‘बेटा! मुझे चोदके दूध का कर्ज उतार दे’ मेरी माँ बोली और कसके मुझसे चुदवाया

मैं जतिन पासी आप सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर बहुत बहुत स्वागत करता हूँ. मेरा पापा श्री दयाल पासी ३ महीने के लिए अपने ऑफिस से उड़ीसा चले गए थे. पापा इंजीनियर थे. ओड़िसा में उनकी कम्पनी का कोई नया माइनिंग प्रोजेक्ट चल रहा था. पापा उसी सिलसिले में गए हुए थे. मेरी माँ अभी बिलकुल जवान थी. वो सारा दिन फोन और टीवी पर चिपकी रहती थी. पहले तो मैंने जादा ध्यान नहीं दिया. पर बाद में पता चला की अपने फोन पर वो सारा दिन पोर्न चुदाई वेबसाईट पर चुदाई वीडियोस देखा करती है. इतना ही नही माँ ने टीवी में गंदे गंदे चैनल भी खुलवा रखे थे. मैंने उनके कमरे में चुदाई कहानी वाली कई किताबे पकड़ी. एक दिन जब माँ ने खाना नही बनाया तो मुझे बहुत गुस्सा आ गया.

माँ!! ये सब आखिर क्या है?? तुम इन्टरनेट पर हमेशा चुदाई वीडियोस देखा करती हों. गन्दी गन्दी कहानी पढ़ती हो. तुमको शर्म करनी चाहिए. माँ तुम शादी शुदा हो, एक जवान बच्चे की माँ हो. कुछ तो शर्म करो!’ मैंने माँ को बहुत जोर से फटकार लगाई. माँ रोने लगी.वो बहुत सीरिअस हो गयी.

‘बेटा जतिन! जब तुमहारे पापा थे, मुझे रोज रात में पेलते थे. बिना चोदे कोई भी रात नही जाने थे. पर जबसे वो ओड़िसा गए है, तब से मेरी प्यास बुझाने वाला कोई नही है. बेटा! तू तो अपने कमरे में बैठके पढता रहता है, पर तू नही जान सकता की बिना अपनी लौट में लौड़ा खाये कैसा लगता है. ऐसा लगता है की आज खाना ना खाया हो. इसलिए बेटा जतिन!! मैं कहूँगी की अपने पापा की जिम्मेदारी अब तू उठा. मुझे चोदकर मेरी गर्म गर्म चूत में लौड़ा देकर तू मेरे जिस्म की प्यास शांत कर दे और मेरे दूध का कर्ज चूका दे’ मेरी माँ बोली

‘बेटा! तू एक लड़की होता तो जरुर जान पाता की एक औरत कैसी बिना चुदाये रात काट पाती है. कितना मुस्किल है ये. मर्द तो मुठ मारके अपना माल गिरा देते है पर बेचारी औरत क्या करे. मैं किसी तरह अपनी चूत में गाजर, मूली, बैगन डाल के मुठ देती हूँ, पर जाकर मुझे शांति मिलती है. इसलिए बेटा जतिन मैं एक बार फिर से तुझसे कहूँगी की जबतक तेरे पापा नही आ जाते तू मुझे चोद और मेरे दूध का कर्ज चूका’ माँ बोली

दोस्तों, ये सुनकर तो मेरी बोलती बंद हो गयी. मैं अपनी माँ की कंडिशन से वाकिफ हो गया. अब मुझे ये साफ साफ़ समझ आ गया की माँ आखिर क्यों इन्टरनेट पर वो चुदाई वीडियोस देखा करती है. रात होने पर मैंने माँ के कमरे की तरह गया. काफी गर्मी होने के कारण माँ से शावर लिया था. अब रात के १० बजे वो अपने कमरे में थी. वो नंगी थी, बिलकुल नंगी. ड्रेसिंग टेबल के सामने नंगी खड़ी होकर माँ अपने लम्बे लम्बे बालों में कंघी कर रही थी. उनका जिस्म बहुत ही चिकना और गठीला था. माँ के २ चुच्चे बेहद सुंदर और भरे हुए थे. जैसा जादातर हिन्दुस्तानी औरतों के साथ साथ होता है की माँ बन्ने पर उनकी छातियाँ नीचे की ओर लटक जाती है, वैसा मेरी माँ के साथ नही था. उसके कलश आज भी बिलकुल टोंड थे. छातियों के उपर शीर्ष पर बड़े सुंदर काले काले चोकलेट जैसे घेरे थे. माँ के बाल भीगे थे और पानी उनके बालों से उसके चिकने नंगे जिस्म पर टपक कर आग लगा रहा था.

