दोंस्तों, मैं नम्रता आपको अपनी आपबीती सुना रही हूँ। देवेश से शादी हुए पूरे 4 साल पूरे हो गये थे। शादी से पहले मैं उत्कर्ष से प्यार करती थी। वो मुझे अपनी अच्छी, और गन्दी तरह की तस्वीर भेजता रहता था। करीब 4 सालों तक मेरा उससे रिश्ता था। हम दोनों सब कुछ करते थे। कुछ बचा नही था। असल में चुदाई में मुझे इतना सुख मिलने लगा की जब वो कहता था दोगी?? या कहता था खेलोगी?? तो मैं मना नही कर पाती थी। बस ये सिलसिला चल निकला।
वैसे तो मैं बड़ी conservative फैमिली थी। मेरी माँ की भी आरेंज शादी हुई थी। मेरे पिता शादी से पहले किसी भी तरह के रिश्ते के खिलाफ थे। शादी से पहले पलंगतोड़ चुदाई और ठुकाई को वो गलत और गन्दा मानते थे। कॉलेज में मेरी मुलाकात उत्कर्ष से हो गयी थी। पहले दिन क्लास में उसने और मैने एक ही t शर्ट पहनी थी। बस टी शर्ट के बारे में बात करते हुए मेरी उससे दोस्ती हो गयी। धीरे धीरे हम प्यार करने लगे। एक दिन जब शाम को उत्कर्ष ने मुझे बुलाया तो मैं समझ गयी की सायद वो मुझे एक बार चोदके मेरी बुर का टेस्ट लेना चाहता है।
मैं सेक्सी ड्रेस पहन कर गयी। हम दोनों उसके फ्लैट पर अकेले थे। उसने मुझे बाँहों में भर लिया। वो मेरी सेक्सी ड्रेस और मेरे परफ्यूम की तारीफ करने लगा।
दोगी?? उसने कहा
ना! मैंने मना कर दिया।
क्योंकि सेक्स ने बड़ा डरती थी। मैं कई सहेलियों को जानती थी जिन्होंने अपने आशिक़ो से दिन रात चुदवाकर अपनी गर्मी दूर की थी। पर बाद में वो प्रेग्नेंट हो गयी थी। उनकी बदनामी में समाज में खूब हुई थी। इसलिए सेक्स और चुदाई ने मैं बहुत डरती थी। मैंने अपना डर अपने आशिक़ उत्कर्ष को बता दिया।
अरे नम्रता!! तू बड़ी सीधी है। तेरी सेहेलियां चुदवा चुदवा कर जो प्रेग्नेंट हो गयी थी उन्होंने कोई प्रोटेक्शन नही लिया होगा। तभी वो लोड हो गयी होंगी। मैं तुजे कंडोम लगाकर पेलूंगा, तो तू लोड नही होगी उत्कर्ष बोला। मैं अभी भी चुदाई से डर रही थी। मेरा भय देखकर उसने कहा आओ। मैं उसके साथ बिस्तर में चली गयी। हमदोनो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे। उसने मेरे सेक्सी टॉप को निकाल दिया। मैं नँगी हो गयी। उत्कर्ष भी नन्गा हो गया। वो मेरे मस्त मम्मो को पीने लगा। मेरी चूत को बड़े प्यार से सहलाने लगा।
मेरी चूत भी जब बड़ी गरम हो गयी तो मैंने खुद ही कह दिया।
उत्कर्ष! मुझे चोद लो!! पर ख्याल रहे मैं प्रेगनेंट न हो जाऊ! मैंने कहा
उसने कंडोंम के डिब्बे से एक सनी लियोनी वाला मैनफोर्स का स्ट्राबेरी फ्लेवर निकाला। मुझे कंडोम का इतना बड़ा पैकेट देख के शक हुआ की कहीं वो मेरे अलावा और लड़कियों को नही चोदता है।
उत्कर्ष इतना बड़ा कंडोम का डिब्बा क्यों?? मैंने पूछा
बस ऐसे ही , कभी कभी कंडोम लगाकर मुठ मार लेता हूँ वो बोला
मैं सही सही जान नही पायी की क्या वाकई और लड़कियों को भी अपने फ्लैट में लाकर पेलता है। उत्कर्ष ने कंडोम निकाला और अपने लण्ड पर लगाया। बड़ा नाग सा गुस्सैल लण्ड मैंने देखा। इस गुस्सैल लण्ड को देखके मैं खुशि से फूली ना समाई। मैं जान गई की ये काला गुस्साए नाग मेरी बुर के धुंआ निकाल देगा। उसके चीथड़े चीथड़े कर देगा। उत्कर्ष ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। मेरी टांगे खोल दी। बड़ी देर उसने मेरी बुर पी और लण्ड लगाकर मुझे लेने लगा। उत्कर्ष ने अपनी मर्दानगी साबित कर दी, 5 मिनट में ही मेरी सील तोड़ दी।
