Delhi Padosan Bhabhi Sex Story – दिल्ली की वो तंग गलियाँ थीं, जहाँ मकान एक-दूसरे से सटे हुए थे। मैं, राहुल, 27 साल का जवान लड़का, एक किराए के फ्लैट में रहता था। मेरी नौकरी दिल्ली में ही थी, और मैं अकेला रहता था। मेरा 8 इंच का मोटा, काला लंड हमेशा किसी चूत की तलाश में रहता था। उसकी टोपी गीली होकर चमकती थी, और उसकी नसें उभरी हुई थीं, जैसे कोई हथियार जो चूत को फाड़ने के लिए तैयार हो। ऑफिस से लौटने के बाद मेरी शामें अक्सर बोरिंग होती थीं, लेकिन फिर मेरी नज़र पड़ोसन भाभी पर पड़ी।
भाभी का नाम नेहा था। वो 30 साल की थी, गोरी, भरे हुए जिस्म वाली औरत। उसकी चूचियाँ बड़ी, गोल और रसीली थीं, जैसे दो पके संतरे, जो उसकी टाइट कुर्ती में हमेशा उभरे रहते थे। उसके निप्पल कुर्ती के ऊपर से हल्के-हल्के दिखते थे, जैसे दो सख्त गुलाबी मोती जो बाहर निकलने को तड़प रहे हों। उसकी कमर पतली थी, और उसकी गाँड मोटी, नरम और गोल थी, जो चलते वक्त लचकती थी। उसकी जाँघें मोटी और चिकनी थीं, जैसे मक्खन की ढेरी, और उसकी चूत की गर्मी उसकी हर हरकत से झलकती थी। उसका पति, जो एक ट्रक ड्राइवर था, अक्सर बाहर रहता था। भाभी अकेली रहती थी, और उसकी आँखों में एक भूख थी, जो मुझे मेरे लंड की तरफ खींच रही थी।
एक दिन की बात है। दिल्ली में जुलाई की गर्मी थी, और बिजली चली गई थी। मैं अपने फ्लैट की बालकनी में खड़ा था। पसीने से मेरी टी-शर्ट भीग चुकी थी, और मेरा लंड पजामे में सख्त होकर उभर रहा था। तभी नेहा भाभी अपनी बालकनी में आई। वो पतली सी नाइटी में थी, और उसका पसीना उसकी चूचियों पर चिपक गया था। उसकी चूचियाँ नाइटी में से साफ दिख रही थीं, और पसीने की बूँदें उसकी गहरी दरार में लुढ़क रही थीं। “राहुल, गर्मी बहुत है ना?” उसने कहा और मेरी ओर देखकर मुस्कुराई। उसकी नज़र मेरे लंड के उभार पर ठहर गई।
“हाँ भाभी, बदन जल रहा है,” मैंने कहा और उसकी चूचियों को घूरने लगा। उनकी गोलाई और निप्पलों का उभार मुझे पागल कर रहा था। “पानी पिएगा?” उसने पूछा और अपने फ्लैट की ओर इशारा किया। “हाँ भाभी, क्यों नहीं,” मैंने कहा और उसके पीछे चल दिया। उसके फ्लैट में अंधेरा था, और गर्मी से उसका पूरा बदन पसीने से तर था। उसने मुझे पानी का गिलास दिया, और गिलास लेते वक्त उसकी उंगलियाँ मेरे हाथ से टकराईं। मेरे लंड में करंट दौड़ गया। “भाभी, आप भी तो पसीने से तर हैं,” मैंने कहा और उसके चेहरे पर बहते पसीने को अपने हाथ से पोंछ दिया। मेरा हाथ उसके गाल से फिसलकर उसके गले तक गया, और उसकी चिकनी त्वचा की गर्मी ने मेरे लंड को और सख्त कर दिया। “राहुल, गर्मी तो अंदर से भी लग रही है,” उसने धीरे से कहा और अपनी नाइटी का गला थोड़ा नीचे खींच दिया। उसकी चूचियाँ अब नाइटी में से बाहर झाँक रही थीं, और उसके निप्पल साफ उभर रहे थे।
मैं समझ गया कि भाभी की चूत में आग लगी है। मैंने उसकी पतली कमर पकड़ी और उसे अपनी ओर खींच लिया। उसका नरम जिस्म मेरे सीने से टकराया, और उसकी चूचियाँ मेरे हाथों के नीचे दब गईं। “भाभी, ये गर्मी मैं बुझा दूँ?” मैंने फुसफुसाते हुए कहा और उसकी चूचियों पर हाथ रख दिया। उसने कुछ नहीं कहा, बस उसकी साँसें तेज़ हो गईं। मैंने उसकी नाइटी ऊपर उठाई, और उसकी चूचियाँ नंगी हो गईं। वो गोरी, गोल और मस्त थीं, जैसे दो दूध की थैलियाँ जो मेरे सामने लटक रही हों। उसके निप्पल गुलाबी और सख्त