मेरी शादी के पहले होने वाले ससुर ने चोदा

मैं, नेहा, 24 साल की एक हॉट और सेक्सी लड़की, अपनी शादी से ठीक एक महीने पहले अपने होने वाले ससुराल गयी थी। मेरा मंगेतर, रोहन, दिल्ली में जॉब करता था, और मुझे उसके परिवार से मिलने के लिए उनके गाँव जाना था। मेरा फिगर कातिलाना था—36C की भरी हुई चूची, पतली कमर, और मेरी गांड इतनी गोल और टाइट कि मेरे जीन्स में हर कदम पर हिलती थी। मैंने सोचा था कि ये एक साधारण मुलाकात होगी, लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरी शादी से पहले ही मेरा होने वाला ससुर, विजय, 48 साल का मर्द, मुझे चोदने वाला था। विजय जी लंबे, सांवले, और मजबूत थे—उनकी चौड़ी छाती और मोटी बाहें देखकर मेरे मन में अजीब सी सनसनी होती थी। उनकी आँखों में एक भूख थी, जो मुझे हर बार उनके सामने बेचैन कर देती थी।

उस दिन दोपहर का वक्त था। गाँव का घर बड़ा और शांत था, सूरज की गर्मी कम हो चुकी थी। मैं एक टाइट कुर्ती और लेगिंग्स में थी, मेरी चूची कुर्ती में उभरी हुई थीं, और मेरी गांड लेगिंग्स में साफ दिख रही थी। रोहन की मम्मी और बहन बाजार गयी थीं, और घर में बस मैं और विजय जी थे। मैं लिविंग रूम में सोफे पर बैठी थी, जब विजय जी अंदर आए। उनकी शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले थे, और उनकी धोती में उनका लंड का हल्का उभार दिख रहा था। “नेहा, तू अकेली बैठी है, कुछ चाहिए क्या?” उन्होंने अपनी गहरी आवाज में पूछा, और मेरे पास सोफे पर बैठ गए। उनकी जांघ मेरी जांघ से सट गयी, और मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया। “नहीं, विजय जी, बस ऐसे ही,” मैंने शरमाते हुए कहा, लेकिन मेरी नजर उनके चेहरे से हटकर उनकी धोती पर चली गयी। उनका लंड धीरे-धीरे तन रहा था, और मेरी चूत में हल्की सी गुदगुदी होने लगी।

“नेहा, तू बहुत हॉट लग रही है,” विजय जी ने कहा, और उनका हाथ मेरे कंधे पर चला गया। उनकी उंगलियाँ मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरी त्वचा को छू रही थीं, और मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी। “विजय जी, आप ये क्या कह रहे हैं?” मैंने शरमाते हुए कहा, लेकिन मेरी आवाज में एक अजीब सी कमजोरी थी। उन्होंने मेरी कुर्ती का किनारा हल्का सा उठाया, और मेरी चूची का ऊपरी हिस्सा नजर आने लगा। “नेहा, रोहन बहुत खुशकिस्मत है, लेकिन मुझे लगता है तुझे अभी और कुछ सीखना चाहिए,” उन्होंने कहा, और उनका हाथ मेरी चूची पर चला गया। उन्होंने मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरी चूची को दबाया, और मेरे मुँह से सिसकारी निकल गयी। “आह, विजय जी, ये क्या कर रहे हैं?” मैंने कहा, लेकिन मेरा शरीर उनके स्पर्श को रोकना नहीं चाहता था। वो मेरी कुर्ती को ऊपर खींचने लगे, और मैंने बिना विरोध के अपने हाथ उठा दिए। कुर्ती उतरते ही मेरी ब्रा में कैद चूची उनके सामने आ गयीं। उन्होंने ब्रा का हुक खोला, और मेरी चूची आजाद हो गयीं—भारी, गोल, और निप्पल सख्त। “नेहा, ये तो कमाल हैं,” विजय जी ने कहा, और एक चूची को अपने मुँह में ले लिया। उनकी गर्म जीभ मेरे निप्पल पर घूमने लगी, और वो उसे जोर-जोर से चूसने लगे। “आह, विजय जी, चूसो, जोर से चूसो!” मैं चिल्लायी, मेरा हाथ उनके सिर पर चला गया, और मैं उन्हें अपनी चूची की ओर दबाने लगी। उनकी दूसरी चूची को वो अपने हाथ से मसल रहे थे, मेरे निप्पल को चुटकी में लेकर रगड़ रहे थे, और मेरी चूत गीली होने लगी थी।

