मेरा नाम शिवानी है, मैं कल्याण में रहती हु, मैं 40 साल की हु, मैंने अपनी बेटी की शादी इसी साल अप्रैल में की हु, मेरी बेटी और दामाद दोनों क़तर में रहते है, आज जो मैं कहानी सूना रही हु, वो मेरी चुदाई का का है, वो भी दामाद के द्वारा दिवाली के दिन, जगमगाती रौशनी और रंगोली के बिच मैं अपने आप को बचा नहीं पाई और अपने आप को सौप दी अपने दामाद को, पहले तो ना ना करती रही पर, वासना की दरिया में बह गई और अपने आप को रोक नहीं पाई और चुदाई में गोता लगाने लगी. आज मैं आपको ये अपनी पूरी कहानी आपके सामने पेश कर रही हु,
मैं अकेली रहती हु, पति हरामी थी वो छोड़कर चला गया मुझे, क्यों की पहले भी मैं किसी और से चुदाई करते पकड़ी गई थी इसलिए उसने मुझे छोड़ दिया. बेटी भी अपने साथ काम करने बाले एक लड़के के साथ भाग गई थी और उसको बच्चा रह गया था इसलिए उसकी भी शादी उसी से कर दी. पर अकेली ज़िन्दगी में क्या करती, मैं एक टेलीकॉम कंपनी में काम कर रही हु, और बेटी दामाद जैसा की आपको पता है बाहर रहते है, दामाद मेरा दिवाली पर किसी ऑफिस काम से आया था, मेरा दामाद दिवाली के दिन करीब २ बजे आये, मुझे बहूत अच्छा लगा की चलो दिवाली अकेले से भला दामाद के साथ ही मना लूँ, शाम का टाइम थे पूजा पाठ हुआ, मैं रंगोली बना रही थी, उसमे राकेश रंग भर रहा था, मैं मसगुल थी रंग भरने में, मैं लाल सूट पहनी थी. गला ज्यादा था इस वजह से मेरी गोरी गोरी चूचियां बाहर झांक रही थी. तभी मेरी नजर राकेश पे पड़ी, वो मेरी चूचियों को निहार रहा था. मुझे तो पहले लगा को देखने दू, पर लगा की दामाद है, मैं सोफे पे पड़ी दुपट्टा को लेने लगी. तो राकेश बोला माँ जी उससे मत लो ऐसे ही अछि लग रही हो.
मैंने मुस्कुरा कर दुपटा वही छोड़ दी. अब वो मेरी चूचियों को निहार रहा था उसकी आँखों में हवस था. वो उठ कर गया कमरे में अपने बैग से एक शराब का बोतल निकाला और रसोई में से २ ग्लास में पेग बना लिया. और मेरे सामने आकर खड़ा हो गया, मैंने कहा राकेश ये क्या है. तो राकेश बोला की मुझे पता है आप पीती हो. काजल मुझे सब कुछ बता दी है, और आप देखो मैंने आपके पसंद का ही लाया है. मैंने कहा ठीक है टाइम होने दो. राकेश कहने लगा टाइम तो हो गया है आज चाहता हु की शाम रंगीन हो जाये. मैंने ग्लास उसके हाथो से लेते हुए चियर्स बोला दोनों और पि गए. एक दो तीन पेग पीते ही नशे में आ गए, पूरा घर रौशनी से जगमगा रहा था, पटाखे बाहर फुट रहे थे. अचानक राकेश मुझे गले लगा लिया, बोला हैप्पी दिवाली मोम, मैंने कहा हैप्पी दिवाली राकेश, और राकेश मेरे पीठ को सहलाने लगा मैं भी उसके पीठ को सहलाने लगी. मेरी चूचियां उसके छाती को गरम कर रही थी. मेरे होठ कब राकेश के होठ में सट गए और एक दूसरे को चूमने लगे पता ही नहीं चला. राकेश बोला मोम आपका होठ तो काजल से भी ज्यादा जूसी है. मैंने कहा चल चुप हो जा, और फिर मुझे शर्म आ गई और मैंने पीछे मुड़ गई.
राकेश मुझे पीछे से अपनी बाहो में भर लिया और अपना लंड मेरे गांड में रगड़ने लगा. आगे से वो मेरी दोनों चूचियों को मसलने लगा. मैं मजे लेने लगी. मेरी चूत में सुरसुरी होने लगी. मुझे राकेश का लंड अपने चूत में लेने का मन करने लगा. मैं भी अपनी गांड राकेश के लंड में रगड़ने लगी. मुझे लगा की ये गलत है मैं अपनी बेटी की ज़िन्दगी को बर्बाद नहीं कर सकती कही उसको पता चल गया तो क्या होगा. क्या कहेगी? मेरी माँ कितनी हरामी और रंडी है. अपने दामाद को भी नहीं छोड़ी, और मैं झटक कर अलग हो गई. मैंने कहा ना राकेश ना मैं ये नहीं कर सकती, माफ़ करना और मैं दौड़कर कमरे में चली गई और अंदर से दरवाजा बंद कर ली.
मैं काफी नशे में थी. राकेश दरवाजा खटखटा रहा था कह रहा था, माँ जी आप डरो मत, काजल को पता नहीं चलेगा. मुझे पता है की आपको भी मन कर रहा है मन को मत मारो. आज जाओ आज रात एक हो जाते है. ऐसा मौका कभी नहीं मिलेगा. आज जाओ खोल दो दरवाजा, मैंने अंदर से कह रही थी नहीं राकेश ये गलत है. मैं काजल को धोखा नहीं दे सकती, राकेश कह रहा था माँ आप चिंता नहीं करो कभी पता नहीं चलेगा. मैं आज रह नहीं पाउँगा आपके बिना. मैं जब से आपको देखा मुझे आपको चोदने का मन करने लग्गा है, दोस्तों मेरे चूत में भी आग लगी हुई थी. इतने दिन बाद किसी मर्द का हाथ मेरी चूचियों को छुआ था. मैंने भी चुदना चाह रही थी, पर एक तरफ से लग रहा था की वो मेरा दामाद है मैं ऐसा नहीं कर सकती.
