मम्मी ने पापा के दोस्त से चुदवाया मुझे

Papa Ka Dost Sex Story : मेरा नाम सपना है। मैं 19 साल की हूँ, एक जवान और गर्म लड़की, जिसका जिस्म किसी को भी पागल कर दे। मेरा गोरा, चिकना बदन, बड़े-बड़े रसीले चूचियाँ जो टाइट टॉप में उभरकर फटने को तैयार रहते हैं, और मोटी, गोल गांड जो टाइट जींस में लचकती है। मेरी चूत हमेशा गीली और भूखी रहती थी, और मैं रात को अपनी उंगलियों से उसकी तड़प शांत करती थी, पापा के दोस्त विक्रम अंकल के मोटे लंड की कल्पना करते हुए। मेरी मम्मी, सुमन, 42 साल की थीं—एक सुंदर, चालाक औरत, जो अपनी चूत की भूख को छिपाती थीं, लेकिन मेरी चूत की भूख को भली-भांति समझती थीं। मेरे पापा, राजेश, 45 साल के थे, लेकिन वो अक्सर ऑफिस में व्यस्त रहते थे। मम्मी ने मेरी चूत की तड़प को देखा, और एक दिन उन्होंने पापा के दोस्त, विक्रम अंकल, को बुलाया। विक्रम 48 साल का जवान मर्द था—लंबा, सांवला, मज़बूत जिस्म, और उसकी पैंट में 9 इंच का मोटा, काला लंड साफ उभरता था। उसकी आँखों में एक जंगली भूख थी, जो मेरे चूचियों और गांड पर टिकती थी।

हमारा घर शहर के एक शांत इलाके में था, लेकिन उस दिन हवा में एक अजीब सी गरमाहट थी। सुबह मैंने टाइट, लो-कट टॉप और छोटे, पारदर्शी शॉर्ट्स पहने थे। मेरे चूचियाँ टॉप से बाहर निकलने को बेताब थे, और मेरे निप्पल सख्त होकर टॉप से चिपक गए थे। मेरी गांड शॉर्ट्स में कसकर उभर रही थी, और मेरी चूत की गर्मी मेरी पैंटी को गीला कर रही थी। मम्मी ने मुझे बुलाया और बोलीं, “सपना, तू तो पागल कर देती है। तेरी चूत में आग लगी है, मैं रोज़ देख रही हूँ। मैंने विक्रम अंकल को बुलाया है, वो तुझे चोदकर संतुष्ट करेगा।” मैं शरमाई और बोली, “मम्मी, ये कैसे हो सकता है? वो तो पापा के दोस्त हैं!” मम्मी हँसीं और बोलीं, “तू चिंता मत कर, तेरी चूत को मोटा लंड चाहिए, और विक्रम का लंड तुझे जन्नत दिखाएगा। तेरी चूचियाँ और गांड को भी मज़ा देगा।” मेरी चूत और गीली हो गई, और मेरे निप्पल टॉप में और सख्त हो गए। मैं डर भी रही थी, लेकिन मेरी चूत चुदने को बेताब थी।

शाम को विक्रम अंकल घर आए। वो एक काले सूट में थे, लेकिन उनकी पैंट में उनका मोटा, 9 इंच का लंड साफ उभर रहा था, मानो मेरी चूत को फाड़ने के लिए तैयार हो। मम्मी ने मुझे हॉल में बुलाया, जहाँ विक्रम बैठे थे। उसकी आँखें मेरे चूचियों पर टिक गईं, फिर मेरी गांड को घूरा। वो बोले, “सुमन, तेरी बेटी तो माल है। मेरी लंड आज इसकी चूत और गांड को फाड़ देगी।” मम्मी मुस्कुराईं और बोलीं, “सपना, विक्रम से डर मत। इसे मज़ा दे, तेरी चूत को लंड चाहिए।” विक्रम उठा, मेरे पास आया, और मेरी टॉप पर हाथ रखा। उसकी खुरदुरी उंगली मेरे निप्पल को छूते ही मेरी चूत टपकने लगी। वो बोला, “सपना, तेरी चूचियाँ और गांड देखकर मेरी लंड फटने को तैयार है।” मम्मी पास बैठीं, अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपनी मोटी चूचियाँ सहलाते हुए बोलीं, “विक्रम, इसे चोदकर जवान बना दे, मेरी बेटी की चूत को संतुष्ट कर।”

