चुदाई वो भी दोस्त की मस्त सुन्दर बहन के साथ

हैल्लो मेरे नाम मनोज है, नॉनवेज चुदाई की कहानी डॉट कॉम पर एक बार फिर से आप सभी के सामने एक और सेक्स अनुभव लेकर आया हूँ.. दोस्तों यह मेरी इस साईट पर दूसरी कहानी है.. मुझे इस वेबसाइट पर कहानियां पढ़ना बहूत ही ज्यादा अच्छा लगता है. लेकिन जो लोग मुझे नहीं जानते उन्हें में थोड़ा अपना परिचय करा दूँ.. दोस्तों में हरयाणा का रहने वाला हूँ और अपना खुद का एक व्यापार करता हूँ.. मेरी उम्र चौबीस साल है और कलर साफ, एक बड़ा, मोटा लंड.. यह चुदाई की कहानी मेरेदोस्त की बहन के साथ मेरे अफेयर की है.. कि कैसे मैंने उसे अपना बनाया और यह बात तभी की है जब में और मेरादोस्त दोनों एक साथ ही एक कॉलेज में थे.. कॉलेज घर से थोड़ा दूर होने के कारण में एक हॉस्टल में रहता था.. वहाँ पर एक लड़का आशीष मेरा रूम मेट बन गया और हम दोनों बहुत अच्छेदोस्त बन गये थे और उसके माता, पिता भी मुझे बहुत अच्छी तरह से जानते थे और उसकी बहन सुरभि जो कि मुझसे दो साल बड़ी थी.. वो भी एक डेंटल कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी.. वो हमेशा आशीष का हालचाल मेरे फोन पर बात करके मालूम कर लेती थी और कई बार तो उसके बारे में पूछने के लिए वो हॉस्टल में आ जाती थी.. कि वो ठीक तरह से पढ़ाई करता है या कॉलेज जाता है कि नहीं और हम भी फोन करते रहते थे और में भी उसे कई बार मैसेज भेजता था..

तो एक बार जब हमारी छुट्टियाँ लगने वाली थी तो मेरेदोस्त ने कहा कि इस बार तू मेरे साथ मेरे घर चलेगा और मेरे घर पर फोन करके उसने बोल दिया और फिर हम दोनों उसके घर चले गये और जब में वहाँ पर गया तो वहाँ पर सुरभि भी थी वो एक सप्ताह पहले से ही घर पर थी.. फिर हम सभी ने बहुत बातें की और खाना खाकर सो गये और अगले दिन आंटी ने कहा किमनोज यहाँ पर हमारे पास आया है उसे कहीं पर घुमाकर लाओ.. तो सुरभि बोली कि चलो फिर आज हम फिल्म देखने चलते है और फिर हम तीनों फिल्म देखने चले गये.. जब हम थियेटर में फिल्म देख रहे थे कि तभी आशीष को उसकी गर्लफ्रेंड का फोन आ गया और उसने कहा कि उसे उससे मिलना है तो वो मुझे बोलकर चला गया.. फिर में और सुरभि दोनों फिल्म देख रहे थे इतने में मुझे सुरभि ने कहा कि साईड में जो अंकल बैठे है वो उसे छू रहे है.. तो मैंने उसे कहा कि तुम थोड़ा और मेरे पास आकर कर बैठ जाओ और अगर वो फिर से ऐसी हरकत करेगा तो में उसे बोलूँगा..

फिर वो मेरे और करीब आकर बैठ गई और मैंने अपना हाथ उसकी कुर्सी के पीछे रख दिया ताकि अगर अंकल फिर से कोई हरकत करे तो मुझे पता चल जाए.. फिर वो मेरे साथ ऐसे बैठी थी कि जैसे मेरी गर्लफ्रेंड हो.. उसके चूचियों का साईज़ 36 है और वो मुझे महसूस हो रहे थे.. मेरा मन कर रहा था कि उसे यहीं पर ही चोद दूँ.. लेकिन डरता था कि कहीं वो गुस्सा ना हो जाए.. फिर मैंने हिम्मत करके अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख दिया और एक दूसरे के पास आ गये मुझे उसकी साँसे महसूस हो रही थी और इतने में इंटरवेल हो गया तो मैंने उसे कहा कि तुम बैठो में कुछ खाने को लाता हूँ.. तो वो बोली कि मुझे भी साथ में जाना है और हम दोनों बाहर जाकर खाने का समान लेकर आ गये.. हमने पॉपकॉर्न और बर्गर, कोल्ड्रींक ले ली और फिर फिल्म शुरू हो गई.. लेकिन इतना सामान हम से पकड़ा नहीं जा रहा था.. तो मैंने उसे कहा कि तुम कोल्ड्रींक पकड़ो और फिर उसने पॉपकॉर्न अपने पैरों पर रख दियेया.. अंधेरा होने के कारण एक दो बार मेरा हाथ उसके चूचियों को लग गया.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली.. फिर में खुद ही जानबूझ कर बार बार हाथ लगाता गया और फिर थोड़ी देर के बाद सुरभि बोली कि क्या बात हैमनोज.. पॉपकॉर्न ज्यादा ही अच्छे लगते है और हंसने लगी.. तो मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए बोल दिया कि क्या करूं है ही इतने टेस्टी और एक हाथ पीछे ले जाकर उसे धीरे से हग कर लिया तो उसकी साँसे तेज़ हो गई और इससे पहले कि वो अपने होश में आती मैंने उसे किस कर दिया और हग कर लिया.. फिर वो भी कुछ ना बोल पाई और मैंने उसे 5-7 मिनट किस करने के बाद उसके टॉप में हाथ डाल दिया और उसके चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा.. उसके चूचियों बड़े ही मुलायम थे.. फिर में और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और उसके मेरे और करीब आते ही मैंने उसके चूचियों को ब्रा से बाहर निकाला और निप्पल को अपनी ऊँगली में लेकर मसलने लगा..

