भाई बहन सेक्स स्टोरी – गाँव की वो सुलगती गर्मी की रात थी। आसमान में चाँद अपनी पूरी जवानी में चमक रहा था, पर मेरे अंदर की आग उस चाँद की ठंडक को भी भस्म कर रही थी। मैं, रानी, 19 साल की कुँवारी जवान लड़की, अपनी पुरानी चारपाई पर लेटी थी। मेरी पतली सी सलवार-कुर्ती पसीने से भीग चुकी थी। कुर्ती मेरी चूचियों पर चिपक गई थी, और मेरे गुलाबी निप्पल सख्त होकर बाहर उभर रहे थे। मेरी चूचियाँ गोरी, गोल और मस्त थीं, जैसे दो पके हुए आम, जो किसी को भी ललचा दें। पसीने की बूँदें मेरी चूचियों की गहरी दरार में लुढ़क रही थीं, और मेरी सलवार मेरी चूत पर चिपक गई थी। मेरी चूत का उभार साफ़ दिख रहा था, और नीचे से वो इतनी गीली हो चुकी थी कि मेरी जाँघें आपस में फिसल रही थीं। मेरी जाँघें मोटी और रसीली थीं, और मेरी कमर पतली थी, जो मेरी गाँड को और उभार रही थी। मेरे होंठ सूख रहे थे, और मैं अपनी जीभ से उन्हें बार-बार गीला कर रही थी। मेरी चूत में एक अजीब सी खुजली थी, जो मुझे बेकाबू कर रही थी।
पास की चारपाई पर भैया लेटा था। भैया, यानी सोनू, 25 साल का जवान मर्द। चौड़े कंधे, साँवली रंगत, और मज़बूत बाजुओं वाला वो शख्स, जो मेरे चाचा का लड़का था। वो सिर्फ़ एक ढीली लुंगी में लेटा था, और उसका 8 इंच का मोटा, काला लंड लुंगी के नीचे साफ़ उभर रहा था। पसीने से उसकी चौड़ी छाती चमक रही थी, और उसकी हर साँस के साथ उसका लंड हल्का-हल्का हिल रहा था। उसकी टोपी पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं, और वो इतना सख्त था कि मेरी चूत उसे देखकर तड़प उठी। मैं उसकी ओर देख रही थी, और मेरे बदन में करंट दौड़ रहा था। “क्या देख रही हो, रानी?” भैया ने अचानक कहा, उसकी आवाज़ में एक गहरी कामुकता थी।
“क… कुछ नहीं, भैया,” मैंने शरमाते हुए कहा, पर मेरी आँखें उसके लंड से हट नहीं रही थीं। भैया ने मेरी नज़र पकड़ ली। वो उठा और मेरे पास आ गया। उसकी लुंगी हल्की सी खिसक गई, और उसका मोटा लंड पूरा नंगा हो गया। उसका लंड काला, लंबा और मज़बूत था, जैसे कोई हथियार, जो मेरी चूत को फाड़ने के लिए तैयार हो। उसकी नसें उभरी हुई थीं, और टोपी गीली होकर चमक रही थी। “ये देख रही थी ना, साली?” भैया ने हँसते हुए कहा और अपना लंड मेरे सामने हिलाया। मैं शरमा गई, पर मेरी चूचियाँ कुर्ती में उछलने लगीं। मेरे निप्पल सख्त हो गए, और मेरी चूत में आग भड़क उठी।
“भैया, ये क्या कर रहे हो?” मैंने धीरे से कहा, पर मेरी आवाज़ में तड़प साफ़ थी। भैया मेरे और करीब आया। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। “रानी, तेरी चूत की गर्मी मेरे लंड को बुला रही है,” उसने फुसफुसाते हुए कहा और अपना हाथ मेरी चूचियों पर रख दिया। उसने कुर्ती के ऊपर से मेरी चूचियों को जोर से दबाया। मेरे मुँह से “आह्ह…” निकल गया। मेरी चूचियाँ इतनी नरम और मस्त थीं कि भैया की उंगलियाँ उनमें धँस गईं। “साली, क्या माल है तू,” उसने कहा और एक झटके में मेरी कुर्ती फाड़ दी। मेरी नंगी चूचियाँ उसके सामने आ गईं। मेरे निप्पल गुलाबी और सख्त थे, और मेरी चूचियों की गोलाई देखकर भैया की आँखें चमक उठीं।
भैया ने मेरी एक चूची को मुँह में ले लिया। वो मेरे निप्पल को चूसने लगा, और अपनी जीभ से उसे चाटने लगा। “उम्म… भैया… आह्ह…” मैं सिसक रही थी। उसने दूसरी चूची को जोर-जोर से मसलना शुरू किया। मेरी चूचियाँ लाल हो गईं, और मेरे निप्पल इतने सख्त हो गए कि दर्द करने लगे। “रानी, तेरी चूचियाँ तो रसभरी हैं… चूसने में मज़ा आ रहा है,” भैया ने कहा और मेरे निप्पल को दाँतों से हल्का सा काट लिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… भैया… मत रुको…” मेरी चूत गीली होकर मुझे बेकाबू कर रही थी। भैया ने मेरी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ा और उन्हें जोर-जोर से दबाने लगा। मेरी चूचियाँ उसके हाथों में मसल रही थीं, और मेरे मुँह से “आह्ह… ओह्ह… भैया…” की आवाज़ें निकल रही थीं।
