हाय दोस्तों, मैं मधु शुक्ला आप सभी का नोंन वेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत स्वागत करती हूँ. मैं इस वेबसाइट की मस्त मस्त कहानियाँ रोज रात को पढ़ती हूँ और मजे लेती हूँ. इससे पहले मैंने कुछ महीनो पहले कुछ कहानियाँ लिखी थी. आप फिर मैं आपके सामने अपनी कहानी लेकर हाजिर हूँ. मैं मुरादाबाद की रहने वाली हूँ. २००७ में मेरी शादी यहीं मुरादाबाद में बाबूराम से हो गयी. सुहागरात पर मेरे पति ने मुझे खूब चोदा. वो बिस्तर पर बहुत अच्छा था. मुझे २ ३ घंटे तो आराम से लेता था. मेरा पति नाटा था, उसकी भारी तोंद थी. वो अमीन के पद पर था. जब कोई सरकारी आदेश आता था, वो लोगों की सम्पत्ति कुर्क करता था.
२०१२ तक मेरा अपने पति से खूब बैठा. उसका एक दोस्त दिलीप मेरे घर रोज किसी न किसी काम से आता था. वो मेरे पति के दफ्तर में बाबू था. धीरे धीरे मुझे दिलीप से प्यार हो गया. एक दिन जब मेरे पति बाबूराम शहर से बाहर गए थे, दिलीप मेरे घर आया. ‘भाभी भैया कहाँ है??’ उसने पूछा.
वो तो कुछ दिनों के लिए मुरादाबाद से बाहर गए है!’ मैंने कहा
मुझे ना जाने क्यूँ दिलीप से प्यार हो गया. वो पतला दुबला लम्बा स्लिम ट्रिम था, वही मेरे पति नाटे, तोंदुरम और काले कलूटे थे. मैंने उनसे शादी सिर्फ इसलिए की थी क्यूंकि उसके पास सरकारी नौकरी थी. वरना मैं कभी उस बड़ी तोंद वाले आदमी से शादी नहीं करती. दिलीप बहुत ही हैंडसम आदमी था. कोई भी मेरे जैसी जवान और चुदासी औरत उसे एक बार देख लेती तो उसे दिलीप से प्यार वो जाता. वो बहुत ही फैसन करने वाला लड़का था. हमेशा क्लीन सेव में रहता था. धीरे धीरे मैं उससे छिप छिप कर मिलने लगी. दिलीप मेरे पति बाबूराम को भैया भैया बुलाता था. एक दिन वो मेरे घर फिर से आ गया. दिलीप अच्छे से जानता था की बाबूराम[ मेरे पति] घर पर नहीं है. मैं उसे बैठाया और चाय देने लगी. दिलीप ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया. मैंने कोई ऐतराज नही किया. दिलीप जान गया था की मैं उससे चुदने को तयार हूँ. मैं उससे फसना चाहती हूँ. जब उसकी चाय ख़त्म होने वाली थी तो मैंने उसे आँखों से अंदर बेडरूम में आने का इशारा किया. दिलीप तो बहुत जोर का चुदासा था ही, उसने मेरे हाथ की बनाई चाय एक बार में पी कर ख़तम कर दी. दिलीप अंदर बेडरूम में आ गया. मैंने उसको पकड़ लिया. हम दोनों गले लग गये ‘मधु !! तुम बहुत खूबसूरत हो!! मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ’ वो बोला.
‘दिलीप!! मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ’ मैं बोली. फिर क्या था दोस्तों, मैं तो पहले से उसको पसंद करती थी. हम दोनों गले लग गए. वो मुझे हर जगह चूमने चाटने लगा. फिर मैं उसको बेड पर ले आई. मैं अपने नए आशिक को गले से लगा लिया. दिलीप मेरे उपर चढ़ गया जैसी अमरुद चोरी करने वाला कोई लड़का अमरुद के पेड़ पर चढ़ जाता है. वो मेरे ओंठ पीने लगा. मैं भी उसको पूरा सपोर्ट करने लगी. मैं भी उसके होठ पीने लगी. कुछ देर बाद दिलीप चुदासा हो गया. मैंने उस वक़्त काले रंग का सलवार सूट पहना था. क्यूंकि घर पर मैं सलवार सूट ही पहनती हूँ. इसमें बहुत आराम मिलता है. दिलीप मेरे मम्मे दबाने लगा. मैं दबवाने लगी. कुछ देर बाद उसके अंदर आग सी जलने लगी. वो पागलों की तरह बड़ी जोर जोर से मेरी रसीली छातियाँ दबाना लगा. मुझे बहुत मजा आया. बहुत आनंद मिला. मैंने भी उसे मना नहीं किया. वो और तेज तेज मेरी छातियाँ दबोटने लगा. सच में मुझको बड़ा मजा आया.
