मैं वीर कुंवर सिंह, मध्यप्रदेश का रहने बाला हु, मैं ठाकुर घराने से आता हु मेरे पूर्वज वह के रियासत के राजा थे, आज भी किसी चीज की कमी नहीं है, गाँव में वही बड़ी हवेली और गाँव के लोग राजा साहब, मैंने दिल्ली के रहता हु, और बहुत बड़ा कारोबार है, पर लगाव अभी भी अपने गाँव से है तो साल में एक बार जरूर जाता हु, मेरी शादी हुए 4 साल हुए है, मेरी पत्नी का नाम रम्भा है, रम्भा बहुत ही सुन्दर लड़की है अभी मेरी कोई संतान नहीं हम दोनों की सेक्स लाइफ काफी अच्छी है आज तक दोनों को किसी से कोई शिकवा शिकायत नहीं है,
रम्भा बहुत बड़े ज़मींदार और पार्लियामेंट में एम एल ए की बेटी है, बहुत ही सुन्दर, लम्बी, गोरी, बाल बड़े बड़े, सैलजता, नैन नक्स के क्या कहने, मैं फ़िदा था फ़िदा हु और फ़िदा रहूँगा, हम दोनों रोज रोज सेक्स करते है, रात को अपने जो की सम्भोग के लिए ही रखे है, कमरे में गुलाब का पंखुड़ी रात वह की फिजां को मदमस्त कर देता है, और चारो कोने में जब मोमबती की रौशनी होती है तो दोनों आत्मा का मिलन हो जाता है, वो रात की अटखेलियां, हम दोनों एक दूसरे को खुसबू बाली तेल जो की अरब देश से मंगवाए है एक दूसरे का मालिश करते है, और जब वासना परवान चढ़ता है तो कामसूत्र के सारे कठिन से कठिन चुदाई का तरीका आजमाता हु, दोनों की ज़िंदगी बहुत ही अच्छी चल रही थी.
पर मैंने एकदम से एक बदलाब देखा रम्भा में, जब मैं इस बार गर्मियों में गाँव गया तो वह देखा, गाँव में आलीशान मकान है जिसको वह के लोग हवेली कहते है, उसका देखभाल एक मेरा नौकर करुवा करता है, करुवा खानदानी नौकर है उसके पिताजी भी मेरे यहाँ काम करते है, गाँव में कोई नहीं रहता है माँ और पिताजी दोनों सिंगापुर में रहते है बड़े बही साहब के पास, वो लोग साल के गर्मियों में ही आते है, इस बार मैं ७ दिन पहले ही पहुंच गए थे, करुवा ने घर को और बागान को काफी सुन्दर कर दिया था, तरह तरह के फूल और पौधे लगे थे, घर का छटा देखने में ही बन रहा था कहा यहाँ की शांति और कहा दिल्ली का भागदौड़ भरी ज़िंदगी.
रात को बिजली चली गई थी, और जनरेटर में कुछ खराबी था इस वजह से मैं और रम्भा दोनों छत पे चले गए सोने के लिए काफी अच्छी हवा आ रही थी, सुबह जब नींद खुली तो देखा नौकर करुवा जो की पहलवानी भी करता है वो कुश्ती लड़ने जिला लेवल पे जाता है, वो सुबह सुबह ही सरसों का तेल लगा के कसरत कर रहा था छत पे उसका कमरा छत पे ही है, करुवा एक ४० साल का लंबा चौड़ा और मजबूत इंसान है, वो नागे बदन था और नंगोट पहना हुआ था, वो रम्भा को घूर रहा था, जब मेरी नजर पास में ही सोई रम्बा पे गया तो रम्बा के कपडे काफी अस्त व्यस्त थे शायद रात की चुदाई के बाद जो कपडे अस्त व्यस्त थे वो ऐसे ही पड़े थे, ब्लाउज का हुक खुला था और ब्रा से उसकी दोनों चूचियाँ बाहर आने को बेताब थी, साडी घुटनो के ऊपर तक था पेट और नाभि दिख रही थी, बाल खुले और होठ गुलाबी रम्भा सेक्स की देवी लग रही थी.
मैं समझ गया की करुवा क्या देख रहा था, करुवा का लण्ड टाइट हो गया था लंगोट में साफ़ साफ़ करीब १० इंच का दिख रहा था मेरा तो ५ इंच का ही है, मुझे ठीक नहीं लग रहा था मैं रामभजा को देखा तो हैरान रह गया रम्भा भी दबी हुई निगाहों से करुवा को निहार रही थी, फिर मैं उठ गया और बोला रम्भा उठो उठो सुबह हो गया है, रम्भा तो पहले से उठी थी वो तो मोटे लण्ड को निहार रही थी, फिर वो उठ गई और हम दोनों फिर निचे चले गए, रम्भा का वैसा अस्त व्यस्त बाला रूप देख के मेरे भी लण्ड खड़ा हो गया था निचे पहुंच कर मैं रम्भा के ऊपर चढ़ गया और साड़ी ऊपर कर दी, चूत पहले से ही काफी गीली थी मैं समझ गया की रम्भा का चूत करुवा का टाइट लण्ड को देखकर ही ग़िला हुआ है. पर मैं कुछ भी नहीं कहा और सुबह सुबह ही मैंने रम्भा को चोद दिया और वो भी काफी मजा लिया सुबह की चुदाई का हो सकता है मन में करुवा को रख के मुझसे चुदवा रही थी.
