काम वासना में आतुर औरत की कहानी

मेरा नाम राधिका है। मैं 35 साल की हूँ, और दिल्ली में अपने पति के साथ एक आलीशान अपार्टमेंट में रहती हूँ। मेरा पति एक बिजनेसमैन है, और वो महीने में 20 दिन टूर पर रहते हैं। मैं घर में अकेली रहती हूँ, और मेरा हसीन शरीर मेरी कामुकता की आग को और बढ़ा देता है। मेरी चूची भारी और गोल हैं, मेरा गांड रसीला और लचकदार है, और मेरी चूत हमेशा गर्म रहती है। मेरा चेहरा और मेरी कातिलाना अदाएँ किसी भी मर्द का लंड सख्त कर सकती हैं। लेकिन पति की अनुपस्थिति में मेरी चूत की आग बुझाने वाला कोई नहीं था। मैं हर रात अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर अपनी कामुकता को शांत करने की कोशिश करती, लेकिन वो आग और बढ़ जाती।

पिछले हफ्ते, मेरे पति ने मुझे बताया कि उनका दोस्त, अर्जुन, कुछ दिनों के लिए हमारे घर आएगा। अर्जुन 30 साल का था, लंबा, चौड़ी छाती वाला, और उसकी आँखों में एक जंगली कामुकता थी। जब वो हमारे घर आया, तो उसकी नजर मेरे चूची पर टिक गई। मैंने उस दिन एक टाइट साड़ी पहनी थी, जिसमें मेरी चूची और गांड की उभरी हुई शेप साफ दिख रही थी। साड़ी का पल्लू मेरे सोंट से चिपका हुआ था, और मेरा गांड हर कदम पर लचक रहा था। “भाभी, आप बहुत खूबसूरत हो,” उसने कहा, और मेरी चूत में एक सिहरन दौड़ गई। मैंने मुस्कुराकर उसकी तारीफ का जवाब दिया, लेकिन मेरे मन में कामुकता का तूफान उठ रहा था।

पहली रात को, मैं अपने रूम में तैयार हो रही थी। मैंने एक पतली सी नाइटी पहनी, जो मेरे शरीर से चिपकी हुई थी। मेरी चूची नाइटी में साफ दिख रही थी, और मेरा गांड हर कदम पर हिल रहा था। मैं जानबूझकर रसोई में पानी लेने गई, ताकि अर्जुन मुझे देख सके। वो डाइनिंग टेबल पर बैठा था, और उसकी नजर मेरे चूची और गांड पर टिक गई। “भाभी, इतनी रात को क्या कर रही हो?” उसने पूछा, उसकी आवाज में कामुकता भरी थी। “बस, पानी लेने आई हूँ,” मैंने कहा, और जानबूझकर झुक गई, ताकि मेरी चूची का उभार उसे साफ दिखे। उसका लंड पैंट में सख्त हो रहा था, और मैंने उसकी आँखों में कामुकता की भूख देखी।

मैं उसके पास बैठ गई, और हम बातें करने लगे। मेरी नाइटी का किनारा ऊपर सरक गया, और मेरा गांड साफ दिखने लगा। अर्जुन की साँसें तेज हो रही थीं, और उसकी नजर मेरे चूची और चूत की तरफ थी। “भाभी, तुम्हारी कामुकता मुझे पागल कर रही है,” उसने कहा, और मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने उसकी आँखों में देखा, और बोली, “अर्जुन, मेरी चूत की आग को शांत कर दो, मैं बहुत तड़प रही हूँ।” उसकी आँखें चमक उठीं, और उसने मेरे करीब आकर मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।

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उसके होंठ मेरे होंठों को चूस रहे थे, और उसकी जीभ मेरे मुँह में खेल रही थी। मेरी चूत में एक तूफान सा उठ रहा था, और मैं उसकी बाहों में पिघल रही थी। उसने मेरी नाइटी उतार दी, और मेरा नंगा बदन उसके सामने था। मेरी चूची सख्त हो गई थी, और मेरा गांड उसके सामने लचक रहा था। उसने मेरी चूची को अपने मुँह में लिया, और चूसना शुरू किया। “अहह… अर्जुन,” मैं सिसकारियाँ लेने लगी। उसकी जीभ मेरी चूची के निप्पल पर नाच रही थी, और मेरी चूत गीली हो रही थी। उसने मेरी दूसरी चूची को अपने हाथ से दबाया, और मेरे सोंट पर उंगलियाँ फिराईं। मेरी कामुकता चरम पर थी, और मैं उसकी हर हरकत से सिहर रही थी।

उसने मुझे सोफे पर लिटा दिया, और मेरी टाँगें फैला दीं। मेरी चूत उसके सामने थी, गीली और गर्म। उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी, और चाटने लगा। “अहह… अर्जुन, और चाटो,” मैं चिल्ला रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी, और मैं कामुकता में पागल हो रही थी। उसने मेरे गांड को अपने हाथों से पकड़ा, और मेरी चूत को चाटते हुए मेरे सोंट को सहलाया। मेरी सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उसकी पैंट की तरफ देखा, और उसका लंड पैंट में सख्त होकर तंबू बना रहा था।