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विक्रम ने मेरे टॉप को एक ज़ोरदार झटके से फाड़ दिया। मेरे बड़े, रसीले चूचियाँ उसके सामने नंगे हो गए, गोल, सख्त, और निप्पल लाल, उभरे हुए। वो बोले, “सपना, तेरे चूचियाँ तो चूसने और चोदने लायक हैं… जैसे रसीले आम!” उसने मेरे एक चूची को अपने मज़बूत, खुरदुरी हाथ से पकड़ा और ज़ोर से दबाया। मेरे निप्पल उसकी उंगलियों से मसले गए, और मैं सिसक उठी, “आह… विक्रम अंकल, मेरे चूचियाँ दबाओ… फाड़ डालो!” उसने मेरी दूसरी चूची को अपने गर्म, गीले मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर तेज़ी से घूम रही थी, जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो। मैं चीख उठी, “चूस डालो… मेरी चूचियाँ तेरे लंड के लिए बनी हैं!” उसने मेरे निप्पल को अपने दाँतों से काटा, और मेरी चूत से पानी टपकने लगा। मम्मी अपनी चूत में उंगली डालते हुए बोलीं, “विक्रम, इसे और गर्म कर, मेरी बेटी की चूत को तैयार कर।” विक्रम ने मेरे निप्पल को चूसते हुए मेरे टॉप के टुकड़ों को फेंक दिया और मेरी चूचियाँ को अपने मुँह में पूरी तरह भर लिया।

विक्रम ने मेरे शॉर्ट्स और पैंटी एक झटके में उतार दी। मेरी चूत उनके सामने नंगी थी—गुलाबी, टाइट, और टपकती हुई। उसकी हर सिलवट साफ दिख रही थी, और मेरे जिस्म की गर्मी से वो चमक रही थी। वो बोले, “सपना, तेरी चूत तो चुदने लायक है… मोटी, गीली, और रसीली!” उसने अपनी मोटी, खुरदुरी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं, और मैं चिल्ला उठी, “आह… अंकल, मेरी चूत में आग लग रही है!” उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरी, और मैं पागल हो गई। वो बोला, “तेरी चूत का स्वाद गज़ब है… खून जैसा गरम!” उसने मेरी चूत को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरे चूत के दाने को रगड़ रही थी, और उसने मेरी चूत की हर सिलवट को चाटा। मैं चीखी, “अंकल, मेरी चूत चाट डालो… चूसकर फाड़ डालो!” उसकी जीभ मेरी चूत में अंदर तक घुस रही थी, और मेरी गांड उछल रही थी। मम्मी अपनी साड़ी उतारकर नंगी हो गईं, अपनी चूचियाँ दबाते हुए बोलीं, “विक्रम, मेरी बेटी की चूत को लंड दो, इसे संतुष्ट कर।” विक्रम ने मेरी चूत से अपने मुँह में मेरा पानी लिया और बोला, “सपना, अब तेरा वक्त है।” उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर भी फेरी, और मैं चिल्लाई, “अंकल, मेरी गांड भी चाट डालो!”

विक्रम ने अपनी पैंट उतारी। उसका 9 इंच का मोटा, काला लंड बाहर लहराने लगा, नसें उभरी हुई और सुपारा लाल, चमकदार। मैंने उसे देखा और बोली, “अंकल, ये तो मेरी चूत फाड़ देगा!” वो हँसा और बोला, “सपना, आज तेरी चूत और गांड का भोसड़ा बनाऊँगा।” उसने मुझे सोफे पर लिटाया। मेरी टाँगें चौड़ी कीं, और उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। उसका सुपारा मेरी चूत की फाँकों को चीर रहा था। मैं तड़प रही थी, “डाल दे, अंकल… मेरी चूत को चोद डालो!” उसने एक ज़ोरदार झटका मारा, और उसका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। मेरी चूत टाइट थी, और मैं चीख पड़ी, “आह… मर गई… तेरा लंड मेरी चूत फाड़ रहा है!” मेरी चूत से खून टपकने लगा, लेकिन वो रुका नहीं। उसका लंड मेरी चूत को चोद रहा था—ज़ोर-ज़ोर से, गहराई तक। फच-फच की गीली आवाज़ हॉल में गूँज रही थी। मेरे चूचियाँ उछल रहे थे, और उसने उन्हें अपने मज़बूत हाथों से मसला। मम्मी अपनी चूत में उंगली डालते हुए बोलीं, “विक्रम, इसे और तेज़ चोद, मेरी बेटी की चूत को जन्नत दिखा।” मैं सिसक रही थी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत को फाड़ डालो!”

