रात का अंधेरा और बहन की जवानी

Bahan Ko Chod Diya Biwi Samajhkar Sex Story – गाँव में बिजली का आना-जाना आम बात थी। उस रात भी अंधेरा छाया हुआ था। आसमान में काले बादल गरज रहे थे, और हल्की-हल्की बारिश की बूँदें छत पर टपक रही थीं। मैं, रमेश, 28 साल का जवान मर्द, अपनी चारपाई पर लेटा था। मेरी बीवी, सरिता, मेरे साथ सोती थी। उसकी गर्म साँसें और नरम जिस्म मुझे हर रात तड़पाते थे। मेरा 8 इंच का मोटा लंड उसकी चूत में घुसकर उसे रात भर चोदता था, और उसकी मस्त चूचियों को चूस-चूसकर मैं उसे अपने नीचे नचाता था। लेकिन उस रात कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी।

मेरे घर में मेरी छोटी बहन, पूजा, भी थी। पूजा 22 साल की थी, गोरी, हसीन और कुँवारी। उसकी चूचियाँ गोल और रसीली थीं, जो उसकी टाइट कुर्ती में हमेशा उभरी रहती थीं। उसके गुलाबी निप्पल कुर्ती के ऊपर से भी हल्के-हल्के नज़र आते थे। उसकी कमर पतली थी, और उसकी गाँड गोल और उठी हुई थी, जो चलते वक्त लचकती थी। उसकी जाँघें मोटी और गोरी थीं, और उसकी चूत की शक्ल सलवार में हल्की-हल्की उभरती थी। वो मेरी बहन थी, तो मैंने कभी उसे गलत नज़र से नहीं देखा। उस रात वो मेरे घर रुकी थी, क्योंकि अपनी सहेली की शादी से लौटते वक्त बारिश शुरू हो गई थी। सरिता ने उसे अपनी चारपाई के पास वाली चारपाई पर सुला दिया था।

अंधेरे में मैं अपनी चारपाई पर लेटा था। मेरा लंड सख्त था, क्योंकि दिन भर खेत में मेहनत करने के बाद मुझे सरिता की चूत की ज़रूरत थी। मैंने सोचा कि सरिता मेरे पास ही लेटी होगी। चारपाई पर एक जिस्म था, जिसकी गर्मी मुझे महसूस हो रही थी। मैंने उसकी ओर हाथ बढ़ाया और उसकी कमर पर रख दिया। वो पतली सी सलवार-कुर्ती में थी। उसकी कमर नरम और गर्म थी, और मेरे हाथ को छूते ही मेरा लंड और सख्त हो गया। “सरिता, आज तेरी चूत में आग लगाऊँगा,” मैंने धीरे से कहा और उसकी चूचियों पर हाथ फेर दिया। उसकी चूचियाँ सख्त और मस्त थीं, और कुर्ती के ऊपर से उसके निप्पल उभर रहे थे। मैंने उन्हें हल्के से दबाया, और मेरे मुँह से “उम्म…” निकल गया।

वो हल्का सा हिली, लेकिन कुछ बोली नहीं। मैंने सोचा शायद वो नींद में है। मेरा लंड अब बेकाबू हो रहा था। मैंने उसकी कुर्ती ऊपर की और उसकी चूचियाँ नंगी कर दीं। अंधेरे में मुझे कुछ साफ़ नहीं दिख रहा था, लेकिन उसकी चूचियाँ गोल, नरम और गर्म थीं। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। उसका निप्पल मेरे मुँह में सख्त हो गया, और मैंने अपनी जीभ से उसे चाटा। “सरिता, तेरी चूचियाँ कितनी मस्त हैं,” मैंने कहा और दूसरी चूची को हाथ से मसलने लगा। उसकी साँसें तेज़ हो गईं, और एक हल्की सी “आह्ह…” की आवाज़ निकली। मैंने सोचा सरिता मज़े ले रही है।

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मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसे नीचे खींच दिया। उसकी चूत नंगी हो गई। उसकी चूत की हल्की झाँटें मेरे हाथ में महसूस हुईं, और वो गीली थी। “साली, पहले से मेरे लंड के लिए तरस रही है,” मैंने हँसते हुए कहा और अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी। “आह्ह…” वो सिसक उठी। उसकी चूत टाइट और गर्म थी, और मेरी उंगली को अंदर खींच रही थी। मैंने दो उंगलियाँ डालीं और उसकी चूत को चोदने लगा। “सरिता, तेरी चूत आज बहुत गीली है… लंड डालूँ?” मैंने कहा। वो चुप रही, लेकिन उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। उसकी जाँघें मोटी और नरम थीं, और मैंने उन्हें सहलाते हुए उसकी चूत को और गीला कर दिया।

