दोंस्तों, मैं दुर्गेश आपको अपनी व्यथा बता रहा हूँ। मैंने कई सारे कहानी पढ़ी है नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर तो आज मैं भी अपनी कहानी नॉनवेज स्टोरी पर पोस्ट कर रहा हु. दोस्तों ये कोई गर्व की बात तो नही है पर सच्चाई तो सच्चाई ही होती है। हुआ ये की कुछ दिनों पहले 12 अक्टूबर 2016 को मेरी शादी हो गयी। पता नही क्यों मैं शादी के नाम से बड़ा डरता था। एक नयी लंबी चौड़ी औरत आएगी तो रात भर मेरे बगल में सोएगी। रात भर मुझे उसको लेना होगा नही तो बच्चा नही होगा। मेरे दोस्त यही मुझसे कहते थे। मैं बचपन में खूब बेइंतहा मुठ मारा करता था। इतना ही नही मेरे दोस्त मौका मिलने पर मेरी गाण्ड भी खूब मारते थे।
बस तभी से मैं शादी नाम ने डरता था। मुठ मारते मारते मैं 32 साल का हो गया। मेरे सभी पांचों भईयों की शादी हो गयी और अब मेरा नम्बर आ गया। पर मेरी 3 छोटी बहने भी थी। मेरी शादी के बाद मेरी बहनों की शादी होनी थी। इसलिये मेरे पिताजी, और सभी भैया मेरी शादी की बात चलाने लगे। वो लोग लकड़ी भी पसंद कर आये। मैं दिनों दिन टेंशन में आने लगा। सच ये था कि मैं गाण्डू था, मैं आज भी 32 का होने के बाद भी अपने जिगरी दोंस्तों से चोरी छिपे गाण्ड मरवाता था। मैंने आज तक कोई लौण्डिया नही चोदी थी। हाँ जब जब चुदास जागती थी, मुठ मरता था या गाण्ड मरवाता था।
मेरे दोस्त मेरा मजा लेने लगे।
अबे इसकी जोरू को या तो इसके दोस्त चलाएंगे या इसके बड़े 4 भाई!! सब कमेंट करने लगे। मेरी गाण्ड फट गई। मैं डर गया, खौफ़जदा हो गया। मैंने कई बहाने मारे पर मेरे पिताजी और भईयों से मिलकर मेरी शादी कर दी। मेरी जोरू घर आ गयी। मैं तो पतला पापड़ था और हरामी मेरे भाई ये पहलवान जोरू ले आए। विदाई के बाद मुझे मेरी भाभियों ने जबर्दस्ती सुहागरात मनाने भेज दिया। मेरे बड़े भईयों से मुझे लौण्डिया चलाना यानि कि चोदना सिखा दिया था। मैं कमरे में गया तो मेरी गाण्ड फ़टी थी।
मेरा कालेज धकर धकर कर रहा था। मैं डर से काँप रहा था। मेरी जोरू साड़ी के लाल लहंगे में थी। गुंघट किये थी। मैं सफ़ेद पलंग पर उसके बगल बैठ गया। कुछ देर हाल चाल हुआ। उससे कहाँ, किस कॉलेज से पढाई की है , मैंने कहाँ से पढ़ा है ये सब पूछा। फिर बात खत्म। मेरी जोरू मीना ने घूंघट हटाया। दूध पिलाके लाइट ऑफ़ कर दी।
आप कपड़े निकालिये! मैं भी निकाल रही हूँ!! मेरी जोरू मीना बोली!!
