समधी की चुदाई : इस गरम और सेक्सी कहानी में मेरे समधी ने मुझे चोदने का मज़ा दिया। जब पति घर पर नहीं था, उसके मोटे लंड ने मेरी चूत को फाड़ा और गांड को रगड़ा। चूचों को चूसकर उसने मुझे रस से भिगो दिया। ये उत्तेजक हिंदी कहानी आपके जिस्म में गर्मी भर देगी। तैयार हो जाइए इस चुदाई के रोमांच के लिए!
मेरा नाम रंजना है, मैं 38 साल की हूँ। मेरे पति एक सरकारी नौकरी में हैं और महीने में सिर्फ़ कुछ दिन घर आते हैं। मेरी बेटी की शादी पिछले साल हुई थी, और उसका ससुर, मेरा समधी, रमेश, 45 साल का है। रमेश एक मज़बूत और हट्टा-कट्टा मर्द था—चौड़ी छाती, गहरी आँखें और उसकी पैंट में हमेशा उभरता हुआ मोटा लंड। जब भी वो हमारे घर आता, उसकी नज़रें मेरे चूचों और गांड पर टिक जाती थीं। मैं भी जानबूझकर ऐसी साड़ी पहनती थी, जिसमें मेरे भरे हुए चूचे और मोटी गांड साफ़ दिखें। एक दिन वो अकेले हमारे घर आए, और मेरे जिस्म में चुदाई की भूख जाग उठी।
दोपहर का समय था। मैं किचन में चाय बना रही थी। रमेश हॉल में बैठे थे। “रंजना, एक कप चाय मिलेगी?” उसने आवाज़ लगाई। मैं चाय लेकर गई। मैंने लाल साड़ी पहनी थी, जिसमें मेरे चूचे और गांड उभर रहे थे। चाय देते वक़्त मेरा पल्लू नीचे सरक गया, और मेरी गहरी नाभि और चोली में कसे चूचे नंगे हो गए। “क्या मस्त माल है तू, रंजना,” रमेश ने गरम लहजे में कहा। मेरी साँसें तेज़ हो गईं। “समधी जी, ये क्या बोल रहे हो?” मैंने शरमाते हुए कहा, लेकिन मेरी चूत गीली हो रही थी। उसने मेरी कमर पकड़ ली और बोला, “आज तेरी गांड में मेरा मोटा लंड घुसाऊँगा।” मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ गई।
मैंने हल्का विरोध किया। “समधी जी, कोई देख लेगा!” मैंने फुसफुसाया। “घर में कोई नहीं है, रंजना, आज तेरी चूत और गांड दोनों चोदूँगा,” उसने कहा और मेरी साड़ी का पल्लू खींच लिया। मेरी चोली फट गई, और मेरे भरे हुए चूचे नंगे होकर लटक पड़े। “क्या मस्त चूचे हैं तेरे, इन्हें चूस-चूस कर लाल कर दूँगा,” उसने कहा और एक निप्पल को मुँह में भर लिया। “आह्ह, समधी जी, चूसो, मेरी चूत में आग लग रही है!” मैं सिसक उठी। उसने मेरी साड़ी पूरी तरह उतार दी। मेरी सलवार नीचे सरक गई, और मेरी चूत नंगी होकर चमकने लगी। “तेरी चूत तो रस से तर है, इसे चोदने का मज़ा आएगा,” उसने कहा।
रमेश ने मुझे सोफे पर धकेल दिया और मेरी टाँगें चौड़ी कर दीं। “पहले तेरी चूत में लंड घुसाऊँगा,” उसने कहा और अपनी जीभ मेरी चूत पर फेर दी। “आह्ह, चाटो मेरी चूत, इसे चूस डालो!” मैं चिल्लाई। उसने मेरी चूत के होंठ चाटे, और मेरा रस उसके मुँह में भर गया। “क्या स्वाद है तेरी चूत का, इसे फाड़ने का मन कर रहा है,” उसने कहा और अपनी पैंट उतार दी। उसका मोटा लंड बाहर निकला—लंबा, सख्त और गरम। “समधी जी, ये तो मेरी चूत फाड़ देगा, धीरे डालना,” मैंने डरते हुए कहा। उसने मेरा हाथ पकड़ा और लंड को सहलाने को कहा। मैंने उसकी मोटाई को महसूस किया, और मेरी चूत ललचा उठी।
