मेरी नानी ने मुझे अपना यार बनाया

Naani Sex Story : मेरा नाम अजय है। मैं कानपुर का रहने वाला हूँ, और 23 साल का हूँ। कॉलेज खत्म करने के बाद मैं नौकरी की तलाश में था। मेरे परिवार में मम्मी-पापा और मेरी नानी रहते हैं। नानी का नाम कमला है। वो 55 की हैं, लेकिन उनकी उम्र उनके जिस्म पर कभी हावी नहीं हुई। गोरी चमड़ी, भरे हुए होंठ, और वो चूचियाँ जो साड़ी में भी अपनी शक्ल दिखाती थीं। उनकी गांड अभी भी टाइट थी, और उनकी कमर में एक अजीब सी लचक थी। लोग उन्हें देखकर कहते थे, “कमला जी, आप तो अभी भी जवान लगती हैं।” मैं भी ये बात मानता था, लेकिन कभी गलत नजर से नहीं देखा। वो मेरी नानी थीं, और मेरे लिए एक माँ जैसी थीं।

पिछले साल की बात है। मम्मी-पापा को एक हफ्ते के लिए दिल्ली जाना पड़ा। घर में सिर्फ मैं और नानी रह गए। नानी हमेशा हँसमुख थीं। वो मुझे छेड़ती थीं, और मैं उनके साथ मजाक करता था। एक दिन सुबह मैं नहाकर बाहर आया। सिर्फ तौलिया लपेटे हुए था। नानी हॉल में बैठी थीं। उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरक गया था, और उनकी चूचियाँ साफ झाँक रही थीं। मैंने नजर हटाई, लेकिन वो हँसीं और बोलीं, “अजय, तू तो पूरा मर्द हो गया है।” मैं शरमा गया और बोला, “नानी, आप भी तो कम नहीं हैं।” वो मेरे पास आईं और मेरे गीले कंधे पर हाथ रखकर बोलीं, “अजय, मुझे तारीफ करना तो कोई तुझसे सीखे।” उनकी उंगलियाँ मेरे जिस्म पर फिसलीं, और मेरे दिल में एक अजीब सी हलचल हुई।

उस दिन शाम को नानी किचन में खाना बना रही थीं। मैं पीछे से गया और बोला, “नानी, कुछ मदद करूँ?” वो पलटीं। उनकी साड़ी गीली थी, और उनकी चूचियाँ उसमें चिपक गई थीं। “अजय, तू मेरे पास आ जा,” उन्होंने कहा। मैं उनके करीब गया। उनकी साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। “नानी, आप आज कुछ अलग लग रही हो,” मैंने कहा। वो हँसीं और मेरे सीने पर हाथ रखकर बोलीं, “अजय, मैं बूढ़ी नहीं हूँ। अभी भी मुझमें आग बाकी है।” उनकी ये बात मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ा गई। मैंने उनकी कमर पकड़ी और कहा, “नानी, आपकी ये आग तो मुझे जला देगी।” वो शरमा गईं, लेकिन पीछे नहीं हटीं।

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रात को कुछ ऐसा हुआ, जिसकी मैंने कभी कल्पना नहीं की थी। मैं अपने कमरे में था, जब नानी मेरे पास आईं। वो सिल्क की साड़ी में थीं—पतली, चमकदार, और उनकी चूचियाँ उसमें उभरी हुई थीं। “अजय, मुझे नींद नहीं आ रही,” उन्होंने कहा और मेरे बगल में लेट गईं। उनकी साड़ी का पल्लू सरक गया, और उनकी गोरी चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने कहा, “नानी, आप इतने करीब होंगी तो मेरी नींद कैसे आएगी?” वो हँसीं और मेरे सीने पर हाथ फेरते हुए बोलीं, “तो जागते रह, अजय। मुझे तेरे साथ वक्त बिताना है।” उनकी साँसें मेरे गले को छू रही थीं, और मेरे जिस्म में आग भड़क गई।

