मौसा जी का मोटा लंड और मेरी टाइट चूत

Mausa Ji Chudai Kahani: गर्मियों की एक चिपचिपी दोपहर थी, जब जयपुर की गलियों में धूप की तपिश हवाओं को गर्म कर रही थी। मैं, नेहा, 23 साल की जवान लड़की, अपने मायके में छुट्टियाँ बिताने आई थी। मेरी स्लिम फिगर, टाइट अनारकली सूट में उभरी मेरी चूची, और मेरी कमर का कामुक कर्व हमेशा नजरों को खींचता था। मेरे मौसा जी, रमेश, 48 साल के, एक जमींदार, जिनका रौबदार अंदाज और गहरी भूरी आँखें मुझे बेचैन कर देती थीं। उनकी नजर मेरी चूत पर अटकती थी, और मैं उनके मोटे लंड की ताकत को उनकी मजबूत कद-काठी में देख लेती थी। उस दिन, मेरी मौसी और बाकी परिवार वाले एक रिश्तेदार के यहाँ गए थे, और घर में सिर्फ मैं और मौसा जी थे, क्योंकि मौसा जी को खेतों की देखरेख के लिए रुकना पड़ा।

मौसा जी आंगन में एक चारपाई पर बैठे थे, और मैं उनके लिए ठंडा नींबू पानी लेकर आई। मेरे अनारकली का दुपट्टा पसीने से गीला होकर मेरे बदन से चिपक गया था, जिससे मेरी चूची का उभार साफ दिख रहा था। उनकी आँखों में एक कामुक चमक थी। “नेहा, तू तो इस गर्मी में भी ठंडक की बयार लगती है,” उन्होंने गहरी आवाज में कहा। मैं शरमाते हुए बोली, “मौसा जी, आप भी तो इतने जवान और ताकतवर दिखते हैं। लेकिन मेरी चूची और चूत की तरफ इतना क्यों देखते हैं?” वे हँसे और मेरे पास आकर फुसफुसाए, “क्यूंकि तेरी टाइट चूत मेरे मोटे लंड की प्यासी है, नेहा। आज दोपहर को और गर्म कर देंगे।”

हम घर के पुराने हिस्से में बने एकांत कमरे में चले गए, जहाँ पुरानी लकड़ी की खाट और मिट्टी की दीवारों की ठंडक ने माहौल को और सेक्सी बना दिया। मैंने धीरे-धीरे अपनी अनारकली उतारी, और मेरा नंगा बदन धूप की किरणों में चमकने लगा। मेरी चूची गोल और निपल्स तने हुए थे, और मेरी टाइट चूत हल्की गीली होकर चमक रही थी। मौसा जी ने अपनी कुर्ती और धोती उतारी, और उनका मोटा लंड पूरा तन गया। “नेहा, तेरी चूत मेरे लंड के लिए बनी है,” उन्होंने कामुक आवाज में कहा। मैंने जवाब दिया, “मौसा जी, आपका मोटा लंड मेरी चूत का मालिक है।”

मैं खाट पर लेट गई, और मौसा जी मेरे ऊपर झुक गए। उन्होंने मेरी चूची पर चुंबन लेना शुरू किया, उनकी जीभ मेरे निपल्स के चारों ओर घूम रही थी। मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं, “मौसा जी, आपका चुंबन मेरी चूची में आग लगा रहा है।” उनका हाथ मेरी चूत की ओर बढ़ा, और उनकी उंगलियाँ मेरी टाइट चूत की नरम पंखुड़ियों को सहलाने लगीं। मेरा बदन काँप उठा, “मौसा जी, आपकी उंगलियाँ मेरी चूत को पागल कर रही हैं।”

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उन्होंने अपना मोटा लंड मेरी चूत के पास लाया और धीरे-धीरे अंदर डाला। मेरी टाइट चूत उनके लंड को जकड़ रही थी, और मैं दर्द और आनंद के मिश्रण में सिसकार उठी, “मौसा जी, आपका मोटा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है।” उन्होंने धीरे-धीरे चुदाई शुरू की, हर धक्के के साथ मेरी चूची लय में हिल रही थी। मैंने उनकी चौड़ी पीठ पर नाखून गड़ाए, और उन्होंने मेरे निपल्स चूसे। “नेहा, तेरी चूत मेरे लंड को पकड़े हुए है,” उन्होंने सिसकारते हुए कहा।

हमने काउगर्ल पोजीशन ली। मैं मौसा जी के ऊपर चढ़ गई, और मेरी चूत ने उनके मोटे लंड को पूरा निगल लिया। मेरी चूची उछल रही थी, और उन्होंने मेरी कमर पकड़कर मुझे और जोर से चुदाई करने में मदद की। “मौसा जी, आपका लंड मेरी चूत को स्वर्ग ले जा रहा है,” मैं चिल्लाई। उन्होंने मेरी चूची दबाते हुए कहा, “नेहा, तेरी टाइट चूत मेरे लंड को नशे में डुबो रही है।”

हमने डॉगी स्टाइल पोजीशन ली। मैं खाट पर घुटनों के बल बैठ गई, मेरी चूची लटक रही थी, और मेरी चूत उनके लंड के लिए तैयार थी। उन्होंने पीछे से मेरी चूत में मोटा लंड डाला और जोर-जोर से चुदाई शुरू की। हर धक्के के साथ मेरी चूची हिल रही थी, और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थी। “मौसा जी, मेरी चूत को और जोर से चोदो,” मैं चिल्लाई।