अरे बेटा! तुम आ गए??’ माँ बोली. उन्होंने मुझे देखकर कंघी करना बंद कर दी. वो बिलकुल टॉप की चोदने लायक माल लग रही थी. क्या मस्त सामान लग रही थी.

माँ!! मैं तुम्हारी मजबूरी समझ चूका हूँ. मैं तुमको चोदने को तैयार हूँ. माँ!! मैं तुम्हारी चूत में अपना मोटा लौड़ा देने को तैयार हूँ’ मैंने कहा. बस इतना कहना ही हुआ था की उन्होंने कंघी फेक दी और ड्रेसिंग टेबल के लम्बे से शीशे के सामने वो मेरे गले लग गयी. मैंने भी अपनी जवान चुदासी माँ को गले से लगा लिया ‘ओ बेटा!! तुम कितने अच्छे हो. मैंने तुमको पैदाकर सबसे अच्छा काम किया है. बेटा !! आज मुझसे कसके चोद और अपने दूध का कर्ज चूका दे’ माँ बोली. फिर हमदोनो गले लग गये. मैंने माँ को बाहों में भर लिया. मेरे हाथ उनकी कसी चिकनी पीठ पर थे. मैंने माँ को चूमने लगा. वो बहुत जादा चुदासी हो चुकी थी. मुझसे कसके चुदवाना चाहती थी. माँ मुझे जगह जगह चूमने चाटने लगी. मेरे गाल, ओंठों, नाक, गले सब जगह वो मेरा चुम्मा लेने लगी.मैं भी इधर पूरी लगन से अपनी माँ से प्यार फरमाने लगा. माँ भीगे और गीले बदन में आग जैसी लग रही थी. मैं उसकी चूत जरुर मरूँगा और कसके मारूंगा, ये मैंने सोच लिया था.

फिर मेरी सगी माँ ने अपने बला के खूबसूरत मेरे लाल ओंठों पर रख दिए और मेरे ओंठ पीने लगी. मैं भी उनकी साँसों की महक ले लेकर उनके ओंठ पीने लगा. मैं जीभ से जीभ सटाकर, उनके मुँह में अपनी जीभ डालकर उनका मुँह पी रहा था. उधर माँ भी ऐसा ही कर रही थी. मेरे मुँह में अपनी जीभ  डालकर मुझसे चुसवा रही. हम दोनों माँ बेटे एक दुसरे का मुँह कायदे से पी रहे थे. माँ के बाल अभी भी भीगे थे. उसके बालों से पानी की बुँदे अमृत की तरह टपक रही थी. माँ के मुँह को पीते पीते ही मैंने मेरे हाथ उनकी कडक कडक चुचि पर चले गए. मेरी माँ इस समय बहुत चुदासी हो रही थी. उसके बूब्स इतने मस्त थे की मेरी माँ को कोई नंगा देख लेता तो चोद के ही रहता. मैं उनके बूब्स सहलाने लगा. गजब के सुंदर बूब्स थे माँ के. बिलकुल कयामत थे. फिर माँ मुझ से लिपट गयी. मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाल दी. वो मुझसे लिपटी रही, मैं खड़े खड़े ही उनकी चूत में ऊँगली करता रह.