उसने मुझे कुतिया की तरह झुका दिया। मेरी मोटी गांड हवा में तन गई। “रंजना, तेरी गांड में लंड घुसाने का मज़ा लूँगा,” उसने कहा और मेरी गांड पर जोरदार थप्पड़ मारा। “मारो, मेरी गांड लाल कर दो, फिर अपने मोटे लंड से चीर डालो!” मैं चिल्लाई। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई, और जोर से चोदो!” मेरी चीखें हॉल में गूँज उठीं। मेरी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। “तेरी चूत तो मेरे लंड को निगल रही है,” उसने कहा और मुझे कुतिया बनाकर पेलने लगा। मेरी चूत से रस टपक-टपक कर सोफे पर गिर रहा था। “और गहरा डालो, मेरी चूत को फाड़ डालो!” मैं चीखी।
चुदाई का नशा बढ़ता जा रहा था। रमेश ने मुझे सोफे से उठाया और बेडरूम में ले गया। “रंजना, तुझे पूरा नंगा करके चोदूँगा,” उसने कहा। उसने मेरी चोली और सलवार के बचे हुए टुकड़े भी फाड़ दिए। अब मैं पूरी तरह नंगी थी—मेरे चूचे उछल रहे थे, और मेरी चूत रस से चमक रही थी। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी टाँगें अपनी कमर पर लपेट लीं। “अब तेरी चूत को गहरा चोदूँगा,” उसने कहा और लंड मेरी चूत में ठोक दिया। “आह्ह, समधी जी, मेरी चूत चीर डालो, और तेज़!” मैं चिल्लाई। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “तेरी चूत तो रस की नदी है, इसे चोद-चोद कर सूखा दूँगा,” उसने कहा और मेरे चूचों को मसलते हुए धक्के मारे।
मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं। रमेश ने मुझे पलटा और मेरी गांड को हवा में उठाया। “अब तेरी गांड में मोटा लंड घुसाऊँगा,” उसने कहा और मेरी गांड के छेद पर लंड रगड़ा। “डाल दो, समधी जी, मेरी गांड को चोद-चोद कर ढीली कर दो!” मैं चिल्लाई। उसने अपना मोटा लंड मेरी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और जोर से चोदो!” मेरी चीखें तेज़ हो गईं। मेरी चूत से रस बह रहा था, और गांड उसके लंड को चूस रही थी। “तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है, इसे रगड़ डालूँगा!” उसने कहा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। मेरी गांड हर धक्के के साथ थप-थप की आवाज़ कर रही थी।
रमेश ने मुझे दीवार से सटा दिया। मेरी टाँगें हवा में लटक रही थीं। “समधी जी, मेरे होंठ चूसो,” मैंने सिसकते हुए कहा। उसने मेरे होंठ चूसने शुरू किए। “तेरे होंठ तो शहद हैं, इन्हें काट डालूँगा,” उसने कहा और मेरे होंठों को दाँतों से दबाया। मैंने उसका लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “तो मेरी चूत को भी काटो, इसे चोद-चोद कर फाड़ दो!” उसने मुझे फिर से बिस्तर पर पटका और मेरी चूत में लंड ठोका। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” उसने चीखते हुए कहा। उसकी चुदाई से बिस्तर हिल रहा था। “और जोर से चोदो, मेरी प्यास बुझा दो!” मैं चीखी।