थे, और उनकी गोलाई देखकर मेरा लंड पजामे में फटने को तैयार था। “भाभी, आपकी चूचियाँ तो माल हैं,” मैंने कहा और एक चूची को मुँह में ले लिया। मैं उसके निप्पल को चूसने लगा, अपनी जीभ से उसे चाटने लगा, और दूसरी चूची को जोर-जोर से मसलने लगा। “आह्ह… राहुल… धीरे… आह्ह…” वो सिसक रही थी। उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में मसल रही थीं, और उसका निप्पल मेरे मुँह में सख्त होकर और बड़ा हो गया। मैंने उसे हल्का सा काटा, और वो चीख पड़ी, “आह्ह… राहुल… मज़ा आ रहा है।”
मैंने उसकी नाइटी पूरी उतार दी। वो मेरे सामने नंगी थी। उसकी चूत की हल्की झाँटें पसीने से चिपक गई थीं, और उसकी गुलाबी फाँकें गीली होकर चमक रही थीं। उसकी चूत गर्म, टाइट और मस्त थी, जैसे कोई भट्टी जो मेरे लंड को बुला रही हो। उसकी गंध मेरे नाक में घुस रही थी, और मेरी चूत में सनसनाहट होने लगी। “भाभी, आपकी चूत तो आग उगल रही है,” मैंने कहा और अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी। “आह्ह… राहुल…” वो चीख पड़ी। उसकी चूत टाइट और गीली थी, और मेरी उंगली को अंदर खींच रही थी। मैंने दो उंगलियाँ डालीं और उसकी चूत को चोदने लगा। उसकी चूत से पानी टपक रहा था, और वो सिसक रही थी, “राहुल, चोदो ना… मेरी चूत तड़प रही है… लंड डाल दो।”
मैंने अपना पजामा उतारा। मेरा 8 इंच का लंड सख्त, मोटा और काला था। उसकी टोपी गीली होकर चमक रही थी, और उसकी नसें उभरी हुई थीं। मैंने उसे हल्का सा हिलाया, और नेहा की आँखें मेरे लंड पर ठहर गईं। “राहुल, तेरा लंड तो मस्त है,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने नेहा को सोफे पर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कर दीं। उसकी चूत पूरी तरह खुल गई। उसकी जाँघें मोटी और गोरी थीं, और उसकी गाँड नरम और गोल थी, जो सोफे पर फैल गई थी। उसकी चूत की फाँकें गीली और लाल थीं, और उसका पानी उसकी जाँघों तक बह रहा था। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा। उसकी गर्मी मेरे लंड को छू रही थी, और मैं पागल हो रहा था। “भाभी, ले लो मेरा लंड,” मैंने कहा और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। “आह्ह… राहुल… मर गई… आह्ह…” वो चिल्लाई। उसकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड उसे चीर रहा था।
मैंने उसकी चूचियाँ दबाते हुए चुदाई शुरू कर दी। “भाभी, आपकी चूत कितनी गर्म है… लंड जल रहा है,” मैं बोला। मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ उसकी गाँड हवा में उछल रही थी। उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में मसल रही थीं, और उसके मुँह से “आह्ह… ओह्ह… राहुल… चोदो… और जोर से… आह्ह…” निकल रहा था। “भाभी, तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा,” मैंने कहा और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। अब मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जा रहा था, और उसकी चूत मेरे लंड को चूस रही थी। “राहुल, मेरी चूत फाड़ दो… लंड पूरा डालो… आह्ह…” वो चीख रही थी। उसकी चूत गीली होकर लाल हो गई थी, और उसका पानी मेरे लंड पर चिपक रहा था। मैंने उसकी चूचियों पर चपत मारी, और वो और सिसक उठी। “राहुल, मेरी चूचियाँ चूसो… चोदो मुझे… आह्ह…” वो बोली। मैंने उसकी एक चूची मुँह में ली और चूसने लगा, और दूसरी को मसलता रहा। उसकी चूचियाँ लाल हो गईं, और उसके निप्पल मेरे मुँह में सख्त हो गए।
