दोस्तों कभी कभी ज़िंदगी माँ कुछ ऐसा हो जाता है जिसके बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचते है, पर सामने कुछ ऐसे हालात आ जाते है जिसपर किसी इंसान का बस नहीं चलता उस हालत से समझौता करना पड़ता है, मैंने भी वही किया, खुश रहने के लिए और ज़िंदगी जीने के लिए हां मैंने हालत से समझौता किया और अपने माँ को अपने बॉस के हवाले कर दिया, मेरी माँ चुदती रही और मैं देखता रहा, मैं आपको पूरी कहानी बताता हु, की ये हालत क्या था जिससे मुझे समझौता करना पड़ा.
मेरा नाम श्रीकांत है, मैं अभी 23 का हु, और मेरी माँ 38 साल की है, पिछले साल ही मेरे पापा का देहांत हो गया है, मेरा जॉब एक मल्टीनेशनल कंपनी में लग गया था और मेरे पास बिलकुल भी टाइम नहीं था अपने लिए मैं ढाबा में खाना खाता था, इस वजह से में काफी वीमार रहने लगा, तब माँ मेरे पास ही दिल्ली आ गयी, क्यों की वो अकेले ही लखनऊ में रह रही थी क्यों की मैं ही अकेला संतान हु, मेरी माँ देखने में काफी सुन्दर है, वो बिलकुल भी 38 साल की नहीं दिखती है, वो अभी भी 28 की दिखती है. मेरी माँ में जो सबसे खूबसूरत चीज है वो उनकी चूचियाँ दोनों बड़े बड़े पर बहुत ही सुडौल, पेट सपाट पर नाभि अंदर की ओर, चूतड़ बाहर गोल गोल निकला हुआ, कमर पतली, गोरी, लम्बे लम्बे बाल, पहले तो मुझे ये सब का ज्ञान नहीं था, मैं जब भी माँ के साथ कही बाहर निकलता था सब लोग मेरी माँ को देखते थे, आगे से भी और पीछे से भी, तब से मैं भी माँ को घूरना शुरू किया वाकई में वो आँख सेकने लायक है.
तो कहानी पे आता हु, मेरा डेरा मेरे ऑफिस के पास ही ही है, काफी बीमार होने की वजह से मेरे बॉस जो की दोनों पार्टनर थे, अरोरा साहब और गुप्ता जी दोनों घर पे आये, मुझे देखने, माँ उन दोनों के लिए चाय बना के लेके आई, उन दोनों ने मुझे काम और मेरे माँ को ही निहारना शुरू कर दिया, माँ मेरी सफ़ेद कलर की साडी और ब्लाउज पहनी थी, उनका नाभि दिख रहा था और साइड से चूचियाँ भी पता चल रहा था कितना बड़ा है, बीएस क्या था अरोरा और गुप्ता जी दोनों देखने लगे, फिर उन दोनों ने आपस में इशारा किया, मैंने सब समझ रहा था वो दोनों की गन्दी निगाह मेरे माँ पे है, तभी वो चाय लेके आई पर उन दोनों ने चाय नहीं पि, और उठ कर खड़े हो गए, मैं समझ नहीं पाया, उसके बाद उन दोनों ने बोला, मैं तुम्हे ये बताने आया हु की अगर तुम कल से ऑफिस नहीं आये तो तुम्हारे जगह पे किसी और को रख लूंगा, और हुह कहके चले गए.
