मेरा नाम राधिका है, मैं 25 साल की हूँ। मेरी शादी को अभी छह महीने ही हुए थे। मेरे पति, संजय, एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे और अक्सर टूर पर रहते थे। मेरे जेठ जी, राकेश, 35 साल के थे—लंबे, गोरे, और मज़बूत जिस्म वाले। उनकी पैंट में हमेशा उभरता मोटा लंड मुझे तड़पाता था। मैं जानबूझकर टाइट साड़ी पहनती थी, जिसमें मेरे चूचे और गांड साफ़ दिखें। एक दिन पति टूर पर गए, और घर में सिर्फ़ मैं और जेठ जी थे। उनकी नज़रों में शरारत थी, और मेरी चूत उनकी चुदाई की भूखी हो रही थी।
सुबह का वक़्त था। मैं किचन में नाश्ता बना रही थी। जेठ जी पीछे से आए और मेरी कमर पकड़ ली। “राधिका, तू बहुत मस्त लग रही है, तेरी चूत को लंड चखाऊँगा,” उन्होंने गरम लहजे में कहा। मेरी साँसें तेज़ हो गईं। “जेठ जी, ये क्या बोल रहे हो?” मैंने शरमाते हुए कहा, लेकिन मेरी चूत गीली हो रही थी। उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू खींचा, और मेरे चूचे नंगे हो गए। “क्या मस्त चूचे हैं तेरे, इन्हें चूस-चूस कर लाल कर दूँगा,” जेठ जी ने कहा और एक निप्पल को मुँह में भर लिया। “आह्ह, जेठ जी, चूसो, मेरी चूत में आग लग रही है!” मैं सिसक उठी।
जेठ जी ने मुझे किचन के स्लैब पर बिठा दिया। “राधिका, आज तुझे मेरा मोटा लंड चखाऊँगा,” उन्होंने कहा और मेरी साड़ी ऊपर उठाई। मेरी चूत नंगी होकर चमकने लगी। “तेरी चूत तो रस से तर है, इसे चोदने का मज़ा आएगा,” जेठ जी ने कहा और अपनी जीभ मेरी चूत पर फेर दी। “आह्ह, चाटो मेरी चूत, इसे चूस डालो!” मैं चिल्लाई। उन्होंने मेरी चूत के होंठ चाटे, और मेरा रस उनके मुँह में भर गया। “क्या स्वाद है तेरी चूत का, इसे फाड़ने का मन कर रहा है,” जेठ जी ने कहा और अपनी पैंट उतार दी। उनका मोटा लंड बाहर निकला—लंबा, सख्त और गरम। “जेठ जी, ये तो मेरी चूत फाड़ देगा!” मैंने डरते हुए कहा।
उन्होंने मुझे स्लैब से उतारा और कुतिया की तरह झुका दिया। मेरी मोटी गांड हवा में तन गई। “पहले तेरी चूत चोदूँगा, फिर गांड,” जेठ जी ने कहा और मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “मारो, जेठ जी, मेरी गांड लाल कर दो, फिर अपने लंड से चोदो!” मैं चिल्लाई। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई, और जोर से चोदो!” मेरी चीखें किचन में गूँज उठीं। मेरी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। “तेरी चूत तो मेरे लंड को निगल रही है,” जेठ जी ने कहा और मुझे पेलने लगे। मेरी चूत से रस टपक-टपक कर फर्श पर गिर रहा था।
जेठ जी ने मुझे किचन से बेडरूम में ले जाया। “राधिका, अब तुझे पूरा चोदूँगा,” उन्होंने कहा और मेरी साड़ी फाड़ दी। मैं पूरी तरह नंगी थी। “तेरी गांड में भी लंड चखाऊँगा,” जेठ जी ने कहा और मुझे बिस्तर पर झुका दिया। “डाल दो, जेठ जी, मेरी गांड को चोद डालो!” मैं चिल्लाई। उन्होंने अपना मोटा लंड मेरी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और तेज़!” मेरी चीखें तेज़ हो गईं। मेरी चूत से रस बह रहा था, और गांड उनके लंड को चूस रही थी। “तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है,” जेठ जी ने कहा और मुझे रगड़ने लगे।
चुदाई का नशा चढ़ गया। जेठ जी ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गए। “अब तेरी चूत को गहरा चोदूँगा,” उन्होंने कहा और लंड मेरी चूत में ठोक दिया। “आह्ह, जेठ जी, मेरी चूत चीर डालो!” मैं चिल्लाई। उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “तेरी चूत तो रस से भर गई, इसे चोद-चोद कर ढीली कर दूँगा,” जेठ जी ने कहा और मेरे चूचों को मसलते हुए धक्के मारे। “चोदो मुझे, जेठ जी, मुझे अपने लंड का मज़ा दो!” मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं। बिस्तर हमारी चुदाई से हिल रहा था।
