मैं अपने पति को नहीं भाई को पसंद करती हूँ

Bhai Bahan : ये है एक जलती हुई कहानी, जहाँ मैंने पति की ठंडी रातों को ठुकराकर भाई के मोटे लंड की आग चुनी। उसने मेरी रसीली चूत को चाटा, मेरी टाइट गांड को चोदा, और चुदाई की ऐसी आँधी मचाई कि बिस्तर थरथरा उठा। डूब जाओ इस सेक्सी और नंगी मस्ती में!

मेरा नाम पूजा है, मैं 26 साल की हूँ। मेरी शादी को दो साल हो गए, लेकिन मेरा पति, राजेश, मुझे वो मज़ा नहीं दे पाता जो मैं चाहती हूँ। वो रात को थककर सो जाता है, और मेरी चूत में आग लगी रहती है। मेरा भाई, रोहन, 24 का है, जवान और हट्टा-कट्टा। उसकी चौड़ी छाती और पैंट में उभरता लंड मुझे हमेशा ललचाता था। एक दिन पति ऑफ़िस गए थे, और रोहन घर आया। मैंने टाइट साड़ी पहनी थी, जिसमें मेरे चूचे और गांड साफ़ दिख रहे थे। “भैया, आप आज बड़े स्मार्ट लग रहे हो,” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा। “और तू, भाभी, अपनी चूत से मुझे पागल कर रही है,” उसने गरम लहजे में जवाब दिया।

मेरा दिल धड़क उठा। “ये क्या बोल रहा है?” मैंने सोचा, लेकिन मेरी चूत गीली हो गई। रोहन मेरे पास आया और मेरी साड़ी का पल्लू खींच लिया। “पति से मज़ा नहीं मिलता क्या?” उसने मेरी कमर पर हाथ फेरते हुए पूछा। “नहीं, मुझे तेरे मोटे लंड की ज़रूरत है,” मैंने होंठ काटते हुए कहा। उसने मुझे बिस्तर पर धकेला और मेरी साड़ी फाड़ दी। मेरी चोली खुल गई, और मेरे चूचे नंगे हो गए। “क्या मस्त चूचे हैं तेरे, इन्हें चूस-चूस कर लाल कर दूँगा,” उसने कहा और एक निप्पल को मुँह में भर लिया। “आह्ह, रोहन, चूसो, मेरी चूत में आग लग रही है!” मैं सिसक उठी।

रोहन ने मेरी सलवार नीचे सरकाई। मेरी चूत चमक रही थी। “तेरी चूत तो रस से भरी है, साली,” उसने कहा और अपनी जीभ मेरी चूत पर फेर दी। “चाट ले मेरी चूत, इसे चूस डाल!” मैं चिल्लाई। उसने मेरी चूत के होंठ चाटे, और मेरा रस उसके मुँह में भर गया। “क्या स्वाद है तेरी चूत का, इसे चोदने का मन कर रहा है,” उसने कहा और अपनी पैंट उतार दी। उसका मोटा लंड बाहर निकला, सख्त और गरम। “ये तो मेरी चूत फाड़ देगा, रोहन, डाल दे इसे अंदर!” मैंने टाँगें चौड़ी करते हुए कहा। उसने मेरा हाथ पकड़ा और लंड को सहलाने को कहा।

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रोहन ने मुझे कुतिया की तरह झुका दिया। मेरी गांड हवा में तन गई। “अब तेरी चूत और गांड दोनों चोदूँगा,” उसने कहा और मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “मारो, मेरी गांड लाल कर दो, फिर अपने लंड से चीर डालो!” मैं चिल्लाई। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई, और जोर से चोद!” मेरी चीखें कमरे में गूँज उठीं। मेरी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। “तेरी चूत तो लंड को निगल रही है, बहन,” रोहन ने कहा और मुझे कुतिया बनाकर पेलने लगा। मेरी चूत से रस टपक रहा था, “और गहरा डाल, मेरी चूत को फाड़ डाल!” मैं चिल्लाई।

