मामा-भांजी सेक्स स्टोरी – Mama Ne Bhanji Ko Park Me Choda Sex Story – मेरा नाम रिया है। उम्र 22 साल, गोरा रंग, भरी हुई चूचियाँ जो ब्लाउज में ठूंसी हुई लगती थीं, और एक गोल, मटकती गांड जो टाइट जींस में किसी का भी लंड खड़ा कर दे। मैं कॉलेज की लड़की थी, जवान, चुलबुली, और अपनी जवानी की गर्मी से बेकरार। हर लड़का मेरी चूचियों को घूरता था, और मेरी गांड को देखकर सिसकारियाँ भरता था। लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरी ये जवानी मेरे मामा, राकेश, की गंदी नजरों का शिकार बनेगी। मामा 38 साल के थे—लंबे, काले, गठीले, और एक ऐसा मोटा, काला लंड जो किसी की भी चूत को फाड़ दे। मामा गाँव से शहर आए थे और मेरे घर रुके थे। उनकी बीवी गाँव में थी, और उनकी आँखों में एक भूख थी जो मुझे डराती थी, पर कहीं न कहीं मेरी चूत को गुदगुदाती भी थी।
एक शाम मामा ने मुझसे कहा, “रिया, चल पार्क में घूम आएँ। तू सारा दिन घर में घुसी रहती है, थोड़ी हवा खा ले।” उनकी आवाज में मिठास थी, लेकिन उनकी नजर मेरी चूचियों पर टिकी थी। उनकी मुस्कान में शरारत थी, और मुझे कुछ अजीब लगा। फिर भी मैं तैयार हो गई। मैंने एक टाइट सफेद टी-शर्ट पहनी, जिसमें मेरी चूचियाँ साफ उभर रही थीं, और एक नीली जींस जो मेरी गांड को किसी मूर्ति की तरह तराश रही थी। मामा ने मुझे ऊपर से नीचे तक घूरा और बोले, “रिया, तू तो बड़ी मस्त लग रही है। चल, जल्दी चलें।” उनकी नजर मेरी जाँघों पर रुकी, और मेरे जिस्म में एक सिहरन दौड़ गई।
पार्क शहर के बाहर था, जंगल के पास, जहाँ शाम ढलते ही सन्नाटा छा जाता था। हम बाइक से गए। मामा ने मुझे अपनी कमर पकड़ने को कहा, और जैसे ही मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा, उन्होंने जानबूझकर ब्रेक मारा। मेरा बदन उनके पीछे से टकराया, और मेरी चूचियाँ उनकी पीठ से रगड़ गईं। “उफ्फ, मामा, क्या कर रहे हो?” मैंने हँसते हुए कहा। वो पीछे मुड़े और बोले, “अरे, रिया, सड़क खराब है। तू अपनी चूचियाँ संभाल के रख, वरना मेरा लंड खड़ा हो जाएगा।” उनकी गंदी बात सुनकर मैं शरमा गई, लेकिन मेरी चूत में हल्की-सी गीलापन छा गया।
पार्क में पहुँचते ही सूरज ढल चुका था। चारों तरफ अंधेरा था, और दूर-दूर तक कोई नहीं दिख रहा था। पेड़ों की छाँव में ठंडी हवा चल रही थी, और मामा ने मुझे एक बेंच की ओर ले जाकर बैठाया। वो मेरे पास सटकर बैठ गए, और उनका हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया। “मामा, ये क्या कर रहे हो?” मैंने उनकी ओर देखते हुए कहा। वो हँसे, “रिया, तू इतनी मस्त है कि मेरा लंड तुझे देखकर तड़प रहा है। तेरी चूचियाँ और गांड मुझे पागल कर रही हैं।” उनकी बात सुनकर मेरा मुँह खुला रह गया। मैंने कहा, “मामा, ये गलत है। मैं आपकी भांजी हूँ।” लेकिन वो मेरे और करीब आए, और उनकी साँसें मेरे चेहरे पर गर्म लहरें छोड़ रही थीं। “भांजी हो तो क्या, रिया। तेरी चूत की गर्मी मुझे बुला रही है,” उन्होंने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा।
उसके बाद जो हुआ, वो मेरे लिए शॉक था। मामा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे पार्क के एक कोने में ले गए, जहाँ घने पेड़ों के बीच एक पुरानी सीमेंट की बेंच थी। वहाँ अंधेरा इतना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मामा ने मुझे बेंच पर धक्का देकर बैठाया और मेरी टी-शर्ट ऊपर उठा दी। मेरी मोटी चूचियाँ ब्रा से बाहर झाँक रही थीं। “उफ्फ, रिया, क्या माल है तू। तेरी चूचियाँ तो दूध से भरी लगती हैं,” उन्होंने कहा और मेरी ब्रा को फाड़ दिया। मेरी चूचियाँ नंगी हो गईं, और ठंडी हवा से मेरे निप्पल सख्त हो गए। मैं चिल्लाई, “मामा… नहीं… उफ्फ… ये क्या कर रहे हो?” लेकिन वो मेरी एक चूची को मुँह में भरकर चूसने लगे। “आह्ह्ह… मामा… धीरे… मेरी चूचियाँ दुख रही हैं…” मैं सिसकारियाँ लेने लगी। उनकी जीभ मेरे निप्पल पर घूम रही थी, और मेरी चूत गीली हो रही थी।
मामा ने मेरी जींस का बटन खोला और उसे नीचे खींच दिया। मेरी पैंटी भी गीली हो चुकी थी। “रिया, तेरी चूत तो रस से भरी है। इसे चोदने का मन कर रहा है,” उन्होंने कहा और मेरी पैंटी को एक झटके में फाड़ दिया। मेरी गोरी, चिकनी चूत उनके सामने नंगी थी। मैं शर्म से मर रही थी, “मामा… छोड़ दो… उफ्फ… कोई देख लेगा…” लेकिन वो रुके नहीं। उन्होंने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगे। “आह्ह्ह… मामा… ये क्या कर रहे हो… ओह्ह्ह…” मैं तड़प रही थी। उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “उफ्फ… मामा… मेरी चूत में आग लग रही है… आह्ह्ह…”