मैंने काफी परेशान हो गया क्यों की मेरा तबियत इतना खराब था की मैं ऑफिस जा नहीं सकता, मेरी माँ ये सब सुनकर बहुत दुखी हो गयी और उनके आँख से आँशु आ गए, मैंने कहा कोई बात नहीं माँ मैं सब ठीक कर लूंगा, और दूसरे दिन में किसी तरह से ऑफिस गया, तो बॉस मेरे पर उखड़ा उखड़ा था, फिर उन्होंने मुझे अपने केबिन में बुलाया, और कहा की तुम्हारा टर्मिनेशन लेटर बना हुआ है, तुम अब आ नहीं सकते. मैंने कहा सर प्लीज कुछ करो, मेरी हालात अच्छी नहीं है और मेरे लिए ये शहर भी नयी है, तो उन्होंने बोला तुम अपनी नौकरी एक ही शर्त पे बचा सकते हो अगर तुम अपने माँ एक एक दिन के लिए मुझसे मिलने दो समझ रहे हो ना मिलने दो का मतलब, मैंने सिर्फ सर हिला के हां में जवाब दे दिया, फिर उन्होंने बोला तुम्हे कुछ भी नहीं करना है सिर्फ तुम्हे ये गोलियां कल दिन में खिला देना बारह बजे और हम दोनों एक बजे तुम्हारे घर आयेगे,
मैं नहीं चाहते हुए भी दूसरे दिन माँ चाय में वो गोली डाल, माँ करीब १० मिनट बाद ही वो बेहोश होने लगी, और फिर वो बेड पे सो गई, मैं नजदीक जाके देखा वो हिल भी नहीं रही थी, तभी वो दोनों कुत्ता भी आ गया, और हलके से पूछा काम कर दिया मैंने सर हिला के हां में जवाब दिया, और इशारे से बता दिया जहा वो सोई हुयी थी, मैं भी साइड में खड़ा होक दूर से उन दोनों की हरकतों को देख रहा था, वो दोनों एक दूसरे का चेहरा देखा और दोनों ने ताली दिया, फिर वो दोनों टूट पड़ा मेरी माँ के ऊपर मेरी माँ का गदराया हुआ बदन उन दोनों के सामने पड़ा हुआ था जैसे की एक हिरन थक के शेर के आगे बैठ जाए, उन दोनों ने मेरे माँ का ब्लाउज खोल दिया, माँ उस दिन ब्रा नहीं पहनी थी, दोनों ने एक एक चूच को अपने मुह में ले के चूसने लगा औअर फिर गुप्ता जी मेरे माँ के होठ को चूसने लगे, फिर निचे आके अरोरा जी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, और टांगो को फैलाकर बीच में बैठ गए और माँ के बूर को चाटने लगे,
मैं ये सब देख रहा था मैंने भी पहले किसी को ऐसे नंगी हालात में नहीं देखा था, तो मेरे भी लण्ड खड़ा होने लगा, पर मैं वही खड़ा होके सारा माजरा देख रहा था, तभी गुप्ता जी अपना काल नाग करीब 8 इंच का मॉन्स्टर लण्ड निकाला और माँ के मुह में पेलने लगा और कह रहा था कुतिया आज तुम्हे जहा जहा छेड़ है वह वह ये नाग घुसेगा, आज तो तुम कुछ बोल भी नहीं पायेगी, आज तो तुम्हे चोद चोद के फाड़ दूंगा तेरे बूर को, तुम्हे चुदना होगा मेरी जान अपने बेटे की नौकरी बचने के लिए, तभी अरोरा जी अपना लण्ड निकाल के मेरे माँ के चूत के ऊपर रख के एक धक्का दिया और पूरा का पूरा लण्ड मेरे माँ के बूर के अंदर चला गया, अब क्या था दोनों ने मेरे माँ को चोदना सुरु कर दिया. कमरे में उन दोनों की आआह आआअह क्या माल है, उफ्फ्फ्फ्फ़ आज तो मजा आ गया, यही आवाज निकल रही थी, फिर उन दोनों ने बारी बारी से माँ को चोदा और दोनों ने एक साथ अपना अपना वीर्य माँ के पेट पे गिरा दिया, और दोनों ने कपडे पहन के बाहर आते हुए मुझसे कहा, थैंक्स, बहुत मजा आया, तेरी नौकरी पक्की, अब तुम्हे कोई नहीं निकाल सकता,
माँ शाम को उठी पर इसके पहले ही मैंने उनको कपडे पहना दिया था, जब वो उठी तो बोली क्या हुआ था मेरे साथ, तो मैंने कहा माँ आप बाथरूम में गिर गए थे, और आप बेहोश हो गए थे, फिर मैंने माँ के लिए झूठ मूठ का दर्द का टेबलेट ला दिया था बोला की डॉक्टर से कह के लाया हु, मुझे पता था की माँ को दर्द हो रहा होगा, माँ बोली मेरे कमर में इतना दर्द क्यों हो रहा था तो मैंने कह दिया की आप जैसे ही गिरे थे झाड़ू निचे आ गया था, वो समझ गई बूर में दर्द जो हो रहा था झाड़ू की वजह से ही, फिर वो गरम पानी से नही उनका शरीर का दर्द कम हो गया, और फिर वो नार्मल हो गयी,
दूसरे दिन ऑफिस पंहुचा तो दोनों बॉस ने मुझे एक अलग से केबिन दे दिया, और बोला की तू एक महीने में एक दिन वही करना, पर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, इसलिए मैंने दूसरे जगह जॉब के लिए अप्लाई करने लगा और पंद्रह दिन के अंदर ही मुझे दूसरे जगह नौकरी लग गयी, और मैंने जॉब छोड़ दिया, और जाते जाते ये भी अपने दोनों बॉस को कह गया की, तुम लोग अब मेरे घर के तरफ नजर उठा के देखा तो मैं कम्प्लेंट कर दूंगा. फिर हम माँ बेटा ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे.