मैं मंजू सिंह आप सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर बहुत बहुत वेलकम करती हूँ. मैं इलाहाबाद की रहने वाली हूँ. किसी इंसान पर कितना बड़ा दुःख का पहाड़ टूट सकता है, ये बात दोस्तों, सायद मुझसे बेहतर तरीके से कोई नही जानता हो. तो आपको अपनी दर्द भरी कहानी सुनाती हूँ.
मेरे पति की जब एक एक्सीडेंट में मौत हो गयी तो मैं मेरे ससुरवाल वालों ने मुझे घर से निकाल दिया. मजबूर होकर मुझे अपने मायके, मोहनगंज, इलाहाबाद लौटना पड़ गया. मेरे मायके में जब मेरे १ साल गुजर गए तो धीरे धीरे मेरे पिताजी मुझसे दूसरी शादी करने को कहने लगे. मेरे माँ और भाई भी दूसरी शादी करने को कहने लगा.
बेटी! कबतक अकेले अकेले जिंदगी जियेगी? कोई जीवनसाथी तो होना जरुरी है. हम आज है कल नही रहेंगे. इसलिए बेटी हमारी सलाह मान ले और दूसरी शादी कर ले! मेरी माँ बोली.
उनकी बात पर मैंने ध्यान देना शुरू कर दिया और कुछ दिन बाद मैंने दूसरी शादी करने के लिए पिताजी से हाँ कर दी. मैं अभी २५ साल की थी. बिल्कुल जवान थी. मेरे कोई औलाद भी नही थी. इसलिए मेरी शादी आराम से हो जाती. मेरे पिताजी मेरे लिए शादी ढूंढने लगी. पर सबसे बड़ी बात थी की एक विधवा से कोई शादी नही करना चाहता था. क्यूंकि हमारे देश विधवा औरत को असुभ माना जाता है. फिर भी मेरे पिताजी मेरे लिए लड़का ढूढते रहते. २ महीने बाद एक ठाकुर साहब से बात पक्की हो गयी. मैं भी ठाकुर जाति की थी और वो ठाकुर साहब भी मेरी ही जाति के थे. वो रडुआ थे. उसकी बीबी को मरे २० साल हो चुके थे. ठाकुर ५० साल के बूढ़े थे, पर अपने बाल हमेशा काले रंगते रहते थे. वो मुझ जैसी विधवा को अपनाने को तयार थे. उनकी बड़ी से हवेली थी. जब मैंने सुना की वो मुझसे दोगुनी उम्र के ५० साल के है तो बड़ा निराश हो गयी. पर कम से कम कोई आदमी मुझ जैसी विधवा को अपनाने को तैयार था, यही क्या कम था. ये सब मजबूरियां सोच कर मैंने शादी को हाँ कर दी.
मेरी ठाकुर गजराज से शादी हो गयी. मैं उनकी हवेली की नई बहू बनके चली आई. मेरे पिताजी और घर के सब लोग कितना खुश थे की मेरी फिर से शादी हो गयी. हवेली में आकर मुझको पता चला की ठाकुर गजराज के २ लड़के मेरी उम्र के थे. २ लडकियाँ भी थी उनकी जिनकी शादी हो गयी थी. इसके अलावा उनके ३ भाई भी थे. आज मेरी सुहागरात थी. ठाकुर साहब ने बड़ी सी दावत दी थी. पुरे कस्बे को दावत में बुलाया गया था. हवेली पर बिजली की जलती भुझती सैकड़ों झालरें लगायी गयी थी. सारा जश्न खत्म हो गया. रात के १२ बज गए. मैं कमरे में आ गयी. मैं नई चकाचक साड़ी में मुँह को ढंके हुए पलंग पर बैठी थी. की इतने में मेरे नए पति आ गए. उन्होंने पी रही थी.
