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बेटे की हरकत और माँ की तड़प – Ma Beta Sex Story

Ma Beta Sex Story : मेरा नाम सुनीता है। उम्र 42 की, लेकिन मेरा गोरा, भरा हुआ बदन आज भी गाँव के हर मर्द की आँखों में वासना जगा देता है। मेरी मोटी चूचियाँ ब्लाउज में मुश्किल से समाती हैं, और मेरी गोल, मटकती गांड साड़ी में चलते वक्त लहराती है। लंबे काले बाल मेरी कमर तक लहराते हैं, और मेरी जाँघें इतनी रसीली हैं कि कोई भी उन्हें देखकर अपना लंड सहलाने लगे। मेरे पति पिछले पाँच साल से बीमार हैं, बिस्तर पर पड़े-पड़े साँस लेते हैं, और मेरी चूत की आग बुझाने वाला कोई नहीं था। मेरे जिस्म में एक प्यास थी, जो हर रात मुझे तड़पाती थी। लेकिन मुझे क्या पता था कि ये प्यास मेरा अपना बेटा, राहुल, अपनी हरकतों से बुझाएगा। राहुल 20 साल का जवान लड़का था—लंबा, गठीला, चौड़ा सीना, और एक ऐसा लंड जो किसी जवान लड़की की चूत को फाड़ दे। उसका काला, मोटा लौड़ा पजामे में हमेशा उभरा रहता था, और उसकी आँखों में एक भूख थी जो मुझे डराती भी थी और ललचाती भी।

उस दिन गर्मी की दोपहर थी। सूरज आसमान से आग बरसा रहा था, और गाँव की गलियों में सन्नाटा पसरा था। मैं घर में साड़ी पहनकर झाड़ू लगा रही थी। पसीने से मेरी साड़ी मेरे बदन से चिपक गई थी, और मेरी चूचियाँ ब्लाउज से बाहर निकलने को बेताब थीं। निप्पल साफ दिख रहे थे, और मेरी गांड हर कदम पर हिल रही थी, मानो किसी को ललकार रही हो। तभी राहुल खेत से लौटा। उसकी बनियान पसीने से भीगी थी, और उसका चौड़ा सीना चमक रहा था। पजामे में उसका लंड साफ उभर रहा था, जैसे कोई हथियार तैयार हो। उसने मुझे देखा और उसकी नजर मेरी चूचियों से होते हुए मेरी गांड पर टिक गई। “माँ, आज तो तू किसी रंडी से कम नहीं लग रही,” उसने कहा और मेरे पास आकर मेरी कमर पर हाथ रख दिया। उसका गर्म हाथ मेरे जिस्म में बिजली दौड़ा गया। मैं चौंकी, “राहुल, ये क्या बदतमीजी है, हरामी?” लेकिन उसने मेरी बात को हवा में उड़ा दिया और मेरी गांड पर एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए बोला, “उफ्फ, माँ, क्या मस्त गांड है तेरी। इसे देखकर मेरा लंड तड़प रहा है।”

मेरा दिल धक-धक कर रहा था। मैंने उसे धक्का देना चाहा, “भोसड़ी के, अपनी माँ से ऐसी गंदी बात करता है?” लेकिन सच कहूँ, उसकी वो गंदी छेड़छाड़ मेरी चूत में सनसनी मचा गई थी। उसका हाथ जब मेरी गांड पर पड़ा, तो मेरी बूर में गीलापन छा गया। मैं गुस्से से उसे घूर रही थी, लेकिन मेरे जिस्म ने मुझे धोखा दे दिया। रात को मैं चारपाई पर लेटी थी। गर्मी से नींद नहीं आ रही थी। राहुल की वो बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं—उसकी गंदी नजर, उसका हाथ, और पजामे में उभरा हुआ लंड। मेरी उंगलियाँ खुद-ब-खुद मेरी चूत पर चली गईं। मैंने अपनी बूर को रगड़ा और “उफ्फ्फ… राहुल… क्या कर रहा है तू…” कहते हुए झड़ गई। मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, और मुझे शर्मिंदगी के साथ-साथ एक अजीब सा मज़ा भी आ रहा था।

