भीगा बदन और जलता मन – Do Mard aur Ek Aurat Sex Story

गर्मियों की एक उमस भरी रात थी। गाँव के बाहर खेतों के पास वाली बस्ती में रहने वाली राधा, 25 साल की एक गोरी-चिट्टी, भरे हुए बदन की मालकिन, अपने पति संजय के साथ छोटे से मिट्टी के घर में रहती थी। संजय एक मजदूर था, दिनभर खेतों में हड्डियाँ तोड़ता और रात को थककर चूर होकर घर लौटता। लेकिन आज कुछ अलग था। आज बारिश की बूँदें आसमान से टपक रही थीं, और राधा का मन भी उसी तरह टपक रहा था—प्यासा, बेकरार, और कुछ न कुछ कर गुजरने को तैयार।

राधा ने उस रात लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो बारिश में भीगकर उसके गोरे बदन से चिपक गई थी। उसकी भारी चूचियाँ साड़ी के पतले कपड़े से बाहर झाँक रही थीं, और गीली साड़ी उसकी गोल-मटोल गांड को ऐसे उभार रही थी मानो कोई मूर्तिकार ने तराशा हो। संजय घर लौटा तो उसे देखते ही उसका लंड खड़ा हो गया। “साली, तू आज तो रंडी लग रही है,” उसने गाली देते हुए कहा और अपनी कमीज उतार फेंकी।

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, पहले नहा तो ले, गधे। पूरा दिन भैंसों के साथ लोटा है, बदबू मार रहा है।” लेकिन संजय कहाँ मानने वाला था। उसने राधा को कमर से पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया। उसकी गीली साड़ी को हाथों से मसलते हुए बोला, “आज तेरी चूत को नहला दूँगा, रंडी। बारिश में भीगा बदन देखकर मेरा लौड़ा तड़प रहा है।”

राधा की साँसें तेज हो गईं। उसने संजय के सीने पर हाथ रखकर उसे धक्का दिया और हँसते हुए बोली, “अरे भोसड़ी के, जरा सब्र कर। पहले खाना तो खा ले, फिर जो करना है कर।” लेकिन संजय का मन कहाँ खाने में था। उसने राधा को दीवार से सटा दिया और उसकी साड़ी ऊपर उठाकर उसकी मोटी जाँघों को सहलाने लगा। “खाना बाद में, पहले तेरी इस भोसड़े वाली चूत का स्वाद लूँ,” उसने गुर्राते हुए कहा।

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राधा की आँखों में चमक आ गई। उसने संजय के पजामे में हाथ डाला और उसका मोटा, गर्म लंड पकड़ लिया। “हरामी, इतना सख्त हो गया है तेरा लौड़ा। लगता है आज मेरी गांड भी नहीं बचेगी,” उसने शरारत से कहा। संजय ने एक जोरदार चपत उसकी गांड पर मारी और बोला, “साली, आज तेरी चूत और गांड दोनों फाड़ डालूँगा।”

दोनों बिस्तर पर जा गिरे। बारिश की बूँदें छप्पर से टपक रही थीं और कमरे में एक अजीब सी कामुक महक फैल गई थी। संजय ने राधा की साड़ी खींचकर फेंक दी और उसकी चूचियों को मुँह में भर लिया। राधा की सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह… हरामी… धीरे चूस… दर्द हो रहा है।” लेकिन संजय कहाँ रुकने वाला था। उसने राधा की टाँगें चौड़ी कीं और उसकी गीली चूत पर अपनी जीभ फिरानी शुरू कर दी। राधा तड़प उठी, “उफ्फ… भोसड़ी वाले… क्या कर रहा है… मर जाऊँगी मैं।”

संजय ने हँसते हुए कहा, “मर मत, रंडी। अभी तो तेरा भोसड़ा चोदना बाकी है।” उसने अपना लंड राधा की चूत पर रगड़ा और एक झटके में अंदर पेल दिया। राधा की चीख निकल गई, “आह्ह… मादरचोद… आराम से… फट जाएगी मेरी।” लेकिन संजय ने उसकी एक न सुनी। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। कमरे में थप-थप की आवाजें गूँज उठीं, और बाहर बारिश की फुहारें मानो उनके इस खेल का साथ दे रही थीं।

राधा की चूत गीली हो चुकी थी, और संजय का लंड उसमें फिसल रहा था। उसने राधा को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोला, “साली, तेरी गांड तो किसी कुतिया से कम नहीं। आज इसे भी चोदूँगा।” राधा ने मना किया, “नहीं… हरामी… वहाँ मत डाल… दर्द होगा।” लेकिन संजय ने उसकी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड धीरे-धीरे अंदर सरकाने लगा। राधा चिल्लाई, “उफ्फ… मर गई… निकाल दे… भोसड़ी के।” लेकिन धीरे-धीरे दर्द सुख में बदल गया, और वो भी मजे लेने लगी।

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तभी दरवाजे पर एक दस्तक हुई। दोनों चौंक गए। संजय ने गुस्से में कहा, “कौन मादरचोद है इस वक्त?” उसने पजामा पहना और दरवाजा खोला। बाहर उसका दोस्त रमेश खड़ा था, बारिश में भीगा हुआ। “भाई, रास्ता भटक गया। एक रात यहाँ रुक जाऊँ?” उसने मासूमियत से पूछा। संजय ने उसे अंदर बुलाया, लेकिन राधा का मन अब कुछ और ही सोच रहा था।

रमेश अंदर आया तो उसकी नजर राधा पर पड़ी। उसकी गीली साड़ी अब भी बदन से चिपकी थी, और उसकी चूचियाँ साफ दिख रही थीं। रमेश का लंड भी तन गया। संजय ने कहा, “राधा, इसके लिए चाय बना दे।” राधा रसोई में गई, लेकिन उसकी नजर रमेश पर थी। वो जानती थी कि आज रात कुछ और भी होने वाला है।

रात गहरी हुई। संजय शराब के नशे में सो गया। रमेश और राधा अकेले थे। रमेश ने धीरे से राधा का हाथ पकड़ा और बोला, “भाभी, तू तो आग है। संजय को छोड़, मेरे साथ मस्ती कर।” राधा ने शरारती मुस्कान दी और बोली, “हरामी, तेरा लंड कितना बड़ा है, पहले दिखा।” रमेश ने अपना पजामा नीचे किया, और उसका मोटा लौड़ा देखकर राधा के मुँह में पानी आ गया।

दोनों चुपके से बाहर खेतों में चले गए। बारिश फिर शुरू हो गई थी। राधा ने अपनी साड़ी उतार दी और रमेश के सामने नंगी हो गई। रमेश ने उसे पेड़ से सटाकर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया। राधा सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… चोद दे मुझे… फाड़ दे मेरी चूत को।” रमेश ने पूरी ताकत से धक्के मारे, और राधा की चीखें बारिश की आवाज में दब गईं।

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सुबह तक दोनों ने जमकर चुदाई की। संजय को कुछ पता नहीं चला। राधा का भिगा बदन उस रात दो-दो मर्दों की प्यास बुझा चुका था। और वो जानती थी कि ये सिलसिला अब रुकने वाला नहीं।