छोटे भाई ने चोद चोद कर मुझे जन्नत का सुख दिया

मैं मंजरी आज सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम में स्वागत करती हूँ. आज मैं आपकी अपनी गुप्त स्टोरी सुनाने जा रही हूँ. मैं इस समय २० साल की हूँ. अभी बी ऐ में मैंने एडमिशन लिया है. मैं जवान हो चुकी हूँ. मेरे बूब्स भी ३२” के है. पर मैं आशा करती हूँ की कुछ साल में ये ३६ साइज़ पा लेंगे. दोस्तों , मेरी सहेलियों ने मुझे एक दिन सेक्स के बारे में बताया. असल में मैं सेक्स और चुदाई के बारे में बात करने से बहुत डरती और घबराती थी.

जबकि मेरे सभी फ्रेंड्स अपने मजनुओं से खूब चुदवाती थी और जन्नत के मजे लेती थी. धीरे धीरे मेरा अंदर से सेक्स करते का मन करने लगा. मैं अब अपनी सहेलियों से भागती नही थी. पहले जब मेरी दोस्त चुदाई की बाते करती थी तो मैं वहाँ से उठकर चली जाती थी. मुझे ये बाते सुनने में बड़ी शर्म आती थी. पर धीरे धीरे मैं खुल गयी. अब मैं अपनी फ्रेंड्स की चुदाई वाले किस्से सुनती रहती और मजा लेती रहती.

“यार माधवी !! मेरी भी किसी लड़के से सेटिंग करवा दे. मैं भी चुदाई के मजे लेना चाहती हूँ” मैंने अपनी फ्रेंड से कह दिया.

“ठीक है यार !! मैं तेरे लिए कोई लड़का ढूढूगी” माधवी बोली.

पर दोस्तों उस कम्बक्त से कुछ नही किया. अपने आशिक के साथ सैर सपाटा करती रही. मजे से चुदवाती रही और कामिनी ने मेरे लिए कुछ भी नही किया. धीरे धीरे मैं जान गयी की अपना हाथ जगननाथ. यानी मुझे ही अपना काम करना पड़ेगा. एक दिन मैंने अपने भाई को मुठ मारते रंगे हाथों पकड़ लिया. मेरे दिमाग में आईडिया आया की क्यूँ ना अपने सगे भाई से चुदवाऊ. शाम को जब पापा मम्मी बजार गये थे तो मैंने अपने छोटे भाई महावीर को बुलाया. वो १९ साल का है और मुझसे बस १ साल छोटा है.

“महावीर !! जैसे ही मम्मी पापा आएंगी मैं उनको बता दूंगी की तू बाथरूम में जाकर मुठ मारता है!!” मैंने उसे धमकाया.

“नही दीदी !! प्लीस ऐसा मत करो! तुम जो कहोगी मैं करूँगा. मेरे पास चूत तो मारने को थी नही इसलिए मैं मुठ मारके अपना काम चला लेता हूँ. दीदी प्लीस !! मम्मी पापा से इस बारे में मत बताना!!..तुम कहोगी तो मैं तुमको अपनी पॉकेट मनी दे दूंगा!” महावीर बोला. मैं खुश हो गयी.

“ठीक है मेरे भाई !! मैं मम्मी पापा को तेरे बारे में नही बताउंगी !! ना ही मुझे तेरी पॉकेट मनी चाहिए” मैंने कहा

“….तो क्या चाहिए दीदी ????’’ महावीर बोला

“….भाई तू मुझको चोद और मजे दे. देख तेरे पास लंड है चूत नही. मेरे पास चूत है लंड नही. इसलिए तू मुझे लंड दे, मैं तुझे चूत दूंगी !” मैंने महावीर से कहा

“….पर दीदी तुम ये किसी से कहोगी तो नही ???’ भाई बोला

“….नही रे!!” मैंने कहा

उसके बाद दोस्तों हम दोनों एक दुसरे के चिपक गये. भाई मेरे होठ पीने लगा. कुछ ही देर में मेरे छोटे भाई महावीर ने मुझे नंगा कर दिया और मैंने उसे. मेरे दूध देखकर वो मस्त था. “वाह ! दीदी ! तुम्हारे दूध तो बहुत मस्त है” भाई बोला.