अरे मंजू रानी !! ये पर्दा कैसा?? अपना चेहरा तो दिखाओ. वरना हम तुम्हारे साथ सुहागरात कैसी मनाएंगे?? ठाकुर साहब बोले. वो मेरे पति थे. मैं उनकी बहुत इज्जत करती थी, क्यूंकि उन्होंने मुझ जैसी विधवा से शादी जो कर ली थी. मैंने अपने सिर से साड़ी का पल्लू हटा दिया. मैं सिर्फ २५ साल की थी, इसलिए बिल्कुल जवान थी. ब्लौस के उपर से मेरे २ मस्त मस्त उभर दिख रहें थे.
अरे वाह भाई!! मंजू रानी, तुम सच में बड़ी खूबसूरत हो! गजराज बोले. उनके हाथ में शराब की बड़ी सी बोतल थी. उन्होंने एक बड़ा घूँट और भरा और गटक गए. फिर मेरे बगल आकर बैठ गए.
मंजू रानी!! इससे पहले की सुबह हो जाए, हम दोनों को देर नही करनी चाहिए और अपनी सुगाहरात मना लेनी चाहिए! गजराज बोले.
जी !! मैंने धीरे से कहा. उन्होंने मुझे अपनी बोतल से शराब के कई घूंट पीला दिए. मैंने बहुत मना किया पर वो नही माने. मैं पीकर टुन्न हो गयी. ठाकुर गजराज जो अब मेरे नए पति थे, उन्होंने मुझे एक बार में भी नंगा कर दिया. मैं शराब के नशे में टुन्न हो गयी थी. वो मुझे चोदने लगे. मेरे जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था. जादातर मर्द अपनी बीबियों को चोदते है तो कोई हल्का कपड़ा उपर डाल देते है. पर गजराज ने मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया. वो को मुझे पकापक चोद रहा था. पति बीबी को प्यार से ख्याल रखते हुए पेलते है, पर गजराज मुझे बिना किसी परवाह किये बिना ही पेल रहा था. मैं नशे में थी, पर फिर भी सब समझ रही थी. उस सुहागरात को गजराज ने मुझे ४ बार लिया था. मैंने नंगी अपनी दोनों टांगों को फैलाई उसके बिस्तर पर पड़ी थी. मुझे होश नही था.
मेरे नए पति गजराज ने अपनी अलमारी से एक कैमरा निकाला और मेरी अनेक नंगी तस्वीर ले ली. ये वही कैमरा था जिससे शादियों में फोटो ली जाती है. मुझे होश नही था. उसने मुझे जादा पीला दी थी. कुछ देर बाद गजराज अपने लड़के सूरज को लेकर वहां मेरे कमरे में आ गया.
बेटा !! देखो तुम्हारी माँ खूबसूरत है !! गजराज ने अपने लड़के से पूछा.
मैं नंगी, दोनों टांगो को फैलायी पलंग पर पड़ी थी, नशे में टुल्ल.
नई माँ तो बड़ी खूबसरत है पापा!! क्या गजब माल ढूँढ के लाये हो पापा!! क्या मस्त माल है! सूरज बोला. वो रिश्ते में मेरा सौतेला बेटा लगता था. पर वो मेरे कमरे में खड़ा था.
बेटा ! अपनी माँ को चोदोगे?? ठाकुरों में सब चलता है !! ठाकुर गजराज बोला. नशे में वो कमीना टल्ली था.
ठीक है! पापा. मैं नई माँ को बजाता हूँ ! सूरज बोला
बेटा! तू अपनी माँ का भोसड़ा फाड़. मैं तेरी तस्वीरे लेटा हूँ! गजराज बोला. मेरा सौतेला बेटा सूरज ने अपनी कपड़े निकाल दिए. मेरा नई पति गजराज मेरे कमरे में पड़े सोफे पर कैमरा लेकर बैठ गया. मेरा सौतेला बेटा सूरज मेरे पास आ गया. वो मेरी ही उम्र का कोई २० २२ साल का जवान लड़का था. मैं नंगी अपनी दोनों टांगों को फैलाये बेसुध लेती थी. मैं तो यही सोच रही थी की मैं अपने पति के कमरे में हूँ. पर ये नही जानती थी की कोई और भी मेरे कमरे में आ गया था. मेरे सौतेले लड़के सूरज ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए. वो मेरे बगल पलंग पर आ गया. मेरी चिकनी जांघ पर उसने अपना हाथ रख दिया और सुहराने लगा. मुझे लगा की मेरे नए पति ठाकुर साहब है. सूरज ने झुककर मेरे पाँव चूम लिए. मेरे गोरे गोरे पांवों पर नई नई पायल थी और पैर की उँगलियों में चांदी की बिछुआ थी. सूरज मेरे खूबसूरत पाँव को चूमने लगा.
