कहानी मैं खुद सूना रही हूँ, बदचलन ही खुद को ही कह रही हूँ। ये आपको तय करना है मैं बदचलन हूँ या सही हूँ। अगर मैं रात की पड़ोस के लड़के से चुदाई करवाते पकड़ी गई तो किसका दोष है। मेरा दोष है या हरामी पति का या दोगला ससुर का है। आप खुद तय करना। मैं तो एक एक बात आपको यहाँ पर बताउंगी क्या हुआ था उस रात। उस लड़के को मैंने चोदने के लिए कैसे बुलाया और फिर पकड़ी गई तो मुझे बाप बेटे ने मिलकर रात भर क्यों चोदा और क्या क्या हुआ। सब आपको नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर बताउंगी।
1 दिन की बात है मेरे पति और मेरे ससुर दोनों भटिंडा गए हुए थे मैं दिल्ली में रहती हूं भटिंडा इसलिए क्योंकि उन्हें कुछ जमीन जायदाद का काम था तो जाना जरूरी हो गया। मेरे घर में मेरे अलावा और कोई नहीं है क्योंकि मेरे पति एकलौता का संतान है सास भी नहीं है। तुम्हें ही घर में एक औरत हूं जो घर को संभालते हो। पर क्या बताऊं दोस्तों अपनी व्यथा में किसको सुनाऊं जब से शादी हुई तब से मेरा पति मुझे कुछ नहीं कर पाता है मेरा पति मुझे चोद नहीं पाता है वह कुछ नहीं कर पाता मुझे।
आप खुद बताइए सेक्स की भूख होती है और अगर भूख शांत नहीं होगा तो क्या करेगा वह इंसान तो इधर उधर मुंह मारे गए चाहे आदमी हो या औरत सेक्स तो चाहिए ही होता है जिंदगी में पर यह ऐसी चीज होती है कि लोग किसी को कह भी नहीं सकता। इसलिए मेरा मन इधर उधर भटकने लगा मैं ढूंढने लगे किसी ऐसे इंसान को जो मुझे खुश कर सके जो मुझे चोद सके।
मेरे पड़ोस में ही एक लड़का रहता है वो काफी हैंडसम है जिम जाता है स्टाइल मारता है और हैप्पी अच्छा तो मैं उसकी तरफ आकर्षित होने लगी और उसको कब्जे में भी ले ली। उसके साथ सेक्स रिलेशन तो दो बार से बना था इसके पहले पर हां रोजाना मैं उससे चाहे तो जरूर करती थी व्हाट्सएप पर तो हम दोनों में काफी बातें खुल चुकी थी हम दोनों ने एक दूसरे को अपने अपने पिक्चर भी शेयर की थी मैं उनको कई सारे नंगी तस्वीरें भेजी थी।
जब मैं नहाने जाती थी तभी वह भी नहाने जाता था और तभी मैं आपको वीडियो कॉल करते थे वह मेरे पूरे शरीर को देख सकता था मैं उसके पूरे शरीर को देख सकते थे उसका लंड खड़ा होता था तो मुझे बहुत अच्छा लगता था और मेरी चूचियां बड़ी बड़ी जब वह देखता था तो आह आह करता था। यह सब बहुत अच्छा लग रहा था यह सब सिलसिला चल ही रहा था पर दोस्तों एक दिन मैं चाहते थे कि डर के नहीं खुलकर उसे चुदाई करवाऊं।
प्लान बन गया कि मुझे पहले से ही पता था मेरे पति और ससुर दोनों जाने वाले हैं तो मैं आपको पहले ही बता दी। पर वह किसी काम से बाहर चला गया था तो बात बन नहीं पाई। शाम को दूसरे तीसरे दिन फोन आया उस लड़के का आज मैं फ्री हूं तुम्हारे ससुर और पति घर पर है क्या तुम्हें बोल दे वह लोग बस से आ रहे हैं सुबह तक वह पहुंच जाएंगे क्योंकि वहां से चल चुके हैं फोन आया था उनका।
तो मैं उसको टाइम दे दूं कि ठीक है तुम रात को 9:00 बजे आ जाना। क्योंकि मुझे पता था मेरे ससुर और मेरा पति दोनों सुबह तक पहुंचेगा दिल्ली तो डर नहीं था मुझे तो मैं आपको 9:00 का टाइम दे दी और वह 9:00 बजे आ भी गया.