फिर उसकी हालत अब बहुत खराब हो रही थी और वो आहह उफफफफफफफ्फ़ ह्म्‍म्म्मउउंम कर रही थी.. फिर मैंने उसकी जीन्स का बटन खोला और अपना हाथ बीच में ले जाते हुए उसकी बूर पर ले गया और मैंने देखा कि उसकी बूर बिल्कुल गीली हो चुकी थी और में उसकी बूर पर अपनी उंगली घुमाने लगा और उसकी बूर के दाने को ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगा.. इस बीच उसने मेरे गालों को, मेरे कान पर, होठो पर बहुत ज़ोर से काटा कि खून आने लगा और अपना हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर नाख़ून मारने लगी.. उसके नाख़ून के निशान आज भी मेरी कमर पर मौजूद है.. फिर में उसकी बूर में उंगली डालकर चोदने लगा उसकी बूर बहुत टाईट थी और बहुत मुश्किल से मेरी बीच की ऊँगली अंदर जा रही थी और फिर हम फिल्म देखकर घर वापस आ गये.. तो आंटी ने पूछा कि आशीष कहाँ पर है तो हमने बोल दिया कि वो अभी कहीं पर अपने एकदोस्त से मिलने गया है.. दोस्तों ये कहानी आप नॉनवेज चुदाई की कहानी डॉट कॉम पर पड़ रहे हैं..

उसके बाद फिर शाम को में और आशीष 2-3 जगह पर घूमने गये और रात को खाना खाने के बाद अपने रूम में चले गये.. तो सुरभि वहाँ पर आ गई और कहने लगी कि वो बोर हो रही है तो थोड़ा टाईम यहाँ पर बातें करने आ गई.. फिर हम ऐसे ही गप्पे मारने लगे और फिर थोड़ी ही देर बाद आशीष वॉशरूम गया तो सुरभि ने कहा कि तुम आशीष के सोने के बाद ठीक दो बजे रात को मेरे रूम में आ जाना.. तो मैंने बोला कि.. लेकिन कैसे? तो वो कुछ बोलने लगी इतने में आशीष आ गया और हम इधर उधर की बातें करने लगे.. फिर आशीष बोला कि दीदी अब आप जाओ मुझे सोना है और वैसे भी 12 हो गये है और वो चली गई.. फिर मुझे यह भी डर लग रहा था कि कहीं आशीष या उसके माता, पिता ना उठ जाये.. लेकिन उसे चोदने का मेरा सपना भी मुझे गरम कर रहा था.. लेकिन टाईम है कि निकल ही नहीं रहा था और बहुत देर यूँ ही इंतजार करने के बाद में 2 बजे उठ गया मुझसे और इंतजार नहीं हो रहा था..

तो में सुरभि के रूम में गया तो वो सो रही थी और उसने परफ्यूम लगा रखा था.. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो नहाकर सोई हो.. में उसके पास गया और उसे पीछे से हग कर लिया और मैंने अपना लोवर उतार दिया अब मेरा लंड ठीक उसकी गांड के ऊपर था और में उसके चूचियों को दबा रहा था.. फिर जब में उसके गर्दन पर किस कर रहा था तो वो उठ गई और मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुराई.. फिर मैंने जल्दी से उसकी शर्ट उतारी और वो अब पेंटी और सिर्फ़ ब्रा में थी.. क्या बताऊँ यारों मुझे ऐसा लग रहा था कि इतनी सेक्सी लड़की मुझे पूरी ज़िंदगी में नहीं मिल सकती और में उसके ऊपर लेट गया और उसके पैर खोलकर अपने लंड को उसकी पेंटी पर रगड़ने लगा और वो मेरे लंड को देखकर बोली कि तुम तो पहले से ही अनुभवी हो और मुझे किस करने लगी.. फिर मैंने उसके चूचियों को ब्रा से आज़ाद किया और उन्हें पागलो की तरह चूसने लगा और में इतने ज़ोर से चूस रहा था कि उसके निप्पल एकदम कड़क हो गये थे और चूचियों भी.. फिर में उसकी पेंटी पर अपनी उंगलियां घुमाने लगा और उसे चूमने लगा और फिर उसके पैर जो कि बिल्कुल साफ थे में उन्हें चूमते चूमते उसकी जांघो पर आ गया और फिर अपनी जीभ से उसकी पेंटी के ऊपर से चाटने लगा और फिर वो झड़ गई और मैंने उसकी पेंटी उतारी और उसके हाथ में अपना लंड दे दिया वो जैसे जैसे में उसे बता रहा था वो उसे वैसे वैसे हिला रही थी.. फिर मैंने उसकी बूर को करीब दस मिनट तक चाटा और फिर अपने लंड को उसकी बूर पर रखा और धक्का देने लगा.. उसकी बूर से थोड़ा खून निकल रहा था.. लेकिन वो थोड़ा भी नहीं चिल्लाई.. क्योंकि मैंने एक तकिया उसके मुहं पर रख दिया था.. फिर पांच मिनट ऐसा करने के बाद में अपना पूरा लंड उसकी बूर में डाल पाया और फिर उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी अपनी गांड को हिला हिलकर मेरे लंड का मजा ले रही थी.. मैंने उसे 4-5 नये नये तरीको से चोदा.. फिर में अपने रूम में आ गया ….