करीब आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत चोदी। उसकी चूत से पानी की पिचकारी छूट रही थी, और उसकी साँसें तेज़ थीं। फिर मैंने उसे पलटा। उसकी गाँड मेरे सामने थी। उसकी गाँड की दरार में पसीना चमक रहा था, और उसका छेद टाइट और गुलाबी था। उसकी गाँड गोल और नरम थी, जैसे दो तकिए जो मेरे लंड को बुला रहे हों। “भाभी, तेरी गाँड भी चोदूँगा,” मैंने कहा और उसकी गाँड पर थूक दिया। मैंने अपनी उंगली उसकी गाँड में डाली, और वो सिसक उठी, “आह्ह… राहुल… धीरे…” मैंने अपना लंड उसकी गाँड की छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… राहुल… फट गई… आह्ह…” वो रो पड़ी, लेकिन मैं रुका नहीं। मेरा लंड उसकी गाँड में पूरा घुस गया, और मैं उसे कुत्तिया की तरह चोदने लगा। “भाभी, तेरी गाँड मस्त है… लंड को मज़ा आ रहा है,” मैं बोला और उसकी चूचियाँ पीछे से मसलने लगा।
उसकी गाँड में मेरा लंड अंदर-बाहर हो रहा था। उसकी गाँड टाइट थी, और मेरा लंड उसे चीर रहा था। “राहुल, और जोर से… मेरी गाँड मारो… आह्ह…” वो चिल्ला रही थी। मैंने उसकी गाँड पर चपत मारी और बोला, “भाभी, तेरी गाँड फाड़ दूँगा।” उसकी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं, और मैं उन्हें पीछे से पकड़कर मसल रहा था। उसकी गाँड लाल हो गई थी, और उसकी सिसकियाँ तेज़ हो रही थीं। “राहुल, मेरी चूत में फिर डालो… चोदो मुझे,” उसने कहा। मैंने उसे फिर से सीधा किया और उसकी चूत में लंड पेल दिया। “भाभी, तेरी चूत में झड़ूँगा,” मैंने कहा और इतने जोर से चोदा कि सोफा हिलने लगा। उसकी चूत से पानी छूट गया, और वो चीखी, “राहुल, मैं गई… आह्ह…” उसकी चूत से पानी की पिचकारी निकली, और मेरा लंड फट गया। मैंने अपना गर्म माल उसकी चूत में छोड़ दिया। “भाभी, तेरी चूत मस्त है,” मैंने कहा और उसके होंठ चूसने लगा।
हम दोनों पसीने से तर होकर सोफे पर लेट गए। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से दब रही थीं, और उसकी चूत से मेरा माल बह रहा था। “राहुल, ये गर्मी फिर लगेगी,” नेहा ने हँसते हुए कहा। मैंने उसकी गाँड पर चपत मारी और बोला, “भाभी, जब चूत गर्म होगी, मेरा लंड तैयार रहेगा।”
अगली रात का खेल
अगली रात बिजली फिर चली गई। नेहा ने मुझे अपने फ्लैट में बुलाया। “राहुल, आज बाथरूम में चलें?” उसने कहा। हम बाथरूम में गए। वहाँ उसने नाइटी उतारी और अपनी चूत मेरे सामने कर दी। उसकी चूत अभी भी गीली थी, और उसकी फाँकें लाल थीं। “चोदो ना,” वो बोली। मैंने उसे शावर के नीचे खड़ा किया और उसकी चूत में लंड पेल दिया। “भाभी, तेरी चूत शावर में भी मस्त है,” मैंने कहा और उसे चोदा। पानी हम दोनों पर बह रहा था, उसकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और उसकी गाँड मेरे धक्कों से टकरा रही थी। “राहुल, मेरी गाँड भी मारो,” उसने कहा। मैंने उसे पलटा और उसकी गाँड में लंड डाल दिया। “आह्ह… राहुल… फाड़ दो,” वो चिल्लाई।
हमने बाथरूम में घंटों चुदाई की। उसकी चूत और गाँड मेरे माल से भर गईं। फिर वो बोली, “राहुल, किसी को मत बताना।” मैंने उसकी चूचियाँ चूसीं और कहा, “भाभी, ये हमारा राज़ रहेगा।” उस रात उसने मुझे फिर बुलाया, और हमने बेडरूम में चुदाई की। उसकी चूत, गाँड और मुँह—सब मेरे लंड से भर गए।