रानी की चिट्ठी अपने पति को दूसरे मर्द से प्रेगनेंट होने पर

मैं, रानी, आज अपने बेडरूम में बैठी हूँ। तारीख है 23 मार्च 2025। मेरा पेट पाँच महीने का गोल हो चुका है। मेरी चूचियाँ भारी और रसीली हो गई हैं, जैसे दो पके तरबूज, जो मेरी नाइटी में मुश्किल से समा रही हैं। मेरे निप्पल सख्त और बड़े हो गए हैं, और मेरी गाँड अब और मोटी और नरम हो गई है। मेरी चूत अभी भी गीली हो जाती है जब मैं उस दिन को याद करती हूँ—जब डॉक्टर साहब ने मुझे चोदा और मेरे पेट में उनका बीज बोया। मेरे पति राजेश को अभी तक सच नहीं पता, लेकिन मेरी यादें मुझे हर रात तड़पाती हैं। चलो, मैं तुम्हें सब विस्तार से बताती हूँ।

फ्लैशबैक: जनवरी 2025, पहली मुलाकात

ये जनवरी की ठंडी सुबह थी। दिल्ली की सड़कों पर कोहरा छाया था। मैं 27 साल की थी, गोरी, भरे हुए जिस्म वाली औरत। मेरी चूचियाँ बड़ी और गोल थीं, जैसे दो पके आम, जो मेरी साड़ी में हमेशा उभरे रहते थे। मेरी कमर पतली थी, और मेरी गाँड मोटी और लचकदार थी, जो चलते वक्त पुरुषों की नज़रें खींचती थी। मेरी जाँघें मोटी और चिकनी थीं, और मेरी चूत हर रात मेरे पति राजेश के लंड की भूखी रहती थी। लेकिन छह महीने से हमारी कोशिश बेकार थी—मुझे बच्चा नहीं हो रहा था। राजेश मुंबई गए थे, और मैं अकेली थी। मेरी चूत की आग बढ़ती जा रही थी, और मैंने फैसला किया कि डॉक्टर से मिलूँ।

हमारे इलाके में एक नया क्लिनिक खुला था—डॉ. अजय शर्मा का। मैंने सुना था कि वो मशहूर फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट हैं। 10 जनवरी को मैंने लाल साड़ी पहनी। मेरा ब्लाउज़ टाइट था, और मेरी चूचियाँ उसमें कैद होने को तड़प रही थीं। मेरा पल्लू बार-बार सरक रहा था, और मेरी गहरी दरार दिख रही थी। क्लिनिक में सन्नाटा था। मैं अंदर गई। डॉ. अजय मुझे देखकर उठ खड़ा हुआ। वो 35 साल का था, गोरा, लंबा और हैंडसम। उसकी चौड़ी छाती और गहरी आँखें किसी को भी ललचा सकती थीं। उसकी शर्ट में उसकी मज़बूत बाहें दिख रही थीं। “रानी जी, बैठिए। क्या तकलीफ है?” उसने अपनी मखमली आवाज़ में पूछा।

मैं शरमाते हुए बोली, “डॉक्टर साहब, मुझे बच्चा नहीं हो रहा। मेरे पति छह महीने से कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ।” उसने मेरी ओर देखा, उसकी नज़रें मेरी चूचियों पर ठहर गईं। “रानी जी, चिंता मत करो। मैं पूरा चेकअप करूँगा,” उसने कहा और मुझे परीक्षा टेबल पर लेटने को कहा। मैं लेट गई। मेरी साड़ी मेरी जाँघों तक सरक गई। उसने मेरी साड़ी और ऊपर उठाई। मेरी गोरी जाँघें नंगी हो गईं। मेरी पैंटी में मेरी चूत छिपी थी, लेकिन उसकी नज़रें उसे भेद रही थीं। “रानी जी, आपकी चूत को देखना पड़ेगा,” उसने कहा और मेरी पैंटी नीचे खींच दी। मेरी चूत नंगी हो गई। मेरी हल्की झाँटें ठंड से सिकुड़ गई थीं, और मेरी फाँकें हल्की गीली थीं।

