दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी कहानी कहने जा रही हु, जो मेरी ज़िंदगी की हकीकत है, आज मैं आप सब को अपनी ये कहानी जरूर सुनाऊंगी क्यों की मेरे दिल पर भी एक बोझ है जो मैं हल्का करना चाहती हु, कभी कभी मैं सोचती हु की ये सही है और कभी ये सोचती हु की ये गलत है, पर मैंने वही किया जो मेरा दिल ने कहा, आखिर करती भी क्या? सेक्स तो अधिकार है, अगर ये नहीं मिलता है जिससे ये आशा रहती ही की वो पूरा करेगा, वही अगर नपुंशक निकलेगा तो क्या करें, शायद ये जवाव आपके पास भी नहीं होगा, क्यों की आपमें से भी कई मुंह मारे होंगे इधर उधर. मैं आपको अपनी पूरी कहानी बताती हु,

मेरा नाम मंजू है, मैं दिल्ली में रहती हु, ऐसे मैं हरिद्वार की रहने बाली हु, मैंने रमेश को अपने सहेली की शादी में देखि थी और तभी हम दोनों का प्यार परवान चढ़ा सिर्फ नहीं नक्श और आचार व्यबहार से, मैंने रमेश पे फ़िदा हो गई थी, और कोई लड़कियां खुद किसी को लाइन दे तो पता है बल्ब तो जलेगा ही, हुआ भी वही, वो भी फ़िदा हो गए, फ़िदा होने का कारण था मेरा जिस्म, गदराया हुआ बदन, मदमस्त चाल, लम्बे बाल, आँखे ऐसी की कोई भी गोता लगाने को सोचेगा, मेरी बलखाती जवानी के जाल में रमेश आ गया, और कुछ ही महीनो के अंतराल में शादी हो गई, पर एक गलती हो गई, आचार विचार से ही काम नहीं चलता है, हमें तो अब लगता है, की जब भी किसी की शादी होने लगे तो सब तरफ से जांच पड़ताल होनी चाहिए, क्यों की मुझे जो लण्ड मिला वो खड़ा ही नहीं होता था, ये बात मुझे शादी के रात को ही पता चला.

रात को सेज सजा हुआ था, मैं पलंग पे घूँघट लिए बैठी थी, पूरा कमरा महक रहा था फूलों से, मेरे पति देव अंदर आये पलंग पर बैठे और मेरी घूंघट को खोल कर मेरा मुंह देखे, मैं बहुत खुश थी, पर रमेश के माथे पे सिकन था, पसीने आ रहे थे, मैं सोची की हो सकता है पहली बार है इस वजह से मैंने ही थोड़ा शर्म को त्याग कर खुल कर बात करने लगी, और मेरा ही होठ रमेश के होठ को चूमने लगा, रमेश भी मुझे किश करने लगा, मैंने खुद ब्लाउज का ऊपर का हुक खोल दी ताकि मेरे चूचियों का दीदार हो जाये, मेरे चूचियों के बिच का भाग बाहर को आने लगा, फिर मेरी मदमस्त जवानी हिलोरें लेने लगी, मेरी चूत काफी गरम और गीली हो चुके थी, मैं चुदना चाह रही थी, क्यों की मेरे तन बदन में आग लग चुकी थी, और मैंने खुद ही ब्लाउज को खोल दिया और साडी पहले ही खुल चुकी थी, पेटीकोट और ब्रा में थी, बड़ी बड़ी सॉलिड चूचियों रमेश के फेस पर रगड़ रही थी, रमेश भी मेरी जवानी का खूब मजा लेने लगा. करीब २० मिनट तक ये रगड़ा चलता रहा फिर मैं पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी, पर रमेश जांघिया पहना था, मैंने उसके जांघिए को दी और उसके लण्ड मो हाथ में ले ली, और चाटने लगी, रमेश आह आह आह कर रहा था, मैं बड़े चाव से लण्ड को मुंह में ले रही थी. अब मुझे लण्ड चूत में चाहिए था, मैंने निचे हो गई और रमेश को ऊपर ले ली.

फिर क्या बताऊँ दोस्तों लण्ड मेरे चूत में जा नहीं रहा था, वो जोर लगाता पर तुरंत ही लण्ड मुरझा जाता, सिकुड़ जाता, मैंने रमेश को समझाया की जल्दी बाजी की जरूरत नहीं, पर वो दर नहीं रहा था बल्कि उसका लण्ड ही प्रॉपर खड़ा नहीं हो रहा था, तिन चार बार कोशिश करने के बाद भी मेरे चूत में लण्ड नहीं गया और रमेश डिस्चार्ज हो गया, उसका पूरा स्पर्म मेरे पेट पे गिर गया, और वो थोड़े देर बाद ही सो गया, मैं एक घंटे तक उसके उठने का इंतज़ार करते रही पर उठा नहीं और मैं भी कपडे पहन कर सो गई, क्या बताऊँ दोस्तों यही सिलसिला चलता रहा पन्दरह दिनों तक, मैं वासना की आग में जलते रही पर मेरी चूत का उद्घाटन नहीं हो पाया, मेरी जवानी लहलहाती रही पर इससे भोगने बाला ही नपुंशक निकला,