मैं इतनी जादा चुदासी हो गयी की वो जो जो करता गया, मैंने करने दिया. उसने मेरा काले रंग का सूट निकाल दिया. मेरी २ दूधभरी छातियाँ उसे मिल गयी. दिलीप ने मेरी पीठ में हाथ डाल के मेरी ब्रा के हुक खोल दिए. अब तो मैं नंगी हो गयी. दिलीप मेरे मम्मे पीने लगा. मैं उसको पिलाने लगी. मेरे मम्मे बहुत बड़े बड़े फुल साइज़ के थे. बड़ी नशीली छातियाँ थी मेरी. दिलीप पागलों की तरह मेरी मीठी मीठी छातियाँ पीने लगा. वो बहुत जोर जोर से मेरी छातियाँ दबा दबाकर पी रहा था. जैसा किसी आम को दबा दबाकर उसका रस निकालते है, बिलकुल उसी तरह दिलीप हाथ से मेरी छातियाँ दबा दबाकर उसका रस निकाल रहा था और पी रहा था. वो बहुत जादा गर्म हो गया था. दिलीप ने अपनी पैंट खोल दी. अपना मोटा सा लौड़ा उसने निकाल के मेरे मम्मों के बीच में रख दिया. दोस्तों, मुझे अभूतपूर्व सुख मिला. दिलीप मेरे दोनों मम्मों के बीच में लौड़ा रखकर दोनों तरफ से बीच में दबाकर मेरे मम्मे चोदने लगा.
आह!! क्या आपको बताओ दोस्तों, मुझे जिन्दगी में पहली बार कितना जादा मजा मिला. मेरे नाटे, मोटे, बड़ी भारी तोंद वाले काले कलूटे पति ने इस तरह क्रांतिकारी तरह से कभी मेरी छाती नही चोदी थी. पर आज तो मैं चुदाई के एक नए आयाम की तरह पहुच गयी थी. दिलीप जोर जोर से अपने लौड़े से मेरी छातियाँ चोद रहा था. मैं मजे मार रही थी. मेरी गोरी गोरी नर्म नर्म छातियों पर उसका लौड़ा किसी बेलन की तरह रगड़ दे रहा था. मुझे इतना मजा आया की मेरी चूत गीली होकर बहने लगी. दिलीप बड़ी देर तक मेरी गोरी गोरी नर्म नर्म छातियाँ चोदता रहा. मुझे बहुत मजा मिला. कुछ देर बाद हम दोनों में मूक सहमती बन गयी की वो मुझे चोदेगा. दिलीप ने मेरी काली सलवार का नारा खोल दिया. मेरी सलवार पैंटी सहित निकाल दी. ट्युबलाईट की रोशनी में मेरी चूत कुछ जादा ही खुबसुरत लग रही थी. २ गोरी गोरी गोल मटोल जाँघों के बीच में मेरी सावली सावली गदराई चूत के क्या कहने थे.
दिलीप तो जैसे मेरी चूत को एक नजर इत्मीनान से देखने चाहता था. वो मेरी बुर के दर्शन करने लगा. ज्यूँही उसमे मेरी सावली सावली चूत पर ऊँगली रखी, मैं मचल गयी. अपनी उँगलियों से दिलीप ने बड़ी सावधानी से मेरी चूत पर ऊँगली फिराई और चूत को छू कर देखा. फिर वो पीने लगा. बड़ी देर तक दिलीप मेरी सांवली चूत पीता रहा. फिर उसने कपड़े निकाल पर अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगा. बड़ा सुख मिला मुझे. इस इश्कबाजी में बहुत सुख मिला मुझे. जिस फैशन करने वाले दिलीप को हर रोज देखती थी, जिस दिलीप को मैं मन ही मन पसंद करती थी, आज उसका लौड़ा भी खा रही थी. ये मेरी लिए बड़ी खुसी का दिन था. दिलीप फट फट करके मुझे चोदने लगा. मैंने अपनी दोनों टाँगे फैला दी. सच में मुझे बड़ी मौज मिल रही थी. मैं उऊ ऊऊउह आह अआहा उई उई !! करके सिसक रही थी. दिलीप मेरे होठ पी पीकर मुझे पेल रहा था.
