हेलो दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ. ये मेरी पहली सेक्स कहानी है नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर। हिंदी हॉट कामुक कहानी. दिल्ली के लोधी गार्डन में रात का सन्नाटा छाया हुआ था। चाँद की मद्धम रोशनी पेड़ों की पत्तियों से छनकर ज़मीन पर बिखर रही थी, और हल्की ठंडी हवा बदन में सिहरन पैदा कर रही थी। मैं, अर्जुन, और मेरी गर्लफ्रेंड, काव्या, पार्क के एक सुनसान कोने में, एक घने बरगद के पेड़ की आड़ में खड़े थे। हमारा रिश्ता कुछ महीनों का ही था, लेकिन हमारी हवस और प्यार इतना तीव्र था कि हर मुलाकात में हम एक-दूसरे में पूरी तरह डूब जाते थे।
काव्या आज अपनी टाइट लाल ड्रेस में किसी कामुक अप्सरा जैसी लग रही थी। उसकी ड्रेस उसके कर्व्स को इतना उभार रही थी कि मेरी नज़रें उसकी गहरी क्लीवेज और भरी हुई चूचियों से हट ही नहीं रही थीं। उसकी गांड की गोलाई ड्रेस में पूरी तरह से निखर रही थी, और उसकी गोरी, नरम जाँघें मेरे लंड को बेकरार कर रही थीं। उसकी आँखों में एक शरारती, उत्तेजक चमक थी, और उसकी हर अदा मेरे अंदर की आग को और भड़का रही थी।
“अर्जुन, यह जगह कितनी हॉट है, है ना?” काव्या ने अपनी नशीली, कामुक आवाज़ में कहा, उसकी आँखें मेरी आँखों में डूब रही थीं। उसने अपने रसीले होंठों को हल्के से चाटा, और मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया।
“हॉट तो तुम हो, मेरी रानी,” मैंने कहा, मेरी नज़रें उसके होंठों और उसकी चूचियों की गहरी लकीर पर टिकी थीं। मैंने उसका हाथ पकड़ा, और उसकी नरम उंगलियाँ मेरे हाथ में गर्म लहर की तरह महसूस हुईं। मैंने उसे धीरे से अपनी ओर खींचा, और उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकराने लगीं।
“तुम बहुत शरारती हो,” उसने हँसते हुए कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में एक उत्तेजक बेकरारी थी। मैंने धीरे से उसकी कमर पर हाथ रखा, मेरी उंगलियाँ उसकी टाइट ड्रेस के ऊपर से उसके नरम, गर्म बदन को सहलाने लगीं। उसकी साँसें तेज़ हो गईं, और उसने मेरे कंधे को ज़ोर से पकड़ लिया।
“अर्जुन, कोई देख लेगा…” उसने फुसफुसाया, लेकिन उसकी आँखें कह रही थीं कि वह चाहती थी कि मैं रुकूँ नहीं। मैंने उसके कान के पास अपने होंठ ले जाकर कहा, “यहाँ कोई नहीं, मेरी जान… बस तुम और मैं, और हमारी यह हवस की आग।” मेरे शब्दों ने उसके बदन में एक सिहरन दौड़ा दी, और उसने अपनी जाँघें आपस में सटा लीं, जैसे वह अपनी चूत की गर्मी को छिपाना चाहती हो।
मैंने धीरे से उसकी ड्रेस को कंधे से नीचे सरकाया, और उसकी गोरी, भरी हुई चूचियाँ मेरे सामने आ गईं। उसकी काली ब्रा इतनी टाइट थी कि उसकी चूचियाँ बाहर उभर रही थीं, और मैंने अपने हाथों से उन्हें ज़ोर से दबाया। “आह… अर्जुन,” उसने सिसकारी ली, और उसकी सिसकारी ने मेरे लंड को और सख्त कर दिया। मैंने उसकी ब्रा को नीचे खींचा, और उसकी गुलाबी निप्पल्स मेरे सामने नंगी हो गईं। मैंने अपने होंठ उसकी एक चूची पर रखे और उसे चूसने लगा, मेरी जीभ उसके सख्त निप्पल्स को चाट रही थी। काव्या की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, और उसने मेरे बालों को ज़ोर से पकड़ लिया।
“अर्जुन… तुम मुझे पागल कर दोगे,” उसने साँसों के बीच कहा, उसकी आवाज़ में हवस और उत्तेजना थी। मैंने अपने एक हाथ को उसकी ड्रेस के नीचे डाला, और मेरी उंगलियाँ उसकी नरम, गर्म जाँघों को सहलाने लगीं। मैंने धीरे से उसकी पैंटी को छुआ, और उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ उसकी नमी में डूब गईं। “आह… अर्जुन, वहाँ…” उसने सिसकारी ली, और उसने मेरे कंधों को ज़ोर से पकड़ लिया।
