मेरा नाम रिया है, उम्र 22 साल, और मैं एक ऐसी हसीना हूँ जिसके जिस्म की आग किसी भी मर्द को राख कर दे। मेरा गोरा रंग चाँदनी सा चमकता है, मेरी चूचियाँ भारी, रसीली और इतनी टाइट कि हर नज़र उन पर ठहर जाए। मेरी गांड गोल, मोटी और मटकती हुई, हर कदम पर लहराती है, और मेरी कमर इतनी पतली कि मर्दों के हाथ उस पर सांप की तरह लिपटने को बेताब हो जाएँ। मेरे गुलाबी होंठ रस से भरे हैं, और मेरी आँखों में ऐसी नशीली चमक है कि कोई भी मर्द मेरे सामने पिघल जाए। मैं दिल्ली में अपनी माँ, रंजना, के साथ रहती थी। माँ 42 साल की थीं, लेकिन उनकी जवानी आज भी कायम थी। उनका रंग दूध सा गोरा, चूचियाँ भारी और रसीली, गांड मोटी और लचकदार, और उनकी आँखों में एक मादकता थी जो मर्दों को पागल कर दे। ये कहानी उस रात की है जब एक चोर हमारे घर में घुसा और उसने मुझे और माँ को अपनी हवस का शिकार बनाया।
हमारा घर दिल्ली के एक शांत इलाके में था। पापा एक बिजनेसमैन थे और अक्सर टूर पर रहते थे। उस रात पापा घर पर नहीं थे, और मैं और माँ अकेले थे। मैंने एक पतली सी नाइटी पहनी थी, जो मेरे जिस्म से चिपक रही थी। मेरी चूचियाँ नाइटी से बाहर आने को बेताब थीं, और मेरी गांड हर कदम पर लचक रही थी। माँ ने भी एक टाइट साड़ी पहनी थी, जिसमें उनकी चूचियाँ और गांड साफ उभर रही थीं। रात के करीब 1 बजे थे, और हम दोनों अपने-अपने कमरों में सो रहे थे। अचानक मुझे अपने कमरे में कुछ हलचल महसूस हुई। मैंने आँखें खोलीं तो देखा कि एक काला साया मेरे कमरे में था। मैं डर गई और चीखने वाली थी, लेकिन उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया।
उसकी आँखें चमक रही थीं, और उसकी साँसें गर्म थीं। वो साँवला, मज़बूत और करीब 30 साल का था। उसने काले कपड़े पहने थे, और उसकी बाँहें पत्थर सी सख्त थीं। उसने मेरे कान में फुसफुसाया, “चीखी तो जान से मार दूँगा। चुपचाप मेरी बात मान।” मैं काँप रही थी, लेकिन उसकी गर्म साँसें मेरे जिस्म में एक अजीब सी सिहरन जगा रही थीं। उसने मेरे हाथ बाँध दिए और मुझे बिस्तर पर पटक दिया। मैंने डरते हुए पूछा, “तुम कौन हो? क्या चाहते हो?” वो हँसा और बोला, “मैं चोर हूँ, लेकिन आज चोरी से ज़्यादा मज़ा लेने का मन है। तेरा ये हसीन जिस्म देखकर मेरा लंड तड़प रहा है।”
उसने मेरी नाइटी फाड़ दी, और मेरी नंगी चूचियाँ चाँदनी में चमक उठीं। मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और उसने एक चूची को अपने रूखे हाथों में लिया। मैं सिसक उठी, “आह्ह… छोड़ दो मुझे!” लेकिन मेरी चूत में एक अजीब सी गुदगुदी शुरू हो गई थी। उसने मेरी चूची को मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। मैं चीख पड़ी, “उफ्फ… ये क्या कर रहे हो?” उसकी जीभ मेरे निप्पल पर नाच रही थी, और उसका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को मसल रहा था। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मैं तड़प रही थी। मैं डर रही थी, लेकिन मेरे जिस्म ने मेरे दिमाग को धोखा देना शुरू कर दिया था।
उसने मेरी पैंटी खींचकर फेंक दी, और मेरी चिकनी चूत उसके सामने थी। वो बोला, “क्या माल है तू! तेरी चूत तो रसीली मिठाई है।” उसने मेरी चूत पर अपनी जीभ रखी, और मैं चीख पड़ी, “आह्ह… नहीं, ये गलत है!” लेकिन उसकी जीभ मेरी चूत की गहराइयों में उतर गई, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और चाट, मेरी चूत जल रही है!” मेरा रस उसके मुँह में बह रहा था, और मेरी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उसका सिर पकड़ा और अपनी चूत पर दबा दिया। मैं चीख रही थी, “आह्ह… चूस डाल इसे!”
