नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर ये मेरी दूसरी कहानी है इस वेबसाइट पर। हाय यार, मेरा नाम राहुल है। 24 साल का हूँ, दिल्ली में एक छोटी सी डिजाइनिंग कंपनी में काम करता हूँ। जिंदगी में सब ठीक-ठाक चल रहा है – कॉलेज खत्म, जॉब पकड़ लिया, और घर में मम्मी-पापा के साथ वो पुराना वाला प्यार। लेकिन घर में एक और इंसान है, मेरी बड़ी दीदी, रिया। रिया 28 की है, गाँव के स्कूल में टीचर है, लेकिन छुट्टियों में दिल्ली आती है। दीदी को देखकर कोई नहीं कहेगा कि वो टीचर है – बाहर से एकदम सीधी-सादी, सलवार-कुर्ता, बाल बंधे हुए, चश्मा लगाए। लेकिन उसकी बॉडी… भाई, क्या बताऊँ। गोरी चिट्टी, चूचियाँ भरी हुईं, लेकिन सख्त, कमर पतली, और गांड इतनी गोल कि सलवार में भी हिलती दिखे। बचपन से हमारा रिश्ता खुला रहा – वो मुझे डाँटती, मैं उसका मजाक उड़ाता। लेकिन पिछले कुछ महीनों से दीदी की बातों में कुछ और था। “राहुल, तू बड़ा हो गया, लेकिन अभी भी बच्चा है।” वो हँसती, लेकिन उसकी आँखें कुछ और कहतीं। मैं सोचता, शायद मेरा दिमाग गंदा है। लेकिन कल रात, जब मम्मी-पापा रिश्तेदारी में गए, घर में सिर्फ मैं और दीदी। वो रात… यार, दीदी की चूत का इलाज मैंने किया। चुदाई इतनी गर्म थी कि आज भी सोचकर लंड खड़ा हो जाता है। ये मेरी वो कहानी है, जो गलत भी है और सही भी। सच्ची-सी लगेगी, क्योंकि ये दिल से निकली है, हमारे घर की देसी महक के साथ, बिना किसी बनावटी चमक-धमक के।
कल शाम दीदी घर आई। सलवार-कुर्ता पहने थी, लेकिन थकी-थकी सी। “राहुल, चाय बना ना, सिर भारी लग रहा।” मैंने चाय बनाई, सोफे पर उसके पास बैठ गया। “दीदी, तू ठीक है? कुछ उदास-उदास सी लग रही।” वो बोली, “हाँ यार, बस थकान है। और… कुछ और भी।” मैंने पूछा, “क्या और? बता ना।” वो हँसी, “तुझे क्या समझ आएगा।” लेकिन उसकी नजर मेरी पैंट पर गई, जहाँ हल्का सा उभार था। “राहुल, तू तो बड़ा हो गया।” उसकी आवाज में कुछ और था। मैं शरमा गया, लेकिन बोला, “दीदी, तू भी तो कम नहीं।” वो पास सरकी, हाथ मेरी जांघ पर। “राहुल, तुझे कभी कोई पसंद आई?” मैंने हिम्मत की, “हाँ दीदी, तू।” वो चौंकी, लेकिन हँसी। “पागल, मैं तेरी दीदी हूँ।” लेकिन उसका हाथ मेरी छाती पर चला गया। मेरा दिल धक से हो गया। “दीदी, तू उदास क्यों? कुछ तो बता।” वो बोली, “राहुल, औरत का मन भी होता है। गाँव में स्कूल, बच्चे, लेकिन रातें… कुछ चाहिए।” मैं समझ गया। मैंने उसका गाल छुआ। “दीदी, मैं हूँ ना।” वो सिहर गई। फिर होंठ मेरे होंठों पर। किस हल्का था, जैसे डर। फिर गहरा – जीभ अंदर, साँसें तेज। मैंने उसे गले लगाया। “राहुल… ये गलत है।” लेकिन उसका बदन मेरे से चिपक गया। “दीदी, बस आज की रात।”
मैंने दीदी को बेडरूम ले गया। दरवाजा बंद किया। लाइट्स हल्की कर दीं, जैसे कोई पुराना गाना बज रहा हो। दीदी का कुर्ता ऊपर किया। अंदर ब्रा – सफेद, चूचियाँ उभरी हुईं। “दीदी, तेरी चूचियाँ… कितनी खूबसूरत।” मैंने ब्रा का हुक खोला। चूचियाँ बाहर आ गईं – गोल, भरी हुईं, निप्पल गुलाबी और तने हुए। मैंने एक चूची मुँह में ली, धीरे से चूसना शुरू किया। जीभ से निप्पल के इर्द-गिर्द घुमाई, फिर हल्का सा दांत से काटा। दीदी सिसकी, “आह… राहुल… चूस… मेरी चूचियाँ चूस… धीरे से… हाय… बहुत अच्छा लग रहा…” मैंने दूसरी चूची हाथ में