उसने नीचे से उपर तक मुझे घूर कर देखा. ‘पापा!! नई माँ तो मस्त चुदक्कड माल है!!’ सूरज बोला. मैं शराब के नशे में बेहोश थी. मैं नही जानती थी कौन मुझको ताड़ रहा था. सूरज की नजरे मुझे चोद रही थी. वो मेरे पास आ गया और मेरे दोनों दूध पर उसने अपने हाथ रख दिए और दबाने लगा. मुझे अच्छा लगा. मैं तो समझ रही थी की ठाकुर साहब है. सूरज फिर झुककर मेरे दूध पीने लगा. मुझे अच्छा लग रहा था. मेरी आँखें बंद थी पर मैं समझ रही थी की कोई मुझसे प्यार कर रहा है. सूरज मुझको अपनी घर की माल समझने लगा. वो मेरे दूध जल्दी जल्दी दबाने लगा और पीने लगा. मैंने शादी सिर्फ ठाकुर गजराज से की थी. मैं सिर्फ उनसे चुदने आई थी, पर सायद कोई और भी मुझको चोदने वाला था. सूरज मेरे नग्न और खुले रूप पर पागल सा हो गया. मेरे दूध पीने लगा. कुछ देर बाद उसने झुककर मेरे मुँह पर अपना मुँह रख दिया. वो मेरे रसीले होठ पीने लगा. मैं नशे में थी. मैं तो जान रही थी की ठाकुर साहब है. फिर सूरज मेरी बुर पर जैसी मधुमक्खी फूल पर आकर बैठ जाती है.
वो मेरी बुर पीने लगा. मेरी गांड के छेद को भी वो पी रहा था. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था. मैं तो जान रही थी की ठाकुर साहब मुझे प्यार दिखा रहें है. मेरी चूत बड़ी देर तक पीने के बाद सूरज ने अपनी ३ ऊँगली मेरी चूत में डाल दी और मेरी बुर चोदने लगा. मेरी आँखें बंद रही नशे के कारण. पर मुझे बड़ा मजा मिल रहा था. मेरी बुर अपनी ३ उँगलियों से फेटने के बाद सूरज ने फिर से कई बार मेरी चूत पी. फिर उसने अपना २० साल वाला बड़ा सा लौड़ा मेरे भोसड़े में डाल दिया और मेरी बुर कूटने लगा. मैं मजे में मस्त थी. सूरज अच्छी खासी बॉडी वाला था. वो बैठके खट खट करके मेरा भोसड़ा फाड़ रहा था. उसने मेरी दोनों गुद्देदार जाँघों पर अपने हाथ रखे हुए थे. मैं उसके सामने खुली तिजोरी जैसी खुली हुई थी. मेरा सौतेला बेटा मुझे यानी अपनी माँ को चोद रहा था. उधर कमीना ठाकुर गजराज मेरी चुदाई की तस्वीरे उतार रहा था. और मेरी फिल्म भी बना रहा था.
सूरज ने मुझे २ बार चोदा और मेरे भोसड़े में ही अपना माल गिरा दिया. मुझे तो बड़ा अच्छा लगा. मैं तो यही समझ रही थी की ठाकुर साहब है. पर ये तो सूरज था. सुबह हुई तो मैं बाथरूम में चली गयी. अच्छी तरह मैंने नहाया. पूरा दिन मेरे नए पति ठाकुर गजराज हसी ठहाके लगाते रहें. मुझे बड़ा प्यार दिखाते रहें. बड़ी मीठी आवाज थी उनकी. मैं मन ही मन में ये सोच रही थी की मैं कितनी किस्मत वाली हूँ की एक विधवा होते हुए भी ठाकुर साहब ने मुझसे शादी की और इतनी बड़ी आलिशान हवेली में मुझे लेकर आये. बीबी का दर्जा दिया. पूरा दिन मजे से कटा. घर के सभी सदस्यों ने मुझसे बड़ी प्यार से बात किया. फिर रात को गयी.
