मेरा नाम रजत है मैं जयपुर का रहने बाला हु, बात उस समय की है जब में दिल्ली काम करने के लिए गया था, और मुझे एक काम होटल में मिल गया, क्यों की होटल में मालिक का बेटा मेरे दोस्त का दोस्त था इसलिए मुझसे भी दोस्ती हो गयी और अपने होटल में ही मुझे नौकरी पे रख लिया. मेरे दोस्त का नाम समीर था, समीर के पापा ही होटल में खाना बनाते थे, क्यों की उन्होंने होटल मैनेजमेंट कर रखा था, और समीर की माँ भी हाथ बटाती थी.
धीरे धीरे कर के मुझे होटल का काफी काम आ गया यहाँ तक की मैं खाना भी बना लेता था, मैं समीर के पापा का शुक्रगुज़ार हु की उन्होंने मुझे ये सब सिखाया. अब तो मैं अकेला भी होटल की किचन को संभाल लेता था.
समीर के पापा दुसरा होटल बंगलुरु में खोलने बाले थे इस वजह से उनका बंगलुरु आना जाना सुरु हो गया और अब किचन में मैं और समीर की माँ ही रहते थे किचन में, समीर भी हैदराबाद चला गया कंप्यूटर में पढाई करने के लिए,
आंटी मुझसे काफी हिल मिल गयी थी, मैं भी होटल को बड़े अच्छे तरीके से संभल लिया था, किसी तरीके से कोई परेशानी नहीं थी, समीर के पापा भी बड़े खुश थे, अब वो लोग मुझे अपने घर का ही सदस्य समझते थे, आंटी की उम्र करीब 39 साल थी, उनकी शादी कच्ची उम्र में ही हो गया था और समीर के बाद कोई और बच्चा नहीं था इसलिए आंटी काफी यंग लगती थी |
एक दिन आंटी टॉप और जीन्स में थी उनकी चूचियाँ काफी फूली हुयी और टाइट लग रही थी और उनका गांड भी काफी उब्बरा हुआ लग रहा था, मैं उनकी चुचिओं को नज़र मार रहा था, क्यों की उस दिन वो गजब की सेक्सी लग रही थी, जब वो कुछ सामान उठाने के लिए झुक रही थी तो उनकी दोनों चूचियों दिख जाती थी, दोनों एक दूसरे से चिपके हुयी बीच में सिर्फ एक लकीर सी दिखती थी, मेरा मन डोल रहा था उस दिन इसके पहले मैंने कभी भी गलत नज़र से नहीं देखा था, पर आज उनकी सेक्सी ड्रेस के चलते ये सब हो रहा था. रात के करीब १२ बजे होटल बंद करके वो मुझे अपने गाडी से ड्राप करने वो अपने घर चली गयी.
दूसरे दिन वो फिर काफी सेक्सी पिंक कलर का टॉप और काप्री पहन के आयी उस दिन उनका ड्रेस काफी टाइट होने की वजह से गजब का लग रहा था, उनकी चुचिया साफ़ साफ़ दिख रहा था कितना बड़ा है पीछे से उनकी गांड उभरा हुआ और चौड़ा और गोल गोल चूतड़ मस्त माल लग रही थी. उस दिन ज्यादा कस्टमर होने की वजह से किचन काफी बिजी था, वो बार बार आ जा रही थी और मैं डिश बना रहा था, उस दिन ऐसा हुआ की आंटी एक दो बार गिरते गिरते मुझे पकड़ ली, उनकी चुचिया मेरे हाथ से दब रहा था, कई बार वो पार होने के लिए अपनी चूचियों को मेरे पीठ में रगड़ के पार हो रही थी हो सकता है ये जान बुझ के नहीं कर रही होगी क्यों की उस दिन काम काफी ज्यादा था, पर मेरा लंड बार बार खड़ा हो रहा था, फिर दिन में थोड़ा काम काम हुआ तो वो मेरे पास बैठ गयी और बात करने लगी.
