हेल्लो दोस्तों मैं आप सभी का नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से इसका नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।
मेरा नाम आशुतोष है। मै दिल्ली में रहता हूँ। मेरा कद 5 फ़ीट 10 इंच है। मै देखने में बहुत ही हैंडसम लगता हूँ। मेरी पर्सनॉलिटी बहुत ही जबरदस्त है। देखने में मै जॉन इब्राहिम जैसा लगता हूँ। चुदने के लिए लड़कियों की लाइन लग जाती है। लड़कियों की चूत की गहराई मै अपने 11 इंच के लंड से नापता हूँ। मुझे सेक्स करने में बहुत मजा आता है। खूबसूरत लड़कियों को देख कर मेरा लंड जाग उठता है। जागते ही इसे चूत की जरूरत पड़ती है। मैं चूत न मिलने पर मुठ मार कर अपने लंड को रेलगाड़ी बना लेता हूँ। एक बार चल गई तो मलाई निकाल कर ही बंद होती है। पहली बार मुझे चूत चोदने का अवसर दिया था मेरी चाची ने।
दोस्तों मेरा घर एक गांव में है। जहां स्कूल की व्यवस्था नहीं है। गांव से बहुत दूर एक छोटा सा स्कूल है। मैं उसी में पढ़ने जाता था। जब मैं क्लास 5 में था। तभी मेरे चाचा जी आये हुए थे। उनका नाम अमरेंद्र है। वो दिल्ली में रहते थे। गांव पर कभी कभी घूमने आया करते थे। मुझसे मेरे स्कूल के बारे में पूंछा तो मैंने सब कुछ बताया। चाचा ने कहा यहां कोई ढंग का स्कूल नहीं है। तुम मेरे साथ दिल्ली चलो। मै तुम्हारा एडमिशन अच्छे स्कूल में करवा दूंगा। चाचा की बात सुनकर मैं तो खुश हो गया। लेकिन घर वाले रोकने लगे। आखिरकर घर वाले मान ही गये। उन्होंने मुझे जाने के अनुमति दे ही दी। मै चाचा के साथ दिल्ली गया।
घर पर पहुचते ही मैंने चाची से मिला। चाची बहुत ही जबरदस्त दिख रही थी। लेकिन उस समय मेरा विचार कुछ ऐसा नहीं था। मुझे न ही कोई चाह थी किसी को चोदने की। पहले तो मैं चाची को बहुत ही प्यार करता था। लेकिन धीऱे धीऱे मेरे प्यार का नजरिया बदलने लगा। मै जब क्लास 8 में पहुचा तब मैं बड़ा हो चुका था। चाची मुझे बहुत ही ज़बरदस्त माल लग रही थी। उनकी जवानी देख कर अब रहा नही जा रहा था। मैंने अब ब्लू फिल्म देखना भी शुरू कर दिया था। उसी से मैंने सब कुछ करना भी सीखा। सब कुछ सीखने के बाद मैंने एक दिन जोश में आकर पहली बार मुठ मारा। करीब आधे घंटे तक लगे रहने के बाद मलाई निकलने लगी।
पहली बार का यह एहसास मै आज तक नहीं भूला हूँ। मै धीऱे धीऱे रोज ही मुठ मारने लगा। मुठ मारकर मै अपने अंदर की प्यास बुझाने लगा। मुझे सपने में कुछ देखकर झड़ जाता था। सारा मलाई मेरे कच्छे पैजामे में लग जाती थी। मैं रोज सुबह जल्दी उठकर पैजामा बदल लेता था। चाची की ब्रा के साथ भी मैं मजा लेकर खूब मुठ मारता। उन्ही की ब्रा पैंटी पर अपना माल गिराकर मै अपने लंड को साफ़ कर लेता था। मैं चाची के साथ ही सोता था। उनको रात में छूते ही मेरा लंड कंभे को तरह खड़ा हो जाता था। उनके सो जाने पर मैं गांड़ में लंड लगाकर रगडता था। एक दिन मैं रात में लेटा हुआ था। सपने में खूब सूरत लड़कियों की चुदाई करते करते मै कई बार झड़ गया। मैंने हर रोज की तरह आज भी अपना पैजामा निकाल कर बदल लिया।
चाची ने अचानक से मेरा पैजामा धुलने को मांगने लगी। मुझे बहुत डर लगा। आज तो मेरा भंडा फूट के ही रहेगा। चाची आज अपनी चूंची से मेरी गांड़ मार के ही रहेगी। मैंने डरते हुए अपना पैजामा उठाकर चाची को दे आया। चाची ने धुला लेकिन कुछ कहा नहीं। हर रोज का क्रिया कलाप मेरा बना रहा। उनको मै एक दिन देखने लगा। आखिर क्यों भाई मेरा पैजामा कुछ दिनों से सो उठकर चाची धोने को ले जाती है। मै खिडकी खोल के एक दिन देखने लगा। चाची मेरा पैजामा सूंघ सूंघकर अपनी चूत में ऊँगली डाल कर मुठ मारती थी। मुझे क्या पता चाची इतनी चुदासी किस्म की है। पिछले कुछ दिनों से चाची को चाचा का लौड़ा खाने का मौका नहीं मिल पा रहा था।