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उन्होंने मुझे सोफे पर लिटा दिया, और मेरी लेगिंग्स को खींचकर उतार दिया। अब मैं सिर्फ पैंटी में थी, और मेरी चूत उसमें से गीली होकर चमक रही थी। “विजय जी, ये गलत है,” मैंने नाटक किया, लेकिन मेरी चूत उनकी हरकतों के लिए तरस रही थी। उन्होंने मेरी पैंटी को एक झटके में उतार दिया, और मेरी चूत नंगी हो गयी—टाइट, गुलाबी, और पानी से तर। “नेहा, तेरी चूत कितनी सेक्सी है,” विजय जी ने कहा, और अपना मुँह मेरी चूत के पास ले गए। उनकी गर्म साँसें मेरी चूत पर लगीं, और मैं बेकाबू हो गयी। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिरी, और फिर अंदर घुस गयी। “आह, विजय जी, चाटो मेरी चूत!” मैं चीखी, मेरे पैर फैल गए, और वो मेरी चूत को जोर-जोर से चाटने लगे। उनकी जीभ मेरे क्लिट को रगड़ रही थी, और वो उसे चूसने लगे। मैं अपनी गांड उठाकर उनके मुँह को चोदने लगी, “फक, विजय जी, चाटो, मुझे पागल कर दो!” मैं चिल्ला रही थी। मेरी चूत से पानी टपक रहा था, और वो उसे चाटकर साफ कर रहे थे। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत में घुसीं, और वो उसे अंदर-बाहर करने लगे। मैं सुख से तड़प रही थी, मेरी साँसें तेज हो गयी थीं।

“विजय जी, मुझे आपका लंड चाहिए,” मैंने हांफते हुए कहा। वो हंस पड़े, “नेहा, अभी दिखाता हूँ,” और वो खड़े हो गए। उन्होंने अपनी धोती उतारी, और उनका लंड मेरे सामने आ गया—10 इंच लंबा, मोटा, नसों से भरा हुआ, और पूरा तना हुआ। मैं उसे देखकर डर गयी, “विजय जी, ये तो बहुत बड़ा है!” मैंने कहा, लेकिन मेरी चूत उसे देखकर और गीली हो गयी। “चूस इसे, नेहा,” उन्होंने कहा, और मेरा मुँह अपने लंड के पास ले गए। मैंने अपना मुँह खोला, और उनका लंड मेरे होंठों को छूने लगा। मैंने अपनी जीभ से उनके लंड के सुपाड़े को चाटा, उसका नमकीन स्वाद मेरे मुँह में फैल गया। फिर मैंने उसे मुँह में लिया, और चूसने लगी। “आह, नेहा, चूस, जोर से चूस!” विजय जी चिल्लाए, और मैं उनका लंड पूरा मुँह में लेने की कोशिश करने लगी। मेरा मुँह उनके लंड से भर गया था, उनकी गर्मी मेरे गले तक जा रही थी। वो मेरे सिर को पकड़कर अपने लंड को मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगे। “नेहा, तू तो कमाल की चूसती है,” उन्होंने कहा, और मैंने उनकी तारीफ सुनकर और जोश में चूसना शुरू कर दिया। मेरा थूक उनके लंड पर लिपट गया, और वो चमकने लगा।

