लत ही लग गयी थी मुझको अब मैं शाम ५ बजे ही आ जाती थी और पहले २ ४ राउंड चुदाई हो जाती थी फिर मैं पढ़ती थी