चाचा अपनी ड्यूटी ओर चले जाते थे। कुछ दिनो से वो चाची को चोद भी नहीं पाते थे। मैंने भी कई दिन हो गए चाची की चुदाई भरी आवाज नहीं सुना था। मैंने कई दिन तो उनको चुदवाते हुए भी देखा था। इसीलिए चाची को चोदने की प्यास बढ़ती ही जा रही थी। रोज रोज के माल का राज जानने के लिए चाची ने एक दिन मुझसे पूंछ ही लिया।
चाची- “अशुतोष तुम्हारे पैजामे पर कुछ दिनों से कुछ लगा रहता है। कैसे लगता है। बहुत मेहनत के बाद भी ये दाग नहीं मिटता है”
मै- “मै रात में सो जाता हूँ। फिर पता नहीं कैसे ये दाग बन जाता है। जब मैं सुबह उठता हूँ तो देखता हूँ”
चाची- “हा हा हा हा तुझे यही नहीं पता ये दाग लगाता है”
मै- सीधा बनने का नाटक करते हुए” सच में मुझे नहीं पता”
मै उनके घड़े जैसे बड़े बड़े मम्मो को ही घूर रहा था। चाची ने मुझे अपने पास बुलाया।
चाची- “मुझे पता है ये दाग कौन लगाता है”
मै- ” कौन लगाता है बताओ??”
चाची- “रात में बताऊंगी। इसके बाद कभी नहीं लगेगा”
मै रात का इंतजार कर रहा था। वो घडी आ ही गई जब मुझे चाची के चूत के दर्शन होने वाला था। मै जल्दी से जाकर बिस्तर पर लेट गया। मेरे बगल चाची भी आकर लेट गई।
मैंने फिर से अपना प्रश्न किया। चाची ने बताया- “ये जो तुम्हारे पैजामे में बड़ा मोटा खंभा है। यही लगाता है दाग”
मै- “वो कैसे दाग लगाता है”
चाची फिर से ठहाके मार के हँसी। उनको लगा मुझे कुछ नहीं पता है। वो दरवाजे को कुण्डी मारकर बिस्तर पर आयी। मुझे समझाने लगी। मै भी हाँ में हाँ मिलाए जा रहा था। चाची ने मुझे मेरा पैजामा निकालने को कहा। मैंने शरमाते हुए नही निकाल रहा था। उन्होंने अपने हाथों से मेरा पैजामा निकाल कर मेरा लौड़ा हाथ में ले लिया। मुठ मारते हुए कहने लगी। अभी दिखाती हूँ। कैसे लगता है दाग। चाची को देखकर मेऱा लौड़ा आपे से बाहर होता जा रहा था।
बहुत और जोर से मुठ मार रही थी। चाची ने करीब 20 मिनट बाद मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया। मै झड़ने वाला हो गया। चाची ने पूरा मैक्ल अपने हाथों में ले लिया। फिर दिखाने लेगी कैसे लगता है दाग। मै नार्मल हो गया। फिर उन्होंने मुझे चुदाई का पाठ पढ़ाया। किस तरह चूत में लंड घुसाते है।
चाची- “कुछ समझ में आया जो मैने बताया”
मैंने कहा- “किये बिना मुझे नहीं समझ में आता है”
चाची ने उस दिन लाल रंग की साडी ब्लाउज पहन रखी थी। उन्हीने अपनी साड़ी को ऊपर उठाकर कहा। मेरी पैंटी निकालो। मैंने निकाल दी। उसके बाद कहा- “अंदर अपना सर डालकर देखो एक सुरंग दिखेगा” मैंने वैसा ही किया। उनकी सुरंग देखी। मैंने अपना सर बाहर निकाला। उन्होंने अपना ब्लाउज निकाल कर अपने मम्मो को आजाद कर लिया। मैंने अब अपना रंग दिखाना शुरू किया। मैंने चाची की होंठ पर होंठ पर किस करना शुरू किया। मैंने अभी तक सेक्स तो नहीं किया था। लेकिन ब्लू फिल्म देखकर सारे स्टेप सीख लिया था। चाची की नाजुक नरम गुलाबी होंठो का रस मै भंवरे की तरह चूस रहा था।