‘बेटा !! ऐसे खड़े खड़े तू मेरे साथ न ही मजा कर पाएगा और ना ही मुझे चोद पाएगा. बेटा चल मुझसे बिस्तर पर ले चल और रगड़ के चोदना बेटा!! तुझे मेरे दूध का कर्ज उतारना है’ बोली भोलेपन से बोली. मैंने अपनी अल्टर बिगडैल और चुदक्कड़ माँ को गोद में उठा लिया और बिस्तर पे ले गया. मैंने अपने कपड़े निकाल दिए. माँ की तरह मैं भी नंगा हो गया. हम दोनों पति पत्नी की तरह प्यार करने लगे. मैं माँ के बूब्स पीने लगा. गोल, कड़े और कसे बूब्स थे उसके. देख देखकर मेरा दिमाग खराब हो रहा था. मैं अपनी चुदक्कड़ माँ की छातियों को मुँह में भर लिया था और चबा चबाकर पी रहा था. माँ किसी कुतिया की तरह बिस्तर पर मचल रही थी. आज मुझे इस आवारा कुतिया को रगड़ के चोदना था.

‘पी ले बेटा! पी ले! बचपन में तू इसी तरह मेरी मस्त मस्त छातियाँ पीता था. आज बिलकुल उसी तरह से मेरे दूध पी ले!!’ माँ बोली. मेरा लौड़ा बड़ी जोर से खड़ा हो गया. मैंने अपनी चुदासी माँ के गाल पर ३ ४ चांटे चट चट लगा दिए. ‘हाँ रंडी!! आज तो तू अपने लडके से ही चुदेगी! आज तुझे इतना लौड़ा खिलाऊंगा की दुबारा तू इन्टरनेट पर चुदाई वाली गन्दी पिक्चर नही देखेगी’ मैंने कहा और फिर से माँ के गाल पर चट चट कई चांटे मार दिए. फिर उसके आम पीने लगा. मैंने जोर जोर से अपने हाथों से उनके मस्त मस्त आम दबाने लगा और निचोड़ने लगा. माँ को दर्द होने लगा. ‘आराम से बेटा!! लगती है’ माँ बोली.

मैंने अपना लौड़ा खड़ा कर लिया और माँ की नर्म नर्म रुई सी मुलायम चुच्ची के बीच में लौड़ा रख दिया. फिर हाथ से दोनों चुची को दाबकर माँ के आम चोदने लगा. माँ उई उई उई माँ माँ सी सी सी आ आ !! करने लगी. मुझे बड़ी यौन उतेज्जना चढ़ गयी. मैं कामतुर हो गया. मेरी आँखों में सिर्फ और सिर्फ वासना भर आइये. अपनी माँ को मैं तुरंत और इसी समय पटक के चोदना चाहता था. मुझे इस छिनाल की चूत के सिवा कुछ नही दिख रहा था. मुझसे बस और सिर्फ अपनी आवारा माँ की चूत मारनी थी. इस रंडी को इतना चोदना था की दोबारा ये छिनाल कोई गन्दी किताब ना पढ़े. दोस्तों, आज मुझे अपनी सगी माँ को चोद चोद के उसकी बुर फाड़ देनी थी और उसकी चूत में अच्छे से लौड़ा देना था.

जब मेरी आवारा माँ जोर जोर से सी सी आ आ करने लगी तो मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने जोर से माँ की काली टनटनाई निपल्स को किसी जानवर की तरह दांत से काट लिया. माँ की माँ चुद गयी. ‘बेटा आराम ने मेरी छाती पी! अगर मैं मर गयी तो तू किसी चोदेगा!’ माँ बोली. मैं वहसी हो गया.

