मेरा नाम रीना है, उम्र 27 साल। मैं एक ऐसी लड़की हूँ जिसे देखकर हर मर्द की आँखें फट जाएँ। मेरा रंग गोरा है, चूचियाँ बड़ी, रसीली और उभरी हुई, गांड मोटी, गोल और थिरकती हुई, और मेरी कमर इतनी पतली कि उस पर हाथ फेरने का मन करे। मेरे होंठ मांसल और गुलाबी हैं, और मेरी आँखों में एक नशीली चमक है जो किसी को भी अपनी ओर खींच लेती है। मेरा भाई, राकेश, उम्र 24, एक जवान और मज़बूत लड़का है। उसका रंग साँवला है, चौड़ा सीना, मज़बूत बाँहें और एक ऐसा जिस्म जो किसी भी लड़की को पागल कर दे। हम भाई-बहन हैं, लेकिन मेरी ये कहानी उस रात की है जब मैंने उसे एक रात का पति बनाया और उसकी बाँहों में अपनी तड़प मिटाई।
हमारा घर दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में है। मैं और राकेश बचपन से साथ बड़े हुए हैं। वो मुझसे छोटा है, लेकिन उसकी जवानी को देखकर मैं कई बार सोच में पड़ जाती थी। जब वो घर में बनियान और शॉर्ट्स में घूमता, उसकी मज़बूत छाती और उभरे हुए बाजुओं को देखकर मेरे मन में अजीब से ख्याल आते। मैं शादीशुदा नहीं हूँ, और मेरे अंदर की आग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। रात को मैं अपनी चूत में उंगली डालकर खुद को शांत करने की कोशिश करती, लेकिन वो मज़ा अधूरा रहता। राकेश को मैंने हमेशा भाई की नज़र से देखा, लेकिन उसकी मर्दानगी मेरे लिए एक तड़प बन गई थी।
एक रात की बात है। मम्मी-पापा अपने गाँव गए थे, और घर में सिर्फ मैं और राकेश थे। मैं अपने कमरे में थी, और एक पतली नाइटी पहनी थी जो मेरे शरीर से चिपककर मेरी चूचियों और गांड को उभार रही थी। रात के 10 बजे मैं बिस्तर पर लेटी थी, और मेरे मन में अजीब सी बेचैनी थी। मेरी चूत में खुजली हो रही थी, और मैंने अपनी उंगली से उसे सहलाना शुरू किया। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… कोई तो मुझे चोद दे!” तभी मेरा दरवाज़ा खुला, और राकेश अंदर आ गया। वो सिर्फ शॉर्ट्स में था, और उसकी मज़बूत छाती चाँदनी में चमक रही थी। उसने मुझे देखा और बोला, “दीदी, क्या कर रही हो?” मैं शरम से लाल हो गई, लेकिन मेरी तड़प ने मुझे बोलने से नहीं रोका। मैंने कहा, “राकेश, मुझे नींद नहीं आ रही। तू मेरे पास बैठ।”
राकेश मेरे बिस्तर पर आकर बैठ गया। उसकी नज़रें मेरी नाइटी पर थीं, जो मेरी चूचियों को उभार रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी जाँघ पर रख दिया। वो हिचक गया और बोला, “दीदी, ये क्या कर रही हो?” मैंने उसकी आँखों में देखा और बोली, “राकेश, आज रात तू मेरा भाई नहीं, मेरा पति बन। मुझे तेरी ज़रूरत है।” मेरी बातों ने उसे चौंका दिया, लेकिन उसकी आँखों में एक चमक आ गई। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे अपनी ओर खींच लिया। उसके होंठ मेरे होंठों से टकराए, और मैं उसके चुम्बन में डूब गई। उसका चुम्बन गर्म और जंगली था, और उसकी जीभ मेरे मुँह में घूमने लगी। मैं सिसक उठी, “आह्ह… राकेश, कितना मज़ा आ रहा है!”
उसने मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाया। उसकी मज़बूत पकड़ ने मुझे पागल कर दिया। मैं चीख रही थी, “उफ्फ… राकेश, और ज़ोर से दबा!” उसने मेरी नाइटी फाड़ दी, और मेरी नंगी चूचियाँ उसके सामने थीं। मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और उसने एक चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… राकेश, चूस इसे, मुझे जलन हो रही है!” उसकी जीभ मेरे निप्पल पर नाच रही थी, और उसका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को मसल रहा था। मेरी चूत गीली हो गई थी, और मैं तड़प रही थी। मैंने उसकी शॉर्ट्स उतार दी, और उसका मोटा लंड मेरे सामने था। वो काला, लंबा और सख्त था, जैसे कोई हथियार। मैंने उसे हाथ में लिया और सहलाने लगी। वो सिसक उठा, “उफ्फ… दीदी, तू बहुत गर्म है!”