ली, उंगलियों से सहलाया, निप्पल को हल्का सा मसला। दीदी का बदन काँप रहा था, वो मेरे सिर को अपनी चूचियों की तरफ दबा रही थी। “उफ्फ… राहुल… तेरी जीभ… कितनी गर्म… और चूस… निप्पल पर घुमाओ… हाय… सिहरन हो रही… मेरी चूचियाँ तेरे लिए हैं… जैसे दूध निकाल ले…” मैंने चूसते हुए दोनों चूचियों को बारी-बारी दबाया, मसला, जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो। दीदी की साँसें तेज हो गईं, कमर हल्की सी ऊपर उठ रही थी। “राहुल… तेरे मुँह से… जैसे करंट लग रहा… और जोर से… मेरी चूचियाँ गर्म हो गईं… हाय… काटो हल्का सा… आह… खिड़की से ठंडी हवा आ रही, चूचियों पर ठंडक लग रही…”
मेरा हाथ नीचे सरक गया। सलवार का नाड़ा खींचा, ढीली कर दी। पैंटी गीली थी। “दीदी, तू तो गीली हो गई।” मैंने पैंटी साइड की। चूत गोरी, साफ-सुथरी, क्लिट थोड़ी उभरी, रस चमक रहा था। मैं घुटनों पर बैठ गया, जीभ से चूत पर हल्की सी चाट दी – ऊपर से नीचे। क्लिट पर जीभ घुमाई, फिर मुंह में लेकर चूसा। दीदी की कमर उछल गई, “आह… राहुल… चाट… मेरी चूत चाट… जीभ अंदर डाल… क्लिट चूस… हाय… बहुत अच्छा लग रहा…” मैंने जीभ चूत के अंदर घुसाई, धीरे-धीरे घुमाई, जैसे चोद रहा हूँ। एक उंगली अंदर डाली, फिर दो। क्लिट चूसते हुए उंगलियों से सहलाया, घुमाया। दीदी पैर फैलाए रखने की कोशिश कर रही थी, हाथ बेडशीट को जकड़ रहे। “हाय… राहुल… फिंगर से… और अंदर… क्लिट पर जीभ दबा… उफ्फ… मैं झड़ रही हूँ… रस निकल रहा… पी लो… बेडशीट गीली हो रही…” उसका रस गर्म आया, मीठा-सा। मैंने सब चाट लिया, जीभ से साफ किया। दीदी हाँफ रही थी, आँखें बंद, “राहुल… तू तो जानता है… मेरी चूत का इलाज तूने कर दिया… अभी भी काँप रही… खिड़की से हवा आ रही, चूत पर ठंडक लग रही…”
“अब तू मेरा…” मैं बोला। दीदी उठी, मेरी शर्ट उतारी। पैंट खींची। लंड बाहर – मोटा, 7 इंच, सुपारा चमक रहा था। “राहुल, तेरा… कितना अच्छा।” दीदी ने हाथ में लिया, सहलाया। जीभ से सुपारे पर चाटा, फिर मुँह में डाला। धीरे से चूसने लगी। जीभ लंड की लंबाई पर फेर रही थी, गले तक ले रही। मैं सिसकारा, “दीदी… चूस… धीरे से चूस… तेरी जीभ… कमाल…” मैंने उसके बाल सहलाए। वो थूक गिराकर लंड को गीला कर रही थी, चूसते हुए बॉल्स को हाथ से छू रही थी। “तेरा लंड… स्वादिष्ट… और मोटा… मुंह में भर गया…” दीदी की आँखें ऊपर उठीं, मुस्कुराई। मैं कमर हल्की सी हिलाई, “तेरी जीभ… घुमाती जा… सुपारा चाट… आह… दीदी… गले तक ले… हाय… कमरे की लाइट लंड पर पड़ रही…”
मैंने दीदी को बेड पर लिटाया। उसके पैर फैलाए, चूत खुली थी, अभी भी रस से चमक रही। मैंने लंड चूत पर रगड़ा, सुपारे से क्लिट को सहलाया। “दीदी, तैयार है?” वो बोली, “हाँ राहुल… आ… धीरे से।” मैंने सुपारा धीरे से अंदर दबाया। चूत गर्म थी, टाइट। “आह… राहुल… धीरे…” मैंने आधा लंड अंदर किया, फिर पूरा धक्का मारा। दीदी की कमर ऊपर उठी, “आह… मोटा है… फट गई…” लेकिन उसने मेरी कमर पकड़ ली। मैंने धक्के शुरू किए – धीरे-धीरे, फिर तेज। थप-थप की आवाज कमरे में गूँज रही थी। दीदी की चूचियाँ उछल रही थीं, मैंने उन्हें दबाया, निप्पल को हल्का सा मसला। “ले दीदी… ले मेरा लंड… तेरी चूत कितनी गर्म और टाइट… इलाज कर रहा हूँ…” दीदी सिसक रही थी, “जोर से… चोद… राहुल… गहरा… आह… लंड पूरा अंदर… खिड़की से हवा आ रही, ठंडक लग रही… बेड हिल रहा… और तेज…” मैंने स्पीड बढ़ाई, लंड बाहर निकालकर फिर घुसाया। दीदी के नाखून मेरी पीठ पर गड़ गए, “राहुल… तेरे धक्के… चूत भर रहे… और तेज… हाय… चूत की दीवारें रगड़ रही लंड से…”
