मेरा नाम शीला है। 45 साल की हूँ, लेकिन मेरा जिस्म अभी भी जवान लड़कियों को मात देता है। गोरा रंग, मोटी चूचियाँ जो ब्लाउज़ में कसकर उभरती हैं, और भारी गांड जो साड़ी में हिलते वक्त किसी का भी लंड खड़ा कर दे। मेरा पति पिछले 5 साल से बीमार है, बिस्तर पर पड़ा रहता है। मेरी चूत की आग बुझाने वाला कोई नहीं था। फिर मेरी बेटी रानी की शादी हुई, और दामाद राजेश हमारे घर में रहने लगा। राजेश 28 का जवान मर्द था—लंबा, चौड़ी छाती, और उसकी पैंट में उभरता लंड देखकर मेरी चूत गीली हो जाती थी।
शुरुआत में मैंने अपने मन को काबू किया। आखिर वो मेरा दामाद था। लेकिन उसकी नजरें मेरे जिस्म पर टिकती थीं। जब मैं झाड़ू लगाती, तो मेरी चूचियाँ साड़ी से बाहर झाँकतीं, और राजेश छुपकर देखता। एक दिन मैं नहाकर बाहर आई, सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज़ में थी। मेरी मोटी गांड और गीली चूचियाँ साफ दिख रही थीं। राजेश रसोई में था, और उसका लंड पैंट में उछल रहा था। मैंने शरमाते हुए कहा, “क्या देख रहे हो, राजेश?” उसने मुस्कुराकर जवाब दिया, “सासू माँ, आपकी चूत और गांड का माल, जो चोदने लायक है।”
उस दिन से मेरी चूत में खुजली बढ़ गई। रात को मैं अपनी चूचियाँ दबाती, चूत में उंगली डालती, लेकिन दामाद का लंड मेरे ख्यालों से निकलता ही नहीं। एक रात मेरे पति को नींद की गोली देकर सुला दिया। रानी अपने कमरे में सो रही थी। मैंने जानबूझकर टाइट साड़ी पहनी, जिसमें मेरी चूचियाँ और गांड उभर रही थीं। राजेश हॉल में टीवी देख रहा था। मैं उसके पास गई और बोली, “राजेश, मुझे नींद नहीं आ रही।” उसने मेरी चूचियाँ घूरीं और कहा, “सासू माँ, आपकी चूत को लंड चाहिए, मैं दे दूँ?”
उसकी बात सुनकर मेरी चूत टपकने लगी। मैंने शरमाते हुए कहा, “ये गलत है, राजेश…” लेकिन मेरी गांड खुद-ब-खुद उसकी ओर बढ़ रही थी। उसने मुझे अपनी गोद में खींच लिया। उसका मोटा लंड मेरी गांड से टकराया, और मेरी सिसकारी निकल गई। उसने मेरी साड़ी का पल्लू खींचा, और मेरे मोटे चूचे ब्लाउज़ में कसकर उभर आए। उसने ब्लाउज़ फाड़ दिया, और मेरी नंगी चूचियाँ बाहर उछल पड़ीं। “सासू माँ, क्या माल चूचे हैं आपके!” कहकर उसने मेरे निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा।
मेरी चूत से पानी बहने लगा। मैं सिसक रही थी, “राजेश… आह… चूस ले मेरी चूचियाँ!” उसने मेरे निप्पल को दाँतों से काटा, और मैं चिल्ला उठी। उसने मेरी साड़ी ऊपर उठाई, और मेरा पेटीकोट फटकार फेंक दिया। मेरी चूत नंगी थी, गीली और गुलाबी। राजेश ने अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरी, और मैं चीख पड़ी, “आह… दामाद, चाट ले मेरी चूत!” उसने मेरी चूत को चूस-चूसकर लाल कर दिया, और मेरी गांड उछलने लगी।
मैं अब बेकाबू हो चुकी थी। मैंने राजेश की पैंट खींची, और उसका 9 इंच का मोटा लंड बाहर लहराने लगा। मैंने उसे मुँह में लिया, और उसका लंड मेरे गले तक गया। “सासू माँ, आप तो लंड चूसने की रानी हैं!” राजेश सिसक रहा था। मैंने उसका लंड चाटा, उसका माल चखा, और मेरी चूत और भूखी हो गई। उसने मुझे सोफे पर पटका, और मेरी जाँघें चौड़ी कर दीं। उसका लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा, और मैं चिल्लाई, “डाल दे, राजेश… चोद दे अपनी सास की चूत!”
राजेश ने एक झटके में अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया। मेरी चूत फट गई, और मैं चीख पड़ी, “आह… मर गई… दामाद, तेरा लंड तो जान लेगा!” उसने रुकने का नाम नहीं लिया। उसका लंड मेरी चूत को रगड़ता रहा, और फच-फच की आवाज़ हॉल में गूँजने लगी। उसने मेरी चूचियाँ दबाईं, मेरे निप्पल को मसला, और मेरी गांड को थप्पड़ मारे। मैं सिसक रही थी, “चोद डाल… मेरी चूत फाड़ दे, राजेश!”
उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी मोटी गांड ऊपर थी, और मेरी चूत टपक रही थी। राजेश ने पीछे से अपना लंड मेरी चूत में ठूंस दिया। उसका हर धक्का मेरी चूत को चीर रहा था। मैं चिल्लाई, “आह… दामाद, तेरे लंड ने मेरी चूत सुजा दी!” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मेरी चूचियाँ हिलने लगीं। उसका लंड इतना गहरा गया कि मैं झड़ गई, लेकिन वो रुका नहीं। उसने मेरी चूत को चोद-चोदकर रगड़ दिया।
रात गहराती गई, और हमारी चुदाई का तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा था। राजेश ने मुझे टेबल पर लिटाया। मेरी टाँगें ऊपर उठाईं, और मेरी चूत को फिर से चोदा। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह… राजेश, मेरी चूत का भोसड़ा बना दे!” उसने मेरे होंठों को चूसा, मेरी जीभ को चाटा, और मेरी चूचियाँ मसलीं। मेरी गांड टेबल पर रगड़ रही थी, और उसकी चुदाई से मेरा जिस्म थरथरा रहा था।
उसने मुझे बिस्तर पर ले जाकर पटका। मेरी गांड ऊपर की, और उसने मेरी चूत में उंगली डाल दी। “सासू माँ, आपकी गांड भी चोदूँ?” उसने पूछा। मैं सिसक रही थी, “चोद दे… मेरी गांड भी फाड़ दे!” उसने अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ा, और फिर चूत में पेल दिया। उसका लंड मेरी चूत को चोदता रहा, और मैं बार-बार झड़ती रही। उसने मेरे चूचों को चूसा, मेरी गांड को दबाया, और मेरी चूत को रगड़-रगड़कर लाल कर दिया।
चुदाई का खेल रात भर चला। राजेश ने मुझे छत पर ले जाकर चोदा। उसने मेरी चूत में लंड पेला, और मेरी चीखें हवा में गूँजती रहीं। मैंने उसके लंड को चूसा, उसका माल अपने मुँह में लिया, और मेरी चूत फिर से गीली हो गई। उसने मुझे शावर के नीचे चोदा, मेरी चूचियाँ पानी से चमक रही थीं। मैं चिल्लाई, “राजेश, तू मेरी चूत का मालिक है!” उसका लंड मेरी चूत में बार-बार अंदर-बाहर हुआ, और हम दोनों पसीने और चुदाई की गर्मी से तर हो गए।
सुबह होने को आई, और मैं राजेश की बाहों में नंगी पड़ी थी। मेरी चूत सूज गई थी, मेरी गांड लाल थी, और मेरे चूचे उसके दबाने से नीले पड़ गए थे। उसने मेरी चूत सहलाई और कहा, “सासू माँ, आपकी चूत चोदने का मज़ा गज़ब है।” मैंने उसके लंड को दबाया और बोली, “और तेरा लंड मेरी चूत का नशा।” हम दोनों जानते थे कि ये चुदाई गलत थी, लेकिन मेरी चूत और उसके लंड की भूख रुकने वाली नहीं थी।
अगले दिन मैंने जानबूझकर टाइट नाइटी पहनी, जिसमें मेरी चूचियाँ और गांड उभर रही थीं। राजेश का लंड फिर तन गया। उसने मुझे किचन में पकड़ा, और मेरी चूत में लंड डाल दिया। मैं सिसक रही थी, “राजेश… फिर चोदेगा?” उसने मेरी गांड को थप्पड़ मारा और बोला, “सासू माँ, तेरी चूत को रोज चोदूँगा।” उसने मुझे टेबल पर झुकाया, और मेरी चूत को चोद-चोदकर रगड़ दिया। मेरी चीखें रसोई में गूँज रही थीं।
जब मेरे पति और रानी जागे, हमने अपनी चुदाई छिपा ली। लेकिन रात को जब सब सो जाते, राजेश मेरे कमरे में आता। उसका लंड मेरी चूत में जाता, और मेरी चूचियाँ उसके मुँह में। हमारी चुदाई का सिलसिला चलता रहा। एक बार उसने मुझे बाथरूम में चोदा, मेरी गांड को शावर के नीचे रगड़ा। मैं चिल्लाई, “दामाद, मेरी चूत और गांड तेरे लंड की गुलाम हैं!” उसने मेरी चूत में माल छोड़ा, और मैं झड़ गई।
ये चुदाई की रातें मेरी जिंदगी का नशा बन गईं। राजेश का लंड मेरी चूत का राजा था, और मेरी गांड उसकी गुलाम। हमारी चुदाई की कहानी एक ऐसी आग थी, जो न बुझती थी, न ठंडी पड़ती थी। हर रात मैं अपने दामाद से चुदती, और मेरी चूत उसकी चुदाई के बिना अधूरी थी।