चुदाई का सिलसिला तेज़ हुआ। रमेश ने मुझे अपनी गोद में बिठाया। “रंजना, मेरे लंड की सवारी कर,” उसने कहा। मैंने लंड अपनी चूत में डाला और उछलने लगी। “आह्ह, आपका लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” मेरे चूचे हवा में नाच रहे थे। उसने मेरे चूचों को मसलते हुए कहा, “तेरी चूत मेरे लंड की दीवानी है।” मैं चिल्लाई, “हाँ, चोदो मुझे, मेरी गांड भी फिर से चोदो!” उसने मुझे पलटा और मेरी गांड में लंड ठोक दिया। “आह्ह, मेरी गांड और चूत दोनों फट गईं!” मेरी चीखें कमरे में गूँज रही थीं। उसकी चुदाई की रफ्तार से मेरा पूरा जिस्म थरथरा रहा था।
रमेश ने मुझे घुटनों पर बिठाया। “अब मेरा लंड चूस, रंजना,” उसने कहा और लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके लंड को चाटने लगी। “आह्ह, समधी जी, आपका लंड तो मज़ेदार है, इसे पूरा मुँह में लूँगी,” मैंने कहा और लंड को गले तक ठूँस लिया। उसने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में धक्के मारने लगा। “चूस ले मेरे लंड को, तेरे होंठ इसे निचोड़ डालें!” उसने चीखा। मेरी चूत फिर से गीली हो गई, और मैं अपनी उंगलियाँ उसमें डालकर हिलाने लगी। “आपके लंड का रस मेरे मुँह में डाल दो,” मैंने फुसफुसाया।
चुदाई का खेल चरम पर था। रमेश ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत में फिर से लंड पेल दिया। “तेरी चूत को बार-बार चोदूँगा,” उसने कहा और तेज़ी से धक्के मारने लगा। “आह्ह, समधी जी, मेरी चूत फाड़ दो!” मैं चिल्लाई। उसकी चुदाई से मेरा पूरा बदन काँप रहा था। उसने मेरे चूचों को चूसते हुए कहा, “तेरे चूचे तो माल हैं, इन्हें चूस-चूस कर दूध निकाल दूँगा।” मेरी चूत और गांड दोनों थरथरा रही थीं। “और जोर से चोदो, मेरी गांड में फिर से डालो!” मैं चीखी। उसने मुझे पलटा और मेरी गांड में लंड ठोक दिया।
आख़िर में रमेश का लंड फट पड़ा। उसका गरम रस मेरी चूत में भर गया, फिर मेरी गांड में, और बाक़ी मेरे चूचों, होंठों और मुँह में छिड़क गया। “आह्ह, समधी जी, आपका रस मेरे होंठों पर लगा दो,” मैंने कहा और उसके लंड से टपकते रस को चाट लिया। हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़े। “रंजना, तू तो रंडी है,” रमेश ने हँसते हुए कहा। “हाँ, और आपके मोटे लंड की दीवानी,” मैंने जवाब दिया। “फिर से चोदना,” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा। “तेरी चूत और गांड को बार-बार चोदूँगा,” उसने वादा किया। मेरी गांड में उसका मोटा लंड जाने के बाद से मेरी प्यास और बढ़ गई थी।
शाम ढल गई। रमेश चला गया। मैं अपनी फटी साड़ी संभालते हुए उठी। मेरी चूत और गांड उसके लंड की गर्मी से थरथरा रही थीं। “समधी का मोटा लंड मेरी गांड में गया, और मज़ा ही आ गया,” मैंने मन में सोचा। उसकी चुदाई की आग मेरे जिस्म में समा गई थी। अगली बार फिर चुदाई का वादा करके वो गया, और मेरी चूत उसकी अगली मुलाकात का इंतज़ार कर रही थी। कमरे की दीवारें हमारी चुदाई की गवाह बन गई थीं। ये सिलसिला अब रुकने वाला नहीं था।