मेरी हवस का शिकार बना मेरा बेटा

Ma Beta Sex Story – Son Mother Hot Hindi Sex Story – हाय दोस्तों, मेरा नाम रानी है। उम्र 42 साल, गोरा रंग, भारी चूचियाँ जो मेरी साड़ी में थोड़ी ढीली पड़ चुकी थीं, और एक मोटी गांड जो अभी भी मटकती थी। मेरे गुलाबी होंठ अभी भी जवानी की निशानी थे, और मेरी जांघें चिकनी थीं। मेरे पति की मौत को 10 साल हो चुके थे, और मैं दिल्ली में अपने बेटे, राहुल, के साथ रहती थी। राहुल 22 साल का था—लंबा, मजबूत, और उसकी जवानी मेरे मन में अजीब सी हलचल पैदा करती थी। मैं उसकी माँ थी, पर मेरे जिस्म की हवस ने मुझे एक रात उसकी तरफ खींच लिया। ये मेरी भावनात्मक और हॉट कहानी है, जो मेरी हवस और प्यार का मिश्रण है।

शुरूआत: टूटे दिल और जलता जिस्म

एक शाम मैं अपने कमरे में बैठी थी। बाहर बारिश हो रही थी, और ठंडी हवा खिड़की से आ रही थी। पति की यादें मेरे मन को कचोट रही थीं। मैंने एक पुरानी फोटो देखी—हमारी शादी की। मेरी आँखों में आँसू थे, पर मेरे जिस्म में एक अजीब सी आग भी थी। मैंने सोचा, “कितने साल हो गए… कोई मेरी चूत को प्यार नहीं करता…” राहुल बाहर से आया, उसकी कमीज भीग गई थी। वो बोला, “माँ, बारिश में भीग गया हूँ।” मैंने उसे देखा—उसकी मजबूत छाती और गीले बाल। मैं सिहर उठी, “उफ्फ… राहुल… तू कितना बड़ा हो गया है…” वो हँसा, “माँ, तुम ठीक हो?”

मैंने उसे पास बुलाया और बोला, “राहुल, मेरे पास बैठ। ठंड लग रही है।” वो मेरे बगल में बैठ गया। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर लगीं। मैं बोली, “राहुल, तू मेरे लिए सब कुछ है…” वो सिहर उठा, “आह्ह्ह… माँ… ये क्या कह रही हो…” मैंने उसकी छाती पर हाथ रखा और बोला, “राहुल, मेरे जिस्म में हवस जाग रही है।” वो चौंक गया, “उफ्फ… माँ… ये गलत है…” लेकिन मैं उसकी कमीज खींचने लगी। मैं बोली, “राहुल, बस एक बार… मेरी चूत को प्यार दे…” वो सिसकार उठा, “आह्ह्ह… माँ… मैं तुम्हारा बेटा हूँ…” पर मेरी हवस ने उसे चुप करा दिया।

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हवस की पहली लहर: चूचियों का खेल

मैंने अपनी साड़ी का पल्लू हटाया। मेरी भारी चूचियाँ उसके सामने थीं—सेक्सी निप्पल सख्त और गुलाबी। मैं बोली, “राहुल, मेरी चूचियाँ चूस…” वो सिहर उठा, “उफ्फ… माँ… ये क्या कर रही हो…” लेकिन मैंने उसका मुँह अपनी चूचियों पर रख दिया। वो बोला, “आह्ह्ह… माँ… तेरी चूचियाँ कितनी मस्त हैं…” उसने मेरी चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। “उफ्फ… राहुल… धीरे चूस… मेरी चूचियाँ दुख रही हैं… ओहhh…” मैं सिसकार रही थी। उसकी जीभ मेरे सेक्सी निप्पल पर घूम रही थी, और मेरी चूत में आग लग रही थी। मैं बोली, “राहुल, मुझे किस कर…”

उसने मेरे गुलाबी होंठों पर किस किया। “आह्ह्ह… राहुल… तेरे होंठ कितने नरम हैं… उफ्फ…” मैं सिसकार रही थी। मैंने उसकी कमीज उतारी। उसकी मजबूत छाती मेरे सामने थी। मैं बोला, “राहुल, तेरा जिस्म मेरे लिए बना है…” वो सिसकार उठा, “उफ्फ… माँ… ये प्यार गलत है…” मैंने उसकी छाती पर किस किया और बोली, “राहुल, मेरी हवस को गलत मत कह… मेरी चूत को प्यार दे…” उसने मेरी चूचियाँ फिर चूसीं। “आह्ह्ह… माँ… तेरी चूचियाँ बहुत मस्त हैं… ओहhh…” मेरी चूत गीली हो रही थी।