मैं डरे सहमे हाथों से कपड़े निकलने लगा। मेरी जोरू 6 फिट की मजबूत कद काठी की औरत थी। देखने में तो पहलवान लगती थी , वजन कोई 80 किलो होगा। कहाँ मैं 40 45 किलो का पतला पापड़ था।
कहाँ मेरी एक एक हड्डी चमकती थी, कहाँ मेरी जोरू के बदन पर गोश ही गोश था। खैर मैंने कपड़े निकाल दिए। मेरी पहलवान जोरू नँगी पलंग पर लेट गयी।
आइये जी!! वो बोली।
मेरी तो गाण्ड फट गई। मुझे रह रहकर अपने दोंस्तों की बात याद आ रही थी अबे! इसकी जोरू को या तो इसकेे दोस्त चलाएंगे या इसके बड़े भाई!! मैं सहम गया। मैं नन्गा होकर अपनी जोरू के ऊपर लेट गया। उसकी मस्त मस्त बड़ी बड़ी छातियां पीने लगा। काफी देर हो गयी।
रात बहुत हो रही है जी!! अब कारिये!! सुबह जल्दी उठना भी है!! मेरी जोरू मीना बोली
करता हूँ!! मैंने कहा।
पर आधे घण्टे तक आपनी पहलवान 80 किलो की बीवी की दोनों छातियां पीने के बाद भी मेरा लण्ड नही खड़ा हुआ। कहीं मैं छक्का तो नही हूँ मैंने सोचा। फिर मैं अपनी पहलवान जोरू की चूत पिने लगा की सायद लण्ड खड़ा हो जाए, पर नही हुआ। मेरी बीवी ध्यान से मेरे लण्ड को देखने लगी।
मीना! मेरा खड़ा नही हो रहा!! मैंने कहा।
मेरी बीवी बड़ी निराश हो गयी। उसने बड़ी देर मेरा लण्ड को पिया पर फिर भी खड़ा नही हुआ। मैं निरास हो गया। उस सुहागरात में हम बिना चुदाई के ही सो गए। अगली रात फिर यही हाल। धीरे धीरे मेरी बीवी जान गई की मैं हिजड़ा हूँ, नामर्द हूँ।
दुर्गेश!! साफ साफ बताओ की बचपन में तुमने कुछ क्या कुकर्म किये थे, वरना मैं अपने पापा को बता दूंगी की तुम हिजड़े हो!! मेरी पहलवान बीवी ने मुझे धमकाते हुए कहा
मैं उसे बता दिया की बचपन में मैं हर दिन 3 4 बार मुठ मरता था। और हर दूसरे दिन दोंस्तों से गाण्ड मरवाता था।
हे भगवान!! मेरे तो कर्म फुट गये! एक छक्के से मेरी शादी करा दी गयी।! मेरी जोरू रोने लगी और बिस्तर पर सर पकड़ के बैठ गयी। मैं भी रोने लगा। दोंस्तों, धीरे धीरे मैं बहुत डिप्रेसन में आ गया। एकांत चुप और हमेशा गुमसुम रहता। मैंने डर से अपने दोंस्तों से मिलना छोड़ दिया। हमेशा उनकी वही बात याद आती की अरे दुर्गेश की जोरू को तो इसके दोस्त या इसके बड़े भैया चलाएंगे। दोंस्तों मैं आत्महत्या के बारे में सोचने लगा।
एक दिन मेरे सबसे बड़े भैया ने मुझे छत पर बुलाया और बड़े प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरा।
दुर्गेश!! शादी से ही तू बड़ा दुखी दुखी लगता है!! क्या बात है??
भैया मैं अपनी जोरू को नही ले पा रहा हूँ!! मेरा लण्ड ही नही खड़ा होता है! मैंने बता दिया।
अचानक से उनका मिजाज बिगड़ गया। उन्होंने मुझे एक तमाचा मारा।
बहनचोद!! पहले नही बता पा रहा था ये समस्या! बेकार में एक नई लड़की की जिंदगी बर्बाद कर दी! बड़े भैया बोले
मैं रोने लगा।
जरूर तूने कुछ हरम्मपन किया होगा! बड़े भैया बोले। उन्होंने मेरी पैंट उतरवाई। मेरी गाण्ड देखी तो ये गाण्ड बड़ी हो गयी थी मरवा मरवाकर।
बहनचोद!! तूने बचपन में खूब गाण्ड मरवायी है!! इसी का नतीजा है!! बड़े भैया चिल्लाये और लात मुको की बौछार कर दी। मेरा मुँह फुट गया। मेरे दूसरे भाई, पिताजी, माँ जी भी आ गए की क्या हुआ। शरम से मैंने कुछ नही बताया।
रात को बड़े भैया सजधजके मेरे कमरे में मुझे लेकर आये।
बहू!! तेरे दर्द के बारे में मैं जान चुका हूँ। पर बहू हमारे घर की इज्जत के लिए ये बात तुम किसी से मत कहना। आज से दुर्गेश की जिम्मेदारी मैं उठाऊँगा! ये नामर्द है, मैं नही। मैं तुझे बच्चा दूंगा! बड़े भैया बोले।
अबे, तू यहाँ खड़ा होकर झांट उखाड़ रहा है। जा एक शेविंग किट लेकर आ!! बड़े भैया से मुझसे कहा। मैं दौड़कर एक शेविंग किट ले आया। मैं दरवाजा बंद कर दिया।
