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यादगार सफर में अंजान कि चुद का मजा

दोस्तो में हर्ष फिर एक नई घटना को लेकर हाजिर हूं।
दोस्तो ये कहानी नंबर के महीने में हुई थी। जब में अपने दोस्तो के साथ मुंबई कि यात्रा पर था। जैसा की में सेक्स को एक कला के रूप देखता हूं इसलिए जिसके भी साथ सेक्स करता हूं उसकी संतुष्ट करने की कोशिश जरूर करता हूं। हम दोस्तो ने इंदौर से ही सेकेंड ऐसी का टिकट लिया था मेरे दोस्तो को तो एक साथ ही बर्थ मिली मगर मुझे लास्ट कोन में बर्थ मिली हमारे सामने कोई गुजराती फैमली बैठी थी.

उस फैमली में मेरी नजर नेहा पर गई जिससे देखकर लगता था कि उसकी हाल में ही शादी हुई है क्योंकि उसके हाथ की मेहंदी और चेहरे का निखार बता रहा था। उसका फिगर भी बहुत मस्त था 32 के गोल बूब्स 30 की पतली कमर 38 के बम नेहा की बर्थ उसी कोच में थी जहां मेरी बर्थ थी उस को देखने के बाद मुझे उसके साथ सेक्स करने का मन करने लगा उसने लाल रंग का शार्ट पहन रखा था जिसमें से उसकी पेंटी मुझे दिखाई दे रही थी इसी बीच नेहा कुछ बेग सीट के नीचे रख रही थी जिससे उसकी गेंद मुझे दिखाई दे रही थी और कुछ सामान अपने बर्थ पर ले जाने वाली थी वो अपने बेग को नीचे बैठ कर रख रही थी

तो मैने सोचा क्यों ना एक बार इस पर कोशिश की जाए क्या पता ये सफर कुछ यादगार हो जाए मैने सबकी नजर से बचकर उसके बूब्स को दबा दिया उसने मेरी तरफ गुस्से देखा तो मगर फिर हंसकर उठी और अपनी सीट पर जा रही थी में भी अपने दोस्तो से विदा लेकर अपनी सीट पर आगया जैसे ही में अपनी सीट पर बैठा उसकी और मेरी नजर तो वो मुस्कुराई लेकिन इसबार थोड़ा नटखट पन था। बर्थ इतने भरे नहीं थे इसलिए मैने उससे बातचीत शुरू की आप कहा से और कहा जा रहे है बातचीत में हम दोनों एक दूसरे के साथ का मजा ले रहे थे मैने उसकी शादी के बारे में पूछा तो उसने कहा उसकी शादी एक नौसैनिक से हुई है उसकी शादी को सिर्फ एक हपता हुआ था

कि उनको नोकरी से बुलावा आया तो वो चले गए जल्द ही वापस आयेंगे अब शाम के सात बज रहे थे हम ने स्नेक्स शेयर किया अचानक नेहा ने मुझसे पूछा वो कैसे थे उसने जो पूछा में उलझन में था उसका क्या मतलब है उसने मेरी आंखो में देखा और पूछा अभी कुछ देर पहले जो तुमने दबाकर देखा था वो कैसे थे में उसकी बात सुनकर हैरान भी था मगर मन में एक खुशी भी थी कि आज इसको ट्रेन में ही चुदाई करनी है। फिर उसने कहा तुम चुप क्यों हो क्योंकि वो जानती थी कि मैने जानबूझ कर उसके बूब्स दबाए थे वो मुझे ग्रीन सिग्नल देरही थी अपनी चुदाई का मैने उससे पूछा कि क्या में आप के बूब्स को टच करके महसूस कर सकता हूं