भैया ने मेरी सलवार का नाड़ा खोला और उसे नीचे खींच दिया। मेरी चूत नंगी हो गई। मेरी चूत की हल्की-हल्की झाँटें पसीने से चिपक गई थीं, और मेरी चूत की गुलाबी फाँकें गीली होकर चमक रही थीं। मेरी चूत टाइट और कुँवारी थी, और उसकी गंध भैया को पागल कर रही थी। मेरी जाँघें गोरी और मोटी थीं, और मेरी चूत का गीलापन मेरी जाँघों तक बह रहा था। “रानी, तेरी चूत तो मस्त माल है,” भैया ने कहा और अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी। “आह्ह… भैया…” मैं चिल्लाई। उसकी उंगली मेरी चूत के अंदर-बाहर होने लगी, और मेरे मुँह से “उम्म… ओह्ह… भैया… चोदो ना” निकलने लगा। भैया ने दो उंगलियाँ डालीं और मेरी चूत को चोदने लगा। “साली, तेरी चूत कितनी गीली है… लंड माँग रही है,” वो बोला। उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत की गहराई तक डालीं, और मेरी चूत से पानी टपकने लगा।
भैया ने मुझे चारपाई पर लिटाया और मेरी टाँगें चौड़ी कर दीं। मेरी चूत पूरी तरह खुल गई। मेरी जाँघें मोटी और रसीली थीं, और मेरी चूत की फाँकें गीली होकर लाल हो गई थीं। मेरी गाँड गोल और नरम थी, जो चारपाई पर फैल गई थी। भैया ने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। उसकी मोटी टोपी मेरी चूत की फाँकों पर फिसल रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “भैया, डाल दो… मेरी चूत फाड़ दो,” मैंने तड़पते हुए कहा। भैया ने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका 8 इंच का लंड मेरी कुँवारी चूत में पूरा घुस गया। “आह्ह… मर गई… भैया…” मैं चिल्लाई। मेरी चूत से खून निकलने लगा, पर उस दर्द में मज़ा था। भैया ने मेरी चूचियाँ दबाते हुए चुदाई शुरू कर दी। “साली, तेरी चूत टाइट है… लंड को मज़ा आ रहा है,” वो गरजते हुए बोला।
उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। हर धक्के के साथ मेरी गाँड हवा में उछल रही थी। मेरी चूचियाँ आगे-पीछे हिल रही थीं, और मेरे मुँह से “आह्ह… ओह्ह… भैया… चोदो… और जोर से” निकल रहा था। “रानी, तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा,” भैया ने कहा और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। अब उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “भैया, मेरी चूत फाड़ दो… लंड पूरा डालो… आह्ह…” मैं चीख रही थी। भैया की चुदाई इतनी तेज़ थी कि चारपाई कड़कड़ाने लगी। उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और मेरी चूत का पानी मेरी गाँड तक बह रहा था। “साली, तेरी चूत चूस रही है मेरे लंड को,” भैया बोला और मेरी चूचियों पर चपत मारी।
करीब आधे घंटे तक भैया ने मेरी चूत चोदी। मेरी चूत लाल हो गई, और उसका पानी मेरी जाँघों पर बह रहा था। फिर भैया ने मुझे पलटा। मेरी गोल, नरम गाँड उसके सामने थी। मेरी गाँड की दरार में पसीना चमक रहा था, और मेरा छेद टाइट और गुलाबी था। “रानी, तेरी गाँड भी चोदूँगा,” भैया ने कहा और मेरी गाँड पर थूक दिया। उसने अपना लंड मेरी गाँड की छेद पर रखा और एक धक्का मारा। “आह्ह… भैया… फट गई…” मैं रो पड़ी, पर वो रुका नहीं। उसका लंड मेरी गाँड में पूरा घुस गया, और वो मुझे कुत्तिया की तरह चोदने लगा। “साली, तेरी गाँड भी मस्त है… लंड को चूस रही है,” वो बोला और मेरी चूचियाँ पीछे से मसलने लगा।
मेरी गाँड में उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा था, और दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था। “भैया, और जोर से… मेरी गाँड मारो… आह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। भैया ने मेरी गाँड पर चपत मारी और बोला, “रंडी, तेरी गाँड फाड़ दूँगा।” उसकी चुदाई इतनी तेज़ थी कि मेरी गाँड सूज गई। मेरी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं, और भैया उन्हें पीछे से पकड़कर मसल रहा था। “भैया, मेरी चूचियाँ दबाओ… मेरी गाँड चोदो… आह्ह…” मैं पागल हो रही थी। भैया ने मेरी गाँड को चोदते-चोदते मेरी कमर पकड़ ली और मुझे और जोर से पेलने लगा।