‘पी ले! पी ले !! आराम से पी!” मैं बोली. महावीर मेरे मस्त मस्त दूध मुँह में भरके पी ता था. उसकी नजर कमजोर थी, इसलिय वो चश्मा लगाता था. भाई मेरे दूध पी रहा था, पर उसका चश्मा नही उतरा था. क्यूंकि दोस्तों चश्मा निकलने से उसके सर में घना दर्द शुरू हो जाता है. मैं सोफे पर लेती हुई थी. अपने सगे भाई को दूध पिला रही थी. जल्द ही मैं भाई से चुदने वाली थी. दोस्तों, मुझे तो ये बात समझ में नही आती है की बहने अपने भाइयों से क्यों पर्दा करती है. मेरा तो कहना है की हर बहन को अपने भाई से चुदवाना चाहिए और जिन्दगी के मजे लेने चाहिए. मेरा छोटा भाई किसी बच्चे की तरह अपने मुँह चला चला कर मेरे दूध पी रहा था. वो मेरी तारीफ़ बार बार कर रहा था.

कुछ देर बाद उसने मेरा दूसरा दूध मुँह में ठूस लिया और मजे से पीने लगा. मैंने अपनी सलवार का नारा खोल दिया. सलवार और पेंटी निकाल दी. मैं छोटे भाई के सामने नगी हो गयी. महावीर मेरे नर्म मखमली पेट चूमने लगा. फिर मेरी सेक्सी लम्बी आकार की नाभि चूमने लगा. मुझे बहुत अच्छा लगा. मेरा पूरा शरीर झुनझुनाने लगा. महावीर किसी वीर की तरह मेरी चूत पर आ गया. मेरी चूत बहुत ही सेक्सी थी. बहुत सुंदर लाल चूत थी. महावीर मेरी चूत को टच करके देखने लगा. चूत पर उसकी उँगलियों का स्पर्श मुझे दीवाना कर गया. मेरी चूत में झनझनाहट होने लगी. मैंने सुबह ही झातें साफ़ कर ली थी. इससे मेरी बुर बहुत सुंदर और सेक्सी लग रही थी. छोटा भाई मेरी चूत पीने लगा. दोस्तों, चूत पीने का सबसे जादा फायदा ये होता है की लडकी जल्दी चुदवाने को तैयार हो जाती है. अगर अगर किसी लड़के की माल चुदवाने के मूड में नही है तो उसका भी मन जल्दी से बन जाता है. इसलिए मैं महावीर को चूत पिला रही थी.

जिससे मैं जल्दी से चुदने को तैयार हो जाऊं. महावीर लगातार बिना रुके मेरी बुर पी रहा था. मुझे बहुत मजा आ रहा था. बड़ा मीठा मीठा सा लग रहा था. बड़ी अच्छी फिलिंग आ रही थी. मेरे तन मन में सेक्स और चुदाई का जागरण होना शुरू हो गया था. मेरा छोटा भाई महावीर से अपनी जीभ को निकालकर मेरी बुर पी रहा था. जैसे मेरी मम्मी पराठा सकते वक़्त पराठे में चममच से घी लगाती थी ठीक उसी तरह महावीर अपनी जीभ से मेरी बुर में अपनी लार चुपड़ रहा था. मेरी चूत बहुत गर्म हो गयी थी. मैं अपनी कमर और गांड उठाने लग गयी थी. अब मैं जादा देर बिना लौड़ा खाये बर्दास्त नही कर सकती थी. मैं जल्दी से भाई का लौड़ा खाना चाहती थी. पर माहवीर तो किसी जादा उम्र के अनुभव दार मर्द की तरह मेरी चूत पी रहा था.

फिर वो अपनी ऊँगली से मेरी चूत के होठ सहलाने लगा. मैं तड़प उठी. फिर महावीर अपनी ऊँगली से मेरी भगशिश्न को छूने और सहलाने लगा. मेरी चूत में भूचाल आ गया. महावीर जोर जोर से मेरी चूत घिसने लगा. जैसे सुबह सुबह औरते सिल पर मसाला घिस घिस कर पीसती है. ठीक उसी तरह महावीर मेरी चूत को अपनी ऊँगली से घिसने लगा और पिसने लगा.