जब अंदर आया तो मैं दरवाजा बंद कर दे और हम दोनों एक दूसरे के गले में झूमने लगे किस करने लगे वह मेरी चूचियां दबाता मैं उसका लंड पकड़ता ऐसा ही चलता रहा। जल्दबाजी नहीं करना चाहते थे क्योंकि टाइम था इसलिए मैं सोचा कि पहले अपने जिस्म को खूब हूं छिड़वाऊं ताकि। गरम हो जाओ उसके बाद आराम से सेक्स कर सकूं ताकि मैं भी खुश हो जाऊं जाने कि मैं भी संतुष्ट हो जाऊं और को भी संतुष्टि मिले इस वजह से हम दोनों एक दूसरे को तुम रहे थे डांस कर रहे थे नंगे नाच रहे थे।
धीरे-धीरे हम दोनों के अंतर्वासना जाग उठे और हम दोनों एक दूसरे के जिसमें को मुंह से छूने लगे चाटने लगे। मैं गर्म हो चुकी थी वह भी काफी गर्म हो चुका था उसका लंड मोटा हो चुका था खड़ा हो गया था मेरी चूत पर काफी गीली हो गई थी अब बर्दाश्त के बाहर हो गया था।
उसने मुझे कहा कि अब ले लो नहीं तो मेरा निकल जाएगा। क्योंकि मैं उसके लंड को आधे घंटे से चूस रही थी वह मित्रों को दबा रहा था मेरी गांड में उंगली कर रहा था मेरी चूत में उंगली कर रहा था तो दोस्तों आप खुद सोचिए कौन सा ऐसा मर्द होगा इतना सहेगा।
मुझे भी अब लंड अपनी चूत में चाहिए था तो मैं उसको बेडरूम में दे गई नीचे लेट गई पहले उसने फिर से चूत चाचा और फिर अपना निकाल कर के मेरी चूत के ऊपर सेट किया और फिर पेल दिया जोर-जोर से। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि मोटा लंड मिल रहा था मुझे तो मुझे बहुत सुकून मिला था ऐसा लग रहा था मैं स्वर्ग में हूं मुझे लगाता था तुम्हें तो जिस्म मैं बिजली दौड़ जाती थी। मैं काफी ज्यादा काम हो गई थी गांड उठा रही थी। गांड उठा उठा कर दी थी रात करीब 10:30 बज गए थे।
तभी मेरे घर का बेल बजा, मैं हैरान थी इतनी रात को कौन आएगा मुझे पता था मेरे पति और ससुर आने वाले थे क्योंकि वह बस से आ रहे थे। मुझे लगा कोई होगा तो गेट के बाहर से ही चला जाएगा तो मैं बस नाइटी ऊपर डाल दी अंदर कुछ भी नहीं पहने और फिर दरवाजे के पास गई दरवाजा जैसे खुली तो मैं दंग रह गई दोनों बाहर खड़े थे। मैं बोली आप लोग और इस समय तो बाहर सही बोले हां हां खुला दरवाजा जल्दी आ गया बस से नहीं आया. क्योंकि यमुना बाजार वाले अपनी कार से आ रहे थे तो वह अकेले थे तो हम दोनों भी होने के साथ आ गए इसलिए हम लोग जल्दी पहुंच गए। और वहां से भी 2 घंटा पहले निकल पड़े थे।
मेरे पैरों के नीचे जमीन खिसक गई थी तभी वह लड़का भी कमरे से उठकर गेट के पास आ गया। दरवाजा मैं कहां पर हूं खुली वह लड़का तुरंत बाहर निकल गया और चला गया मेरे ससुर और मेरे पति को सारा माजरा समझ आ गया था क्योंकि मेरी ब्रा और पेंटी वहीं पर थे फर्श पर गिरे हुए। और कंडोम का पैकेट टेबल पर पड़ा था मैं तुम्हारा दोस्त हूं बुधवार को सबसे पहले मेरी ब्रा और पेंटी को देखा फिर कंडोम के पैकेट को दिखा।