फिर मामा खड़े हुए और अपना पजामा नीचे खींच दिया। उनका मोटा, काला लंड बाहर आ गया—लंबा, सख्त, और नसों से भरा हुआ। मैं डर गई, “मामा… ये बहुत बड़ा है… मेरी चूत फट जाएगी… उफ्फ…” लेकिन वो हँसे, “रिया, डर मत। मेरा लंड तेरी चूत का भोसड़ा बना देगा।” उन्होंने मेरा मुँह पकड़ा और अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। “चूस इसे, रिया। अपनी चूत तैयार कर,” उन्होंने गुर्राते हुए कहा। मैंने डरते-डरते उनका लंड मुँह में लिया। “उम्म… मामा… कितना मोटा है… उफ्फ…” मैं चूस रही थी, और उनका लंड मेरे गले तक जा रहा था। वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को चोदने लगे, “चूस, रिया… मेरी रंडी बन जा… आह्ह्ह…”
मामा ने मुझे बेंच पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। उनकी आँखों में वासना की आग थी। “रिया, अब तेरी चूत फाड़ूँगा,” उन्होंने कहा और अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मैं डर रही थी, “मामा… धीरे… उफ्फ… दर्द होगा…” लेकिन उन्होंने एक जोरदार झटका मारा, और उनका लंड मेरी चूत में घुस गया। “आह्ह्ह्ह… मर गई… मामा… निकाल दो… मेरी चूत फट गई… उफ्फ…” मैं दर्द से चीख पड़ी। उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर तक घुस गया था। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे, और “थप-थप-थप” की आवाज पार्क में गूँज उठी। “रिया, तेरी चूत तो टाइट है। इसे चोदकर रंडी बना दूँगा,” वो गंदी बात करते हुए मेरी चूचियाँ मसल रहे थे। मैं कराह रही थी, “आह्ह्ह… मामा… धीरे… मेरी चूत जल रही है… ओह्ह्ह…”
धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया। मैं खुद अपनी कमर हिलाने लगी, “मामा… चोद दो… मेरी चूत को फाड़ दो… आह्ह्ह…” मामा ने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “साली, तेरी गांड तो किसी कुतिया से कम नहीं। इसे भी चोदूँगा,” उन्होंने कहा और मेरी गांड में थूक लगाया। मैं डर गई, “मामा… गांड मत मारो… उफ्फ… फट जाएगी…” लेकिन उन्होंने मेरी गांड में अपना लंड धीरे-धीरे सरकाना शुरू किया। “आह्ह्ह्ह… मामा… मर गई… निकाल दो… ओह्ह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। दर्द से मेरी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन वो रुके नहीं। उनका लंड मेरी गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। “उफ्फ… रिया… तेरी गांड कितनी टाइट है… आह्ह्ह…” वो मेरी गांड को चोदने लगे, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह्ह… मामा… मज़ा आ रहा है… चोद दो…”
मामा ने मुझे फिर से लिटाया और मेरी चूत में लंड पेल दिया। वो मेरी चूचियाँ चूस रहे थे, और उनका लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था। “रिया, तेरी चूत को रस से भर दूँगा,” वो गुर्रा रहे थे। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… मामा… मेरी चूत फाड़ दो… उफ्फ…” उनका लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। फिर उन्होंने मुझे गोद में उठाया और हवा में चोदने लगे। “आह्ह्ह… मामा… क्या ताकत है आपके लंड में… ओह्ह्ह…” मैं कराह रही थी। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मेरी चूचियाँ उनके सीने से रगड़ रही थीं।
आखिर में मामा ने मुझे बेंच पर लिटाया और मेरे मुँह में लंड ठूँस दिया। “चूस, रिया… मेरा रस पी ले… उफ्फ…” वो चिल्लाए। मैंने उनका लंड चूसा, “उम्म… मामा… कितना गर्म है आपका लंड… आह्ह्ह…” उनका रस मेरे मुँह में छूट गया, और मैं उसे निगल गई। फिर उन्होंने अपना बचा हुआ रस मेरी चूचियों पर छोड़ दिया। मैं थककर बेंच पर लेट गई, मेरी साँसें तेज थीं, और मेरा बदन पसीने से तर था।
उस रात के बाद मामा की वासना रुकी नहीं। हर बार जब वो शहर आते, मुझे पार्क में ले जाते और मेरी चूत और गांड का भोसड़ा बनाते। “रिया, तू मेरी रंडी है,” वो कहते, और मैं कराहते हुए जवाब देती, “आह्ह्ह… मामा… चोद लो अपनी भांजी को… उफ्फ…” पार्क की वो रात मेरे लिए एक गंदी शुरुआत थी, जो मेरी चूत की प्यास को बार-बार जलाती रही।