“भाई !! अब मुझे जल्दी से चोदो!!….जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डाल दो और कूटना शुरू करो वरना मैं मर जाऊँगी!!” मैंने किसी शराबी की तरह कहा जो शाराब पीना चाहता हो पर उसे कहीं नही मिल रही हो.

महावीर ने अपना कच्छा उतार दिया. मैंने पहली बार अपने सगे भाई का लौड़ा देखा. मेरा भाई अब जवान हो चूका था. मुझे इस बात का गर्व था. महावीर का लौड़ा देखकर मैं बता सकती थी की मेरा भाई अब जवान हो चूका है. महावीर का लौड़ा अच्छा खासा कोई ७ ८ इंच का रहा होगा. अच्छा खासा मोटा भी था. उसने मेरे पैर खोल दिए. मेरी कमर और गांड के निचे एक मोटी तकिया लगा दी. इससे ये फायदा हुआ की मेरी चूत उपर उठ गयी. महावीर ने अपना लौड़ा मेरी चूत पर लैंड करवा दिया जैसे प्लेन हवाई पट्टी पर लैंड हो जाता है. मेरी चूत बिलकुल कुवारी थी. क्यूंकि मेरा कोई आशिक भी नही था जो मुझे चोदता और जन्नत के मजे देता. इसलिए मेरा भाई ही अब मेरा आशिक बन गया था. महावीर ने अपना लौड़ा हाथ में पकड़ लिया और मेरी चूत के दरवाजे पर रखकर अंदर धक्का मारने लगा. पर उसका लंड उपर की तरफ भाग जाता था. मेरी चूत में नही घुस पाता था. महावीर ने मेरी कमर एडजस्ट की. सीधा मेरी चूत के उपर आ गया और लंड हाथ से जड़ के पास पकड़कर उसने १ जोर का धक्का मारा. दोस्तों, मेरी माँ चुद गयी. क्यूंकि मेरी सील टूट चुकी थी. मुझे तेज दर्द होने लगा.

महावीर ने मुझे कसके हाथ पैर से पकड़ लिया और चोदने लगा. मैं अब कुवारी कन्या नही रग गयी. मेरा छोटा भाई होनहार निकला. मुझे मजे से चोदता रहा. उसका लौड़ा मेरी चूत के खून से सन चूका था. मेरी कसी चूत की सीटी खुल चुकी थी. मैंने दर्द के बीच नीचे देखा. मेरा भाई मस्ती से झूमझूमकर मुझे चोद रहा था. मैं खुश थी की अब मैं भी अपनी सहेलियों को अपनी चुदाई के किस्से सुना सकूंगी. मैंने अपना फोन उठा लिया और महावीर से चुदवाते काई तस्वीरें ले ली. कुछ देर बाद महावीर ने मेरी उबलती चूत में अपना खौलता माल छोड़ दिया. अगेल दिन कॉलेज में मेरी मुलाकात मेरी सहेलियों से हुई.

“आई ऍम सॉरी मंजरी !!! यार मैं तू तेरे बारे में भूल ही गयी. तेरी सेटिंग मैं जरुर करवाउंगी !!” माधवी बोली.

“रहन दे !! बहन की लौड़ी !! मैंने अपने लिए लंड ढूढ लिया है!” मैंने कहा. मैं भाव खाते हुए अपना पर्स खोला. फोन निकाला और सबको चुदाई की गर्मा गर्म तस्वीरे दिखाई. सारी सहेलियों की माँ चुद गयी. सबके होश उड़ गये.

“ओ.. बहनचोद !! कौन है ये लड़का ???’ माधवी और बाकी सहेलियां पूछने लगी. सब की सब हैरान थी. सबकी आँखें फटी फटी हो गयी थी.