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विक्रम ने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी मोटी, गोल गांड उसके सामने थी, चिकनी और उभरी हुई। उसने मेरी गांड पर तीन ज़ोरदार थप्पड़ मारे, और मेरी गांड लाल होकर हिलने लगी। वो बोला, “सपना, तेरी गांड भी चोदूँगा… इसे मेरे लंड से फाड़ दूँगा!” मैं सिसकते हुए बोली, “चोद दे, अंकल… मेरी गांड फाड़ डाल!” उसने अपने लंड पर थूक और तेल लगाया, फिर मेरी गांड की टाइट छेद पर रगड़ा। उसका मोटा सुपारा मेरी गांड को छू रहा था। उसने धीरे से लंड डाला, और मेरी गांड टाइट होने की वजह से फटने लगी। मैं चिल्ला उठी, “आह… फट गई मेरी गांड… अंकल, धीरे!” लेकिन उसने मेरी गांड को अपने मज़बूत हाथों से पकड़ा और पूरा लंड ठूंस दिया। मैं चीख रही थी, “आह… मेरी गांड फट रही है!” उसने मेरी गांड को चोदना शुरू किया—ज़ोर-ज़ोर से, बेरहमी से। उसका लंड मेरी गांड को रगड़ रहा था, और मेरे चूचियाँ हवा में लटककर हिल रहे थे। मेरी चूत टपक रही थी, और उसकी चुदाई मेरे जिस्म को पागल कर रही थी। मम्मी अपनी चूत में उंगली डालते हुए बोलीं, “विक्रम, मेरी बेटी की गांड को भी संतुष्ट कर, इसे चोद-चोदकर ढीली कर दे।”

रात गहराती गई। विक्रम ने मुझे बेडरूम में ले गया और मम्मी को भी बुलाया। वो बोलीं, “विक्रम, मेरी चूत भी संतुष्ट कर, मेरी बेटी के साथ मुझे भी चोद।” विक्रम ने मुझे बिस्तर पर पटका और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरी चूत और गांड दोनों उसके सामने खुली थीं। उसने मेरी चूत में लंड पेला, और मैं चिल्लाई, “आह… अंकल, मेरी चूत फाड़ डालो!” उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। उसने मेरे चूचियाँ अपने मुँह में लिए और चूसने लगा। मैं सिसक रही थी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत और गांड दोनों फाड़ डालो!” मम्मी बिस्तर पर लेट गईं, अपनी चूचियाँ दबाते हुए बोलीं, “विक्रम, मेरी चूत में लंड डाल, मेरी गांड में उंगली!” विक्रम ने मेरी चूत में लंड रखा, और मम्मी की चूत में उंगली डाली। फिर उसने मम्मी को घोड़ी बनाया, उनकी गांड में लंड डाला, और मेरी चूत में उंगली डाली। हम तीनों की चुदाई का सिलसिला शुरू हुआ—मेरी चीखें, मम्मी की सिसकियाँ, और विक्रम के गरम धक्के। मेरी चूत और मम्मी की गांड एक साथ चुद रही थीं, और उसकी चुदाई से कमरे में आग लग गई थी।

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सुबह हुई, और मैं विक्रम और मम्मी की बाहों में नंगी पड़ी थी। मेरी चूत सूजकर लाल हो गई थी, गांड फटकर दर्द से काँप रही थी, और मेरे चूचियाँ नीले पड़ गए थे। मम्मी की चूत और गांड भी लाल थीं। विक्रम ने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा और बोला, “सपना, तेरी चूत और गांड मेरे लंड की गुलाम हैं।” मैंने उनके लंड को मुँह में लिया और चूसना शुरू किया, उसका गरम माल चखते हुए सिसकी, “अंकल, मेरी चूत को फिर चोदो… इसे फाड़ डालो!” मम्मी ने मेरी चूचियाँ दबाईं और बोलीं, “सपना, अब हम तीनों की चुदाई का सिलसिला चलेगा। विक्रम, हमें रोज़ चोद, मेरी बेटी और मेरी चूत को संतुष्ट रख।” विक्रम ने हमें दोनों को बिस्तर पर पटका, मेरी चूत में लंड डाला, और मम्मी की गांड में उंगली डाली। हम तीनों की गरम, जंगली चुदाई शुरू हुई, जो सुबह की रोशनी में भी नहीं रुकी।

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