Jija Sali Sex Kahani : मेरा नाम रेशमा है। उम्र 22 साल, गोरा रंग, मोटी चूचियाँ जो मेरे कुर्ते में ठूंसी हुई लगती थीं, और एक गोल, रसीली गांड जो मेरे जीजा, संजय, की नजरों का निशाना बन गई थी। मैं अपनी दीदी के घर रहने आई थी, जो शादी के बाद शहर में बस गई थी। जीजा 30 साल के थे—लंबे, गठीले, और एक ऐसा मोटा, काला लंड जो मेरी चूत को देखते ही तन जाता था। दीदी प्रेग्नेंट थीं, और उनका पेट बढ़ने की वजह से जीजा की वासना अधूरी रह जाती थी। लेकिन मुझे क्या पता था कि उनकी ये अधूरी प्यास मेरी चूत को चौड़ा कर देगी।
एक रात की बात है। दीदी सो गई थीं, और घर में सन्नाटा था। मैं अपने कमरे में लेटी थी। गर्मी की वजह से मैंने सिर्फ एक पतली नाइटी पहनी थी, जिसमें मेरी चूचियाँ साफ उभर रही थीं। मेरे निप्पल नाइटी से बाहर झाँक रहे थे, और मेरी गोरी जांघें हर हलचल पर नजर आ रही थीं। तभी जीजा मेरे कमरे में चुपके से घुस आए। “रेशमा, सो गई क्या?” उन्होंने धीरे से पूछा। मैं चौंक गई, “जीजा, आप यहाँ क्या कर रहे हैं?” लेकिन उनकी आँखों में एक भूख थी। वो मेरे पास बिस्तर पर बैठ गए और मेरी जांघ पर हाथ रख दिया। “रेशमा, तू तो बड़ी मस्त हो गई है। तेरी चूचियाँ और चूत मुझे बुला रही हैं,” उन्होंने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा। उनकी गर्म साँसें मेरे गले पर लगीं, और मैं सिहर उठी।
मैंने उन्हें रोकना चाहा, “जीजा, ये गलत है। दीदी को पता चलेगा।” लेकिन वो हँसे, “दीदी को कुछ नहीं पता चलेगा, साली। तेरी चूत की गर्मी मैं बुझा दूँगा।” उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी चूचियों पर रख दिया। “उफ्फ… रेशमा… तेरी चूचियाँ कितनी सख्त हैं… इन्हें चूसने का मन कर रहा है,” उसने कहा और मेरी नाइटी ऊपर उठा दी। मेरी गोरी, मोटी चूचियाँ उसके सामने थीं, और मेरे निप्पल सख्त होकर उसे ललचा रहे थे। “आह्ह्ह… जीजा… मत करो… उफ्फ…” मैं सिसकार रही थी। लेकिन वो मेरी एक चूची को मुँह में भरकर चूसने लगा। “उफ्फ… रेशमा… तेरे दूध का स्वाद मुझे दीवाना बना रहा है… आह्ह्ह…” वो मेरे निप्पल को चूस रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरी दूसरी चूची को मसल रही थीं।
मैं तड़प रही थी। मेरी चूत में आग लग रही थी, और मैंने उसकी कमर पकड़ ली। “आह्ह्ह… जीजा… धीरे चूसो… मेरी चूचियाँ दुख रही हैं… उफ्फ…” मैं कराह रही थी। उसने मेरी नाइटी पूरी उतार दी, और मेरा नंगा बदन उसके सामने था। मेरी गोरी जांघें, मेरी चिकनी चूत, और मेरी मोटी गांड उसे बुला रही थी। “रेशमा, तेरी चूत तो किसी कुंवारी की तरह टाइट लग रही है। इसे चौड़ा करने का मन कर रहा है,” उसने कहा और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा। “आह्ह्ह… जीजा… क्या कर रहे हो… मेरी चूत में बिजली दौड़ रही है… उफ्फ…” मैं सिसकार रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चाट रही थी, और मैं तड़प रही थी। “ओहhh… जीजा… चाट लो… मेरी चूत को चूस डालो… आह्ह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरी चूत में अपनी दो उंगलियाँ पेल दीं, और मैं दर्द से कराह उठी, “उफ्फ… जीजा… धीरे… मेरी चूत फट रही है… आह्ह्ह…”