“अर्जुन, मुझे तुम्हारा लंड चाहिए,” मैंने सिसकारी लेते हुए कहा। उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका लंड बाहर आया—लंबा, सख्त, और गर्म। “भाभी, अब तुम्हारी चूत को मैं शांत करूँगा,” उसने कहा, और मेरा शरीर सिहर उठा। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा, और मैं सिसकारियाँ लेने लगी। “चुदाई करो, अर्जुन, और मत तड़पाओ,” मैंने कहा। उसने अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया, और धीरे-धीरे चुदाई शुरू की। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी। “चुदाई करो, और जोर से!” मैंने कहा, और उसने रफ्तार बढ़ा दी। मेरा गांड उसके हर धक्के से हिल रहा था, और मेरी चूची हवा में उछल रही थी।

उसने मेरे गांड को पकड़ा, और जोर-जोर से चुदाई की। “भाभी, तुम्हारी चूत स्वर्ग है,” उसने कहा, और मैं उसकी कामुकता में खो गई। उसने मेरी चूची को फिर से चूसना शुरू किया, और उसकी जीभ मेरे निप्पल पर नाच रही थी। मेरी चूत गीली होकर चिकनी हो गई थी, और उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा था। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, और मेरा शरीर उसकी चुदाई से काँप रहा था। “अर्जुन, और जोर से चुदाई करो,” मैंने कहा, और उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी। उसका लंड मेरी चूत की गहराई में जा रहा था, और मैं कामुकता की चरम सीमा पर थी।

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कुछ देर बाद, उसने मुझे पलटा, और मेरा गांड ऊपर कर दिया। उसने मेरे गांड को चाटा, और उसकी जीभ मेरे गांड के छेद पर नाचने लगी। “अहह… अर्जुन, ये क्या कर रहे हो?” मैं सिसकारी लेते हुए बोली। “भाभी, तुम्हारा गांड बहुत रसीला है,” उसने कहा, और फिर अपने लंड को मेरी चूत में डालकर फिर से चुदाई शुरू की। मैं चिल्ला रही थी, “अर्जुन, और जोर से!” उसका लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था, और मेरा शरीर काँप रहा था। उसने मेरी चूची को पकड़ा, और उन्हें चूसते हुए चुदाई की। मेरा शरीर झटके खाने लगा, और मैं झड़ गई। मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, और अर्जुन ने भी अपने लंड को बाहर निकालकर मेरे गांड पर अपना पानी छोड़ दिया।

हम दोनों सोफे पर लेट गए, पसीने से तर, मेरी चूची उसकी छाती पर दबी हुई थी। उसने मेरे होंठों पर एक आखिरी चूमना किया, और मेरे गांड को सहलाया। “भाभी, तुमने मुझे दीवाना कर दिया,” उसने कहा, उसकी आँखों में अभी भी कामुकता थी। मैंने मुस्कुराकर कहा, “अर्जुन, ये रात मेरे लिए यादगार है।” उसने मेरे चूची को फिर से दबाया, और कहा, “फिर से करें?” मैंने हँसते हुए कहा, “देखते हैं, शैतान!”

अगली सुबह, मैंने फिर से एक टाइट साड़ी पहनी, और जानबूझकर रसोई में काम करने लगी। अर्जुन मेरे पास आया, और मेरे सोंट को पकड़कर बोला, “भाभी, तुम्हारी कामुकता मुझे फिर से बुला रही है।” मैंने उसकी तरफ मुड़कर कहा, “अर्जुन, मेरी चूत फिर से गर्म हो रही है।” उसने मुझे रसोई में ही पकड़ लिया, और मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। उसने मेरी साड़ी ऊपर की, और मेरे गांड को सहलाया। “भाभी, तुम्हारा गांड मुझे पागल कर देता है,” उसने कहा, और फिर से मेरी चूची को चूसना शुरू किया।

उसने मुझे काउंटर पर बिठा दिया, और मेरी टाँगें फैला दीं। मेरी चूत फिर से गीली थी, और उसने अपने लंड को बाहर निकाला। “भाभी, अबकी बार रसोई में चुदाई करें?” उसने पूछा, और मैंने सिसकारी लेते हुए हाँ कहा। उसने अपने लंड को मेरी चूत में डाला, और जोर-जोर से चुदाई शुरू की। मेरा गांड काउंटर पर रगड़ रहा था, और मेरी चूची उसके मुँह में थी। “अर्जुन, और जोर से चुदाई करो,” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरे सोंट को पकड़ा, और अपनी पूरी ताकत से चुदाई की। मेरी चूत फिर से झड़ गई, और उसने मेरे चूची पर अपना पानी छोड़ दिया।

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हम दोनों हाँफ रहे थे। उसने मुझे अपनी बाहों में लिया, और मेरे गांड को सहलाया। “भाभी, तुम्हारी कामुकता का कोई जवाब नहीं,” उसने कहा। मैंने मुस्कुराकर कहा, “अर्जुन, तुमने मेरी चूत की आग को शांत कर दिया।” उसने मेरे होंठों को फिर से चूमना शुरू किया, और हम दोनों की कामुकता उस सुबह फिर से जाग उठी।

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