इतना आनंद आता है होंठ चुसाई में मैं अब जान पाया था। वो भी मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी। मुझे बहुत ही गौर से देख रही थी। मैंने उनके दोनो बड़े बड़े मम्मो को अपने हाथों में लेकर दबाने लगा। मै फ़ुटबाल की तरह उछाल उछाल कर खेल रहा था। बहुत ही सॉफ्ट मम्मे थे। मैंने उनके निप्पल को अपने मुह में भरकर चूसने लगा। बहुत ही मीठा मीठा स्वाद लग रहा था। दबा दबा कर मैंने खूब चूसाईं की। मैं अपना मुह दूध से हटा लिया। उनके गदराए बदन को मैं निहार निहार कर सहला रहा था। चाची मस्त होती जा रही थी। मुझे उनकी मदमस्त जवानी बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मेरा लंड तन तना गया। फिर से खड़ा होकर चाची को चोदने के लिए बेचैन हो रहा था। उन्होंने मेरे लौड़े को पकड़ कर हिलाना शुरू किया।
बहुत ही टाइट हो गया। मैंने अपना लंड चाची की मुह में रखकर चुसवाने लगा। लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। मुझे बहुत ही मजा आने लगा। मै अपना लंड चाची की गले तक पेल के चोदने लगा। मुझे ऐसा करते देख चाची को भी मजा आने लगा। करीब 5 मिनट तक मैंने ऐसा किया। उसके बाद मैंने साडी निकाल दी। चाची ने अंदर पेटीकोट नहीं पहना हुआ था। मैंने अपना मुह सीधे उनकी चूत के दर्शन करके लगा दिया। अपनी जीभ को मैंने उनकी चूत के चारो तरफ घुमाने लगा। मुझे चिपका कर अपने मुह से “अई…अई…..अई.. …अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्….उहह्ह्ह्ह….ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाज निकालने लगी।
मै अपनी जीभ को उनकी चूत के बीच में ले जाकर छेद में घुसा कर चाट रहा था। दोनों पंखुडियो के बीच में मेरी जीभ अपनी खुरदुरेपन से रगड रगड कर गरम कर रहा था। खूब गर्म होकर अपना गर्म गर्म पानी निकालने लगी। मैंने उनके पानी को चखा। और सारा का सारा पी गया। चूत के दाने को मैंने अपने होंठो से पकड़ पकड़ कर खींच रहा था। चाची मुझे अपनी चूत में मुझे दबा रही थी। मैंने कुछ देर तक ऐसा करते हुए अपना जीभ हटाकर चोदने को तैयार किया। मैंने उनकी दोनो टांगो को पकड़ कर फैला दिया। मुठ मारते हुए अपना लौड़ा उनकी चूत में रगड़ने लगा। वो चुदवाने को तड़पने लगी। मैं भी खूब तड़पा कर चोदना चाहता था। रगड रगड कर चूत को लाल लाल कर दिया। चाची की चुदने की तङप मुझसे देखी नहीं जा रही थी। मैंने अपना लंड चूत के छेद में सटा कर धक्का मारा।
रोज रोज चुदने के बाद भी उनकी चूत बहुत टाइट हो गई थी। मेरा लौड़ा बहुत मुश्किल से उनकी चूत में घुस गया। आधा लंड सुपारे के साथ घुस गया। चाची की चीखे निकल गई। वो जोर जोर से “ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ….ऊँ ऊँ ऊँ….ऊँ सी सी सी सी…हा हा हा….ओ हो हो….” की चीख निकाल दी। मैंने जोर का धक्का मार कर पूरा लंड अंदर कर दिया। वो सुसुक रही थी। ज्यादा तेज चिल्ला भी नहीं सकती थी। चाचा जी बाहर के सामने वाले कमरे में ही लेटे थे। मैंने अपना लंड अंदर बाहर करके चोदने लगा। मेरी चाची को भी मजा आने लगा। वो भी मुझे कहने लगी-” बहुत अच्छे बेटा तुम तो सब कुछ जानते थे”
मै- “लेकिन करना तो तुमसे ही सीख रहा हूँ”
उन्होंने अपनी चूत उठा उठा कर अपनी फूली चूत को चुदवा रही थी। लगातार चोदने से उनकी चूत फूलती जा रही थी।
मुझे बहुत ही मजा आ रहा था उनकी फूली चूत को देखकर मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने चाची की चूत से अपना लंड निकाल कर उनकी टांगे उठा कर अपना लंड फिर से डाल कर चोदने लगा। घक्के पर धक्का मार कर चोद रहा था। चाची आगे पीछे होकर चुदवा रही थी। मेरा लंड गप्प गपा गप्प की आवाज के साथ घुस रहा था। चाची भी बड़ा मजा ले रही थी। मेरी लंड की दोनो गोलियां चाची की की गांड़ पर लड़ा रहा है। चाची की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। मै भी अपनी स्पीड बढ़ा रहा था। इतनी जोर की चुदाई मै कर सकता हूँ मैंने सोचा भी नहीं था। ये सब ब्लू फिल्म देखने का कमाल था। पहली बार की चुदाई का इतना जोश आज तक नहीं आया मुझे। दोनो लोग पसीने से बहिग गये। चाची की पूरा बदन भीगा हुआ था।
