माँ बेटा और नागपूर कि गर्मी

मेरा नाम सारिका है, मै एक हौसवाइफ, मेरी उमर ४५ है मेर हबी मेरे से काफी बडे है.
हम सब अछे घर से है, ये कहानी हि मै और मेरे बेटे कि. जिसका नाम वरून है.
वो हमेशा घर पे हि रहता था, किसी कोर्स के लिये उसे नागपूर जाना था. हमारे पास अच्छा खासा पैसा है इसलिये हम ने सोचा ऐसे वहा एक छोटा फ्लॅट ले रेंट पे. एक साल कि हि तो बात है. ताके वो अपनी पढाई अच्छी कर सके. तो हम वहा चाले गये. मै ने उसे बोला “मै शनिवार और रविवार को तुझे मिलने आया कारुंगी, तेरा खाने पिने का सामान भरुंगी. और एक लाडका भी है जो तेरे लिये बाकी दिन घर मे हि खाना बना के राखे गा. और मै शनिवार रविवार को तेरे लिये बनावुगी ”
उसने काह ” ठीक है!”
असलं मे मै नही चाहती के वो मुझसे जादा दूर रहे, और मैने जाना चालू किया, वैसे भी इसके ‘पापा याने मेरे मिस्टर बिसनेस मे बीजी होते है तो उन्स से मुझे परमिशन मिली जाने के लिये ”
वहा तो बहुत हि गर्मी है, हमने छोटा कूलर बी लिया था…उस्का कोई इतना फायदा नाही होता था.
मै जब वहा जाती तो फ्री हि रहती. घरमे पेटीकोट और ब्लाउज पे हि होती जब अकेली होती, या तो कभी कभी गाऊन के अंदर कुछ नही पेहनती.
हम दोनो मे काफी फ़्रिएन्दशिप हुई और उसे भी मेरा आना जाना अच्छा लगने लगा. हम घुमने फिरने भी जाते, शॉपिंग भी करते, मूवी भी देख ते..मै जब घर होती थी तो वो कही नही जाता मेरे हि पास रहात.
अब हम मे फ़्रिएन्दशिप हो गाई के मै उईके सामने भी साडी बदलती थी, कपडे बदल ती थी.
वरून कि उमर करीब २१ है. और मै ५.५ उंची और फिगर 36-28-४२ है, मै 34DD का ब्रा पेहत्तीं हू. वरून मेरे से थोडा उंचा है वो ५.१० का है. मै जाब जब घर खाना बाणा ती हू …तो वो किसी ना निसी बहाने से किचन मे आता था..और मुझे टच करणे कि कोशिश कर ता था. हमारा किचन छोटा था…वो खाली थोडा बा था एक पॅसेज कि तरह.
एक शनिवार कि दोपहर
मैने कहा ” वरून बेटे यहा कितनी गर्मी है, सोचा नहा के लू”
बाहर गद्दी पे हि था वरून, फ्लॅट छोटा था , वन रूम और किचन, एक हि साल के लिये था. बेड नाही था हम गद्दी जमीन पर हि बिछाते थे.
वरून ” ठीक है माँ, नहालो आप”
और मै बाथरूम चली गई. करीब २.३० बाजे होंगे, नहाते समय मैने सोचा वैसे भी मै वरून के सामने कपडे बदल ती हू तो क्यो नाही आज टॉवेल पे हि रहू..” हाय रे ये नागपूर कि गर्मी”
मेने दो टॉवेल लिये, शॉवर के बाद एक टॉवेल से बदन पुच्छा और बाल थोडे गिले हि थे, मैने दुसरा ट्रान्सपरंट टॉवेल मेरे बदन को लपेटा और बाहर आ गयी.. अब मै वरून के सामने ने हि थी.. बाल पोच रही थी, और वरून मेरी तरफ वासना कि नजर से देख राहा था. मेरे उरोज अब ऊस टॉवेल के वाजहसे दिख रहे थे ये मैने जान लिया.. तंबीही वरून गद्दी से उठा और मेरे तरफ आले मुझे कस के पकडा.
मै ” औच !!! क्या हुआ तुम्हे, छोडो मुझे,”
वरून ने मुझे ऐसे पकडा कि, मेरे मु मे आपना मु डाल के किस किया……
मै ” छोडो मुझे”
वरून ” नही प्लस थोडी देर”
मै ” ऐसा नही करते बेटा, बेटा छोडो मुझे मै ‘तेरी माँ हू”
वरून ” नही नही छोडूगा, प्लस थोडी देर…
उसी वक्त मेरा टॉवेल नीचे गिरा, और वरून ने अपनी शॉर्ट और अंडरवेअर कब निकाली वो पता हि नही चला. अब मुझे भी थोडा मझा आ रहा था. मै भी कब उसके आहोष मी आ गयी वो भी नही समझा.,उसने उस्का लंड मेरे बुर मी घूस या खडे खडे.