रोहन ने मुझे पलटा और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी टाँगें अपनी कमर पर लपेटीं और लंड को मेरी चूत में ठोक दिया। “आह्ह, रोहन, मेरी चूत चीर डाल, और तेज़!” मैं चिल्लाई। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “तेरी चूत तो रस की नदी है, इसे चोद-चोद कर सूखा दूँगा,” उसने कहा और मेरे चूचों को मसलते हुए धक्के मारे। मैंने अपने नाखून उसकी पीठ में गड़ा दिए, “चोद मुझे, मेरी चूत को अपने लंड का गुलाम बना दे!” मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं। कमरे में हमारी चुदाई की गर्मी फैल रही थी। “तेरी चूत की प्यास बुझाऊँगा,” रोहन ने चीखा।

चुदाई का खेल अब और गरम हो गया। रोहन ने मुझे दीवार से सटा दिया। मेरी टाँगें हवा में लटक रही थीं। “अब तेरी गांड की बारी है,” उसने कहा और मेरी गांड के छेद पर लंड रगड़ा। “डाल दे, रोहन, मेरी गांड को चोद-चोद कर ढीली कर दे!” मैं चिल्लाई। उसने अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और जोर से चोद!” मेरी चीखें तेज़ हो गईं। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और गांड रोहन के लंड को चूस रही थी। “तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है, इसे रगड़ डालूँगा!” उसने कहा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।

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रोहन ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे होंठ चूसने लगा। “तेरे होंठ तो शहद हैं, इन्हें काट डालूँगा,” उसने कहा और मेरे होंठों को दाँतों से दबाया। मैंने उसका लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “तो मेरी चूत को भी काट, इसे चोद-चोद कर फाड़ दे!” उसने मुझे फिर से कुतिया बनाया और मेरी चूत में लंड ठोका। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” उसने चीखते हुए कहा। मेरी गांड थप-थप की आवाज़ कर रही थी, और मेरी चूत उसके लंड को निचोड़ रही थी। “चोद मुझे, रोहन, मेरी चूत की आग बुझा दे!” मैं चिल्लाई। उसने तेज़ी से धक्के मारे।

रोहन ने मुझे घुटनों पर बिठाया। “अब तू मेरे लंड को चूस,” उसने कहा और अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके लंड को चाटने लगी। “आह्ह, रोहन, तेरा लंड तो मज़ेदार है, इसे पूरा मुँह में लूँगी,” मैंने कहा और लंड को गले तक ठूँस लिया। उसने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में धक्के मारने लगा। “चूस ले मेरे लंड को, तेरे होंठ इसे निचोड़ डालें!” उसने चीखा। मेरी चूत फिर से गीली हो गई, और मैं अपनी उंगलियाँ उसमें डालकर हिलाने लगी। “तेरे लंड का रस मेरे मुँह में डाल दे,” मैंने फुसफुसाया।

आख़िर में रोहन का लंड फट पड़ा। उसका गरम रस मेरी चूत में भर गया, फिर मेरी गांड में, और बाक़ी मेरे चूचों, होंठों और मुँह में छिड़क गया। “आह्ह, रोहन, तेरा रस मेरे होंठों पर लगा दे,” मैंने कहा और उसके लंड से टपकते रस को चाट लिया। हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़े। “पूजा, तू तो रंडी है,” रोहन ने हँसते हुए कहा। “हाँ, और तेरे लंड की दीवानी,” मैंने जवाब दिया। मेरी चूत अभी भी उसे ललकार रही थी। “पति से बेहतर तू है,” मैंने कहा। “तेरी चूत को बार-बार चोदूँगा,” उसने वादा किया।

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रात ढल गई। पति के आने से पहले रोहन चला गया। मैं बिस्तर पर लेटी सोच रही थी कि पति मुझे कभी संतुष्ट नहीं कर पाया, लेकिन रोहन ने मेरी चूत और गांड की आग बुझा दी। “मैं अपने पति को नहीं, भाई को पसंद करती हूँ,” मैंने मन में सोचा। मेरी चूत फिर से लंड माँग रही थी, और रोहन की आँखों में वही शरारत थी। हमारी चुदाई का सिलसिला अब रुकने वाला नहीं था। कमरे की दीवारें हमारी गर्मी की गवाह बन गई थीं।