हवस का शिकार: चूत की चुदाई

मैंने अपनी साड़ी पूरी उतार दी। मेरी चूत उसके सामने थी—गीली और तैयार। मैं बोली, “राहुल, मेरी चूत को चाट…” वो सिहर उठा, “उफ्फ… माँ… ये ठीक नहीं…” लेकिन मैंने उसका मुँह अपनी चूत पर रख दिया। “आह्ह्ह… राहुल… मेरी चूत में क्या डाल रहा है… ओहhh…” वो सिसकार रहा था। उसकी जीभ मेरी चूत को चूस रही थी। मैं बोली, “उफ्फ… राहुल… चाट ले… मेरी चूत को चूस डाल… आह्ह्ह…” उसका मुँह मेरी चूत पर था, और मैं पागल हो रही थी। वो बोला, “माँ, तेरी चूत कितनी मस्त है…” मैं सिसकार रही थी, “आह्ह्ह… राहुल… मेरी चूत को चोद डाल…”

उसने अपनी पैंट उतारी। उसका मोटा लंड मेरे सामने था—सख्त और तैयार। मैं डर गई, “उफ्फ… राहुल… तेरा लंड बहुत बड़ा है…” वो बोला, “माँ, इसे चूस…” मैंने उसका लंड मुँह में लिया। “उम्म… राहुल… कितना सख्त है… उफ्फ…” मैं चूस रही थी, और वो सिसकार रहा था, “आह्ह्ह… माँ… ज़ोर से चूस… ओहhh…” मैं बोली, “राहुल, अब मेरी चूत में डाल…” उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया। मेरी चूत उसके सामने थी। वो बोला, “माँ, धीरे डालूँगा…” उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और धीरे से डाला। “आह्ह्ह… राहुल… मेरी चूत में क्या डाल रहा है… उफ्फ…” मैं सिसकार रही थी। उसने धक्का मारा। “आह्ह्ह… माँ… तेरी चूत कितनी टाइट है… ओहhh…” वो चोदने लगा। “थप-थप-थप” की आवाज़ गूँज रही थी।

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गांड का खेल: हवस की चरम सीमा

मैं बोली, “राहुल, मेरी गांड भी चोद…” वो सिहर उठा, “उफ्फ… माँ… गांड में डालूँ?” मैंने कहा, “हाँ, राहुल… मेरी गांड को चोद डाल…” उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी मोटी गांड उसके सामने थी। वो बोला, “माँ, तेरी गांड कितनी मस्त है…” उसने मेरी गांड पर किस किया और लंड रगड़ा। मैं सिसकारी, “आह्ह्ह… राहुल… धीरे डाल…” उसने मेरी गांड में लंड डाला। “आह्ह्ह्ह… मर गई… राहुल… मेरी गांड फट गई… ओहhh…” मैं चिल्ला रही थी। वो चोदने लगा। “उफ्फ… माँ… तेरी गांड कितनी टाइट है… आह्ह्ह…” मैं सिसकार रही थी, “आह्ह्ह… राहुल… मेरी गांड को चोद डाल… ओहhh…”

उसने मेरी चूचियाँ पकड़ लीं और मसलने लगा। मेरी गांड में दर्द था, पर मज़ा भी आ रहा था। वो बोला, “माँ, तेरी चूत और गांड दोनों मस्त हैं…” मैं सिसकार रही थी, “उफ्फ… राहुल… मेरे दोनों छेद भर डाल… आह्ह्ह…” उसने मेरी चूत और गांड को बारी-बारी चोदा। उसका रस मेरी चूत में छूट गया। “आह्ह्ह… माँ… ले मेरा रस… तेरी चूत भर दी…” वो सिसकार रहा था। मैं बोली, “आह्ह्ह… राहुल… मेरी चूत भर गई…” हम थककर लेट गए। मेरी चूचियाँ लाल थीं, मेरी चूत और गांड सूज गई थीं।

अंत: प्यार और हवस का मिलन

सुबह हुई। राहुल मेरे पास लेटा था। वो बोला, “माँ, ये गलत था…” मैं सिसकारी, “उफ्फ… राहुल… ये प्यार था… मेरी हवस को शांत करने वाला प्यार…” वो मेरे होंठों पर किस करने लगा। मैं बोली, “राहुल, तू मेरा बेटा है, पर मेरी हवस का शिकार भी…” वो सिहर उठा, “आह्ह्ह… माँ… मैं तुम्हें प्यार करता हूँ…” मैंने उसे गले लगाया और बोली, “राहुल, मेरी चूत और गांड अब तेरे लिए हैं…” उस रात के बाद राहुल मेरी हवस का साथी बन गया। हमारा प्यार और हवस एक हो गए। दोस्तों, मेरी ये भावनात्मक और हॉट कहानी कैसी लगी?

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