मंजू रानी !! इधर आओ, तुमको एक चीज दिखाता हूँ !! ठाकुर साहब बोले. उन्होंने अपना कैमरा ऑन किया. मैं बड़ी खुसी खुसी उनके बगल बिस्तर पर बैठ गयी. फिर उन्होंने मुझे कुछ दिखाया. मेरी नंगी तस्वीरे, फिर ठाकुर से साथ मेरी चुदाई की तस्वीरे, मेरी चूत की कई तस्वीरे, फिर सूरज की मेरे छातियाँ पीते हुए तस्वीरे, सूरज की मेरी चूत मारते हुए तस्वीरे. फिर दोनों नौकरों की मुझे चोदते हुए तस्वीरें. मैं रोने लगी. मैं पागल हो रही थी. कल मेरी सुहागरात पर मुझको ४ लोगों से चोदा था. मैं नशे में थी इसलिए कुछ न समझ पायी थी.
ठाकुर साहब, ये सब क्या है?? मैं तो आपकी पत्नी हूँ?? फिर ये सब क्यों? मैंने रोते रोते पूछा
तुम एक विधवा हो. और अब तुम हमारे घर की रखेल हो!! तुम तो पहले से ही चुदी हुई इस घर में आई थी. इसलिए तुमको कोई हर्ज नही होना चाहिए. हम सब मिलकर रोज तुमको पेलेंगे और तुमसे अपना दिल बहलाएँगे! ये हवेली, ये दौलत, ये सोने के गहने सब तुम्हारे है. मंजू रानी ! तुम भी ऐश करो, हमसबको भी ऐश करवाओ !! ठाकुर गजराज बोला.
नहीं!! मैं ये सब बिल्कुल बर्दास्त नही करुँगी. मैं आज ही आपका घर छोड़के जा रही हूँ! मैंने कहा और दरवाजे की तरह दौडी. सूरज और घर के २ पहलवान नौकर पता नही कहाँ से आ गए. उन्होंने मुझे हाथों से पकड़ लिया. गजराज मेरे पास आ गया. उसने अपनी चमड़े वाली बेल्ट निकाली और मुझे कम से कम १०० बेल्ट जोर जोर मारी. मेरी खाल उधड़ गयी. जहाँ जहाँ पड़ा वहां छप गया. मैं बेहोश हो गयी. ३ घंटों के बाद मुझे जब होश आया तो मेरे नौकर मुझको नंगा किये हुए थे और पेल रहें थे. मेरे नए पति ठाकुर गजराज और मेरा सौतेला लड़का मुझको नोच चुके थे. मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था. इस घर के दोनों नौकर अब मुझे नोच रहें थे. मेरी दोनों टांग खोलके वो मुझे ले रहें थे. मेरी स्तिथि एक नुची हुई मुर्गी जैसी थी उस वक्त. दोस्तों, उस दिन के बाद से मुझपर इस हवेली में हर वक्त नजर रखी जाती है. मुझे कमरे में बंद रखा जाता है. रात होने पर ठाकुर गजराज हवेली के सभी मर्दों के साथ आता है और सब के सब किसी बाजारू रंडी की तरह मुझे लेते है. मुझे चोद चोदके मेरी बुर फाड़ते है. मेरी हालत इस घर में एक रंडी जैसी हो गयी है. मैं बस एक चोदने खाने की चीज मात्र रह गयी हूँ. दोस्तों, मैंने इस हवेली से भागने की कई बार कोशिस की है पर कामयाब नही हो पायी हूँ. जब भी मेरे पिताजी मुझसे मिलने आते है, ठाकुर गजराज तरह तरह के बहाने बनाकर उनको वापिस लौटा देता है. हर रात हवेली के सभी मर्द मिलकर मुझको लेते है और मुझसे अपनी प्यास बुझाते है. आप ये कहानी सिर्फ और सिर्फ कामुक स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहें है.