वो सच में बिलकुल कामदेव था. उसके शानदार धक्कों ने मेरा पूरा बदन हिल रहा था. पुरे बदन में झुरझुरी हो रही थी. मेरी गोरी गोरी संगमरी छातियाँ भी जोर जोर से हिल रही थी. कुछ देर बाद दिलीप और चुदासा हो गया और जोर जोर से धक्के मेरी चूत में देने लगा. मेरी दोनों छातियाँ फटर फटर हिलने लगी. दिलीप और जोर जोर से मुझे चोदने लगा. मैं किसी मशीन की तरह उसके लौड़े पर नाचने लगी. कुछ देर बाद वो झड गया. किसी गैर मर्द के साठ प्यार करने और चुदवाने की ये पहली घटना था. अभी मेरे पति बाबूराम को आने में ३ दिन बाकी थी. मैंने उनके बेस्ट फ्रेंड दिलीप को अगले ३ दिन भी आने को कहा. उसने ३ दिन मुझे और ठोंका. मुझे उसकी ठुकाई बहुत पसंद आ गयी. फिर मेरे पति का गए. वो मुझे चोदने खाए लगे. पर मुझे बार बार दिलीप की याद आ रही थी. अब जब भी मेरे पति मुझे पेलते मुझे बार बार दिलीप का चेहरा याद आता. अब मुझे मेरा पति बाबूराम जरा भी अच्छा नहीं लगता था. आये दिन मैं उसकी बात पर चिढ़ जाती और उससे झगड़ा करने लगी. बाबूराम समझ नहीं पा रहा था की अचानक से मैं ऐसा क्यूँ कर रही हूँ. इसलिए मैं छिप छिपकर उससे मिलने लगी. एक दिन मेरे फोन को मेरे पति देख रहे थे. अचानक काल रिकॉर्ड में उनको दिलीप का नंबर मिल गया. मेरे पति ने रंगे हाथों मुझे पकड़ लिया.
मधु!! ये सब क्या है. तुमने आधे घंटे दिलीप से बात की. क्यों?? किसलिए??’ उन्होंने पूछा.
मैं उनके सवालों का कोई जवाब ना दे पाई. मैं इस बात बर बहुत नाराज थी की मेरा भंडा फूट गया. आये दिन हम मियां बीबी में झगड़े होने लगे. अब मैं उसके पास १ सेकंड भी नहीं रहना चाहती थी. मैंने अपने पति को छोड़ दिया और दिलीप के घर आकर रहने लगी. वो पहली रात दिलीप के घर पर मुझे आज भी याद है.
‘दिलीप! मेरी जान!! मेरी मुहब्बत, मैं तुम्हारे पास आ गयी हूँ’ मैंने कहा और अपनी बाहें फैला दी. दिलीप मुझे देखकर और पाकर बहुत खुश था. उसने मुझे गले से लगा लिया. कुछ देर बाद मेरे पति ने अपने दोस्त दिलीप को फोन किया और माँ बहन की गालियाँ दी. ‘बहनचोद!! तूने मेरी बीबी की अपनी बातों के जाल में फस लिया और उनको चोद लिया. बहनचोद चोद लिया होता तो कोई बात नहीं थी, पर तूने उसे फुसला कर अपनी तरफ कर लिया. मुझे छुडवा दिया’ बाबूराम गुस्से से उबलकर बोला.