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कुछ देर चूसने के बाद उन्होंने मुझे सोफे पर लिटाया। “नेहा, अब तेरी चूत चोदता हूँ,” उन्होंने कहा, और अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा। मैं तैयार थी, मेरी चूत उनके लंड के लिए तरस रही थी। “चोदो, विजय जी, मेरी चूत चोदो!” मैंने चिल्लाकर कहा। उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। “आह, फक, विजय जी, धीरे!” मैं चीखी, मेरी चूत में हल्का दर्द हुआ, लेकिन वो सुख में बदल गया। वो मेरी चूची पकड़कर मुझे चोदने लगे, उनका चोदना धीरे-धीरे तेज हो गया। हर धक्के में उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, मेरी चूची हवा में उछल रही थीं, और मेरी गांड सोफे पर रगड़ रही थी। “चोदो, विजय जी, मेरी चूत फाड़ दो!” मैं चिल्ला रही थी, मेरा शरीर उनके हर धक्के के साथ कांप रहा था। वो मेरे ऊपर झुक गए, मेरे होंठों को चूमने लगे, उनकी जीभ मेरे मुँह में घुस गयी, और मैं उनके साथ लिपट गयी।

कुछ देर चूत चोदने के बाद उन्होंने मुझे सोफे पर उल्टा किया। “नेहा, अब तेरी गांड चोदता हूँ,” उन्होंने कहा, और मेरी गांड को ऊपर उठाया। मैं डर गयी, “विजय जी, मेरी गांड में मत डालो, दर्द होगा!” मैंने कहा, लेकिन वो मेरी गांड पर थूक लगाकर अपने लंड को मेरे छेद पर रखने लगे। “डर मत, नेहा, मज़ा आएगा,” उन्होंने कहा, और धीरे से अपना लंड मेरी गांड में घुसाया। “आह, विजय जी, मेरी गांड में लंड!” मैं चीखी, मेरी गांड फट रही थी, लेकिन वो धीरे-धीरे मुझे चोदने लगे। उनकी स्पीड बढ़ी, वो मेरी चूची पकड़कर मेरी गांड को जोर-जोर से चोदने लगे। उनका लंड मेरी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था, मेरी चूत से पानी टपक रहा था, और मैं सुख में डूब गयी। “चोदो, विजय जी, मेरी गांड फाड़ दो!” मैं चिल्ला रही थी, मेरा शरीर थरथरा रहा था।

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कुछ देर गांड चोदने के बाद उन्होंने मुझे फिर से सीधा किया। “नेहा, अब तेरी चूत में मेरा माल डालता हूँ,” उन्होंने कहा, और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। वो मुझे तेजी से चोदने लगे, उनका हर धक्का मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। मेरी चूची उनकी छाती से दब रही थीं, मेरी गांड सोफे पर रगड़ रही थी। “चोदो, विजय जी, मेरी चूत में माल डालो!” मैं चिल्लायी, उनका लंड मेरी चूत में कांपने लगा। “नेहा, मेरा माल आ रहा है,” वो चिल्लाए, और मेरी चूत में उनका गर्म माल छोड़ दिया। मैं भी झड़ गयी—“आह, विजय जी, मैं झड़ रही हूँ!” मेरी चूत से पानी निकला, और वो उनके माल के साथ मिल गया। हम दोनों हांफते हुए सोफे पर गिर पड़े, उनका लंड मेरी चूत से बाहर निकला, मेरी चूची उनकी छाती पर दबी थीं।

“विजय जी, ये शादी से पहले हो गया,” मैंने सेक्सी अंदाज में कहा, और उनके लंड पर एक चुम्बन दिया। “नेहा, शादी के बाद भी तुझे चोदूंगा,” उन्होंने हंसते हुए कहा, और मेरी चूची पर हाथ फेरा। “हाँ, विजय जी, जब मन करे चोद लेना,” मैंने कहा, और उनकी बाहों में समा गयी। उस दिन के बाद मेरी शादी तक विजय जी ने मुझे कई बार चोदा, और हर बार नया मज़ा दिया।

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