पंद्रह दिनों के बाद मैं अपने मायके गई, मेरे आने की ख़ुशी में माँ मंदिर गई, घर में मेरा बड़ा भाई जो मुझसे २ साल बड़ा है अभी कुंवारा ही है, उसने पूछा मंजू कैसी चल रही है, रमेश जी तुमसे प्यार करते है की नहीं, इतना सुनते ही मैं रोने लगी, और भाई के गले लग गई, मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी, बस रो रही थी, काफी थपकाने के बाद मैं चुप हुई, काफी पूछने के बाद मैं सब बात अपने भाई को साफ़ साफ़ बता दी की रमेश मुझे शारीर का सुख नहीं दे सकता, तो भाई मुझे सम्हालते हुए कहा, मुझे पता है!!! मैं हैरान हो गई, मैंने रिपीट किया “पता है” क्या मतलब? तो मेरा भाई बोल बहन मैंने तुमसे एक बात झूठ बोल!, मैं हैरान हो गई फिर पूछी क्या है ये? क्या कह रहे हो, तो मेरा भाई बोल, शादी के पहले रमेश मुझसे बोला की मेरे साथ प्रोबलम है, हो सकता है मंजू को शारीरिक सुख ना दे पाऊं, तो मैंने कहा की मंजू तो आपको बहुत प्यार करती है, वो तो आपके बिना नहीं रह सकती है, तो रमेश जी भी बोले की मैं भी मंजू से बहुत प्यार करता हु, सच तो ये है की मैंने नजरअंदाज कर दिया उसके प्रोबलम को. सच तो ये है की मैं भी तुमसे प्यार करता हु, मंजू,

मैं हैरान हो गई, बोली क्या बोल रहे हो भैया, मैंने कहा हां मेरी बहन ये बात सच है, मैंने तुमसे शारीरिक सम्बन्ध बनाना चाहता हु, मैंने सोचा की ये मौक़ा मेरे हाथ से जाना नहीं चाहिए और मैंने ये बात किसी से नहीं बताया, क्या बताऊँ दोस्तों उस दिन मैं दिन भर रोइ, शाम को माँ आगरा चली गई क्यों की कूल देवता को प्रसाद चढ़ाना था, मेरे दादा जी का घर आगरा ही है, शाम को वो चली गई, घर में भैया और मैं थी, जैसे ही मैं कमरे के अंदर गई, मेरा भाई मुझे कस के पकड़ लिया, और आई लव यू मेरी बहन कब से मैं तुम्हे पाने के सपने देख रहा था, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु, मैंने छुड़ा नहीं सकी उसके पकड़ से, और मैं भी उसके जिस्म की आग में जलने लगी, क्यों की मैं खुद धधक रही थी, वो मुझे पलंग पे लिटा दिया और मेरी चूचियों को दबाने लगा, धीरे धीरे उसने मेरे सारे कपडे उतार दिए और मेरी चूत को चाटने लगा, मैं बस आह आह आह कर रही थी और भरपूर मजा ले रही थी, ये कहानी आप नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है. हम दोनों 69 के पोजीशन में आ गए और मैं खुद उसके लण्ड को चाट रही थी और वो मेरी चूत को, गजब का एहसास था, मजा गया ज़िंदगी का क्यों की मेरे भाई का लण्ड बहुत मोटा और बड़ा था मैं बहुत खुश हो रही थी, क्यों की आज मैं जम कर चुदने बाली थी.

फिर क्या था मैंने कहा भाई अब बर्दास्त नहीं हो रहा है मुझे चोद दो मेरे चूत को अवाद कर दो, आज मुझे जम कर चोदो, मैं बस चुदना चाह रही हु, और फिर उसने अपना मोटा लण्ड मेरे चूत के ऊपर रखा और जोर से धक्का मारा, पूरा लण्ड जो करीब आठ इंच का था, मेरे चूत में जाकर सेट हो गया, और फिर झटके पे झटके देने लगा, मैं भी गांड उठा उठा के चुदवाने लगी वो मेरी चूचियों को भी मसल रहा था, और मैं इसका आनंद ले रही थी, क्या बताऊँ दोस्तों जो सुख मेरे पति देव नहीं दे पाए, वो मेरा भाई दे दिया, रात भर चुदी, अलग अलग स्टाइल में, मेरे सुहागरात सच पूछो तो भाई ने ही मनाया, आज १५ दिन हो गया है मायके में, मैंने भाई से खूब चुदवा रही हु, मेरी ज़िंदगी बहुत ही मस्त चल रही है, अगर कोई दिल्ली के आस पास को हो तो मुझे कांटेक्ट करो, क्यों की भाई की शादी होने बाली है मुझे एक ऐसा इंसान चाहिए जो मुझे चोद सके, मुझे रुपया पैसा की जरूरत नहीं है, उसके लिए मेरा नामर्द पति काफी है,

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