गर्मियों की रात थी। घर में सन्नाटा था। शीला अपने कमरे में अकेली थी, उसका पति शहर से बाहर गया था। उसकी साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया था, और चोली में उसके मोटे चूचे उभर रहे थे। तभी उसका देवर, राकेश, कमरे में दाखिल हुआ। राकेश 25 का था, जवान और हट्टा-कट्टा। उसकी नजर शीला की गहरी नाभि और चूत की उभार पर ठहर गई। “भाभी, आप अकेली क्या कर रही हो?” उसने शरारती लहजे में पूछा। शीला ने मुस्कुराते हुए अपनी साड़ी थोड़ी ऊपर उठाई, “कुछ नहीं, बस गर्मी से परेशान हूँ,” उसने कहा और अपनी चिकनी चूत की झलक दिखाकर उसे ललचा दिया।
राकेश का लंड पैंट में तन गया। “भाभी, ये क्या दिखा रही हो, मेरे लंड में आग लग रही है,” उसने कहा और करीब आ गया। शीला ने अपनी टाँगें चौड़ी कीं, “तो आ जा, इसे चख कर देख,” उसने होंठ चाटते हुए कहा। उसकी चूत चाँदनी में चमक रही थी, और राकेश का दिमाग घूम गया। “तेरी चूत तो माल है, भाभी,” उसने कहा और उसकी साड़ी को पूरा खींच दिया। शीला की चोली फट गई, और उसके रसीले चूचे बाहर लटक पड़े। “चूस ले इन्हें, मेरे राजा,” उसने कहा और अपने चूचों को राकेश के मुँह पर रगड़ा।
राकेश ने एक चूचे को मुँह में भरा और जोर-जोर से चूसने लगा। “आह्ह, देवर जी, मेरे निप्पल चाटो, मेरी चूत गीली हो रही है!” शीला सिसक उठी। उसने राकेश की पैंट खोली और उसका मोटा लंड बाहर निकाल लिया। “क्या मस्त लंड है तेरा, इसे मेरी चूत में ठोक दे,” उसने लंड को मसलते हुए कहा। राकेश ने उसे बिस्तर पर पटका और उसकी चूत पर अपनी जीभ फेर दी। “तेरी चूत तो रस से भरी है, भाभी,” उसने कहा और उसे चूसने लगा। “चाट ले मेरी चूत, इसे चूस-चूस कर लाल कर दे!” शीला चिल्लाई। उसकी गांड हवा में उछलने लगी।
राकेश ने उसे कुतिया की तरह झुका दिया। शीला की मस्त गांड चाँदनी में चमक रही थी। “अब तेरी गांड और चूत दोनों चोदूँगा,” उसने कहा और उसकी गांड पर थप्पड़ मारा। “मारो, मेरी गांड लाल कर दो, फिर अपने लंड से चीर डालो!” शीला चीखी। राकेश ने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई, और जोर से पेल!” शीला की चीखें कमरे में गूँज उठीं। उसकी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। “तेरी चूत तो लंड को निगल रही है,” राकेश ने कहा और उसे कुतिया बनाकर जोर-जोर से चोदने लगा।
शीला ने उसे पलटा और उसके लंड पर चढ़ बैठी। “अब मैं तेरे लंड की सवारी करूँगी,” उसने कहा और अपनी चूत में लंड डालकर उछलने लगी। उसके चूचे हवा में नाच रहे थे। “चोद ले मुझे, मेरे लंड को निचोड़ डाल!” राकेश ने उसके चूचों को मसलते हुए कहा। शीला की चूत राकेश के लंड को चूस रही थी, और उसकी गांड हर उछाल के साथ थप-थप की आवाज कर रही थी। “तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है, और जोर से पेल!” उसने चिल्लाया। राकेश ने नीचे से धक्के मारे, और उसकी चूत की गहराई तक लंड ठोक दिया।
राकेश ने शीला को उठाया और दीवार से सटा दिया। उसकी टाँगें हवा में लटक रही थीं। “अब तेरी चूत को चोद-चोद कर फाड़ दूँगा,” उसने कहा और तेजी से धक्के मारने लगा। “आह्ह, देवर जी, मेरी चूत चीर डाल, और गहरा डाल!” शीला चिल्लाई। उसकी गांड दीवार से टकरा रही थी। “तेरी चूत तो रस की नदी है, इसे सूखा दूँगा,” राकesh ने कहा और उसके चूचों को मसलते हुए चोदता रहा। शीला ने अपने नाखून राकेश की पीठ में गड़ा दिए, “चोद मुझे, मेरी चूत को अपने लंड की गुलाम बना दे!” उसकी चीखें सिसकियों में बदल गईं।
चुदाई का नशा अब चरम पर था। राकेश ने शीला की गांड को हवा में उठाया। “तेरी गांड की भी बारी है,” उसने कहा और उसकी गांड के छेद पर लंड रगड़ा। “डाल दे, मेरी गांड को चोद-चोद कर ढीली कर दे!” शीला चिल्लाई। राकेश ने अपना लंड उसकी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और जोर से चोद!” शीला की चीखें तेज हो गईं। उसकी चूत से रस टपक रहा था, और गांड राकेश के लंड को निगल रही थी। “तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है, इसे रगड़ डालूँगा!” उसने कहा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।
राकेश ने शीला के होंठों को चूसना शुरू किया। “तेरे होंठ तो आग हैं, इन्हें काट डालूँगा,” उसने कहा और उसके होंठों को दाँतों से दबाया। शीला ने उसका लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “तो मेरी चूत को भी काट, इसे चोद-चोद कर फाड़ दे!” राकेश ने उसे फिर से कुतिया बनाया और उसकी चूत में लंड ठोका। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” उसने चीखते हुए कहा। शीला की गांड थप-थप की आवाज कर रही थी, और उसकी चूत राकेश के लंड को चूस रही थी।
आखिर में राकेश का लंड फट पड़ा। उसका गरम रस शीला की चूत में भर गया, और बाकी उसके चूचों, होंठों और गांड पर छिड़क गया। “आह्ह, देवर जी, तेरा रस मेरे होंठों पर लगा दे,” शीला ने कहा और राकेश के लंड से टपकते रस को चाट लिया। दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़े। “भाभी, तू तो लंड की भूखी शेरनी है,” राकेश ने हँसते हुए कहा। “हाँ, और तेरा लंड मेरी चूत का शिकारी,” शीला ने जवाब दिया। उसकी चूत अभी भी राकेश को ललकार रही थी।
रात गहरा गई थी। शीला और राकेश एक-दूसरे से लिपटे रहे। “देवर जी, अगली बार मेरी चूत को और जोर से चोदना,” शीला ने शरारती अंदाज में कहा। राकेश ने उसकी गांड पर थप्पड़ मारा, “तेरी चूत और गांड को बार-बार चोदूँगा, भाभी,” उसने वादा किया। कमरे की दीवारें उनकी गरम चुदाई की गवाह बन गईं। शीला की चूत ने राकेश को ललचाया था, और अब उसका लंड उसकी चूत का गुलाम बन चुका था।