दुर्गेश ! तेरी बीवी को चोदूंगा तो मेरी सेवा तुझे ही करनी होगी! आकर मेरी झांटे बना। तेरी बीवी को आज रातभर पेलूंगा!! भैया बोले
भैया ने अपना सफ़ेद कुर्ता पाजामा उतार दिया। खूब इत्र लगाकर आये थे। अपनी बनियान और अंडरवियर भी उतार दिया। मेरी जोरू मीना के बगल नँगे होकर लेट गए। मैं रेजर शेविंग मशीन में लगाया, भैया की झांटे बनाने लगा। बड़ी लम्बी लम्बी झांटे थी जंगली झाड़ की तरह। मैं जान गया कि मेरी भाभी भी झांटों में ही पेलवाती होगी। मैंने बड़े भैया की झांटे साफ की, फिर उनकी गोलियां बनायी। फिर मैंने सारे बाल एक पिन्नी में भर दिए।
दुर्गेश! तू इधर ही कुर्सी पर बैठ जा, अगर रात में तू बाहर रहेगा तो घर वाले सवाल करेंगे! बड़े भैया बोले। मैं उधर ही कुर्सी पर बैठ गया। रात के 11 बज चुके थे। मेरे घर के बाकी सदस्य अपने अपने कमरों में सो गए थे। मेरे बड़े भैया मेरे सामने मेरी जोरू मीना को चोदने खाने वाले थे। क्योंकि मैं छक्का था, मैं हिजड़ा था, मेरा लण्ड ही खड़ा नही होता था। मैं कैसै अपनी जोरू को लेता?? मेरी जोरू मीना ने मेरे बड़े भैया की बात मान ली। भैया बेड पर आ गए, मीना को पास बुला लिया। मीना ने लाल रंग की मैक्सी पहन रखी थी। नँगे भैया को देखकर मीना थोड़ा शर्मायी क्योंकि भैया 10 साल उससे बड़े थे।
भैया बड़े मोटे ताजे थे, मेरी जोरू मीना से भी तग्गड़ थे। उन्होंने मेरी जोरू को अपनी बाँहों में भर लिया। उसके होंठों पर ताबड़तोड़ चुम्मा जड़ दिया। गठीले बदन वाली मीना थोड़ी असहज महसूस करने लगी। उन्होंने मेरी जोरू को पलंग पर अपने बगल लेटा लिया। उनके हाथ मीना के पहलवानी छातियों पर जाने लगे। मीना थोड़ा परेशान हो गयी। मेरी ओर ताकने लगी। मैंने नजरे फेर ली। क्योंकि मैं उसे एक महीने में एक बार भी नही ले पाया था। तभी भैया ने मेरी जोरू कीे दोनों हेडलाइट को हाथ में भरा और अचानक कस के निम्बू की तरह निचोड़ दिया। मेरी पहलवान जोरू उछल पड़ी पलंग पर। 80 किलो की जोरू पर जब मेरे 120 किलो के बड़े भैया चढ़ गए तो साली की माँ चुद गयी।
वो कुछ नही कर पाई। बड़े भैया मेरी पहलवान जोरू के दोनों मोटे मोटे होंठ पीने लगे। मैं एक किनारे अपनी जोरू को चुुदते देख रहा था। थोड़ी जलन भी हो रही थी की मेरे माल को मेरे भैया खा रहे थे वो भी प्यार से धीरे धीरे। फिर खुद पर पछतावा होने लगा की अगर बचपन में मुठ ना मारी होती , गांड़ ना मराई होती तो ऐसी नौबत नही आती। मैं रोने लगा, पर आँशु बाहर नही आने दिए। मेरी जोरू के दोनों मोटे मोटे लबो को चूसने के बाद बड़े भैया ने मेरी जोरू की वो लाल मैक्सी निकाल दी। मीना का नया, गोरा , चिकना, कसा, अनछुआ, अनचुदा बदन उनके सामने था। भैया ने मीना की लाल पैंटी और ब्रा भी निकाल दी। उन्होंने मेरी जोरू की दोनों टाँग खोल दी। एक हाथ से चूत गोल गोल सहलाने लगे, और मुँह से मेरी जोरू की बड़ी विशाल अनारों यानि चुच्चों का रसपान करने लगे।
मेरा खून खौल गया ये सीन देखकर। मुझे तो उनकी बीवी चोदने को नही मिली थी। मैंने तो कभी अपनी भाभी के अनारों को नही पिया था। फिर ये क्यों कर रहे है ऐसा?? फिर वही हिजड़ा होने की मजबूरी। मन हुआ की ये सब देखने से पहले जहर खा लूँ। या यहाँ से कहीं भाग जाऊ। पर बाहर जाता तो घर वाले कहते की आधी रात में अपनी जवान जोरू को छोड़कर कहाँ गया था। कई सवाल करते मुझसे, इसलिए मैं चुप चाप रोता रहा और ये सब बर्दास्त करता रहा।
