मेरा नाम अनन्या है, उम्र 21 साल। मैं एक ऐसी लड़की हूँ जिसे देखकर हर मर्द की साँसें थम जाएँ। मेरा रंग गोरा है, चूचियाँ भारी, रसीली और उभरी हुई, गांड मोटी, गोल और थिरकती हुई, और मेरी कमर इतनी पतली कि उस पर हाथ फेरने का मन करे। मेरे होंठ गुलाबी और मांसल हैं, और मेरी आँखों में एक नशीली चमक है। मेरी माँ, शालिनी, उम्र 42 साल, आज भी इतनी हॉट हैं कि जवान लड़कियाँ भी उनके सामने फीकी लगें। उनका रंग दूध सा गोरा है, चूचियाँ बड़ी और टाइट, गांड भारी और मस्त, और उनका जिस्म ऐसा कि हर मर्द उन्हें चोदना चाहे। मेरे पापा, राजेश, एक बिजनेसमैन हैं, और वो अक्सर बाहर रहते हैं। ये कहानी उस रात की है जब पापा के दोस्त, मनोज अंकल, ने मुझे और मम्मी को चोद दिया।
हमारा घर दिल्ली के एक पॉश इलाके में है। मनोज अंकल, उम्र 45 साल, पापा के सबसे करीबी दोस्त हैं। वो मज़बूत, रौबीले और हॉट हैं। उनका रंग साँवला, चौड़ा सीना, मज़बूत बाँहें और एक ऐसी पर्सनैलिटी है जो किसी को भी अपनी ओर खींच लेती है। वो अक्सर हमारे घर आते थे, और मुझे और मम्मी को घूरते थे। उनकी नज़रें मेरी चूचियों और मम्मी की गांड पर टिक जाती थीं, और मैं देखती थी कि मम्मी भी उनकी तरफ कामुक नज़रों से देखती थीं। मैंने कई बार मम्मी को उनके बारे में बात करते सुना, और मुझे लगता था कि वो मनोज अंकल को पसंद करती हैं। मैं भी उनकी मज़बूत कद-काठी को देखकर तड़पती थी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक दिन वो हमें चोद देंगे।
एक रात की बात है। पापा एक महीने के लिए दुबई गए थे। मैं और मम्मी घर पर अकेले थे। रात के 8 बजे मनोज अंकल हमारे घर आए। मम्मी ने उन्हें बुलाया था, क्योंकि वो कुछ बिजनेस की बात करना चाहती थीं। मम्मी ने एक टाइट साड़ी पहनी थी, जो उनकी चूचियों और गांड को उभार रही थी। मैंने एक टाइट टॉप और शॉर्ट्स पहने थे, जिसमें मेरी जाँघें और चूचियाँ साफ दिख रही थीं। हम लिविंग रूम में बैठे थे, और मनोज अंकल हमें घूर रहे थे। मम्मी हँस-हँसकर उनसे बात कर रही थीं, और मैं देख रही थी कि उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था। मनोज अंकल की नज़रें मम्मी की चूचियों पर टिकी थीं, और वो मेरी जाँघों को भी घूर रहे थे।
मम्मी ने वाइन की बोतल निकाली, और हम तीनों ने पीना शुरू किया। कुछ देर बाद मम्मी का नशा चढ़ गया, और वो और खुल गईं। वो मनोज अंकल के करीब बैठ गईं और बोलीं, “मनोज, तुम आज बहुत हॉट लग रहे हो।” मैं चौंक गई, लेकिन मनोज अंकल हँसे और बोले, “शालिनी, तुम और अनन्या तो आग लगा रही हो।” मैं शरम से लाल हो गई, लेकिन मेरे जिस्म में भी एक सिहरन दौड़ गई। मम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली, “अनन्या, तू भी तो मनोज को पसंद करती है ना?” मैं चुप रही, लेकिन मेरी साँसें तेज़ हो गईं। मनोज अंकल मेरे पास आए और मेरे कंधे पर हाथ रखा। उनकी गर्म छुअन ने मुझे पागल कर दिया।
मम्मी उठीं और मनोज अंकल के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं हैरान थी, लेकिन मम्मी का चुम्बन देखकर मेरी चूत गीली हो गई। मनोज अंकल ने मम्मी को अपनी बाँहों में लिया और उनके होंठ चूसने लगे। मम्मी सिसक रही थीं, “आह्ह… मनोज, कितना मज़ा आ रहा है!” मैं उन्हें देख रही थी, और मेरे जिस्म में आग लग गई थी। मनोज अंकल ने मम्मी की साड़ी खींच दी, और उनकी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर आने को बेताब थीं। उन्होंने मम्मी का ब्लाउज़ फाड़ दिया, और उनकी नंगी चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने पहली बार मम्मी को नंगा देखा, और मेरी चूत में खुजली होने लगी। मनोज अंकल ने मम्मी की चूची को मुँह में लिया और चूसने लगे। मम्मी चीख रही थीं, “आह्ह… मनोज, चूसो, मुझे जलन हो रही है!”