‘रंडी!! तुझे मैं मरने नही दूंगा! मरने से पहले अपने सगे बेटे से चुदवा तो ले छिनाल! वरना भगवान को क्या बताएगी की तू इतनी बड़ी अल्टर थी और अपने बेटे का लौड़ा भी नही खा पाई. मुझसे चुदवा तो ले छिनाल!!’ मैंने कहा और माँ को ५ ६ चांटे जोर जोर से मार दिए. उसके मस्त मस्त गाल पर मेरे पंजा छप गया. फिर मैं अपनी माँ के पेट पर आ गया. बड़ा गोरा मुलायम पेट था माँ का. नाभि बहुत कमनीय थी, बड़ी गहरी नाभि थी माँ की. मैं जान गया की मेरा बाप उसको हर रात चोदता होगा. क्यूंकि दोस्तों जादा चुदवाने से ही नाभि जादा गहरी हो जाती है. मैंने माँ की कमनीय नाभि में जीभ डाल दी. माँ के चुदासे जिस्म में सनसनी दौड़ गयी. वो मचलने लगी. अपने हाथों से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां दबाने लगी. ‘चोद दे बेटा!! अब मुझे चोद डाल! मेरी गर्म चूत में लौड़ा देकर मुझे कसके चोद बेटा!’ माँ बोली. मैंने उनकी तरफ कोई ध्यान नही दिया. मैं माँ को जादा से जादा तड़पा रहा था. फिर मैं माँ की चूत पर आ गया. हल्की हल्की झांटे माँ की पूरी चूत पर बिछी थी. माँ की चूत बहुत खूबसूरत थी दोस्तों. मैं बड़ी देर तक माँ की चूत के दर्शन करता रहा. यकीन नही हो रहा था की मैं इसी चूत से पैदा हुआ हूँ. मैंने माँ की चूत की फांकों को खोल दिया. बिलकुल फटी हुई चूत थी. मैं जान गया की मेरा बाप माँ को हर रात चोदता होगा. रात में बिलकुल भी नही सोने देता होगा. मैंने अपने ओंठ माँ की चूत पर रख दिए और लपर लपर करके पीने लगा. क्या मस्त लाल लाल चूत थी. मैं माँ के चूत के दाने को अंगूठे से घिसने लगा.

इससे माँ को बड़ी जोर की चुदास चढ़ने लगी. उसके पुरे बदन में मीठी मीठी तरंगे दौड़ने लगी. मैं जोर जोर से माँ के चूत के दाने को घिसने लगा. माँ की चूत की माँ चुद गयी. फिर मैं मुँह लगाकर माँ की चूत पीने लगा. दोस्तों बड़ी मीठी चूत थी माँ की. मैं माँ के मुतने वाले छेद को भी सहलाने लगा. माँ गांड उठाने लगी. वो १० इंच तक की उचाई तक अपनी कमर उठा रही थी. इससे पता चल रहा था की माँ को बड़ी मौज आ रही है. ‘चोद बेटा चोद!! वरना कहीं सुबह ना जाए! बेटा कहीं ये रात बीत ना जाए’ माँ फिकर करने लगी. मैंने अपनी माँ की चूत पर लौड़ा लगा लिया और जोर का धक्का मारा. माँ की चूत में मेरा लौड़ा प्रवेश कर गया. फिर मैं माँ को चोदने लगा. माँ ने अपनी दोनों टांगे किसी झंडे की तरह हवा में उठा ली. मैं धकाधक् माँ को चोदने खाने लगा. मैं धक्के मारने लगा.

‘बेटा!! तू तो बड़े धीरे धीरे मुझे चोद रहा है. बेटा ! कुछ तो शर्म कर. तेरे पापा कितना जोर जोर से मुझे पेलते थे. नाक मत कटवा बेटा! जोर जोर से पेल!’ माँ बोली. मेरे अंदर का मर्द जाग गया. मुझे लगा वो मेरी इन्सल्ट कर रही है. मैं गचागच माँ को चोदने लगा. ‘ले ले !! ले रंडी जोर जोर के धक्के ले!! तू बड़ी छिनार है. धीरे धीरे में तुझे मजा नही आता है. इसलिए ले जोर जोर से लौड़ा ले!!’ मैंने कहा और उनकी कमर पकड़ के जोर जोर से माँ को चोदने खाने लगा. मैंने एक नजर माँ की चूत की तरह देखा तो पाया की मैं शानदार ठुकाई कर रहा था. मेरा मोटा ९ इंची लौड़ा बहुत मोटा ताजा था और माँ की चूत को कस कसके चोद रहा था. मैंने ये भी पाया की मेरा लौड़ा पूरा का पूरा गोली तक माँ की चूत में घुस जा पा रहा था. मैं किसी रंडी की तरह अपनी सगी माँ को चोद रहा था. माँ जोर जोर से अपने मलाई जैसे गोले जोर जोर से दबा रही थी. मेरी चुदासी माँ के बड़े बड़े नाख़ून थे जो उनके मलाई वाले गोले में चुभ रहे थे.