मै “औच”
और मेरे उरोज दाबाने लगा. मेरी चुचीयो के साथ खेल ने लगा, उनको चुसने लागा काटने लगा,
मै” नही बेटे, इतना झोर से मत काटो, नही तो मेरे चुचीयो पे निशाण लग जायेंगे”
वरून ” क्या मस्त बूब्स है तेरे, मोटे मोटे… i love u”
मै ” ओह्ह नही”
अब वो मुझे खडे खडे हि चोद ने लगा
अपना लंबा मोटा लंड मेरे बुर मे घुसडने लगा
अब मेरा टॉवेल गीर गया था..वो मुझे खडे खडे हि चोद राहा था..
तंबीही
वरून ” चलो बाथरूम मे”
और आपना लंड मेरे बुर से बिना निकाले बाथरूम मे ले गया..
और नीचे से जोर से आपना लंड हिला हिला के चोद ने लागा, शॉवर भी चालू किया,
दोनो भी नंगे थे.
मुझे बहुत हि दर्द हो राहा था लेकीने माझा भी आ राहा था…
मैने दोनो हाथ उपर लिये और शॉवर का रॉड पकडा..
वो नीचे से फटके दे राहा था… तंबीही उस्का ध्यान बाथरूम के छोटे स्टूल पे गया..
उसने बाथरूम का स्टूल लिया मेरा एक पैर स्टूल पे रखा.. और फिर से चालू हो गया ….
अब.. उसने जोर से पकडा और रुक गया… और मे भी थंडी हो गाई…
उस्का पाणी मेरे बुर मे घुसने चालू हो गया..
पुरे पानी से मेरी बुर भर दि
हम दोनो काफी समय वैसे हि थे..फिर अलग हो गये.
शाम को ६ बजे वरून ने कहा चलो बाहर घूम ने जाते है..
हम चाले गाये. शॉपिंग कि, मूवी देखी, खाना खाया और देर रात करीब १२.१५ घर अये इस दौरान हम मे छ बात चीत नाही हुई.
हम घर आ गये, गरम हो राहा था मै बाथरूम मे गयी और शॉवर ले लिया..
मेरे नहाने के बाद वरून भी शॉवर ले ने गया..
मै बाहर के रूम मे आके गड्डी पे सो गयी, किचन का लाईट ऑन रखा, वरून भी नाहाके आया वो टॉवेल पे था. सब लिट ऑफ थे खाली किचन का, ऊस ने मुझे देखा, मैने भी उसे देखा, उस्का ध्यान बाजू मे गया और वो समझ गया. मै ने मेरा टॉवेल बाजू मे रखा था.. और मैने मेरे उपर चद्दर ली थी. वो समझ गया के मै चद्दर मे नंगी हू.
उसने मेरे सामने हि उस्का टॉवेल निकाला और पुरा नंगा खडा हो गया, उस्का लंबा मोटा लंड मेरे सॅम ने झूल राहा था..
किचन का लाईट ऑफ किया और मेरे चद्दर मे आ गया. अब रूम मे अंधेरा था.
क्या हो राहा था मालूम नही.. उसने मे रे बुर मे आपणि उंगली डालना चालू किया…
अंधेरा था कुछ दिखाई नाही दे राहा था.
थोडी देर के बाद उसने मुझे उलटा सुलाया.. अब मेरे नितंभ (गांड) उसकी तराफा थी.
उसने मेरे पेट के नीचे टाकिया रखा. मैने सोचा शायद उसे मुझे पिछेसे चोद ना है.
तभी मेरे गांड के होल पे.. वो थुका.. और अपनी उंगली डाल के मेरी गांड चिप चिपा कर दि.
अपने लंड का सुपारा मेरे गांड पे राखा और जोर का झटका दिया… अपना लंड मेरे गांड मे एक हि होल मे आधा घुसड दिया. और जनवरो जैसे चोद ना चालू किया..
एक हाथ मेरे चुत मे घुसेडा एक तरफ मेरे मु मे आपण मु दाल दिया.. और आपने लंड से मेरी गांड मर राहा था…
मै चिला भी नाही सक्ती…
१५ मिनिट वो मेरी गांड मार राहा था…
वो १५ मिंट मरे लिये खतरनाक और मजे के भी थे..
उसने पानी पुरा मेरे गांड मे छोड दिया…
रात को उसने मेरी ३ बार गांड मारी, और सुभे मै उठी तो मेरी हालत खराब हि थी दोपर तक..
फिर उसने मुझे स्टेशन पे ड्रॉप किया. उके पेहेल भी मेरे बुर को चोद दिया घर पे.
अब मै हमेशा शनिवार का इंट जर कार्टी हू के कब उके पासू जाऊ और गांड चूदवाउ.
अब मै जब भी जाती सब से पेहेले मेरी गांड हि चूदवाती

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