मम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली, “अनन्या, तू भी आ जा!” मैं हिचक रही थी, लेकिन मेरी कामुकता ने मुझे रोक नहीं पाया। मैं उनके पास गई, और मनोज अंकल ने मेरा टॉप उतार दिया। मेरी नंगी चूचियाँ उनके सामने थीं, और वो बोले, “अनन्या, तू तो अपनी माँ से भी हॉट है!” उन्होंने मेरी चूची को मुँह में लिया और चूसने लगे। मैं सिसक उठी, “आह्ह… अंकल, कितना मज़ा आ रहा है!” मम्मी मेरे पास आईं और मेरी दूसरी चूची को चूसने लगीं। मैं चीख रही थी, “उफ्फ… मम्मी, ये क्या कर रही हो!” मेरी चूत गीली हो गई थी, और मैं तड़प रही थी।
मनोज अंकल ने मम्मी की साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। उनकी चूत चिकनी और गीली थी। उन्होंने मेरे शॉर्ट्स और पैंटी भी उतार दी, और मेरी चूत उनके सामने थी। वो बोले, “शालिनी, अनन्या, तुम दोनों की चूत स्वर्ग है!” उन्होंने मम्मी को सोफे पर लिटाया और उनकी चूत में उंगली डाल दी। मम्मी चीख रही थीं, “आह्ह… मनोज, और कर!” फिर उन्होंने मेरी चूत पर जीभ फिराई, और मैं चीख पड़ी, “आह्ह… अंकल, चाटो इसे!” उनकी जीभ मेरी चूत में अंदर तक जा रही थी, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से!” मम्मी मेरे पास आईं और मेरे होंठ चूसने लगीं। मैं उनकी जीभ चूस रही थी, और मनोज अंकल मेरी चूत चाट रहे थे।
मनोज अंकल ने अपनी पैंट उतारी, और उनका मोटा लंड मेरे सामने था। वो काला, लंबा और सख्त था। मम्मी बोलीं, “मनोज, इसे मेरी चूत में डालो!” उन्होंने मम्मी की जाँघें फैलाईं और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मम्मी चीख पड़ीं, “आह्ह… मनोज, मेरी चूत फट गई!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगे, और मम्मी की चूचियाँ उछल रही थीं। मैं उन्हें देख रही थी, और मेरी चूत में आग लग रही थी। मैंने अपना हाथ अपनी चूत पर रखा और उंगली करने लगी। मनोज अंकल ने मुझे देखा और बोले, “अनन्या, तू भी तैयार हो जा!”
उन्होंने मम्मी को छोड़ा और मुझे सोफे पर लिटाया। उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। वो सिसक रहे थे, “आह्ह… अनन्या, तेरा मुँह बहुत गर्म है!” मम्मी मेरे पास आईं और मेरी चूत चाटने लगीं। मैं चीख रही थी, “उफ्फ… मम्मी, कितना मज़ा दे रही हो!” मनोज अंकल ने मेरा सिर छोड़ा और मेरी चूत पर अपना लंड रखा। मैं काँप रही थी और बोली, “अंकल, आहिस्ता डालना।” उन्होंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… अंकल, मेरी चूत फट गई!”
वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगे, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… अंकल, और ज़ोर से चोदो!” मम्मी मेरे पास थीं और मेरी चूचियाँ चूस रही थीं। मैं चीख रही थी, “आह्ह… मम्मी, और चूसो!” मनोज अंकल की ठापों से मेरा पूरा शरीर हिल रहा था, और मेरी चूत से रस बह रहा था। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उनके सामने थी, और उन्होंने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… अंकल, और मारो!” उन्होंने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड में डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… अंकल, मेरी गांड फट गई!”
वो मेरी गांड में ठाप मारने लगे, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से!” मम्मी मेरे सामने थीं और मेरे होंठ चूस रही थीं। मैं उनकी जीभ चूस रही थी, और मनोज अंकल मेरी गांड पेल रहे थे। फिर उन्होंने मम्मी को घोड़ी बनाया और उनकी गांड में ठाप मारी। मम्मी चीख रही थीं, “आह्ह… मनोज, मेरी गांड जल रही है!” मैं मम्मी की चूत चाट रही थी, और वो सिसक रही थीं, “उफ्फ… अनन्या, और चाट!” मनोज अंकल बारी-बारी हम दोनों की गांड और चूत चोद रहे थे, और हमारी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
आखिर में उन्होंने हमें सोफे पर लिटाया। वो मम्मी की चूत में ठाप मार रहे थे, और मैं उनके लंड को चूस रही थी। मम्मी चीख रही थीं, “मनोज, मेरी चूत में झड़ जा!” उन्होंने तेज़ ठाप मारी, और उनका माल मम्मी की चूत में भर गया। फिर उन्होंने मुझे लिटाया और मेरी चूत में ठाप मारी। मैं चीख रही थी, “अंकल, मेरी चूत में झड़ जाओ!” उन्होंने तेज़ ठाप मारी, और उनका माल मेरी चूत में भर गया। हम तीनों हाँफ रहे थे, और हमारा शरीर पसीने और रस से भीगा हुआ था।
मनोज अंकल ने मेरे और मम्मी के कान में फुसफुसाया, “तुम दोनों स्वर्ग की अप्सराएँ हो।” मम्मी हँसते हुए बोलीं, “मनोज, तूने हमें जन्नत दिखा दी।” उस रात के बाद जब भी पापा घर पर नहीं होते, मनोज अंकल आते हैं, और हम तीनों चुदाई का खेल खेलते हैं। ये हमारा गुप्त रिश्ता है, जो हमारी हवस को ज़िंदा रखता है।