हमने 69 पोजीशन ली। मैंने मौसा जी का मोटा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी, और उन्होंने मेरी चूत पर अपनी जीभ चलाई। हमारे चुंबन और चूसने की आवाज ने कमरे में एक कामुक माहौल बना दिया। “मौसा जी, आपकी जीभ मेरी चूत को नशे में डुबो रही है,” मैं सिसकारते हुए बोली। उन्होंने कहा, “और तेरा मुँह मेरे लंड को स्वर्ग ले जा रहा है, नेहा।”

हमने रिवर्स काउगर्ल पोजीशन ली। मेरी चूत उनके मोटे लंड पर लय में उछल रही थी, और मेरी चूची हिल रही थी। उन्होंने मेरी पीठ पर हल्का थप्पड़ मारा और मेरी चूची दबाई। “नेहा, तेरी चूत मेरे लंड को फाड़ रही है,” वे चिल्लाए। मैं सिसकारते हुए बोली, “और आपका मोटा लंड मेरी चूत को नशे में डुबो रहा है।”

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हमने मिशनरी पोजीशन ली। मैंने अपने पैर ऊपर किए, और मौसा जी ने मेरी चूत में अपना मोटा लंड डाला। हर धक्के के साथ मेरी चूची उनकी छाती से टकरा रही थी। “मौसा जी, आपका लंड मेरी चूत को पूरा भर रहा है,” मैं चिल्लाई। उन्होंने मेरे निपल्स चूसे और जोर-जोर से चुदाई जारी रखी।

हमने फिर स्टैंडिंग पोजीशन आजमाई। मैंने दीवार का सहारा लिया, और मौसा जी ने मेरे एक पैर को ऊपर उठाकर मेरी चूत में लंड डाला। उनकी ताकत और गहराई ने मेरी चूत को और गीला कर दिया। “नेहा, तेरी चूत मेरे लंड की गुलाम है,” उन्होंने सिसकारते हुए कहा। मैंने जवाब दिया, “मौसा जी, मेरी चूत आपके लंड की दीवानी हो गई है।”

हमने लोटस पोजीशन ली। मैं उनकी गोद में बैठ गई, और उनका मोटा लंड मेरी चूत में गहराई तक गया। हमारी आँखें एक-दूसरे में डूब रही थीं, और मेरी सिसकारियाँ उनकी साँसों के साथ मिल रही थीं। “रमेश मौसा, आपका लंड मेरी चूत को जन्नत दिखा रहा है,” मैंने फुसफुसाते हुए कहा। उन्होंने मेरी कमर को कसकर पकड़ा और बोले, “नेहा, तेरी चूत मेरे लंड की रानी है।”

हमने फिर से डॉगी स्टाइल लिया, लेकिन इस बार मौसा जी ने मेरी चूत को इतनी तीव्रता से चोदा कि मेरी सिसकारियाँ चीखों में बदल गईं। हर धक्का मेरी चूत को फाड़ रहा था, और उनकी ताकत मुझे पागल कर रही थी। “मौसा जी, मेरी चूत को और मत तड़पाओ,” मैं चिल्लाई। उन्होंने मेरी चूची पकड़ी और और जोर से धक्के मारे।

दोपहर ढलने लगी थी, और हमारी साँसें अब भी गर्म थीं। हम एक-दूसरे की बाहों में लिपट गए, मेरी चूची उनकी छाती से चिपकी थी, और मेरी चूत उनके मोटे लंड की गर्मी से थरथरा रही थी। उन्होंने मेरे माथे पर चुंबन किया और बोले, “नेहा, तेरी टाइट चूत ने मुझे तेरा दीवाना बना दिया।” मैंने उनकी आँखों में देखकर कहा, “मौसा जी, आप मेरी चूत के सच्चे बादशाह हैं।”

शाम को जब परिवार वाले लौटे, हमने सामान्य व्यवहार किया, लेकिन मेरे दिल में उस दोपहर की गर्मी बसी थी। अगले दिन, मौसा जी ने मुझे एक छोटा सा गहना दिया, जिसमें एक चिट थी: “नेहा, मेरी चूत की मालकिन, क्या तू फिर मेरे मोटे लंड को अपनी टाइट चूत में जगह देगी?” मैंने शरमाते हुए मुस्कुराया और उनकी तरफ देखा। हमारा प्यार उस गर्म दोपहर की आग में और गहरा हो गया।

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उस दोपहर की कामुक यादें मेरे दिल में बस गईं। हर बार जब मैं अकेले में उस पल को याद करती हूँ, मेरी चूत फिर से सिहर उठती है। मौसा जी मेरे लिए सिर्फ परिवार का हिस्सा नहीं थे, बल्कि मेरी चूत के दीवाने बन गए। यह कहानी उस गर्मी की है, जो जयपुर की धूप में भी ठंडक देती है।

जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मैं और मौसा जी चोरी-छिपे नजरें मिलाते। उनकी एक नजर मेरी चूत को फिर से गीला कर देती थी। हमने वादा किया कि जब भी मौका मिलेगा, हम फिर से उस आग को जलाएँगे। यह कहानी सिर्फ एक दोपहर की नहीं, बल्कि एक ऐसी आग की है, जो कभी नहीं बुझती।

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