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“डॉक्टर साहब, ये क्या कर रहे हैं?” मैंने शरमाते हुए पूछा। “रानी, ये टेस्ट है। शांत रहो,” उसने कहा और अपनी मोटी उंगली मेरी चूत में डाल दी। “आह्ह… डॉक्टर साहब…” मैं सिसक पड़ी। उसकी उंगली मेरी चूत की गहराई में जा रही थी। मेरी चूत टाइट थी, और उसकी उंगली को चूस रही थी। “रानी, तुम्हारी चूत गर्म और टाइट है। कोई दिक्कत नहीं दिखती,” वो बोला। उसने अपनी उंगली बाहर निकाली—वो मेरे पानी से गीली थी। “डॉक्टर साहब, ये गलत है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी चूत उसकी उंगली को फिर से चाह रही थी। उसने दूसरी उंगली डाली। “आह्ह… और डालो… आह्ह…” मैं चीख पड़ी। मेरी चूत से पानी टपक रहा था। “रानी, तुम्हें लंड चाहिए। मैं तुम्हें माँ बनाऊँगा,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। मैं शरम से लाल हो गई, लेकिन मेरी चूत उसकी बात से और गीली हो गई।

फ्लैशबैक: 15 जनवरी 2025, दूसरी मुलाकात

उस पहली मुलाकात के बाद मैं रात भर तड़पती रही। मेरी चूत हर बार उसकी उंगलियों को याद कर गीली हो जाती थी। मैंने 15 जनवरी को फिर अपॉइंटमेंट लिया। इस बार मैंने टाइट नीली कुर्ती और लेगिंग्स पहनी। मेरी चूचियाँ कुर्ती में उभरी थीं, और मेरे निप्पल हल्के-हल्के दिख रहे थे। मेरी गाँड लेगिंग्स में टाइट और मस्त लग रही थी। क्लिनिक में वो मुझे देखकर मुस्कुराया। “रानी, फिर आईं? बच्चे की चाहत अभी बाकी है?” उसने पूछा। “हाँ डॉक्टर साहब, मुझे माँ बनना है,” मैंने कहा। उसने मुझे फिर टेबल पर लिटाया।

“रानी, आज पूरा चेकअप करूँगा,” उसने कहा और मेरी कुर्ती ऊपर उठाई। मेरी चूचियाँ ब्रा में कैद थीं। उसने मेरी ब्रा खोल दी। मेरी चूचियाँ नंगी हो गईं। मेरे निप्पल गुलाबी और सख्त थे, और ठंड में और उभर गए। “रानी, तुम्हारी चूचियाँ तो माल हैं,” उसने कहा और एक चूची अपने मुँह में ले ली। उसकी गर्म जीभ मेरे निप्पल पर फिसली, और वो उसे चूसने लगा। “आह्ह… डॉक्टर साहब… चूसो… आह्ह…” मैं सिसक रही थी। उसका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को जोर-जोर से मसल रहा था। मेरी चूचियाँ लाल हो गईं, और मेरे निप्पल उसके मुँह में सख्त हो गए। उसने मेरे निप्पल को हल्का सा काटा। “आह्ह… मज़ा आ रहा है,” मैं चीख पड़ी।

फिर उसने मेरी लेगिंग्स नीचे खींच दी। मेरी चूत नंगी थी। मेरी फाँकें गीली और लाल थीं। “रानी, तुम्हारी चूत को लंड चाहिए,” उसने कहा और अपनी पैंट उतार दी। उसका 9 इंच का लंड सख्त, मोटा और काला था। उसकी टोपी गीली होकर चमक रही थी, और उसकी नसें उभरी हुई थीं। “डॉक्टर साहब, ये क्या?” मैंने शरमाते हुए कहा। “रानी, ये तेरा इलाज है,” उसने कहा और मेरी टाँगें चौड़ी कर दीं। मेरी चूत पूरी खुल गई। मेरी जाँघें मोटी और गोरी थीं, और मेरी गाँड टेबल पर फैल गई थी। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। उसकी गर्मी मेरी चूत को छू रही थी। “आह्ह… डाल दो… चोदो मुझे,” मैं तड़प रही थी। उसने एक जोरदार धक्का मारा। उसका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। “आह्ह… डॉक्टर साहब… फट गई… आह्ह…” मैं चीख पड़ी।

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वो मेरी चूचियाँ दबाते हुए मुझे चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। हर धक्के से मेरी गाँड हिल रही थी, और मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं। “रानी, तेरी चूत टाइट है। मैं तुझे प्रेग्नेंट करूँगा,” वो बोला। उसकी साँसें तेज़ थीं, और उसका पसीना मेरी चूचियों पर टपक रहा था। “डॉक्टर साहब, और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो,” मैं चिल्ला रही थी। मेरी चूत गीली होकर लाल हो गई थी, और मेरा पानी उसके लंड पर चिपक रहा था। उसने मेरी चूचियों पर चपत मारी। “आह्ह… चूसो मेरी चूचियाँ,” मैंने कहा। उसने मेरी एक चूची मुँह में ली और चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल को चाट रही थी, और उसका लंड मेरी चूत को चोद रहा था। करीब आधे घंटे तक उसने मुझे चोदा। “रानी, ले मेरा माल,” उसने कहा और मेरी चूत में झड़ गया। उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया, और मेरी चूत उसे चूस रही थी। “डॉक्टर साहब, ये क्या किया?” मैं हाँफते हुए बोली। “रानी, ये तेरा बच्चा बनेगा,” उसने हँसते हुए कहा।

