जीजा का मस्त लंड से अपने आप को चुदने से नहीं रोक पाई

दोस्तों मेरा नाम मोहिनी है. आज मैं नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे अपनी कहानी ले के आई हु. मैं अभी छब्बीस साल की हूँ.. फिगर ३६-२८-३४ और रंग मेरा गोरा है और अपनी हॉट सेक्सी शरीर की बात करूँ तो भगवान ने भरपूर मेहरबानी की है.. हर हिस्सा गजब का हैं आम जीतने बड़ी चूचियाँ है.. गदराया हुआ बदन है अगर कोई 80 साल का बुढा भी देख ले तो कहे की काश भगवान इसे 40-50 साल पहले भेजता.. लोगों की नज़रे मेरे कपड़ो को फाड़ कर मेरे बदन को लूटने का सपना देखती है.. और वो चोदने के लिए बेताब हो जाता, कहने का मतलब यह है की मैं देख की देवी हु, मुझे चुदाई बहूत ही ज्यादा पसंद है.

दोस्तों मेरी शादी जतिन के साथ 2 साल पहले हुई थी और वो रोज़ मुझे भोगते हैं रोज नए नए स्टाइल में चोदते थे. घर का कोई कोना ऐसा नहीं है जहाँ मैं चुदी ना हूँ.. चाहे वो रसोई घर हो, सीढ़ी के निचे हो. छत पर हो, स्टोर रूम हो. सील जतिन ने ही तोड़ी थी आज मैं आपको अपनी लाइफ के दूसरे मर्द के बारे में बता रही हूँ.. मुझे शादी से पहले सेक्स का कोई अनुभव नहीं था.. जतिन मेरी लाइफ के पहले मर्द है पर हां चूचियां मैंने अपने पड़ोस बाले अंकल से मजे लिए है. दोस्तों मेरी लाइफ का दूसरा मर्द है मेरी कज़िन सिस्टर का पति मतलब मेरे जीजा..

मेरी चचेरी का नाम दिशा है.. उसके पति का नाम प्रवीण है. प्रवीण में ऐसी कोई ख़ास बात नहीं है की हर औरत उससे चुदे अगर मैं अपने पति जतिन से प्रवीण की तुलना करूँ तो प्रवीण तो कुछ भी नहीं है लेकिन फिर भी पराए मर्द के एक हल्के से टच से ही कुछ होने लगता है.. बात कुछ ऐसी है मेरे मायके में एक समारोह था.. मैं और जतिन वहाँ गये थे लेकिन जतिन को वापस आना था उन की सुबह एक जरुरी मीटिंग थी..

दिशा और प्रवीण भी आए थे.. समारोह के बीच में डांस फ्लोर पर सब डांस कर रहे थे.. प्रवीण ने मुझे भी फ्लोर पर खींच लिया मैं भी नाचने लगी वो मेरा हाथ पकड़ कर नाच रहा था, अचानक मेरा बेलेन्स बिगड़ा तो उसने मुझे पकड़ लिया उसका हाथ मेरी कमर पर था और दूसरा मेरे हाथ के नीचे मेरी चूचियां के साइड में था.. मैं गिरने से बच गयी प्रोग्राम ठीक तरह से खत्म हो गया.. अब सब लोग थक गये थे..

हमारा घर काफ़ी बड़ा है तीन मंज़िल का घर है.. ग्राउंड फ्लोर पर सब बड़े लोग मतलब बूड़े लोग थे.. फर्स्ट फ्लोर पर सब बच्चे थे और सेकेंड फ्लोर पर हम सब कज़िन थे.. मेरी तीन कज़िन और मेरी छोटी सिस्टर सब बिना शादीशुदा थे और मेरा बड़ा भाई और उसकी वाइफ अलग रूम में थे.. प्रवीण बोला की मैं तो छत पर सोने जा रहा हूँ..

दिशा बोली की मैं इतने दिन के बाद आई हूँ मैं तो सब के साथ सोऊँगी.. तब प्रवीण ने कहा की मैं अकेला बोर हो जाऊंगा नींद आने में तो टाइम लगेगा तो मैने कहा की चलो मैं चलती हूँ थोड़ा ठंडी हवा खा लूँगी ऊपर मुझे क्या पता था की मैं ठंडी हवा नही कुछ और खाऊँगी आज.. प्रवीण बोला ठीक है हम छत पर चले गये छत काफ़ी बड़ी थी और आस पास के घरों से बहुत उँची थी.. हम दोनो नीचे चटाई पर गद्दा बिछा कर बैठ गये और बातें करते रहे मैं काफ़ी थक गयी थी. प्रवीण ने कहा की थोड़ी देर यहाँ ही आराम कर लो हवा भी अच्छी चल रही है..

और बातें करते करते मुझे पता नही कब नींद आ गयी बस प्रवीण की तो लॉटरी निकल गयी वो मेरे पैरों की तरफ बैठा था.. पता नहीं कब वो उठ कर मेरे पास आ कर लेट गया और अपना हाथ मेरे पेट पर रख कर सहलाने लगा मैं ऐसी गहरी नींद में थी की पता ही नही चला.. मैं सोती ही इस तरह हूँ की जतिन कई बार मेरा ब्लाउस खोल देते है और मुझे पता ही नही चलता.. आज प्रवीण ने मेरे पति की जगह ले ली थी वो मेरा ब्लाउस खोल चुका था.. और चूचियां को सहला रहा था. तभी अचानक मेरी आँख खुली तो मैं हैरान रह गयी..