उसने हा कहा और खुद मेरा हाथ पकड़ अपने बूब्स पर रखा में थीरे से उसके बूब्स दबा रहा था जिससे वो गरम हो रही थी मेरा लंड थीरे से अपने आकार में आरहा था उसने ये देखा और अपने हाथ से थोड़ा मेरे लंड को दबाया मेरे मुंह से एक आह निकली अचानक उसने अपने होठ से मेरे होठों को चूमने लगी वाऊ क्या मस्त एहसास था। उसका अंदाज ये बता रहा था कि उसकी चुद में भी आग लग रही थी चुदाई कि लेकिन हमें इंतजार करना था सही मोके का की चुदाई कहा की जाए हमारे लिए बेस्ट जगह शौचालय था हमने रात का खाना खाया उसके पिताजी भी आए उसका हाल चाल पूछ कर चले गए थोड़ी देर में ट्रेन की लाईट ऑफ हो गई लगभग रात के 12:30 बज रहे थे उसने मेरे कान में फुसफुसाया कि तुम्हारा लंड में अपनी चुद ने महसूस करना चाहती हूं और फिर मेरा हाथ पकड़ कर शौचालय ले गई और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे की जीभ को आपस में लड़ रहे थे दस मिनट तक उसे खींच कर चूमा। इसी के साथ-साथ मैं उसके मम्मों को भी दबाने लगा।

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फिर मैंने उसके चूचुकों को मुँह में रख लिया और चूसने लगा। वो ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर रही थी, मैं उसे चूसता ही रहा। उसकी चूत बहुत गरम हो गई थी तो उसकी पेंटी गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पेंटी निकाली और चूत देखी तो मजा आ गया, उसकी चूत एकदम चिकनी और साफ़ थी। मैने उसे कंपौड़ पर बैठाया और उसकी चिकनी चूत को चाटने लगा। उसे भी मजा आने लगा और वो बस ‘आह.. आह.. और जोर से हम्म..’ ऐसी आवाजें निकालने लगी। थोड़ी देर बाद चूसने के बाद वो कहने लगी- बस अब और नहीं रहा जाता.. पेल दे लंड.. प्लीज मेरी प्यास बुझा दे। मैंने भी देर करना जायज नहीं समझा और अपनी पैन्ट और कच्छा नीचे कर दिया।

मैंने लपलपाता लंड उसकी कुलबुलाती चूत के मुँह पर सैट किया और जोर लगाने लगा। अभी थोड़ा सा लंड ही अन्दर गया था कि वो मना करने लगी। शायद उसके पति ने उसको अच्छी तरह से उसकी चूत को ज्यादा नहीं चोदा था। मैंने थोड़ा जोर लगा कर अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया और थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा। वो दर्द से सिसिया रही थी.. तो मैंने हाथ बढ़ा कर उसके दोनों मम्मों को पकड़ लिया और मुँह में लेकर चूसने लगा। उसको कुछ राहत मिली और

उसने कमर हिलानी शुरू कर दी। मैंने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए। कुछ ही देर में मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अन्दर-बाहर करने लगा। अब नेहा को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से चूतड़ उठा-उठा कर हर धक्के का जवाब देने लगी। उसकी चूत में मेरा लंड समाया हुए तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रहा था। साथ ही ट्रेन में धक्कों के साथ मस्त चुदाई चल रही थी और वो बोले जा रही थी- हम्म.. और जोर से.. ओह्ह.. जानू.. जान निकाल दो.. आज तो काफी तंग कर रखा है इस चूत ने.. पूरा डाल दो ओह्ह आह्ह्ह.. मैंने लगातार कई मिनट तक उसे धकापेल चोदा। वो दो बार झड़ चुकी थी.. अब मैं भी झड़ने वाला था। मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ? उसने कहा- मुझे चखना है। मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और थोड़ी देर बाद मैं उसके मुँह में ही झड़ गया। वो मेरा सारा पानी पी गई और मेरे लंड को चूस-चूस कर साफ़ कर दिया। मगर मेरा मन नहीं भरा था इसलिए मैने उसे वापिस अपने से चिपका लिया, और उसकी गर्दन.. कंधे.. सभी को चूम रहा था.. चाट रहा था।