फिर क्या था उन्होंने दोनों ने मुझे गालियां देना शुरु कर दिया बदचलन बोलना शुरु कर दिया। मारने वाले थे वैसे मैंने बोल दे कि यह सब क्यों कर रहे हो क्योंकि तुम चोद नहीं पाते हो मुझे तुम मुझे खुश नहीं कर पाते हो। यह करना पड़ा जब मुझे सेक्स की भूख है और तुम मुझे इस को पूरा नहीं कर रहे हो तो मैं क्या करूंगी। इतना सुनते ही वह दोनों और भी ज्यादा आग बबूला हो गए और गीत को बंद किया और दोनों मिलकर मुझे पकड़कर बेडरूम में लेकर आए और दोनों ने अपने अपने कपड़े खोलें और बोले आज इस साली की गर्मी को को हम खत्म कर देते है । इसको लंड चाहिए मोटा लंड चाहिए।
इसको चूत ** की भूख लगी है आज मैं इसकी गांड फाड़ देता हूं आज मैं उसकी चूत फाड़ देता हूं और दोनों मिलकर मुझे चोदने लगे। दोस्तों जैसा हो तो ना चोद रहे थे मुझे ऐसे ही चुदाई चाहिए थी। मैं खुश थे मैं नाराज नहीं थी पर अब तूने गुस्से में थे मैं उनसे का खूब मजे लिए तूने मुझे उलट-पुलट कर चोद रहे थे और मैं इसका मजे ले रहे थी। भांड में जाए रिश्ते भाड़ में जाए नाते। ससुर हो या कोई और मुझे आज चुदना था तो चुदना था। सच पूछिए तो वह लोग जैसा बोल रहे थे कि आज तेरी चूत की गर्मी को खत्म करता हूं। और तेरी चूत मारता हूं तेरा गांड मारता हूं तो सच में यह सपना मेरा था कि कोई ऐसा ही करें मेरी चूत फाड़ दी मेरी गांड फाड़े पर मुझे खुश करे।
पूरी रात तो दोनों चोद नहीं पाए पर हम दोनों ने मिलकर मुझे कभी खुश कर दिया। जिंदगी में पहली बार में संतुष्ट हो पाए थे क्योंकि मेरे पति का भी मर्दानगी की ललकार हो गया था इसलिए अपने लंड को पहले जा रहा था, मेरी चूत में और ससुर को बहुत दिनों से चूत नहीं मिला था इसलिए उसका भी मनोकामना पूरा हो गया और सच पूछिए तो हम तीनों का मनोकामना पूरा हो गया हम तीनों भी यही चाहते थे।
मेरा पति चाहता था कि मैं उसको संतोष कर पाऊं मेरे ससुर को काफी दिन से छूट नहीं मिला था और मुझे कभी ऐसा लैंड नहीं मिला था और ऐसे किसी ने मुझे संतुष्ट नहीं किया था तो आज वह भी पूरा हो गया दोस्तों।
खूब मजे ले अब तो रोजाना चुदती हूँ चाहे वह पति हो या ससुर हो। कभी कभी गलत काम भी सही हो हो जाता है जैसा मेरे साथ हुआ। अब मैं संतुष्ट हूँ। चुदाई का मजा ले रही हूँ। वो दोनों भी खुश है मेरे से उन दोनों को कोई गीला शिकवा नहीं है। तीनो खुश खुशः रह रहे है। ये मेरी कहानी कहानी है नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर। दूसरी कहानी जल्द ही पोस्ट करुँगी।