चाची की चूत की चुदाई तेज बढ़ा दी। चाची जोर जोर से “उ उ उ उ उ…..अ अ अ अ अ आ आ आ आ सी सी…..ऊँ..ऊँ….ऊँ….” की आवाज निकाल रही थी। मुझे ये आवाज और भी ज्यादा मस्त कर रही थी। मैने तुरंत उनको उठाया। मैंने झुकने को कहा। झुकते ही अपना लंड उनकी चूत में डालकर अपना कमर मटका कर चोद रहा था। चाची ने भी अपनी गांड़ उछालनी शुरू कर दी। उनकी चूत को चोदने में बहुत ही मजा आने लगा। वो धीऱे धीऱे से “आऊ…आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी…हा हा हा…” की सिसकारी भर रही थी। मैंने अपनी रेलगाड़ी को फुल स्पीड में करके चोदने लगा। घच घच की आवाज से पूरा कमरा भर गया। उनकी भी बड़े दिनों की प्यास थी। कुछ ही पलों वो झड़ने लगी।
मेरे लंड में कुछ गर्म गर्म लगा। चाची ने कहा मैं झड़ने वाली हूँ। माल पीना हो तो अपना मुह लगा दो चूत में। वो झुकी हुई थी। मैंने उनकी चूत के नीचे अपना मुह लगा दिया। चूत के नीचे मुह लगाते ही टप टप की बूँदो की बारिश मेरे मुह में होने लगी। मै एक एक बूंद का मजा ले रहा था। आखिरी बूंद पीकर मैंने थोड़ा आराम किया। उसके बाद मैंने चाची को कुतिया बनाया। चाची की गांड़ में अपना 3 इंच मोटा डंडा घुसाने लगा। चाची की चूत का यो कचरा हो गया था। गांड़ टाइट थी। मैंने गांड में लगातार धक्का मार कर अपना लौड़ा घुसा ही दिया। वो इस बार जोर से ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह.अह्हह्हह…अई…अई…अई….उ उ उ उ उ….” की चीख निकाल दिया।
मैंने उनका मुह दबाकर अपना पूरा लंड गांड़ में समर्पित कर दिया। पूरा लंड खाने के बाद भी उनकी गांड़ की गहराई नहीं नाप सका। जड़ तक पूरा लंड डालकर चोद रहा था। वो जोर जोर से “आऊ…आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी…हा हा हा…” चिल्ला रही थी। वो तो झड़ कर अपनी चुदाई की प्यास बुझा चुकी थी। लेकिन मेरी प्यास तो अब भी बाकी थी। उनकी चूत से ज्यादा मजा तो मुझे उनकी गांड़ मारने में आ रहा था। मैंने उनकी पेट को हाथो से पकड़ कर जोर जोर से अपना लंड घुसाने लगा। इतनी तेजी से लंड डाल कर मै थक गया। मै लेट गया। मेरी गर्मी शांत करने के लिए उन्होंने मेरे लौड़े की सवारी कर ली। लंड पर गांड़ सटाकर तेजी से उछलने लगी। मै भी अपना कमर उठा कर उनकी गांड़ में पेल रहा था।
उनकी गांड़ पर हाथ मारते ही वो उचक उचक कर चुदवाने लगती थी। उन्होंने मेरे लौड़े करीब 10 मिनट तक चुदवाई करवाई। मै भी झड़ने वाला हो गया। मैंने अपना लौड़ा चाची की गांड़ से निकाल लिया। खड़ा होकर अपना लंड उनकी मुह में डालकर। मैंने उनकी मुह को ही चोदना शुरू किया। इतनी अच्छी तरह से मेरा लंड अपने मुह में ले रही थी। मैंने भी अपना जल प्रवाह करने की स्थिति में पहुच गया। सारा वीर्य उनकी मुह में गिरा दिया। गरमा गरम माल को वो बहुत ही मजे लेकर पी रही थी। मैंने अपना लंड उनकी मुह से निकाल कर लेट गया। रात में कई बार मैंने उन्हें जगाकर खूब चोदा। अब चाचा चोदे या न चोदे चाची को मैं अपना लौड़ा रोज खिलाता हूँ। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दे।