वो मदहोश हुए जा रही थीं.. फिर मैं मम्मों को दबाने लगा। दोस्तों क्या मज़ा आ रहा था.. क्या बताऊँ.. वो भी ‘आहें..’ भरने लगीं ‘हर्ष.. आआआआहह.. कितनी प्यारे हो.. आहह.. उउउम्म्म्म.. बहुत मज़े आ रहे हैं! में जीभ से उनके निप्पलों को छू रहा था। उनकी उत्तेजना बढ़ रही थी। फिर मैंने उसके मम्मों पर अपना मुँह लगा दिया.. और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। वो मदहोश होने लगी थीं। मैं एक निप्पल को काट भी रहा था.. साथ ही मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया नेहा कि चूत को भी सहला रहा था। वो मदहोश हो रही थीं। मैं अब नीचे को आने लगा.. मम्मों को चूसते हुए.. पेट से नाभि को चूमते हुए चूत तक आ गया और फिर से चूत को चूसने लगा।

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मैं उनकी चूत के दाने को जीभ से टुनया रहा था.. और वो उत्तेजना से उछल रही थीं। कुछ पलों बाद मैंने उन्हें 69 की पोजीशन पर आने को कहा, वो तुरंत आ गईं। अब वो मेरा लम्बा और मोटा लण्ड चूस रही थीं.. मैं उनकी गुलाबी चूत में जुबान से कबड्डी खेल रहा था। मेरा लण्ड टाइट हो रहा था। मैंने कहा- अब ज़्यादा नहीं चूसो नेहा.. आज इसको बहुत रस निकालना है। मैंने उनको नीचे लिटाया..मैंने उस मस्ती वाली गुफा पर लण्ड टिकाया और करारा शॉट लगा दिया।

वो उछल पड़ीं.. पर इस बार ज़्यादा दर्द नहीं था.. क्योंकि ये नेहा चूत में मेरे लौड़े की दूसरी बार ठोकर थी। वो ‘आआहह.. ओउउम्म्म्म..’ की आवाज़ निकाल रही थीं.. उनको भी मज़े आ रहे थे। मैं भी फुल स्पीड में चूत चोदे जा रहा था.. वो भी नीचे से अपनी गाण्ड उछाल कर साथ दे रही थीं। अब मैंने पोज़ चेंज किया और उनको गोद में उठा कर चोदने लगा और उनके मम्मों को चूसने लगा। अब मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और धकापेल चुदाई चालू कर दी.. इसके बाद मैंने नेहा और भी कई तरह चोदा काफी लम्बे समय तक उनकी चूत को चोदने के बाद मैंने कहा- जान.. अब मैं आने वाला हूँ.. माल कहाँ निकालूँ। वो बोलीं- चूत में ही निकाल दो..मैंने कहा- ओके मेरी जान.. मैंने अपना सारा पानी उनकी चूत में ही निकाल दिया और उनके बगल में बैठ गया.. उन्हें किस करने लगा। कुछ देर बाद मैंने देखा तो डेढ़ बजे का समय हो रहा था। वो बोलीं- चलो अब सो जाते हैं।


मैंने कहा- जान.. ऐसे-कैसे सो जाऊँ.. अभी तो एक छेद बाकी है उसने कहा कोन सा मैंने कहा- आज मुझे आपकी गाण्ड मारनी है.. जो अब तक बिल्कुल फ्रेश है। वो बोलीं- नहीं.. हर्ष ये नहीं.. सुना है बहुत दर्द होता है।
मैंने कहा- जान.. नहीं होगा.. मैं हूँ ना.. ट्रस्ट मी। वो बोलीं- पहले कभी किया नहीं है हर्ष। मैंने कहा- यादगार सफर में कुछ तो नया होना चाहिए वो काफ़ी देर बाद वो तैयार हुईं.. मैंने उंगली से गाण्ड के छेद में अन्दर-बाहर करने लगा। वो दर्द मिश्रित मजे से पागल हुई जा रही थीं और बोल रही थीं- उफफफ्फ़.. हर्ष.. तुम बहुत वो हो.. आहह.. बहुत मज़े देते हो.. मैंने गाण्ड सुहागरात को पति को भी नहीं दी.. पर तुमने मुझे पटा ही लिया.. पता नहीं क्या है तुममें.. आआआहह.. अब पेल दो। मैं उनकी गाण्ड में उंगली किए जा रहा था।