फ्लैशबैक: 25 जनवरी 2025, तीसरी मुलाकात

उसके बाद मैं हर हफ्ते जाने लगी। 25 जनवरी को मैंने हरी साड़ी पहनी। मेरी चूचियाँ ब्लाउज़ में उभरी थीं, और मेरा पेट हल्का सा सपाट दिख रहा था। वो मुझे अपने केबिन में ले गया। “रानी, आज तेरी गाँड भी चोदूँगा,” उसने कहा। उसने मेरी साड़ी उतार दी। मैं नंगी थी। मेरी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं, और मेरी चूत गीली थी। उसने मुझे टेबल पर झुकाया। मेरी गाँड गोल और नरम थी, और उसकी दरार में पसीना चमक रहा था। “डॉक्टर साहब, धीरे,” मैंने कहा। उसने मेरी गाँड पर थूक दिया और अपनी उंगली मेरी गाँड में डाली। “आह्ह… धीरे…” मैं सिसक पड़ी। उसकी उंगली मेरी गाँड को चोद रही थी।

फिर उसने अपना लंड मेरी गाँड के छेद पर रखा। “रानी, तेरी गाँड फाड़ूँगा,” उसने कहा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… डॉक्टर साहब… फट गई… आह्ह…” मैं रो पड़ी। उसका लंड मेरी गाँड में पूरा घुस गया। वो मेरी गाँड चोदने लगा। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत में थीं, और वो मेरी चूत को भी चोद रहा था। “रानी, तेरी गाँड मस्त है,” वो बोला। उसका लंड मेरी गाँड को चीर रहा था, और मेरी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं। “डॉक्टर साहब, मेरी चूत भी चोदो,” मैंने कहा। उसने मुझे पलटा और मेरी चूत में लंड पेल दिया। “रानी, तेरी चूत में फिर माल डालूँगा,” वो बोला। उसने मेरी चूत को जोर-जोर से चोदा। “आह्ह… और जोर से… फाड़ दो,” मैं चीख रही थी। उसने मेरी चूत में फिर माल छोड़ा। उसका गर्म माल मेरी चूत से बह रहा था।

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फ्लैशबैक: फरवरी 2025, सच का पता चला

फरवरी की शुरुआत में मुझे सुबह उल्टियाँ होने लगीं। मेरी चूचियाँ भारी लग रही थीं, और मेरा पेट हल्का सा उभरने लगा था। मैंने प्रेग्नेंसी टेस्ट लिया—पॉजिटिव था। मैं डॉक्टर साहब के पास गई। “रानी, मैंने तुझे माँ बना दिया,” उसने हँसते हुए कहा। “डॉक्टर साहब, ये आपका बच्चा है?” मैंने डरते हुए पूछा। “हाँ रानी, मेरा माल तेरी चूत में फल गया,” वो बोला। मैं शरम से लाल हो गई, लेकिन मेरी चूत फिर गीली हो गई। “डॉक्टर साहब, अब क्या?” मैंने पूछा। “रानी, अब भी तेरी चूत चोदूँगा,” उसने कहा और मुझे फिर टेबल पर लिटाया। उसने मेरी चूचियाँ चूसीं और मेरी चूत में लंड डाला। “आह्ह… चोदो मुझे,” मैं चीखी। उसने मुझे फिर चोदा, और मेरी चूत उसके माल से भर गई।

वर्तमान: मार्च 2025

अब मैं पाँच महीने की प्रेग्नेंट हूँ। मेरी चूचियाँ दूध से भरी हैं, और मेरा पेट गोल हो गया है। डॉक्टर साहब अब भी मुझे चोदते हैं। हर हफ्ते मैं उनके क्लिनिक जाती हूँ। वो मेरी चूचियाँ चूसते हैं, मेरी चूत चोदते हैं, और मेरी गाँड मारते हैं। “रानी, तेरा बच्चा मेरा है, लेकिन तेरी चूत मेरी रंडी है,” वो कहते हैं। मैं शरमाती हूँ, लेकिन मज़ा लेती हूँ। राजेश, मेरा पति, अभी तक अनजान है। मेरी चूत अब भी तड़पती है—डॉक्टर साहब के लंड के लिए। क्या करूँ? ये बच्चा पैदा होने वाला है, और मेरी चूत की आग बुझने का नाम नहीं लेती।