पोजिशन बदली। दीदी को घुटनों पर किया, पीछे से। उसकी गांड ऊपर, गोल-गोल। मैंने पीछे से लंड चूत में घुसाया। कमर पकड़ ली, धक्के मारे। “दीदी, तेरी गांड… कितनी मस्त।” मैंने हल्का सा थप्पड़ मारा। दीदी सिसकी, “आह… पीछे से… बाल पकड़… और जोर से…” मैंने उसके बाल पकड़े, सिर पीछे खींचा। धक्के तेज हो गए, लंड बाहर निकालकर फिर घुसाया। दीदी की चूत से रस बह रहा था, लंड पर चिपक रहा। “राहुल… बाल खींच… गांड दबा… चोद जोर से… चूत फट रही…” मैंने गांड दबाई, थप्पड़ मारा। फिर लंड निकाला, थूक लगाया, सुपारा गांड पर रगड़ा। “गांड चोदूँ?” दीदी हाँफ रही थी, “हाँ… लेकिन धीरे शुरू…” मैंने सुपारा धीरे से दबाया। टाइट गांड लंड को निचोड़ रही थी। “आआआ… दर्द… लेकिन चोद…” मैंने पूरा लंड घुसाया, धक्के मारे। हाथ से चूत रगड़ा, एक उंगली अंदर। दीदी चीखी, “उफ्फ… गांड में लंड… चूत में उंगली… मैं झड़ रही… रस निकल रहा…” उसका रस फिर बहा, बेड गीला हो गया।
फिर काउगर्ल। दीदी मेरे ऊपर चढ़ी, लंड चूत में लिया। “अब मैं तुझे चोदूँगी राहुल।” वो ऊपर-नीचे उछलने लगी, लंड पर बैठकर घुमाई। चूचियाँ मेरे चेहरे पर लटक रही थीं, मैंने चूसीं, निप्पल काटा। “तेरा लंड… चूत का राजा… गहरा जा रहा… स्पीड बढ़ा…” मैं नीचे से धक्के मार रहा था, हाथ से गांड दबा रहा। दीदी की स्पीड बढ़ गई, कमर घुमाने लगी। “राहुल… तेरी चूचियाँ चूस… और जोर से उछलूँ? चूत लंड को निचोड़ रही… रस बह रहा…” फिर रिवर्स काउगर्ल – दीदी उल्टी होकर बैठी, गांड मेरी तरफ। मैंने गांड दबाई, थप्पड़ मारे। “उछल दीदी… तेरी गांड कमाल… चूत में लंड घुस रहा… गांड पर थप्पड़…” वो उछल रही थी, रस बह रहा था, बेड गीला हो गया। दीदी बोली, “राहुल… तेरी उंगलियाँ गांड में डाल… डबल मजा… आह… चूत और गांड दोनों भरी…”
हम 69 पोजिशन में आए। मैं नीचे लेटा, दीदी ऊपर। उसकी चूत मेरे मुँह पर। मैंने जीभ अंदर डाली, क्लिट चूसा, उंगलियाँ घुमाई। दीदी मेरा लंड चूस रही थी, बॉल्स चाट रही। “उफ्फ… राहुल… 69 में मजा… तेरी चूत का रस पी रहा… तू मेरा लंड चूस… गले तक ले… थूक गिरा…” दीदी की जीभ लंड पर घूम रही थी, थूक गिराकर चूस रही। हम दोनों पागल, रस बह रहा था, कमरा सिसकारियों से भरा। दीदी बोली, “राहुल… तेरी जीभ चूत में… मैं फिर झड़ूँगी… लंड पर जीभ फेरूँगी… खिड़की से हवा आ रही, ठंडक लग रही…”
आखिर में मिशनरी। मैं ऊपर आया, दीदी के पैर मेरे कंधों पर। धक्के मारे – तेज, गहरे। “दीदी, झड़ने वाला हूँ।” वो बोली, “अंदर डाल राहुल… चूत में माल गिरा… दीदी की चूत भर दे।” मैंने स्पीड बढ़ाई, लंड फूल गया। झड़ गया, गर्म वीर्य चूत में भरा। दीदी भी झड़ी, पैर काँप रहे थे, नाखून मेरी पीठ पर गड़ गए। हम पसीने से भीगे लेटे रहे, साँसें तेज। दीदी बोली, “राहुल… ये रात… मम्मी-पापा को मत बताना। लेकिन फिर कर लेंगे।”
अगली सुबह किचन में चुदाई – दीदी काउंटर पर झुकी, मैं पीछे से। रात को फिर, बाथरूम में। दीदी की चूत का इलाज – गुनाह, लेकिन जिंदगी का सबसे गर्म राज। मम्मी-पापा लौटे, लेकिन वो आँखों का इशारा… अब भी चलता है।