मुझे मजे से चोदने लगा। दोंस्तों , 3 घण्टों की चुदाई के बाद मैंने महसूस किया कि मैं बेकार में चुदाई डर रही थी। ये तो फुटबाल खेलने जैसा है। बस दौड़ते हुए फुटबाल को जोर से मारो और नेट में गोल कर दो। 3 घण्टो में मैं कोई 300 400 बार चुद गयी होगी। कहने का मतलब की 300 400 बार उत्कर्ष का लण्ड मेरी बुर की फाकों में गया होगा। उस दिन के बाद मैं हर हफ्ते उत्कर्ष से कंडोम लण्ड पर पहनवाकर चुदवा लेती। मेरी पिताजी और मम्मी को इसके बारे में कुछ नही पता चला।
वो घर में बैठे प्रवचन देते रही वही मैं अपने यार उत्कर्ष से मजे से हर हफ्ते चुदवाती रही। एक साल तक खूब ठुकवाने के बाद एक दिन मैं बाथरूम में नहा रही थी। मैंने अपनी बुर देखी, बिलकुल फट चुकी थी।
नम्रता! किसी और का लण्ड खाएगी!! मेरे दोस्त भी तुजे लेना चाहती है!! उत्कर्ष बोला
मैं गुस्से से जल गई।
उत्कर्ष!! मैंने तुम्हारी गिर्लफ्रेंड हूँ कोई रंडी नही!! तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो?? मैंने उसे बहुत डांटा। पुरे 15 दिनों तक मैंने उससे बात नही की। 1 महीने बाद हमारा रिश्ता फिर बन गया। मैं एक बार फिर से अपनी चूत की ठुकाई के लिए उत्कर्ष से घर गयी। उसने इस बार कोई ऐसा वैसी मांग नही की।
पहले तो कई घण्टे पेलाई हुई, फिर हम दोनों ने कैंडल लाइट डिनर किया। मैं जब घर आ गयी तो बार बार उसके प्रस्ताव को सोचने लगी। उत्कर्ष कहता था ये मानव शरीर एक मंदिर है। अगर कोई अपनी पूजा करना चाहे तो मना नही किया। उत्कर्ष ये भी कहता था कि वो हसीना ही क्या जो बस एक ही आदमी का लण्ड खाये। असली कामिनी तो वही है तो कई गिलासों ने पानी पियें। कई मर्दों के लण्ड से अपनी प्यास बुझाए। दोंस्तों, मैं दिन रात यही सोचने लगी की क्या मैं एक साधारण लड़की हूँ। मैं तो खुद को बड़ी कामिनी, बड़ी अफ्सरा समझती हूँ।
अब उत्कर्ष के दोंस्तों से जब चूदने का मौका मिला है तो मैं क्यों पीछे हट रही हूँ। मैं क्यों नही नये नये लँडों को खाकर अपने आपको इंद्र की मेनका क्यों नही साबित कर देती। दोंस्तों, मैंने मन ही मन सोच लिया की मैं खुद को इंद्र की मेनका साबित कर दूंगी। मैंने उत्कर्ष को फ़ोन करके बता दिया की मैं अपनी साधारण लड़की वाली छवि को तोड़ना चाहती हूँ। वो अपने दोंस्तों को बुला ले, मैं सबका लण्ड लुंगी और खुद को एक कामिनी , और इंद्र की मेनका साबित कर दूंगी। मैं इस बारे में रोज उत्कर्ष से फ़ोन पर बात करती रही।
वो मुझे समझने लगा की वो गुलाब की क्या जिस सिर्फ एक इंसान ही सुंगे। असली गुलाब वही है जिसे कई लोग सूंघे। मुझे एक बात बिलकुल सही लगी। अगर मैं केवल उत्कर्ष से ही पेलवाती बजवाती रहूँगी तो मैं क्या नया सीखूंगी। मेरी पर्सनालिटी में कोई विस्तार नही होगा और ना ही कुछ नया मैं सिख पाऊँगी। अगर मैं उत्कर्ष के दोंस्तों से मिलूंगी तो हर दोस्त मुझे नही नही तरह से चोदेंगे, मैं कितना कुछ नया सीखूंगी। इसलिए दोंस्तों मैंने सोच लिया की मैं ये करुँगी।