‘बेटीचोद!! तुम्हारी बीबी थी ही अल्टर तो इसमें मैं क्या करूँ?? वो इतनी जादा चुदासी थी की तू उसकी लाल लाल चूत में ढंग से लौड़ा दे नही पा रहा था, इसीलिए मधु से तुझे चोदा. बेटीचोद!! जब बीबी गर्म और चुदासी हो तो रात रात भर उसके भोसड़े में लौड़ा डालकर बुर को कूटना चाहिए. जो काम तू कर ही ना सका. इसलिए उसने तेरे को छोड़ दिया. अब ये छिनाल मेरे पास आ गयी है. अब देख इसे दिन रात मैं नंगा करके इतनी पलैया करूँगा की महीना भर में ही इसकी चूत की गर्मी शांत हो जाएगी’ मेरा आशिक दिलीप बोला. बाबूराम झल्ला गया और उसने फोन काट दिया.
हम दोनों गले मिल गए. ‘मधु!! तूने मेरे पास आकर बिलकुल सही काम किया. कोई जरूरत नही उस बहन के लौड़े के पास रहने की’ दिलीप बोला. मैंने सबसे पहले नहाया और फिर दिलीप के लिए खाना बनाया. रात में हम एक ही बिस्तर पर मियां बीबी की तरह लेटे. उसने मुझे नंगा कर दिया. आज फिर से उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया और मेरे दूध पीने लगा. कुछ देर बाद दिलीप मुझे पेलने लगा. उसने एक बड़ा सा डिलडो मेरी गांड में डाल दिया. इससे मेरी चूत और भी जादा टाईट हो गयी. दिलीप मुझे हौकने लगा. वास्तव में उसका लौड़ा मेरे पति बाबूराम से भी कहीं जादा बड़ा था. दिलीप मुझे अपनी बीबी की तरह घिसने लगा. उसने मेरी दोनों छातियों को हाथ में ले लिया था. घप घप करके वो मुझे चोदने लगा. अपने आशिक से चुदवाने में कुछ जादा ही मजा था. कहाँ वो बहनचोद बड़ी सी तोंद वाला नाटा बाबूराम और कहाँ ये पतला दुबला फिट दिलीप. उस रात मैं एक बार फिर से खूब चुदी दोस्तों.
पहले तो दिलीप ने मेरी चूत चोद चोद के रवां कर दी. फिर उसने मेरी गांड में लगा डिलडो निकाला और मेरी चूत में डाल दिया. मेरी गांड का छेद काफी बड़ा हो गया था घंटा भर डिलडो लगने से. मेरे आशिक दिलीप ने मुझे अपने पेट पर मेरी गांड में लौड़ा देकर बिठा लिया. और मजे से मुझे चोदने लगा. मेरे दोनों छलछलाते मस्त मस्त गोल गोल मम्मे हिल रहे थे. दिलीप ने मेरे मम्मो को हाथ में भर लिया और निचे से फट फट मेरी गांड के छेद में लौड़ा देने लगा. वास्तव में दोस्तों, मुझे आनंद का चरम सुख मिला. इतनी कलाबाजियाँ तो मेरा पति बाबूराम भी नहीं जानता था. दिलीप मुझे नीचे से फट फट करके चोदने लगा. मैंने भी खूब चुदवाया उससे. दिलीप के घर पर वो रात बड़ी रंगीन रात साबित हुई. अब मैं दिलीप के पास की रहने लगी. हर रोज उससे चुदवाती. मुझे बहुत मजा आता. संडे या छुट्टी के दिन दिलीप मुझे दिल में भी लेता था. पूरा पूरा दिन हम दोनों आशिक सिर्फ और सिर्फ चुदाई ही करते रहते थे. अब कोर्ट में मैंने अपने पहले पति से तलाक माँगा है. मैंने फैला किया है की मैं दिलीप से शादी कर लुंगी. पर वो नामुराद बाबूराम जा जाने क्यूँ तलाक के कागज पर साइन नही कर रहा है. उसको उम्मीद है की एक दिन दिलीप से चुदवा चुदवा कर मेरी इक्षा भर जाएगी और मैं उसके पास लौट जाऊँगी. ये कहानी आप सिर्फ और सिर्फ नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
आज की हॉट कहानी कामुक स्टोरी डॉट कॉम पर : होली में मेरे वफादार नौकर ने दिलाई अपनी हसीन बीबी की चूत