मैंने उसकी पैंटी को नीचे सरकाया, और उसकी गीली, गर्म चूत मेरे सामने थी। मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को हल्के से सहलाया, और उसकी सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं। “अर्जुन, और… और करो,” उसने बेकरारी में कहा, और मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी। उसका बदन सिहर उठा, और उसने मेरे कंधों को ज़ोर से पकड़ लिया। मैंने अपनी उंगलियों को और तेज़ी से अंदर-बाहर किया, और उसकी चूत की गर्मी और नमी ने मेरे लंड को और बेकरार कर दिया।
मैंने उसे पेड़ के तने से सटा दिया, और मेरे होंठ उसके गले पर फिसलने लगे। मैंने उसकी दूसरी चूची को ज़ोर से दबाया और चूसा, और उसकी सिसकारियाँ अब रात के सन्नाटे में गूँज रही थीं। “अर्जुन, मुझे और चाहिए…” उसने फुसफुसाया, और उसकी आवाज़ में इतनी हवस थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।
मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोली, और मेरा सख्त, गर्म लंड बाहर आ गया। काव्या की नज़रें मेरे लंड पर टिकीं, और उसने अपने होंठ चाटे। “अर्जुन… यह कितना बड़ा है,” उसने शरारती अंदाज़ में कहा, और उसने अपने नरम हाथों से मेरे लंड को पकड़ लिया। उसकी उंगलियाँ मेरे लंड पर ऊपर-नीचे चलने लगीं, और मेरे बदन में सनसनी दौड़ गई।
मैंने उसे पेड़ के तने से और ज़ोर से सटाया, और उसकी ड्रेस को पूरी तरह ऊपर उठा दिया। उसकी गोरी, गोल गांड चाँद की रोशनी में चमक रही थी। मैंने उसके कूल्हों को ज़ोर से दबाया, और उसने एक गहरी सिसकारी ली। “अर्जुन, अब और मत तड़पाओ,” उसने कहा, और उसने अपनी टाँगें मेरे कूल्हों के चारों ओर लपेट दीं।
मैंने अपने लंड को उसकी गीली चूत के मुहाने पर रखा, और धीरे से अंदर धकेल दिया। “आह… अर्जुन!” उसने ज़ोर से सिसकारी ली, और उसकी चूत की गर्मी और टाइटनेस ने मुझे पागल कर दिया। मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर-बाहर करना शुरू किया, और उसकी सिसकारियाँ अब चीखों में बदलने लगीं। “और ज़ोर से, अर्जुन… मुझे चोदो!” उसने बेकरारी में कहा, और मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी।
मेरे हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैंने उन्हें अपने हाथों से ज़ोर से दबाया। उसकी चूत मेरे लंड को पूरी तरह निगल रही थी, और उसकी गर्मी और नमी मुझे जन्नत की सैर करा रही थी। “काव्या, तुम्हारी चूत कितनी टाइट है,” मैंने साँसों के बीच कहा, और उसने मेरे होंठों को चूम लिया, जैसे वह मेरे हर शब्द को अपने अंदर समेटना चाहती थी।
मैंने उसे पेड़ से हटाकर ज़मीन पर लिटा दिया, और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। मैंने अपने लंड को फिर से उसकी चूत में डाला, और इस बार मेरे धक्के और ज़ोरदार थे। “आह… अर्जुन, मुझे और चोदो!” उसने चीखते हुए कहा, और उसकी सिसकारियाँ रात के सन्नाटे को चीर रही थीं। मैंने अपनी पूरी ताकत से उसे चोदा, और उसकी चूत की गर्मी और मेरे लंड की रगड़ ने हमें दोनों को चरम पर पहुँचा दिया।
“अर्जुन… मैं झड़ने वाली हूँ!” उसने चीखा, और उसकी चूत ने मेरे लंड को और ज़ोर से जकड़ लिया। मैंने भी अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी, और कुछ ही पलों में हम दोनों एक साथ झड़ गए। उसकी चूत की गर्मी और मेरे लंड का रस एक-दूसरे में मिल गया, और हम दोनों साँसें लेते हुए एक-दूसरे की बाहों में लिपट गए।
हमने कुछ देर तक एक-दूसरे को चूमा, और उसकी चूचियाँ मेरे सीने से दब रही थीं। “अर्जुन, तुमने मुझे जन्नत दिखा दी,” उसने फुसफुसाया, और मैंने उसकी गांड को हल्के से थपथपाया। “यह तो बस शुरुआत है, मेरी रानी,” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा, और हम दोनों हँस पड़े।
उस रात, उस पार्क में, हमने अपनी हवस और प्यार को पूरी तरह जी लिया। वह पल हमारी ज़िंदगी की सबसे कामुक और उत्तेजक याद बन गया।