अगली रविवार को जब शाम 8 बजे मैं उत्कर्ष के फ्लैट पर पहुँची तो वहां बड़ी बीड़ थी। कोई 20 25 लड़के लड़कियाँ थे वहां। डीजे पर नए गाने गाने बज रहे थे। दोंस्तों से पिज़्ज़ा, बर्गर, स्नैक्स, चिप्स बिअर मंगा रखे थे। जैसे ही मैं पहुची सारे दोस्त सीटी बजाने लगे। मेरा तहेदिल से स्वागत किया गया। इतना प्यार, इतनी इज्जत दोंस्तों मुझे कभी नही मिली थी। कुछ लड़कियां भी आयी थी जो मुझे उत्कर्ष के दोंस्तों से चुदते हुए देखता चाहती थी। वो भी मेरी तरह साधारण लड़की की झांट वाली इमेज से बाहर आना चाहती थी।
सभी दोंस्तों ने मेरा स्वागत किया। सभी से स्नैक खाये, फिर बिअर पी। फिर चुदाई सुरु हुई। सभी कुर्सी लेकर मेरे चारों ओर बैठ गये।
नम्रता!! बोलो किस्से चुदवाओगी?? उत्कर्ष ने पूछा।
मैं सभी 20 लड़कों को ध्यान से देखने लगी। लड़कियां मुझे नम्रता!! नम्रता!! बोलकर मेरा उत्साह बड़ा रही थी। मुझे चीयर कर रही थी। मैं ध्यान से सब लड़कों को देखने लगी। फिर एक 7 फुट का जॉन अब्राहम टाइप मसल वाला मुझे दिखा।
उससे!! मैंने उसकी ओर ऊगली से इसारा किया।
सब दोंस्तों जोर जोर से सिटी मारने लगे।
वो 7 फुट का जॉन अब्राहम टाइप लड़का बाहर आया। उसने मुझसे हाथ मिलाया।
हाय! मेरा नाम देवेश है!! आपने बारे में बहुत सुना है!! देवेश मुस्कुराकर बोला।
मैं भी खुसी खुसी उससे हाथ मिलाया।
फक में रियली हार्ड!! मैंने उससे कहा।
देवेश ने मेरे कपड़े उतारे। अपने भी उतारे। मैं नँगी लेट गयी। देवेश की क्या बॉडी थी। मैं तो उसकी फैन हो गयी थी। मैंने पैर खोल दिए। देवेश मेरी बाल सफा चिकनी चूत को चाटने लगा। सभी दोंस्तों ने अपने अपने फोन खोल दिए। कुछ तो रिकॉर्डिंग करने लगे। इतनी इज़्ज़त, इतना प्यार, इतनी अटेंशन मुझे पहली बार मिली थी।
बॉडी बिल्डर देवेश ने अपना बड़ा था दरियाई गोधे जैसा लण्ड मेरी चूत में लगाया और अंदर डाल दिया। सब लोगों से सिटी और तालियां बजाई। देवेश मुझे चोदने लगा। मैं इस बार आँखे खोली रही, बन्द नही की। गपागप देवेश मेरी बुर की गहराई नापने लगा। उसका बड़ा सा मोटा लण्ड मेरी चूत में पूरा पूरा भर गया था जैसे मोटा सैंडविच या क्रीम रोल। मेरी चूत अब जरा भी ढीली नही थी, पूरी की पूरी कसी हुई थी। इतनी कसावट से मुझे डबल मजा मिल रहा था। देवेश का 8 10 इंच लंबा बिलकुल नीग्रो जैसा था। मेरी बुर का एक एक इंच उससे भर गया। मैं सुख के संसार में डूब गई।
सारी टेंशन, मुस्किलो, को भूलकर मैं देवेश से मजे से चुदने लगी। उसने मेरे दोनों हाथों को पकड़ लिया। नाव बनाकर मुझे पेलने लगा। जब वो जोर जोर धक्के मारने लगा तो सब दोस्त सीटी मारने लगी।
नम्रता!! यस यू कैन!! यस यू कैन!! सब लड़कियां ताली पीटने लगी।
देवेश ने मुझे उल्टा पेट के बल लिटा दिया। पीछे से मेरी चूत में लण्ड डाला और पेलने लगा। लड़कियाँ तो आकर मेरी पीठ सहलाने लगी। सच में दोंस्तों मुझे बड़ा प्यार मिला। देवेश मेरे चुत्तड़ो को चपट मार मार कर मुझे पेलने लगा। मैं निहाल हो गयी। कुछ देर बाद वो मेरी बुर में ही झड़ गया। उसी के रुमाल से उसने अपना माल पोछ दिया।