जेठ जी ने मुझे दीवार से सटा दिया। “राधिका, तेरे होंठ चूसूँगा,” उन्होंने कहा और मेरे होंठ चूसने लगे। “तेरे होंठ तो शहद हैं,” जेठ जी बोले और मेरे होंठों को दबाया। मैंने उनका लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “जेठ जी, मेरी चूत को फिर चोदो!” उन्होंने मुझे बिस्तर पर पटका और मेरी चूत में लंड ठोका। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” जेठ जी ने चीखते हुए कहा। “और जोर से चोदो, मेरी प्यास बुझा दो!” मैं चिल्लाई। उनकी चुदाई से मेरा पूरा जिस्म थरथरा रहा था।
जेठ जी ने मुझे घुटनों पर बिठाया। “अब मेरा लंड चूस, राधिका,” उन्होंने कहा और लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने जीभ निकाली और उनके लंड को चाटने लगी। “आह्ह, जेठ जी, आपका लंड तो मज़ेदार है,” मैंने कहा और लंड को गले तक ठूँस लिया। उन्होंने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में धक्के मारे। “चूस ले, तेरे होंठ इसे निचोड़ डालें!” जेठ जी चीखे। मेरी चूत फिर से गीली हो गई। “आपके लंड का रस मेरे मुँह में डाल दो,” मैंने फुसफुसाया। मेरे होंठों से लार टपक रही थी, और चुदाई का नशा चरम पर था।
शाम होने को थी। जेठ जी ने मुझे बाथरूम में ले जाया। “राधिका, यहाँ तेरी चूत को फिर चोदूँगा,” उन्होंने कहा और मुझे शावर के नीचे खड़ा कर दिया। पानी मेरे नंगे जिस्म पर बह रहा था। “जेठ जी, मेरी चूत को चोद डालो!” मैं चिल्लाई। उन्होंने लंड मेरी चूत में ठोका और तेज़ी से पेलने लगे। “तेरी चूत मेरे लंड की दीवानी है,” जेठ जी ने कहा। मेरे चूचे पानी में भीगकर चमक रहे थे। “आह्ह, और जोर से चोदो!” मैं चीखी। शावर की ठंडक और उनकी चुदाई की गर्मी से मेरा जिस्म काँप रहा था। मेरी चूत उनके लंड को निचोड़ रही थी।
रात ढल गई। जेठ जी ने मुझे अपनी गोद में बिठाया। “राधिका, अब तेरी गांड फिर चोदूँगा,” उन्होंने कहा और मुझे उल्टा कर दिया। “जेठ जी, मेरी गांड में लंड डाल दो!” मैंने सिसकते हुए कहा। उन्होंने मेरी गांड में लंड पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और तेज़!” मेरी चीखें कमरे में गूँज रही थीं। “तेरी गांड मेरे लंड की गुलाम है,” जेठ जी ने कहा और मुझे रगड़ने लगे। मेरी चूत से रस टपक रहा था। “चोदो मुझे, जेठ जी, मुझे अपनी रंडी बना दो!” मैं चिल्लाई। उनकी चुदाई की रफ्तार से बिस्तर थरथरा रहा था।
आख़िर में जेठ जी का लंड फट पड़ा। उनका गरम रस मेरी चूत में भर गया, फिर मेरी गांड में, और बाक़ी मेरे चूचों और होंठों पर छिड़क गया। “आह्ह, जेठ जी, आपका रस मेरे मुँह में डाल दो,” मैंने कहा और उनके लंड से टपकते रस को चाट लिया। हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़े। “राधिका, तुझे मोटा लंड चखा दिया,” जेठ जी ने हँसते हुए कहा। “हाँ, और अब मैं आपकी चुदाई की दीवानी हूँ,” मैंने जवाब दिया। “हर बार चोदूँगा,” जेठ जी ने वादा किया। उनकी चुदाई की गर्मी मेरे जिस्म में समा गई थी।
जेठ जी रात को चले गए। मैं अपनी फटी साड़ी संभालते हुए उठी। मेरी चूत और गांड उनकी चुदाई से थरथरा रही थीं। “जेठ जी ने मुझे मोटा लंड चखाया, और मज़ा ही आ गया,” मैंने मन में सोचा। पति के आने से पहले फिर चुदाई का वादा करके वो गए। मेरी चूत उनकी अगली मुलाकात का इंतज़ार कर रही थी। कमरे की दीवारें हमारी चुदाई की गवाह बन गई थीं। ये सिलसिला अब रुकने वाला नहीं था।