फिर भैया ने मुझे फिर से सीधा किया और मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया। “चूस साली, मेरे लंड का रस पी,” उसने कहा। मैं उसके लंड को चूसने लगी। उसका लंड मेरे मुँह में पूरा नहीं समा रहा था, पर मैंने अपनी जीभ से उसकी टोपी को चाटा। “आह्ह… रानी… मस्त चूस रही है,” भैया सिसक रहा था। मैंने उसके लंड को पूरा मुँह में लिया, और मेरी जीभ उसके लंड की नसों पर फिसल रही थी। मेरी चूत से पानी टपक रहा था, और मैं अपने हाथ से अपनी चूत सहला रही थी। “भैया, मेरी चूत में फिर डालो… चोदो मुझे,” मैंने कहा।
भैया ने मुझे फिर लिटाया और मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया। “ले रंडी, तेरी चूत फाड़ता हूँ,” वो चिल्लाया और इतने जोर से चोदा कि मेरी चूत से पानी की पिचकारी छूटने लगी। “भैया, मेरी चूत में झड़ जाओ… आह्ह…” मैं चीख रही थी। भैया का लंड फटा, और उसने अपना गर्म माल मेरी चूत में छोड़ दिया। “आह्ह… रानी… तू मस्त चुदक्कड़ है,” उसने कहा और मेरे होंठ चूसने लगा। उसने मेरे होंठों को काटा, और मेरी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मेरी चूचियाँ उसके सीने से दब रही थीं, और मेरा पूरा बदन पसीने से तर था।
रात भर भैया ने मुझे चोदा। कभी चूत, कभी गाँड, कभी मुँह। सुबह होने तक मेरा बदन थक गया था। मेरी चूचियाँ लाल हो गईं, मेरी गाँड सूज गई, और मेरी चूत से खून और पानी मिलकर बह रहा था। “भैया, कल फिर चोदना,” मैंने शरमाते हुए कहा। उसने मेरी गाँड पर एक चपत मारी और बोला, “साली, तेरी चूत और गाँड मेरा लंड कभी नहीं छोड़ेगा।”
अगली रात का खेल
अगली रात फिर वही गर्मी थी। मैं चारपाई पर लेटी थी, इस बार सिर्फ़ एक पतली सी चादर ओढ़े। मेरी चूचियाँ चादर के नीचे नंगी थीं, और मेरी चूत अभी भी पिछले दिन की चुदाई से गीली थी। भैया आया, इस बार उसने लुंगी भी नहीं पहनी थी। उसका लंड पहले से सख्त था, और वो मेरे पास आते ही बोला, “रानी, आज तेरी चूत और गाँड दोनों फाड़ूँगा।” उसने चादर हटाई और मेरे नंगे बदन को देखकर पागल हो गया। मेरी चूचियाँ गोल और मस्त थीं, मेरी कमर पतली थी, और मेरी गाँड उठी हुई थी।
भैया ने मुझे खड़ा किया और मेरी चूचियाँ चूसने लगा। “साली, तेरी चूचियाँ चूस-चूसकर लाल कर दूँगा,” वो बोला। मैंने उसका लंड पकड़ा और हिलाने लगी। “भैया, इसे मेरी चूत में डालो… चोदो मुझे,” मैंने कहा। भैया ने मुझे दीवार से टिकाया और मेरी एक टाँग उठाकर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। “आह्ह… भैया… और जोर से…” मैं चीख रही थी। वो मुझे दीवार के सहारे चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं।
फिर भैया ने मुझे घुमाया और मेरी गाँड में अपना लंड डाल दिया। “रानी, तेरी गाँड मस्त है… चोदने में मज़ा आ रहा है,” वो बोला। मेरी गाँड में उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा था, और मैं “आह्ह… भैया… फाड़ दो मेरी गाँड…” चिल्ला रही थी। भैया ने मुझे चोदते-चोदते मेरी चूत में उंगली डाल दी। “साली, तेरी चूत और गाँड दोनों लूँगा,” वो बोला। मैं पागल हो रही थी। मेरी चूत और गाँड एक साथ चुद रही थीं, और मेरा पूरा बदन काँप रहा था।
आखिर में भैया ने मुझे चारपाई पर लिटाया और मेरी चूत में फिर से चुदाई शुरू की। “रानी, तेरी चूत का रस पी जाऊँगा,” उसने कहा और मेरी चूत चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत की फाँकों में घूम रही थी, और मैं “आह्ह… भैया… चाटो… चोदो…” चीख रही थी। फिर उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला और इतने जोर से चोदा कि मैं झड़ गई। “भैया, मैं गई…” मैं चिल्लाई, और मेरी चूत से पानी निकलने लगा। भैया भी झड़ा, और उसका माल मेरी चूत में भर गया।