सच में मेरी माँ एक भोगने चोदने खाने वाला सामान थी. दिल तो कर रहा था अपने दोस्तों को बुलाके अपनी आवारा माँ को कसके चुदवा दूँ. फिर मैं माँ को चोदने पर पूरा ध्यान देने लगा. अगर कमी रह जाती तो ये रंडी मुझे ताने मारने लग जाती. मैं हपर हपर करके माँ की फुद्दी मार रहा था. बड़ी मेहनत और तत्परता से अपनी सगी माँ को चोद रहा था और उनके दूध का कर्ज उतार रहा था. फिर मैं बहुत जोर जोर से धक्के मारने लगा. माँ की चुचियाँ हिलने लगी. जो देखने में बड़ी आकर्षक लग रही थी. ये देखकर मुझे बड़ी ख़ुशी मिली. मैं ह्पाहप माँ को चोदने लगा. अभी बड़ी देर हो चुकी थी, पर फिर भी माँ अपने दोनों पैर पाकिस्तान के झंडे की तरह उठाये थी. मैंने पाकिस्तान के झंडे को अपने हिन्दुस्तानी मजबूत लौड़े से चोद रहा था. फिर कुछ समय बाद मैं झड गया और सगी माँ की सगी चूत में स्खलित हो गया.

‘बेटा!! कुछ मजा नही आया. एक बार और चोद मुझे!’ मेरी आवारा माँ तुरंत बोली.

ये देखकर मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया. ‘ठीक है रंडी! ले और चुदवा ले’ मैंने कहा. मैंने बेड के सिरहाने से सर लगाकर लेट गया. अपनी आवारा माँ को मैंने अपने लौड़े पर बिठा लिया. ‘चल चोद साली!’ मैं अपनी सगी माँ को गाली दी. उसे बहुत पसंद आई. माँ मेरे लौड़े पर किसी स्टूडेंट की तरह उठक बैठक लगाने लगी. इस तरह के आसन में माँ को बड़ा मजा आ रहा था. माँ मजे से मेरे लौड़े पर उठक बैठक लगाने लगी. फिर वो लय में आ गयी और बड़ी जोर जोर से चुदवाने लगी. माँ ने अपने बड़े बड़े नाख़ून वाले उँगलियाँ मेरे सीने पर रख दी. माँ के नाख़ून मेरे सीने पर गड़ने लगे और खून निकलने लगा. पर उधर नीचे मैं माँ की फुद्दी मार रहा था. बहुत मजा मिल रहा था. इस वजह से मुझे बहुत मजा मिल रहा था. मेरी चुदक्कड़ माँ एक नम्बर की आवारा निकली. किसी घोड़ी की तरह कूद कूद के चुदवाने लगी. दोस्तों, मैं १ घंटे से भी जादा समय तक अपनी माँ को लौड़े पर बिठाकर चोदा फिर उसकी चूत में ही झड गया. ३ महीने तक मेरे पापा ओड़िशा में काम करते रहे. मैंने ३ महीने तक माँ को चोद चोदके उनका दूध का कर्ज उतार दिया. फिर पापा ओड़िशा से लौट आये. अब वो ही मेरी अल्टर माँ को रोज रात को चोदते खाते है. ये कहानी आप नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.