राकेश मुझे कसम दे दिया की माँ जी अगर आप बहार नहीं आओगी तो मेरा मरा हुआ मुह देखोगी, दोस्तों ये कसम सुनकर मैं तुरंत ही दरवाजा खोल दी और राकेश में लिपट गई. राकेश मेरा होठ फिर से चूसने लगा और मैं भी उसकी गुलाम हो गई वो जैसा चाह रहा था मैं वैसा ही कर रही थी. वो मुझे उठा कर बैडरूम में ले गया, और वो अपना कुरता पजामा खोल दिया, मेरी चूचियों से सूट के ऊपर से ही खेलने लगा और सलवार के ऊपर से ही वो मेरी चूत को सहलाने लगा. मैं पागल सी होने लगी, मेरे शरीर में करंट की दौड़ने लगी. मैंने अपना नाडा खोल दिया, उसने मेरा सलवार बाहर खीच दिया. मैंने पेंटी में थी. मैंने खुद बैठ कर कमीज निकाल दी, राकेश मेरा ब्रा का हुक जैसे ही पीछे से खोला मेरी दोनों बड़ी बड़ी सुडौल गोरी चूचियां बाहर आ गई, वो मेरी चूचियों पे झपट उठा, पहले वो करीब १० मिनट तक चूसा और फिर मेरी पेंटी उतार दी.
निचे होकर वो मेरी चूत में ऊँगली करने लगा. मैंने कहा नहीं राकेश नाख़ून लग जायेगा. उसने तुरंत ही मेरी चूत को चाटने लगा, मेरी चूत काफी गीली हो चुकी थी. वो मेरी चूत का नमकीन पानी को चाट रहा था. मेरी चूत पानी छोडती और वो पि जाता, मेरा रोम रोम सिहरने लगा था. मेरे तन बदन में आग लग रही थी. मेरी चूत काफी गीली हुए जा रही थी, मैंने राकेश को ऊपर की और टाँगे फैला दी. वो अपना लंड निकाल कर मेरे चूत के मुह पर रखा और चूत के लव को खोला, ऊपर के मुंही को वो ऊँगली से रगड़ने लगा. मैं पागल होने लगी. मेरे मुह से आह आह आह आह की आवाज अपने आप ही निकलने लगी. मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया, उसने मेरी चूत में अपना मोटा लंड जो की करीब ९ इंच का था वो घुसेड़ दिया.
मेरी आह निकल गई. और फिर वो धक्के देने लगा और मैं भी निचे से धक्के पे धक्का देने लगी. वो मेरी चूचियों को मसलते हुए मेरी चूत में लंड पेले जा रहा था. दोनों के मुह से शराब की बू आ रही थी, मैं काफी चुदास से भर गई थी. उसने फिर पोजीशन चेंज किया और मुझे घोड़ी बना दिया. वो जब पीछे से जब मेरे चूत में लंड डालने लगा और मेरी चूतड़ पर थप्पड़ मारने लगा. मुझे और भी जोश आने लगा. उसके बाद तो मेरे मुह से सिर्फ है है है हाय हाय उफ़ उफ़ आह आह ऑच की आवाज आने लगी. पुरे कमरे के छाप छाप की आवाज और बाहर से पटाखे के आवाज आ रही थी. मैंने चुद रही थी. आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है.
दोस्तों करीब पचास मिनट तक चोदने के बाद राकेश झड़ गया, उसका सारा वीर्य मेरे चूत में समा गया,, पर मुझे अभी और चुद्वानी थी. मैंने कहा राकेश अभी तो मुझे और चाहिए, उसने कहा अभी आता हु माँ जी. वो तुरंत बाहर गया वही १० मिनट पर मेडिकल शॉप था वह से वो वियाग्रा की गोली लेके आया, और खाना भी बाहर से लेके आया, मैंने तब तक नंगी ही बेडशीट ओढ़े थी. वो आते ही अपने सारे कपडे फिर उतार दिए. हम दोनों नंगे होके ही खाना खाये, और तब तक राकेश बिना वियाग्रा के ही तैयार हो गया और फिर से चोदने लगा. करीब एक घंटे के बाद उसने वियाग्रा खाया और फिर मुझे तो जोर जोर से चोद चोद कर मेरा चूत का भुर्ता बना दिया.
दोस्तों रात भर में राकेश के लंड का मजा लेते रही, मैं इस बार की दिवाली को नहीं भूल सकती. मुझे ऐसी चुदाई ज़िन्दगी में कभी नहीं मिली, मैं बहूत खुश हु, अब राकेश मेरे पास नहीं है. पर कल ही फ़ोन आया थे की माँ जी आप अब मेरे साथ ही रहोगी, मैंने आपके विज का एप्लीकेशन डाल दिया है. दोस्तों आप तो समझ ही गए होंगे की आखिर वो मुझे क्यों बुला रहा है. पर मैं सोच सोच कर पागल हो रही हु, बेटी को धोखा कैसे दूंगी. खैर जो भी होगा देखा जायेगा. सेक्स के आगे किसी का बस और रिश्ता नहीं चलता है. सेक्स मजे के लिए है और मैं मजे करुँगी.
आपकी दोस्त शिवानी
कल्याण (मुम्बई)