“….छोटा भाई है मेरा!! कल शाम को उसी का लंड मैंने खाया है!!” मैंने कहा

“ओह बहनचोद !! मंजरी ! तू तो बहन की लौड़ी बन गयी” माधवी बोली

“….हाँ !! और क्या करती. तुम सब की सब तो आपने आशिकों से चिपकी रहती हो. तुम लोगों के पास तो मेरे लिए टाइम नही है”  मैंने कहा

“….सही है बहन. बहन की लौड़ी बनकर तूने मस्त मजे लिए कल. सही है मंजरी !!! सही है री!!” सब की सब मेरी तारीफ़ करने लगी. मैंने सबको बताया की कैसे कैसे मेरे भाई महावीर ने मुझे चोदा. दोस्तों कुछ दिन बीते तो मेरा फिर से भाई से चुदवाने के मन था. संडे की सुबह को मेरे घर में सब ११ बजे तक सोते रहते है..  भाई से चुदवाने का ये अच्छा मौका था. मैं सुबह ५ बजे उठकर भाई महावीर के कमरे में चली गयी. वो गांडू नेकर उतार कर सो रहा था. मैं उसकी रजाई में घुस गयी और उसकी गोलियां और लौड़ा सहलाने लगी. दोस्तों लडकों का लंड तो सुबह सुबह वैसे ही खड़ा रहता है. जब मैं महावीर का लौड़ा सहलाने लगी तो वो कुछ सेकंड में ही खड़ा हो गया. महावीर अभी सो रहा था.

पर मैं उसके पास ही लेट गयी और उसने जिस्म को चूमने चाटने लगी. रजाई में वो पूरा नंगा था. सायद वो इसी तरह रोज बिना कपड़ों के लेटता हो. मैं उसके जिस्म को चूमने लगी. उसके सीने को चूमने लगी. अपने दांत गड़ाने लगी. पर फिर भी वो सोता रहा. मैंने उसका पेलर, उसका लौड़ा और उसकी गोलियां हाथ से रगड़ने लगी. धीरे धीरे उसका लौड़ा विकराल आकार में आने लगा. भाई के विशाल आकार लौड़े को देखकर मैं सोचने लगी की क्या ये वही लौड़ा है तो मैंने उस दिन शाम को खाया था. मैं भाई के लंड को हाथ में लेकर जोर जोर से फेटने लगी. कुछ देर बाद दोस्तों, मेरा छोटा भाई महावीर जाग गया.

“भाई !! तुम यहाँ सो रहे हो. और इधर मुझे चुदवाने की तलब लगी है. प्लीस उठो यार !! प्लीस मुझे कसके चोदो भाई !!” मैंने कहा

“मेरी प्यारी बहना !! ठीक है. मैं तेरी इक्षा जरुर पूरी करुँगी !! मैं तुझको जरुर चोदूंगा!!” भाई बोला.

दोस्तों, फिर उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए. मैं नंगी हो गयी. भाई मेरे उपर चढ़ गया. हाथ से एरे मस्त मस्त चिकने दूध दबाने लगा. मेरी छातियाँ भरी हुई थी और बहुत सेक्सी और चिकनी थी. महावीर हाथ से मेरी निपल्स को कोई रस्सी समझकर ऐठता रहा. मेरी छातियों में एक मर्द की छुअन से बहुत मजा मिल रहा था. पुरे बदन में सनसनी हो रही थी. फाई महावीर ने मेरे दूध को मुँह में भर लिया और मजे से पीने लगा. आआआह !!. दोस्तों मुझे कितना मजा मिल रहा था. मेरा भाई महावीर बड़ी अच्छी तरह से मेरे दूध पी रहा था. ये कमाल की बात थी. फिर वो मेरी चूत पर आ गया और मजे से पीने लगा. कुछ देर तक वो मेरी चूत पीता रहा.