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अगले दिन राहुल की हरकतें और बढ़ गईं। मैं किचन में चूल्हे पर रोटी बेल रही थी। मेरी साड़ी पसीने से भीगकर मेरे बदन से चिपक रही थी। मेरी चूचियाँ ब्लाउज से बाहर झाँक रही थीं, और मेरी गांड झुकते वक्त और उभर रही थी। राहुल चुपके से पीछे आया और अपनी कमर मेरी गांड से सटा दी। मैंने महसूस किया कि उसका मोटा लंड मेरी गांड की दरार में रगड़ रहा था। मैं चौंककर पलटी, “राहुल, ये क्या गंदी हरकत है, मादरचोद?” उसने मेरी चूचियों को घूरते हुए कहा, “माँ, तुम्हारी ये चूचियाँ और गांड मुझे रातभर तड़पाती हैं। पापा तो कुछ कर नहीं सकते, मैं तुम्हारी चूत की आग बुझा दूँ?” उसकी गंदी बात सुनकर मेरा मुँह खुला रह गया। मैंने चिल्लाकर कहा, “हरामी, अपनी माँ को ऐसी नजर से देखता है?” लेकिन उसने मेरी कमर पकड़ी और मुझे किचन की दीवार से सटा दिया। उसका लंड मेरी जाँघों से टकरा रहा था, और उसकी साँसें मेरे चेहरे पर गर्म लहरें छोड़ रही थीं। “माँ, तुम्हारी चूत कितने सालों से सूखी पड़ी है, मुझे पता है। आज इसे चोदकर गीला कर दूँगा,” उसने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा।

मेरा शरीर काँप रहा था। मैंने उसे दूर करने की कोशिश की, “राहुल… छोड़ दे… ये गलत है…” लेकिन मेरी आवाज में ताकत नहीं थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मेरे जिस्म ने मेरे दिमाग को हरा दिया। राहुल ने मेरी साड़ी को ऊपर उठाया और मेरी मोटी जाँघों को सहलाने लगा। उसकी उंगलियाँ मेरी बूर पर पहुँचीं और उसने मेरी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया। “उफ्फ्फ… राहुल… मत कर… आह्ह्ह…” मैं सिसकारियाँ लेने लगी। उसने मेरी चूत में अपनी दो उंगलियाँ पेल दीं और बोला, “माँ, तेरी चूत तो किसी रंडी की तरह रसीली है। इसे चोदने में कितना मज़ा आएगा।” मैं कराह उठी, “आह्ह्ह… हरामी… दर्द हो रहा है… उफ्फ्फ…” लेकिन उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थीं, और मेरी सिसकारियाँ तेज होती जा रही थीं। उसने मेरा ब्लाउज फाड़ दिया, और मेरी मोटी चूचियाँ बाहर उछल पड़ीं। “ओह्ह्ह… राहुल… क्या कर रहा है… उफ्फ्फ…” मैं चिल्लाई, लेकिन वो मेरी एक चूची को मुँह में भरकर चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर घूम रही थी, और मैं तड़प रही थी। “आह्ह्ह… धीरे चूस… हरामी… मेरी चूचियाँ दुख रही हैं…” मैं कराह रही थी, लेकिन मज़ा भी ले रही थी।

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राहुल ने मुझे किचन के पटरे पर बिठा दिया। उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और मेरी चूत को नंगी आँखों से घूरने लगा। “माँ, तेरी बूर तो कितनी मस्त है। इसे चोदने का मन कर रहा है,” उसने कहा और अपना पजामा नीचे खींच दिया। उसका मोटा, काला लंड बाहर आ गया—लंबा, सख्त, और नसों से भरा हुआ। मैं डर गई, “राहुल… ये बहुत बड़ा है… मेरी चूत फट जाएगी… उफ्फ्फ…” लेकिन उसने हँसते हुए कहा, “माँ, डर मत। ये लंड तेरी चूत का भोसड़ा बना देगा।” उसने अपना लौड़ा मेरी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार झटके में अंदर पेल दिया। “आह्ह्ह्ह… मर गई… निकाल दे… मेरी चूत फट गई… उफ्फ्फ…” मैं दर्द से चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया था। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा, और “थप-थप-थप” की गंदी आवाज किचन में गूँज उठी। “माँ, तेरी चूत तो किसी कुंवारी की तरह टाइट है। लगता है पापा ने कभी ठीक से नहीं चोदा,” उसने गंदी बात करते हुए कहा। मैं कराह रही थी, “आह्ह्ह… राहुल… धीरे… मेरी चूत जल रही है… उफ्फ्फ…” लेकिन धीरे-धीरे दर्द सुख में बदल गया। मैंने उसकी कमर पकड़ ली और चिल्लाई, “चोद दे… अपनी माँ की चूत को फाड़ दे… ओह्ह्ह…”