उसने अपना पजामा नीचा किया, और उसका मोटा, काला लंड बाहर आ गया। वो लंबा था, सख्त था, और उसकी नसें फूली हुई थीं। मैं डर गई, “जीजा… ये बहुत बड़ा है… मेरी चूत फट जाएगी… उफ्फ…” लेकिन वो हँसा, “रेशमा, डर मत। मेरा लंड तेरी चूत को चौड़ा कर देगा।” उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार झटके में अंदर पेल दिया। “आह्ह्ह्ह… मर गई… जीजा… निकाल दो… मेरी चूत फट गई… उफ्फ…” मैं दर्द से चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया था। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा, और “थप-थप-थप” की आवाज कमरे में गूँज उठी। “रेशमा, तेरी चूत तो टाइट है। इसे पूरी रात चोदूँगा,” वो गंदी बात करते हुए मेरी चूचियाँ मसल रहा था। मैं कराह रही थी, “आह्ह्ह… जीजा… धीरे… मेरी चूत जल रही है… ओहhh…”
धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया। मैंने उसकी कमर पकड़ ली और चिल्लाई, “चोद दो… अपनी साली की चूत को फाड़ दो… आह्ह्ह…” उसने मुझे घोड़ी बना दिया। मेरी गांड हवा में थी, और वो मेरी गांड को थप्पड़ मारते हुए बोला, “साली, तेरी गांड तो किसी रंडी से कम नहीं। इसे भी चोदूँगा।” उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड उसकी दरार में रगड़ने लगा। मैं डर गई, “जीजा… गांड मत मारो… उफ्फ… फट जाएगी…” लेकिन उसने मेरी एक न सुनी। उसने अपना मोटा लंड मेरी गांड में धीरे-धीरे सरकाना शुरू किया। “आह्ह्ह्ह… मादरचोद… मर गई… निकाल दो… ओहhh…” मैं दर्द से चिल्ला रही थी। उसका लंड मेरी गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। दर्द असहनीय था, लेकिन वो रुका नहीं। वो मेरी गांड को चोदने लगा, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं, “उफ्फ… जीजा… धीरे… मेरी गांड फट रही है… आह्ह्ह…” धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया, और मैं चिल्लाई, “चोद दो… मेरी गांड को भी फाड़ दो… ओहhh…”
रात गहराने लगी थी। जीजा ने मुझे फिर से लिटाया और मेरी चूत में लंड पेल दिया। “रेशमा, तेरी चूत को पूरी रात चोदकर चौड़ा कर दूँगा,” वो गुर्रा रहे थे। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… जीजा… चोदो… मेरी चूत को रगड़ डालो… उफ्फ…” उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। वो मेरी चूचियों को चूस रहे थे, और उनकी उंगलियाँ मेरी गांड में घुस रही थीं। मैं दोहरी मार से चिल्ला रही थी, “उफ्फ… जीजा… मेरे दोनों छेद भर दो… आह्ह्ह…” वो रुक नहीं रहे थे। पूरी रात वो मेरी चूत को चोदते रहे, कभी घोड़ी बनाकर, कभी गोद में उठाकर, कभी दीवार से सटाकर। मेरी चूत चौड़ी हो गई थी, और मेरा रस बिस्तर पर फैल रहा था।
फिर उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे मुँह में लंड ठूँस दिया। “चूस, रेशमा… मेरा रस पी ले… उफ्फ…” वो चिल्लाए। मैंने उसका लंड चूसा, “उम्म… जीजा… कितना गर्म है आपका लंड… आह्ह्ह…” उसका रस मेरे मुँह में छूट गया, और मैं उसे निगल गई। फिर उसने अपना बचा हुआ रस मेरी चूचियों पर छोड़ दिया। मैं थककर बिस्तर पर लेट गई, मेरी साँसें तेज थीं, और मेरा बदन पसीने से तर था। मेरी चूत सूज गई थी, और मेरी गांड दर्द से भरी थी।
सुबह तक जीजा ने मुझे चोदा। “रेशमा, तेरी चूत अब मेरी है। इसे हर रात चौड़ा करूँगा,” वो हँसते हुए बोले। मैं कराहते हुए जवाब देती, “आह्ह्ह… जीजा… चोद लो अपनी साली को… उफ्फ…” उस रात के बाद जीजा मेरी चूत और चूचियों के दीवाने बन गए। जब भी मौका मिलता, वो मुझे चोदकर मेरी चूत को चौड़ा करते। मेरी चूत अब उनकी गुलाम बन गई थी।