रजत तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है की नहीं ? मैंने शरमा के कहा नहीं आंटी गर्ल फ्रेंड कैसे होगी मैं तो दिन भर होटल में रहता हु, इसके लिए तो टाइम चाहिए, तो आंटी बोली क्यों किसी के शरीर को निहारने के लिए टाइम है? मैं समझ गया की आंटी को लगता है पता चल गया था की आज मैं उनको अपनी वासना भरी निगाहों से निहार रहा था. मैं कहा नहीं आंटी ऐसी बात नहीं है अगर होगी तो जरूर बताऊंगा.
फिर आंटी बोली देखो कोई अगर अच्छी लगे तो बताना, मैं तुम्हारी दोस्ती करवा दूंगी. फिर शाम को काफी कस्टमर होने की वजह से किचन काफी बिजी हो गया और काम काफी बढ़ गया मैं काफी थक चूका था, तो अन्त्य बोली रजत तुम आज काफी थके हुए नज़र आ रहे हो, और वो किचन से बाहर गयी और मेरे लिए एक पेग व्हिस्की बना के ले आयी बोली ले पि ले थकन उत्तर जाएगा, मैंने भी पी ली और काम पे लग गया. २ घंटे तक खूब काम किया रात के करीब ११ बज गए थे आंटी ने फिर एक पेग बना के लाई उसको भी मैं पी गया, शराब की वजह से मेरा थकान उत्तर चुका था.
रात को होटल बंद करने आंटी बोली रजत आज चल तुम्हे घर का खाना खिलाती ही आज तुम काफी थक गया है, मैंने भी हां कर दी और और होटल से थोड़े दूर पर ही अन्त्य का अपार्टमेंट था, वही चला गया, आंटी ठंडा पिलाई और वो बाथरूम में चली गयी जब वो बहार आयी तो मैं उनको देख के हैरान हो गया, वो नाईट सूट में काफी सेक्सी लग रही थी और उनका डिओड्रेंट काफी मदहोश करने बाल खुसबू था, उनकी गोल गोल चूची पारदर्शी कपडे की वजह से साफ़ साफ़ दिख रहा था, फिर वो बोली रजत ये टॉवल लो और तैयार हो जाओ तब तक मैं खाना लाती हु, और मैं बाथरूम के अंदर चला गया, उनके बाथरूम में हलकी लाइट और हल्का हल्का खुसबू दे रहा था मैं देखा की आंटी का गीला ब्रा और पंतय वही टंगा हुआ था, मैं उनके ब्रा और पेंटी को देख के ही अंदाज़ लगा लिया था की इसके अंदर किश तरीके का माल होगा मैं उनके ब्रा और पेंटी को सूंघना शुरू किया उसकी महक बहुत ही मदहोश कर देने बाला था, फिर मैं वही टांग दिया.