राहुल ने मुझे पटरे से उतारा और घोड़ी बना दिया। मेरी गांड हवा में थी, और वो मेरी गांड को थप्पड़ मारते हुए बोला, “साली, तेरी गांड तो किसी रंडी से कम नहीं। अब इसे भी चोदूँगा।” उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड उसकी दरार में रगड़ने लगा। मैं डर गई, “नहीं… राहुल… गांड मत मार… फट जाएगी… उफ्फ्फ…” लेकिन उसने मेरी एक न सुनी। उसने अपना मोटा लंड मेरी गांड में धीरे-धीरे सरकाना शुरू किया। “आह्ह्ह्ह… मादरचोद… मर गई… निकाल दे… ओह्ह्ह…” मैं दर्द से चिल्ला रही थी। उसका लंड मेरी गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। दर्द असहनीय था, लेकिन वो रुका नहीं। वो मेरी गांड को चोदने लगा, और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “उफ्फ्फ… राहुल… धीरे… मेरी गांड फट रही है… आह्ह्ह…” धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया, और मैं खुद कहने लगी, “चोद दे… मेरी गांड को भी फाड़ दे… ओह्ह्ह…”

रात को जब पापा सो गए, राहुल मेरे कमरे में चुपके से घुस आया। उसने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मेरी साड़ी को फाड़कर अलग कर दिया। मेरा नंगा बदन उसके सामने था—मेरी मोटी चूचियाँ, गोरी जाँघें, और गीली चूत। “माँ, आज तेरी हर चीज चखूँगा,” उसने कहा और मेरी चूचियों को अपने मुँह में भर लिया। “आह्ह्ह… राहुल… मेरे दूध पी ले… उफ्फ्फ…” मैं सिसकार रही थी। उसने मेरे निप्पल को दाँतों से काटा, और मैं चिल्लाई, “ओह्ह्ह… हरामी… धीरे… मेरी चूचियाँ लाल हो जाएँगी…” वो मेरी चूत को सहलाते हुए बोला, “माँ, तेरी बूर तो रस से भरी है। इसे फिर से चोदूँगा।” उसने मुझे दीवार से सटाया, मेरी एक टाँग अपने कंधे पर रखी और चूत में लंड पेल दिया। “आह्ह्ह… फाड़ दे… मेरी चूत को रगड़ दे… उफ्फ्फ…” मैं चिल्ला रही थी। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं।

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फिर उसने मुझे गोद में उठा लिया और हवा में चोदने लगा। मेरा पूरा वजन उसके हाथों पर था, और उसका लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था। “आह्ह्ह… राहुल… क्या ताकत है तेरे लंड में… ओह्ह्ह…” मैं कराह रही थी। मेरी चूचियाँ उसके सीने से रगड़ रही थीं, और मेरी चूत से रस टपक रहा था। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और बोला, “माँ, अब तेरे मुँह में लंड डालूँगा।” उसने अपना मोटा लौड़ा मेरे मुँह में ठूँस दिया। “उम्म… राहुल… उफ्फ्फ… कितना बड़ा है तेरा लंड… आह्ह्ह…” मैं चूसने लगी। उसने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह को चोदने लगा। मेरा गला भर आया, लेकिन मैं रुक नहीं रही थी। “चूस, माँ… अपनी रंडी बन जा… ओह्ह्ह…” वो गुर्रा रहा था। मैंने उसका लंड चूसा, उसकी गंध मेरे दिमाग में चढ़ रही थी।

आखिर में उसने मुझे फिर से घोड़ी बनाया। उसने मेरी गांड और चूत को बारी-बारी चोदा। “माँ, तेरी गांड और चूत दोनों फाड़ दूँगा,” उसने कहा और जोर-जोर से धक्के मारे। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… चोद दे… मेरे छेद भर दे… उफ्फ्फ…” उसका लंड मेरी गांड में था, और उसकी उंगलियाँ मेरी चूत को रगड़ रही थीं। मैं तड़प रही थी, “ओह्ह्ह… राहुल… मुझे अपनी रंडी बना ले… आह्ह्ह…” आखिर में उसने अपना गर्म रस मेरी चूचियों पर छोड़ दिया। मैं थककर बिस्तर पर गिर पड़ी, मेरी साँसें तेज थीं, और मेरा बदन पसीने से तर था।

राहुल की हरकतों ने मुझे चुदने को मजबूर कर दिया था। हर रात वो मेरे पास आता, मेरी चूत और गांड का भोसड़ा बनाता, और मैं उसकी वासना का शिकार बनती। “माँ, तू मेरी रखैल है अब,” वो कहता, और मैं कराहते हुए जवाब देती, “आह्ह्ह… हाँ… चोद ले अपनी माँ को… उफ्फ्फ…” उसकी हर हरकत मुझे पाप की आग में झोंक रही थी, लेकिन मेरी चूत की प्यास अब उसका लंड ही बुझा सकता था।