अचानक मुझे माँ की चीख सुनाई दी। मैं चौंक गई, और चोर भी रुक गया। वो बोला, “लगता है तेरी माँ भी जाग गई। चल, उसे भी मज़ा देते हैं।” उसने मुझे खींचकर माँ के कमरे में ले गया। माँ बिस्तर पर थीं, और उनकी साड़ी सरक चुकी थी। उनकी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर झाँक रही थीं, और उनकी गांड साड़ी में लचक रही थी। चोर ने माँ के हाथ भी बाँध दिए और बोला, “वाह, ये तो और भी मस्त माल है!” माँ डर से काँप रही थीं और बोलीं, “प्लीज़, हमें छोड़ दो!” लेकिन चोर ने उनकी साड़ी खींच दी, और माँ की नंगी चूचियाँ उसके सामने थीं।
उसने माँ की चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। माँ सिसक रही थीं, “आह्ह… नहीं, ये गलत है!” लेकिन उनकी सिसकियों में एक अजीब सी मादकता थी। मैं डर रही थी, लेकिन मेरी चूत अब भी गीली थी। चोर ने मुझे माँ के बगल में लिटाया और मेरी चूत में उंगली डाल दी। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… और कर!” उसने माँ की चूत पर भी जीभ फिराई, और माँ चीख रही थीं, “उफ्फ… छोड़ दो!” लेकिन उनकी चूत भी गीली हो चुकी थी। चोर हँस रहा था, “दोनों माल एक साथ! आज तो मज़ा आ जाएगा।”
उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका काला, मोटा लंड हमारे सामने था। वो इतना बड़ा था कि मैं और माँ दोनों डर गईं। उसने मेरा सिर पकड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैं उसे चूसने लगी, और उसकी गर्मी मेरे मुँह में फैल रही थी। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… तेरा लंड रसीला है!” उसने माँ के मुँह में भी अपना लंड डाला, और माँ उसे चूस रही थीं। वो चीख रही थीं, “आह्ह… ये बहुत बड़ा है!” चोर सिसक रहा था, “दोनों रंडियाँ, चूसो मेरे लंड को!”
उसने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मेरी जाँघें फैला दीं। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… मेरी चूत फट गई!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगा, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से चोद, मेरी चूत को फाड़ दे!” उसकी ठापों से मेरा पूरा जिस्म हिल रहा था, और मेरी चूत से रस की धार बह रही थी। वो मेरी चूचियाँ मसल रहा था, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… मेरी चूचियाँ नोच डाल!”
फिर उसने माँ को घोड़ी बनाया। माँ की मोटी गांड उसके सामने थी, और उसने उस पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा। माँ चीख पड़ीं, “आह्ह… और मार!” उसने माँ की चूत में अपना लंड डाला और ठाप मारने लगा। माँ चीख रही थीं, “उफ्फ… मेरी चूत जल रही है!” मैं माँ की चूचियाँ चूस रही थी, और वो सिसक रही थीं, “आह्ह… रिया, और चूस!” चोर मेरी चूत में उंगली डाल रहा था, और मैं चीख रही थी, “उफ्फ… और कर!” उसकी ठापों से बिस्तर हिल रहा था, और माँ की सिसकियाँ घर में गूँज रही थीं।
उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगा। मैं उसके कंधों पर थी, और मेरी चूचियाँ उसके मुँह में थीं। वो मेरे निप्पल काट रहा था, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… और काट!” उसकी ठापें इतनी तेज़ थीं कि मेरा जिस्म काँप रहा था। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… तेरा लंड मेरी चूत को जन्नत दिखा रहा है!” उसने माँ को भी अपनी गोद में लिया और उनकी गांड में लंड डाल दिया। माँ चीख पड़ीं, “आह्ह… मेरी गांड फट गई!” वो उनकी गांड में ठाप मार रहा था, और माँ सिसक रही थीं, “उफ्फ… और ज़ोर से, मेरी गांड को रगड़ डाल!”
फिर उसने हमें दोनों को बारी-बारी चोदा। उसने मेरी चूत में ठाप मारी, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… मेरी चूत फाड़ डाल!” उसने माँ की गांड में ठाप मारी, और माँ सिसक रही थीं, “उफ्फ… मेरी गांड जल रही है!” मैं माँ की चूत चाट रही थी, और वो मेरी चूचियाँ मसल रही थीं। हमारी सिसकियाँ एक साथ गूँज रही थीं, और चोर हमारी हवस का राजा बन गया था। उसने कहा, “अब मुँह में लो, रंडियों!” उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाला, और मैं उसे चूसने लगी। फिर माँ ने उसे चूसा, और हम दोनों उसका रस चाट रही थीं।
आखिर में उसने हमें दोनों को लिटाया। उसने मेरी चूत में ठाप मारी और चीखा, “रिया, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैं चीख पड़ी, “मेरी चूत में झड़ जा!” उसने तेज़ ठाप मारी, और उसका गर्म माल मेरी चूत में फव्वारे की तरह छूट गया। फिर उसने माँ की चूत में ठाप मारी, और माँ चीख रही थीं, “मेरी चूत भर दे!” उसका माल माँ की चूत में भी भर गया। हम दोनों काँपते हुए बिस्तर पर पड़ी थीं, और हमारा जिस्म पसीने और रस से तर-बतर था।
चोर ने अपने कपड़े पहने और बोला, “तुम दोनों माल हो। मैं फिर आऊँगा।” वो खिड़की से कूदकर गायब हो गया। मैं और माँ हाँफ रही थीं। माँ मेरे पास आईं और बोलीं, “रिया, ये गलत था, लेकिन मज़ा आ गया।” मैं हँसते हुए बोली, “माँ, उसका लंड जादुई था।” उस रात के बाद हमने किसी को कुछ नहीं बताया। लेकिन मेरी चूत और माँ की गांड उस चोर की ठापों को याद करती हैं। वो फिर कभी नहीं आया, लेकिन उसने हमारी हवस को हमेशा के लिए जगा दिया।