किसी अजनबी मर्द को अपने जिस्म से खेलते हुए पाकर मेरी साँस तेज हो गयी पता नहीं मैं क्यूँ उसे रोक नहीं पाई.. पता नहीं जहाँ जहाँ वो मुझे टच कर रहा था.. मेरी साँस अटक जाती थी.. जीजा प्रवीण ने अब मेरी साडी के नीचे से मेरी जाँघ को सहलाना शुरू किया अब वो भी समझ चुका था की मैं जाग गयी हूँ और उस को रोक नही रही.. अब उसने अपने होट मेरे होट से चिपका दिए हम एक दूसरे की जीभ को टटोल रहे थे.. उस ने मेरे चूचियां मेरी ब्रा के उपर से ही दबाने शुरू कर दिए अब उसका एक हाथ मेरी अंडरवियर तक पहुँच चुका था जो गीली हो चुकी थी.. मैने मेरे एक हाथ की उंगलियाँ उसके बालों में घुमा रही थी.. आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है. मैं तो किसी और ही दुनिया में थी.. मुझे इतना भी होश नहीं था की कोई छत पर आ भी सकता है.. जीजा ने मेरी ब्रा उतार दी और मेरी गोरी और सुडोल चूची उस के सामने थी.. उसकी आँखे तो बस मेरी चूची को देखती ही रही उस ने एक हाथ मेरी एक चूची पर रखा और दूसरी चूची पर अपने गरम होट रख दिए मेरे मुहं से सिसकारी निकल गयी मैं अपने होश पूरी तरह खो चुकी थी.. वो सिर्फ़ लुंगी में ही था और उस के लंड का सख़्त होना मुझे महसूस हो रहा था..

उस ने मेरी साडी को एक तरफ करके मेरे पेटीकोट का नाडा खोल दिया और उसे अपने पैरो से नीचे करने लगा मैने अपनी दोनो आँखें बंद कर रखी थी.. अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में उसके नीचे पड़ी थी.. उसकी आँखो की चमक बता रही थी की उसने इस से अच्छा बदन कहीं नहीं देखा था.. अब वो मेरी अंडरवियर को उतारने लगा..

मैं उस का साथ दे रही थी मैने अपने चूतड़ उपर उठाए और उस ने मेरी अंडरवियर निकाल दी एक पराए मर्द के सामने नंगी होने के ख्याल से ही मैं सिहर गई थी.. अब मुझ से बर्दाश्त नही हो रहा था वो मेरे पूरे बदन से खेल रहा था जिस भी हिस्से में उसका मन करता अपने होटो से चूमने चाटने लगा मैं पागल हुई जा रही थी.. उफ क्या एहसास है मैं बस उस की छाती में समा जाना चाह रही थी.. वो धीरे धीर नीचे जाने लगा..

जैसे जैसे वो मुझे चूमते हुए पेट और नाभि और अंडरवियर की लाइन तक गया मेरी हल्की सी चीख निकल गयी.. मैं अपने होश में नहीं थी.. बस अब मुझे उस का गरम और टाइट लंड अपनी चूत में चाहिए था.. अरे उस टाइम तो उसका लंड क्या किसी का भी लंड होता तो मैं चुद लेती अब वो मेरी चूत को चाट रहा था.. मैं बस पागल हो रही थी.. थोड़ी देर चूत चाटने के बाद वो उठा और मेरे होटों पर अपने लंड को टिका दिया इस से पहले मैने कभी लंड मुहँ में नही लिया था.. जतिन का भी नहीं.. मुझे अजीब लगता था लेकिन प्रवीण जीजा के लंड के लिए मेरा मुहँ अपने आप ही खुल गया..

मैं उनका लंड चूस रही थी और जीजाजी की सिसकारी निकल रही थी.. शायदरुचिका ने कभी उनका लंड नहीं चूसा था.. मैं पागलों की तरह जीजाजी के लंड को चूसने लगी वैसे इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं था जीजाजी का.. पर आज मुझे पता नहीं क्या हो रहा था.. मैं उसके बॉल को चाटने लगी वो भी पागल सा हो रहा था.. अब वो उठ गया और मुझे नीचे लेटा कर मेरे उपर आ गया और उस ने मेरी चूत पर अपना लंड टिकाकर रगड़ना शुरू कर दिया.. अब मैं भी कामुक हो रही थी.. मैंने उसके चूतड़ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया तो उसका लंड मेरी गीली चूत में समा गया और झटके मारने लगा मैं उस के चुतड को अपनी तरफ खींचे जा रही थी.. वो ज़ोर ज़ोर से मुझे चोद रहा था और मैं तो सातवे आसमान में थी.. आज तक उसने मुझ जैसा माल नही चोदा था.. इस लिए वो ज़ोर से झटके मार रहा था और मेरी चूत की गर्मी से उसे रहा नहीं गया और वो अपने चूतड़ हिला हिला कर मुझे चोदे जा रहा था और फिर उसके लंड से पिचकारी निकली और मेरी चूत की दीवारों को अपने लंड की निशानी से भिगोने लगा में भी झड़ चुकी थी.. वो मुझ पर निढाल हो कर पड़ा रहा फिर वो साइड में आँख बंद कर लेट गया और मुझे फिर एकदम होश सा आया और मैं अपने कपड़े उठा कर छत पर बने बाथरूम में चली गयी और कपड़े पहनकर बिना जीजाजी को देखे नीचे चली आई.

दोस्तों नीचे सब सो रहे थे.. में भी जगह देख कर लेट गयी और मेरी आँखो के सामने मेरी चुदाई ही चुदाई घूमने लगी.. बस अब मैं सोना चाहती थी और ना जाने कब मेरी आँख लग गयी.. ये थी मेरी सच्ची कहानी.. आशा करती हु की आपको ये मेरी हॉट सेक्सी कहानी बहूत ही अच्छी लगी होगी. दोस्तों रेटिंग तो बनती है?

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