चोद कर मैं सो गया, करीब दो घंटे बाद नींद खुली तो रम्भा पास में नहीं थी, मैंने आवाज लगाईं पर वो कही नहीं दिखी, मैं भागकर छत पे गया और करुवा का कमरा झांक के देखा, करुवा भी नहीं था, तभी सामने ही जो छत पे बाथरूम था वह से आवाज आई, हाय हाय हाय, मालकिन क्या चीज हो आप, उफ्फ्फ्फ़ ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मैं दौड़कर बाथरूम के पास पंहुचा करुवा का आवाज था, दरवाजे में छोटा से होल था उसके झांक के देखा तो करुवा रम्भा के नाम का मूठ मार रहा था, उसका मोटा १० इंच का लण्ड खूंटा की तरह लग रहा था और वो ऊपर से निचे हाथ से कर रहा था, और आआअह आआह आआअह मालकिन आआअह आआह कर रहा था उसकी आँखे बंद थी. तभी उसका वीर्य निक गया, और वो शांत हो गया मैंने तुरंत ही निचे उत्तर गया, जब निचे आया तो देखा रम्भा गुलाब का फूल तोड़कर बागान से ला रही थी, मैंने पूछा कहा गई थी तो वो बोली मैं आपके लिए ये सुन्दर ताजे फूल लाने गई थी.
दिन मेरा किसी तरह से बिता, करुवा मटन बनाया मैंने अपना इम्पोर्टेड शराब निकाला और खाया और पीया, रम्भा भी बियर पि, फिर हम दोनों सोने चले गए, रम्भा मुझे चोदने को कह रही थी पर मुझे काफी नशा हो गया था, मैं कब सो गया पता ही नहीं चला मैं रभा को पकड़ के सो गया, रात के करीब २ बजे नींद खुली तो विस्तार पे रम्भा नहीं थी, मैंने सोचा की वो वाशरूम गयी होगी, उस समय तक मेरा नशा उत्तर चूका था, पानी पिया और वेट करने लगा, पर जब दस मिनट तक रम्भा नहीं आई तो, मैं कमरे से बाहर निकला तो छत पर से आवाज आ रही थी.
मैं ऊपर गया तो हैरान रह गया, रम्भा निचे थी और करवा मेरी बीवी को चोदे जा रहा था, वो ऐसे चोद रहा था आज तक मैंने कभी किसी एडल्ट मूवी में भी नहीं देखा था, मैंने आजतक किसी अंग्रेज को भी ऐसी चुदाई करते नहीं देखा था मैं वही सीढ़ी पर ही बैठ गया वह थोड़ा थोड़ा अँधेरा था मुझे कोई देख नहीं पा रहा था पर छत पे चांदनी रात थी सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था, करुवा मेरी बीवी के दोनों चूचियों को कभी मसलता और कभी मुह में ले को दाँतों से रगड़ता, कभी कंधे को पकड़ के निचे से जोर जोर से धक्का लगाता, उसने मेरी बीवी के दोनों पैर को अपने कंधे पर रख लिया और वो जब चोदने लगा इतना जोर जोर से, रम्भा तो बस आआह आआह एआईईईई मा मर जाउंगी, आआह आआह इतना जोर से नहीं, आआअह उफ्फ्फ्फ्फ़ फट जाएगी मेरी चूत, आआअह आआआह छोड़ दो अब,आआह आआह मैं बर्दाश्त नहही कर पा रही हु, आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है.
फिर करुवा रम्भा के मुह में अपना जीभ घुसा दिया चोद रहा था, रम्भा उसका मोटा लण्ड शायद बड़ी मुस्किल से ले पा रही थी, वो चिल्ला रही थी, अब बस करो, जल्दी गिराओ अपना माल, और फिर करीब १० मिनट बाद करुवा झड़ गया और मेरी बीवी के ऊपर ही लेट गया, मेरी बीवी बड़ी मुस्किल से निचे की और बोली, ज़िंदगी में पहली बार आज इतने मोटे लण्ड से चुदी हु, अगर मैं यहाँ नहीं आती तो मुझे इतना मोटा लण्ड भी होता है पता नहीं चलता, मैं तो तुमसे चुदने के लिए सुबह से ही बेक़रार थी, जब से तेरे लण्ड को लंगोट में ही देख ली थी, पर ये मत समझना की मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं करता है, बस थोड़ा बहक गई थी इस वजह से तुमसे चुदवा ली, सुहब तुम आना मैं तुम्हे १० हजार रूपये दूंगी, फिर मैं तुरंत ही निचे आ गया और पलंग पे लेट गया, करीब पांच मिनट बाद ही karuwa
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