मैं नह के बाहर आया तो आंटी सोफे पे बैठी थी और हाथ में व्हिस्की की ग्लास थी, मैं देखा की मेरे लिए भी एक ग्लास बनना के रखी थी, आते ही वो चियर्स बोली और दोनों मिलकर व्हिस्की पी, पर मेरे ग्लास का व्हिस्की काफी स्ट्रांग था, फिर दुसरा पेग भी लिया और खाने की टेबल पे खाना खाने चला गया, आंटी खाना सर्व की और थोड़ा थोड़ा खाना खाया, फिर मैंने कहा ठीक है आंटी सुबह मिलते है और खड़ा हो गया जाने के लिए पर जैसे ही खड़ा हुआ लड़खड़ाने लगा, आंटी आगे बढ़कर संभाली उसी टाइम मेरा हाथ आंटी के बूब से टकराया, और गिरते गिरते बचा, आंटी बोली रजत तुम्हे काफी नशा हो गया है तुम आज यही रूक जाओ, रात भी काफी हो गया है, इस टाइम घर जाना ठीक नहीं है, तुम काफी नशे में हो, मेरा माथा काफी घूम रहा था, मैं भी हां कह दिया क्यों की मुझसे चला नहीं जा रहा था,
आंटी मुझे पकड़ के बैडरूम में ले गयी और समीर का बरमुंडा पेंट ला कर दी बोली चेंज कर लो, पर मैं चेंज नहीं कर पा रहा था और आंटी ने मेरी मदद की, वो मेरा जीन्स उतार दी और और पेंट पहनाने लगी, उसी समय मेरा लौड़ा आंटी के हाथ से छु गया और मेरा लौड़ा खड़ा हो गया, मैं भी लंड को खड़ा होने से रोक नहीं पाया था, आंटी बोली वाओ कितना बड़ा लंड और वो मेरे जांघिये से लंड को बाहर निकाल ली मेरा लंड और तन गया, आंटी बोलने लगी आज तक मैंने इतना बड़ा लंड नहीं देखा और वो मेरे लंड से खेलने लगी. आप ये कहानी नॉन वेग स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है.
फिर वो मेरे बदन पे किश करने लगी, एक हाथ से वो लंड पकड़ी टी और पुरे शरीरी को चूम रही थी मुझे काफी मजा आ रहा था फिर वो मेरे लंड को अपनी मुह में ले ली और लोलीपोप की तरह चूसने लगी, करीब १० मिनट को चूसने के बाद वो अपना ऊपर का कपड़ा उतार दी और अपनी बूब के मेरे मुह पे रख दी और निप्पल को मेरे मुह में दाल दी और बोली ले चूस ले और मैं चूसने लगा आंटी आह्ह्ह आअह्हह्हह उह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह्ह आवाज़ निकाल रही थी, फिर वो मेरे छाती पे बैठ गयी और मेरा सर पकड़ ले अपने बूर में सटा ली और बोली ले चूम मेरी चुत को, मैंने जैसे भी जीभ लगाया उनका पानी निकल रहा था मैंने उनकी बूर की पानी को चाटा वो काफी नमकीन लग रहा था, वो और भी सेक्सी हो गयी और मेरे सर को कस के अपनी चुत में दबाये जा रही थी और झड़ गयी, मैं भी उनके बूर के पानी को पी गया फिर वो मेरे होठ को चाटने लगी,
फिर वो निचे लेट गयी और पैर फैला कर बोली ले मेरे राजा आज तू अपनी जवान लंड से मेरे भूख शांत कर दो, मैं भी उठ के अपना लंड उनके बूर के ऊपर रखा और एक धक्के में पूरा लंड अंदर, वो आउउउच की आवाज़ निकाली और कहने लगी चोद मुझे चोद, रगड़ अपनी लौड़े को मेरे चुत पे मैं भी धक्के पे दखकके लगाता गया, और करीब 15 मिनट के बाद मैं और आंटी झड़ गयी, फिर हम दोनों बिना कपडे ले एक दूसरे को पकड़ के सो गयी करीब १ घंटे बाद फिर मैं तैयार हो गया अब मैं निचे ही रहा और आंटी ऊपर बैठ के मेरे लंड को अपने बूर में डाल ली और उछाल उछाल के चोदने लगी, इस तरह से रात में करीब ४ बार हम लोगों ने चुदाई की, सुबह जब नींद खुली और नशा उतरा तो मैं आंटी से नज़र नहीं मिला पा रहा था, फिर आंटी बोली रजत जो हो गया सो हो गया अब तुम ये बात किसी को नहीं बताना नहीं तो तुम्हारी नौकरी भी जाएगी और मेरे साथ क्या होगा ये तुम अच्छी तरह से जानते हो, पर सप्ताह में एक बार हम दोनों एक साथ ही रात बिताते है पति पत्नी की तरह.