फिर वो मेरी चूत में ऊँगली करने लगा. मैं अपनी कमर और गांड उछालने लगी. आ आ आ हा हा अईई अईई!! करने लगी. महावीर जोर जोर से मेरी चूत अपनी ३ उँगलियों से फेटने लगा. मुझे जन्नत का मजा मिलने लगा. खूब मजा मिला मुझे दोस्तों. कुछ देर बाद भाई ने मेरी गर्म चूत में अपना ७ इंच लम्बा लौड़ा डाल दिया और मजे से मेरी चूत लेने लगा. मुझे चुदास की उतेज्जना होने लगी. नर्म और मुलायम बिस्तर पर मैं उछल उछल कर चुदवाने लगी. ये सब देखकर मुझे बहुत मजा मिल रहा था. कहाँ मैं बाहर जाकर कोई बॉय फ्रेंड बनाती. इस लिए मैं अपने सगे भाई को अपना बॉय फ्रेंड बना लिया था. महावीर मुझे जोर जोर से हौंक हौंक कर पेलने लगा. कुछ देर बाद जब मैं अपनी कमर उठाने लगी तो उसने मेरी दोनों टाँगे अपने कन्धो पर रख ली और मुझे किसी छिनाल की तरह चोदने लगा. मैं कमर उछाल उछालकर मस्ती से चुदवाने लगी.

मेरी चूत भरी हुई थी. मांस से बिलकुल भरी हुई थी. मेरा भाई महावीर बड़ी वीरता से मेरी चूत मार रहा था. खूब मजा मिल रहा था दोस्तों. वो मेरी फुद्दी में लंड ही लंड दे रहा था. लंड की बरसात मेरी फुद्दी पर हो रही थी. भाई मुझे किसी रंडी की तरह चोद रहा था. मैं अपने हाथ पैर पटक रही थी. दोस्तों, कुछ देर बाद महावीर ने मेरी गुझिया में अपना माल छोड़ दिया. जब उसने अपना लौड़ा बाहर निकाला तो मेरी गुझिया उसके माल से लबालब भरी हुई थी. फिर उसका माल मेरी चूत से बाहर निकल आया और नीचे की ओर बहने लगा. अगर महावीर का माल बिस्तर पर लग जाता तो मम्मी को हम लोगो के बारे में पता चल सकता था. इसलिए मेरे भाई महावीर ने तुरंत मेरी चूत से निकलता माल अपने हाथ में भर लिया और मेरे मुँह में डाल दिया.

भाई का गर्म गर्म माल मैं पूरा का पूरा पी गयी. मुझे बहुत मजा आया दोस्तों. फिर भाई ने मुझे अपने लंड पर बिठा लिया और चोदने लगा. इस बार भी मुझे खूब मजा मिल रहा था. इसलिए मैं फिर से उछल उछलकर चुदवाने लगी थी. महावीर ने मेरी कमर को अपने हाथों में जकड़ रखा था मजबूती से. जैसे कोई सांप मेरी पतली सेक्सी कमर पर जकड़ा हुआ हो. भाई मेरे नाजुक मखमली पुट्ठों को सहला सहला कर मुझे उपर नीचे उछाल उछालकर चोद रहा था. पेलते पेलते वो बहुत जादा चुदासा हो जाता था, और मेरे दूध किसी रसीले टमाटर की तरह बड़ी जोर से हाथ से दबा देता था. मुझे लगती तो बहुत थी दोस्तों, पर दबवाने में मजा भी खूब आता था. इसलिए मैं कहूँगी की सभी लडकियाँ अपने अपने भाइयों से एक बार तो जरुर चुदवायें. मेरा भाई महवीर मुझे मस्ती से नर्म बिस्तर पर उछाल उछालकर चोदता रहा और मेरे रसीले टमाटर दबाने लगा. मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था दोस्तों. फिर भाई ने दूसरा टमाटर अपने हाथ में ले लिया और मुझे ठोंकते ठोंकते उसे भी दबाने लगा. कुछ देर बाद मैं महावीर के लौड़े पर झड़ गयी. ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम में पढ़ रहे है.

Desi sex story, mast chudai kahani, girl sex story, saheli ki bhai, chudai ladke, girl ki chudai, desi kahani, mast kahani, kamuk kahani, sexy girl sex, girlfriend se, indian sex kahani, मस्त चुदाई, देसी चुदाई कहानी, सेक्सी गर्ल सेक्स, सेक्स कहानी, मस्ती में चुदाई

Comments are closed.