मैंने अपनी लुंगी खोली और अपना 8 इंच का लंड बाहर निकाला। मेरा लंड काला, मोटा और सख्त था। उसकी टोपी गीली होकर चमक रही थी, और मैं उसे हिलाते हुए उसकी चूत के पास ले गया। मैंने उसकी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा। उसकी चूत की फाँकें गीली और गर्म थीं, और मेरा लंड उनकी गहराई में जाने को बेताब था। “ले साली, तेरी चूत में आग लगाता हूँ,” मैंने कहा और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। “आह्ह… मर गई…” वो चीख पड़ी। उसकी आवाज़ में कुछ अलग था, लेकिन अंधेरे में मैंने ध्यान नहीं दिया। मैंने उसकी चूचियाँ दबाते हुए चुदाई शुरू कर दी। “सरिता, तेरी चूत आज बहुत टाइट है… मज़ा आ रहा है,” मैं बोला।

मेरा लंड उसकी चूत को चीर रहा था। हर धक्के के साथ उसकी गाँड हवा में उछल रही थी। उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में मसल रही थीं, और उसके मुँह से “आह्ह… ओह्ह…” की आवाज़ें निकल रही थीं। “सरिता, तेरी चूत को फाड़ दूँगा,” मैंने कहा और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। अब मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जा रहा था। “आह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है,” वो सिसक रही थी। मैंने सोचा सरिता मज़े में नाटक कर रही है। “साली, चुदाई में दर्द तो होगा… ले मेरा लंड,” मैंने कहा और उसे और जोर से चोदा। उसकी चूत गीली होकर लाल हो गई थी, और उसका पानी मेरे लंड पर चिपक रहा था।

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करीब 20 मिनट तक मैंने उसकी चूत चोदी। फिर मैंने उसे पलटा। उसकी गोल, नरम गाँड मेरे सामने थी। उसकी गाँड की दरार में पसीना चमक रहा था, और उसका छेद टाइट और गुलाबी था। “सरिता, तेरी गाँड भी मारूँगा,” मैंने कहा और उसकी गाँड पर थूक दिया। मैंने अपना लंड उसकी गाँड की छेद पर रखा और एक धक्का मारा। “आह्ह… नहीं… भैया…” वो चिल्लाई। “भैया?” मैं एकदम रुक गया। अंधेरे में मेरे दिमाग में बिजली कौंधी। ये सरिता नहीं, पूजा थी।

मैंने उसका चेहरा देखने की कोशिश की, लेकिन अंधेरा इतना था कि कुछ साफ़ नहीं दिखा। “पूजा, तू?” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा। “भैया… मैं… मुझे माफ़ कर दो,” वो रोते हुए बोली। मेरा लंड अभी भी उसकी गाँड में था, और मेरी चूत में आग लगी थी। “साली, तूने पहले क्यों नहीं बताया?” मैंने गुस्से में कहा, लेकिन मेरा लंड सख्त था। “भैया, मैं डर गई थी… तुमने शुरू कर दिया,” वो सिसक रही थी। उसकी चूचियाँ हिल रही थीं, और उसकी चूत से पानी टपक रहा था।

मैंने अपना लंड उसकी गाँड से निकाला, लेकिन मेरी आग बुझी नहीं थी। “अब क्या करूँ?” मैंने सोचा। पूजा की चूत और गाँड चुद चुकी थीं, और उसकी साँसें अभी भी तेज़ थीं। “भैया, मत बताना किसी को,” वो बोली। मैंने उसकी चूचियाँ पकड़ीं और कहा, “साली, अब तो तू चुद गई… अब क्या डर?” मैंने उसे फिर लिटाया और उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। “आह्ह… भैया… मत करो,” वो चिल्लाई, लेकिन मैं रुका नहीं। “चुप रह, अब तेरी चूत मेरा लंड लेगी,” मैंने कहा और उसे चोदने लगा।

उसकी चूत टाइट और गीली थी। मैंने उसकी चूचियाँ मसलीं, उसके निप्पल चूसे, और उसकी चूत को चोदा। “भैया… आह्ह… चोदो…” वो तड़पते हुए बोली। मैंने उसे रात भर चोदा। कभी उसकी चूत में लंड डाला, कभी उसकी गाँड में, और कभी उसके मुँह में। “चूस साली, मेरे लंड का रस पी,” मैंने कहा। वो मेरे लंड को चूसने लगी, और उसकी जीभ मेरे लंड की टोपी पर फिसल रही थी। सुबह तक उसकी चूत और गाँड सूज गई थीं, और मेरा माल उसकी चूत में भर गया था। “भैया, फिर मत करना,” वो बोली। मैंने उसकी गाँड पर हल्की सी चपत मारी और कहा, “देखते हैं, तेरी चूत क्या कहती है।”

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अगली सुबह

सुबह बिजली आई। मैंने पूजा को देखा। उसकी आँखें शर्म से झुकी थीं, और उसकी चूचियाँ कुर्ती में अभी भी उभरी हुई थीं। सरिता खेत से लौटी और बोली, “रात को मैं माँ के पास सोने चली गई थी। पूजा अकेली थी ना?” मैंने हाँ में सिर हिलाया, लेकिन मेरे दिमाग में रात की चुदाई घूम रही थी। पूजा मेरी ओर देख रही थी, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।

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