बड़े भैया मेरे लाइसेंस पर गाडी चला रहे थे। मेरा माल मेरे सामने खा रहे थे। वो मेरी जोरू के मम्मो को खूब मजे से मुँह चलाकर पी रहे थे। मेरी जोरू भी अब बिना किसी शरम के अपनी दुधभरी छातियां पिला रही थी। वो भूल गई थी की जिसके साथ उसने 7 फेरे लिये थे वो एक किनारे कुर्सी पर बैठा रो रहा था। बड़े भैया ने उसकी दूसरी छाती अपने मुँह में भर ली और आँखे बंद करके पीने लगे। उधर मेरी जोरू भी आँखे बंद करके अपने मम्मे पिलाने लगी। लगा की दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हो। ये देखकर मेरी तो झांटे लाल हो गयी।
उधर बड़े भैया जहाँ मम्मे पी रहे थे, वही उँगलियों से मेरी जोरू मीना की बाल सफा चूत में ऊँगली कर रहे थे। मेरी जोरू के भोंसड़े की कलियां मुझे साफ साफ दिख रही थी। मेरी जोरू चुदासी होती जा रही थी। फिर बड़े भैया ने मम्मे पीना बन्द कर दिया। मेरी जोरू के दोनों पहलवानी पैरों को खोल दिया। भोंसड़े पर भैया ने लण्ड रखा और 2 3 बार प्यार भरी थपकी भोंसड़े के द्वार पर दी। बड़े भैया का लण्ड बॉक्सिंग खिलाडी खली के लण्ड की तरह विशाल और भयानक था।
ऐ गाण्डू!! आ इधर आ!! आके देख कैसै नयी नवेली बहू की नथ उतारते है!! भैया बोले
मैं रोते रोते उनके पास गया और खड़ा हो गया।
मीना! हल्का दर्द होगा, सह लेना बहू! बस चीटी सी कटेगी, यही लगेगा! भैया ने मेरी जोरू से कहा और धक्का दिया, लण्ड बर्फ तोड़ने वाली मशीन की तरह उनका विशाल लण्ड मेरी जोरू की बुर के होंठों को तोड़ता अंदर घुस गया। मेरी जोरू मीना ने पलंग की चादर हाथ में लेकर भींच ली। भैया से अपनी तोंद से एक और धक्का मारा तो लण्ड ने मेरी जोरू की गाड़ फाड़ दी। बड़े भैया मेरी जोरू को मेरे सामने चोदने लगे।
दुर्गेश गांडू!! अब समज में आया मर्द होने का मतलब!! वो बोले।
अपनी जोरू की अपने सामने सील टूटते देख मैं रो पड़ा, वापिस कुर्सी पर जाकर बैठ गया। अपना सर मैं अपने दोनों पैरों में छुपा लिया। मूझसे ये सब देखा ना गया। बड़े भैया मेरी जोरू को तोंद हिला हिलाकर पेलने लगे। अब मेरी जोरू की गांड फट गई। उसको असली मर्द मिल गया।
हूँ हूँ हूँ!! ले कितना लन्ड खाएगी!! आज तुझे इतना लण्ड खिलाऊंगा की एक ही बार में पेट से हो जाएगी छिनाल!! चुदासे भैया उत्तेजक स्वर में बोले और मजे से ठक ठक् करके कूल्हे चलाकर मेरी जोरू को गपागप पेलते गये। पलंग डांवाडोल होने लगा। चरमराने लगा, लगा कहीं टूट ना जाए। मेरी जोरू मजे से आँख बंद किये पेलवाती रही। सायद वो इसी तरह की गहरी चुदाई की उम्मीद कर रही थी।
बड़े भैया ने क्या शानदार चुदाई की थी मेरी चुदासी जोरू की। भैया हच हच! गहरे धक्के मारते गये, उनको फिकर नही थी की पलंग टूटे चाह्ये रहे। चोद चोद कर बड़े भैया ने मेरी जोरू की चूत का हलवा बना दिया। मेरी जोरू आएं आएं करने लगी। भैया ने चोदन करते करते छिनाल की छतियों की काली भुंडियों को पकड़ लिया और बेरहमी से इतना तेज अपने नाखों से कुचला की मेरी जोरू ने मूत मारा। बड़े भैया नही रुके, बिना कोई फिकर किये गचागच पेलते गये।
उस रात बड़ी तोंद वाले बड़े भैया ने मेरी जोरू को 4 घण्टे पेला। फिर कुतिया बनाके उसकी गाण्ड मारी। मेरी जोरू की गाण्ड फट गई। वो चारे खाने चित हो गयी। 5 घण्टों के महाचोदन और पेलन के बाद बड़े भैया उठ खड़े हुए और पाजामा का नारा बाँधने लगे।आप ये कहानी नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है
आ गाण्डू!! तेरा काम कर दिया मैंने!! भैया बोले और बाहर निकल गए। मैंने दरवज्जा बन्द कर लिया। जाकर कुर्सी पर बैठ के रोने लगा। अपने बचपन के कुकर्मों पर बड़ा गिला हुआ। एक नजर अपनी जोरू की ओर देखा छिनाल दोनों पैर खोल के लेती थी, सायद उसे नींद आ गयी थी। वो खुश और संतुष्ट लग रही थी। मैंने अपना सिर फिर से दोनों पैरों में डाल लिया रोने लगा।