अब फिर दूसरे लड़के को चुनना था। सबसे बड़ा लण्ड तो मैं खा चुकी थी। अब मुझे ही दूसरा लण्ड चुनना था। मैंने 20 लड़कों की बीड़ से दूसरा लण्ड भी चुनना था। मैंने सभी को देखा एक लड़का बड़ा खूबसूरत था। बिलकुल राजकुमारों जैसा दिखता था। तुम!! मैंने कहा।
हाइ मेरा नाम! लक्ष्य है लक्ष्य ने बताया
मैंने खुसी खुसी उससे हाथ मिलाने लगी। सब दोंस्तों ने गुजारिश की की मैं लक्ष्य के कपड़े खुद उतारी। मैंने उसके शर्ट की बटन खोली। वो बड़ा गोरा था बिलकुल अंग्रेज लगता था। मैंने अपने मुँह से उसकी बेल्ट खोली। उनको undress किया। मैं बैठकर उसका लण्ड चूसने लगी। लक्ष्य का लण्ड देवेश से पतला था,पर खूब लम्बा था। मैं दोनों हाथों से फेट कर उसका लण्ड चूसने लगी। सब लड़कियां सिटी बजाने लगी। सभी गौर से मुझे देख रहे थे।
लक्ष्य फक हर ऐस!! सभी दोस्त चिल्लाने लगी। मैं जान गई की दोस्त अब कुछ नया देख्ना चाहते है। लक्ष्य ने मुझे कुतिया बना दिया। उसने खूब सारा थूक अपने लण्ड में लगाया और मेरी गाण्ड के कसे मुँह पर रखा। सब सिटी मारने लगे। मैं खुश हो गयी। लक्ष्य ने ताकत लगाई और अंदर पेला। लण्ड मेरी गाड़ की लोहे की दिवार तोड़ कर अंदर घुस गया, मैं चिल्ला उठी। लक्ष्य मेरी गाण्ड चोदने लगा। मैंने बर्दास्त कर लिया। खूब जादा थूक उसने और लण्ड पर मल लिया और मेरी गांड चोदने लगा।
कुछ देर बाद मुझे दर्द होना बंद हो गया। अब मुझे दर्द नही हो रहा था। लक्ष्य अब एक जगह खड़ा हो गया। मैं खुद कुतिया बनके अपने आपको लक्ष्य का लण्ड गाड़ में लेकर आगे पीछे करने लगी। मेरी गाण्ड खुद बखुद चूदने लगी। लक्ष्य ने मेरे बाल पकड़ लिए और वेश्याओं की तरह मुझे हुँ हूँ!! करके हुमक हुमक कर चोदने लगा। मुझे दिलकश सुख मिला। लकड़ियाँ मेरी पीठ सहलाने लगी। कुछ लड़के मेरे नीचे लेटकर मेरे चुच्चे पीने लगे। मैं सुख सागर में डूब गई। लक्ष्य मुझे मजे से चोदने लगा। बड़ी देर उसने मेरी गाण्ड चोदी।
अब लक्ष्य खुद बिस्तर पर लेट गया। मुझे उसने मुझे लण्ड पर बैठा लिया। मैंने सोचा की बिचारे ने इतनी महनत की है अब मैं की करुँ। दोंस्तों, मैं सनी लियोन की तरह कूद कूदकर लक्ष्य को चोदने लगी। सब ताली बजाने लगे। मेरे मुंह पर हजारों फ़्लैश चमक रहे थे। सब मेरी फोटो ले रहे थे, सब मेरी और लक्ष्य की रिकॉर्डिंग कर रहे थे। मैं सनी लियोन की तरह उछल उछलकर लक्ष्य को चोदने लगी। फिर आराम कर लेने के बाद मैं रुकी तो लक्ष्य मुझे नीचे से पेलने लगा। सच में दोंस्तों वो रात मेरी जिंदगी की ऐतिहासिक रात थी। www.nonvegstory.com
काफी देर तक मुझे बैठाके चोदने के बाद लक्ष्य झड़ गया। अब उसने मुझे घुमा कर बैठा दिया। मैंने दोंस्तों की तरह अब मुँह करके लक्ष्य के लण्ड पर बैठ गयी। मेरी लम्बी चिकनी नँगी पीठ अब उत्कर्ष के मुँह की ओर थी। वो मेरी पीठ सहलाने लगा और मैं उछल उछलकर लण्ड चोदन करने लगी। उस दिनों बाद मजा आया। पूरी रात में सभी दोंस्तों से चुदी। फिर अगले हफ्ते से कई लकड़ियाँ भी आकर सभी से चुदवाने लगी। हम सभी दोस्त जाते थे ये पार्टी देखने।
मैंने अपनी साधारण लड़की की छवि तोड़ दी थी। उत्कर्ष के दोंस्तों से चुदवाकर मेरा कोई नुकसान नही हुआ था दोंस्तों, फायदा ही हुआ था। मेरा फ्रेंड सर्किल बढ़ गया था। मैंने काफी नयी चीजे सीखी थी।