अब मैंने अपना लम्बे और मोटे लण्ड को उसकी गाण्ड के छेद पर सुपारा धर के धक्का लगा दिया। मेरा मोटा लण्ड उनकी छोटी सी कुँवारी गाण्ड में जा ही नहीं रहा था.. फिसल रहा था मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी गाण्ड को कसके फैलाया.. फिर लण्ड को फंसा कर दबाव दिया.. तो लौड़ा गाण्ड में घुस गया। लण्ड अन्दर जाते ही वो एकदम दर्द से चिल्ला उठी। वो तो अच्छा है मैने एक हाथ से उसका मुंह बंद कर रखा था नहीं तो ट्रेन में हमारी चुदाई कि कथा सब को मालूम पड़ जाती। उसे बहुत दर्द हो रहा था और आँखों से आंसू आ रहे थे। गाण्ड बहुत ज़्यादा ही टाइट थी.. मैंने लण्ड निकाल लिया और फिर गाण्ड के छेद पर लगा कर धक्का मार दिया। लण्ड का सुपारा अन्दर चला गया.. पर इसे बार दर्द थोड़ा कम हुआ था.. पर थोड़ा अब भी हो रहा था। मैं वैसे ही कुछ देर रुक गया.. उनके ऊपर उनकी पीठ और गर्दन पर चुम्बन करने लगा। वो भी दर्द भूल कर उत्तेजित होने लगीं। बोलीं- आआहह उफ्फ़.. ईई.. फाड़ दो आज मेरी गाण्ड.. मुझे आज सुख दे दो.. मुझे एक औरत होने का।

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मैंने बोला- जरूर मेरी जान.. मैंने फिर से धक्का दे दिया.. मेरा आधा लण्ड अन्दर चला गया.. वो दर्द से तिलमिला रही थीं.. पर मेरी चुम्मियों और प्यार के कारण उनको ये सब सहने का हौसला मिल रहा था।अब मैंने अंतिम धक्का मारा और गाण्ड की जड़ तक लण्ड घुसेड़ दिया। उन्होंने मेरा पूरा का पूरा लण्ड अपनी गाण्ड में ले लिया था। उनकी गाण्ड मेरे लौड़े को खा सी गई थीं। अब मैंने धीरे-धीरे लण्ड आगे-पीछे करना चालू किया। उन्हें भी मस्ती आ रही थी.. वो बोल रही थीं- आअहह.. चोद दो.. फाड़ दो.. मैंने भी स्पीड बढ़ा दी और तेज चालू हो गया। उसे आज चुदाई में खूब मज़ा आ रहा था। मैंने उनको घोड़ी बना कर गाण्ड मारे जा रहा था.. ज़ोर-ज़ोर से जोश में उनके चूतड़ों पर थप्पड़ भी मार रहा था। मैंने बहुत देर उनकी गाण्ड मारी.. चोद-चोद कर लाल कर दी।अब मेरा भी निकलने वाला था, वो बोलीं- अबकी बार गाण्ड में ही निकालो। मैंने सारा रस उनकी गाण्ड में निकाल दिया और फिर लण्ड निकाल कर मुँह में दे दिया, मैंने कहा- चूस-चाट कर साफ़ करो।

वो पागलों की तरह लण्ड को चूसे जा रही थीं.. मेरा पूरा लण्ड पर लगा माल चाट कर वो बेहिचक पी गईं। उस रात ट्रेन में मैंने बहुत मस्ती की.. मैंने उनको सोने नहीं दिया। सुबह नेहा ने मुझसे बोला- मेरी लाइफ की ये सुहागरात जो इतनी सेक्सी और संतुष्ट करने वाली थी। इसे कभी भुला नहीं पाऊगी थोड़ी देर में मेरा ठिकाना आगय तो उससे विदा लेकर अपने दोस्तो के साथ चला गया दोस्तो कैसी लगी मेरी नई कहानी।
मेरी कहानी पर इस बार भी भाभियां आंटियां और चिकनी चूत वाली लड़कियां आप के कमेंट का इंतजार रहेगा।
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