मैंने उसे बिस्तर पर धकेल दिया और उसके ऊपर चढ़ गई। मैंने उसका लंड अपने होंठों से चूमा और उसे मुँह में ले लिया। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थी। वो चीख रहा था, “आह्ह… दीदी, कितना मज़ा दे रही हो!” मैं उसका लंड चूसती रही, और मेरी जीभ उसके टोपे पर नाच रही थी। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मैंने उसका लंड अपनी चूत पर रखा। मैंने धीरे से उसे अंदर लिया, और वो चीख उठा, “आह्ह… दीदी, तेरी चूत बहुत टाइट है!” मैं ऊपर-नीचे होने लगी, और उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… राकेश, कितना मोटा है तेरा लंड!”
उसने मेरी कमर पकड़ ली और मुझे नीचे लिटा दिया। उसने मेरी जाँघों को फैलाया और मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… राकेश, फाड़ दे मेरी चूत!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगा, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “और ज़ोर से, मुझे अपना पति बना!” उसकी ठापों से मेरा पूरा शरीर हिल रहा था, और मेरी चूत से रस बह रहा था। उसने मेरी चूचियों को पकड़ा और उन्हें मसलने लगा। मैं चीख रही थी, “उफ्फ… राकेश, मेरी चूचियाँ दबा, मुझे जलन चाहिए!” उसने मेरे निप्पल काटे, और मैं तड़प उठी, “आह्ह… और कर!”
कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उसके सामने ऊँची हो गई, और उसने मेरी गांड पर हाथ फेरा। वो बोला, “दीदी, तेरी गांड बहुत मस्त है।” मैं सिसकते हुए बोली, “राकेश, इसे भी चोद दे!” उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड में डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… राकेश, मेरी गांड फट गई!” वो मेरी गांड में ठाप मारने लगा, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से, मुझे दर्द चाहिए!” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… मारो और, मेरी गांड लाल कर दो!” उसकी ठापों से मेरी गांड जल रही थी, और मेरी चूत से रस टपक रहा था।
फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगा। मैं उसके कंधों पर थी और चीख रही थी, “आह्ह… राकेश, मुझे उड़ा दो!” उसने मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदा, और उसकी ठापों से मेरा पूरा शरीर काँप रहा था। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… राकेश, तू मेरा पति है!” उसने मेरी चूचियों को चूसा, और मैं तड़प रही थी, “आह्ह… और चूस!” उसने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मेरी चूत में फिर से ठाप मारने लगा। मैं चीख रही थी, “राकेश, मेरी चूत फाड़ दे!” उसकी ठापों से कमरा गूँज रहा था, और मेरी सिसकियाँ आसमान तक जा रही थीं।
कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड में फिर से ठाप मारी। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… राकेश, मेरी गांड जल रही है!” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मैं चीख रही थी, “उफ्फ… और मारो!” उसकी ठापों से मेरी गांड लाल हो गई थी, और मेरी चूत से रस बह रहा था। मैंने कहा, “राकेश, मेरे मुँह में डाल!” उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, और मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। वो सिसक रहा था, “आह्ह… दीदी, तेरा मुँह बहुत गर्म है!” मैं उसका लंड चूस रही थी, और मेरी जीभ उसके टोपे पर नाच रही थी।
आखिर में उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगा। मैं सिसक रही थी, “राकेश, मुझे चोद डाल!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मार रहा था, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। उसने कहा, “दीदी, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैं चीख रही थी, “राकेश, मेरी चूत में झड़ जा!” उसने तेज़ ठाप मारी, और उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। मैं काँपते हुए बिस्तर पर गिर पड़ी, और वो मेरे ऊपर ढेर हो गया। हम दोनों हाँफ रहे थे, और मेरा शरीर पसीने और रस से भीगा हुआ था।
उसने मेरे कान में फुसफुसाया, “दीदी, तू बहुत मस्त है।” मैं हँसते हुए बोली, “राकेश, तू मेरा एक रात का पति है।” उस रात के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। जब भी घर में कोई नहीं होता, मैं राकेश को अपना पति बनाती हूँ, और वो मुझे अपनी ठापों से जन्नत दिखाता है। ये हमारा गुप्त खेल है, जो हर रात मेरी तड़प को शांत करता है।