मैंने उन्हें अपनी बाँहों में खींच लिया। उनके होंठ मेरे होंठों से टकराए। वो गर्म थे, नरम थे, और उनकी सिसकियाँ मेरे कान में गूँज रही थीं। “अजय, ये गलत है,” उन्होंने फुसफुसाया, लेकिन उनकी आँखों में भूख थी। मैंने उनकी साड़ी का पल्लू हटाया, और उनकी चूचियाँ मेरे सामने नंगी हो गईं। मैंने उन्हें दबाया, और वो “आह्ह” कर उठीं। “अजय, धीरे, तू क्या कर रहा है?” उन्होंने कहा। मैंने उनकी चूचियों को चूसा, और उनकी सिसकियाँ तेज हो गईं— “उफ्फ, अजय, तू मुझे पागल कर देगा।” मेरे हाथ उनकी गांड पर चले गए। वो मुलायम थी, गर्म थी, और मैं उसे मसल रहा था। “नानी, आपकी गांड तो जवान लड़कियों को शर्मिंदा कर दे,” मैंने कहा। वो बोलीं, “तो इसे ले ले, अजय। मुझे फिर से जवान बना दे।”

मैंने उनकी साड़ी उतार दी। वो मेरे सामने नंगी थी। उनकी चूत पर हल्की झाँटें थीं, और वो गीली हो रही थी। मैंने अपने कपड़े फेंके, और मेरा लंड बाहर आ गया। नानी ने उसे देखा और बोलीं, “अजय, ये तो बहुत मोटा है।” मैंने हँसकर कहा, “नानी, ये आपकी चूत के लिए ही है।” मैंने उनकी टाँगें फैलाईं और उनकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। वो चिल्ला उठीं— “आह्ह, अजय, ये क्या कर रहा है? मुझे मार डालेगा।” मैंने उनकी चूत को चाटा, और वो सिसक रही थीं— “उफ्फ, अजय, चोद दे मुझे।” उनकी चूत टपक रही थी, और उनकी सिसकियाँ मुझे बेकरार कर रही थीं।

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मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। वो गीली थी, गर्म थी। मैंने एक धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया। वो चीख पड़ीं— “आह्ह, अजय, धीरे, मेरी चूत फट जाएगी।” मैंने कहा, “नानी, आपकी चूत को भर दूँगा।” मैंने उन्हें चोदना शुरू किया। मेरा लंड उनकी चूत को चीर रहा था, और उनकी चूचियाँ उछल रही थीं। वो चिल्ला रही थीं— “आह्ह, अजय, और तेज। मेरी चूत को फाड़ दे।” मैं पागलों की तरह उन्हें चोद रहा था। उनकी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं— “उफ्फ, अजय, तू मेरा यार बन गया।”

रात भर हमारी चुदाई चलती रही। कभी मैं उन्हें बिस्तर पर चोदता, कभी उन्हें गोद में उठाकर उनकी गांड पर थप्पड़ मारता। उनकी चूत मेरे लंड से भर गई थी, और वो बार-बार सिसक रही थीं— “अजय, मेरी चूत को मत छोड़ना।” एक बार मैंने उन्हें पलटा और पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। उनकी गांड मेरे सामने थी, और मैं उसे मसल रहा था। वो चिल्लाईं— “आह्ह, अजय, मेरी गांड को भी चोद दे।” मैंने उनकी गांड में उंगली डाली, और वो पागल हो गईं— “उफ्फ, अजय, तू मुझे जला देगा।”

सुबह के 4 बजे तक हम रुक नहीं सके। आखिरी बार मैंने उन्हें दीवार से सटाकर चोदा। मेरा लंड उनकी चूत में गहराई तक गया, और वो चीख पड़ीं— “अजय, मेरी चूत सूज गई।” मैंने अपना माल उनकी चूत में छोड़ दिया, और वो निढाल होकर मेरे सीने से चिपक गईं। उनकी साँसें अभी भी गर्म थीं। मैंने उनकी चूचियों को सहलाया और कहा, “नानी, आपने मुझे अपना यार बना लिया।” वो हँसीं और बोलीं, “अजय, तूने मेरी जवानी को फिर से जगा दिया।”

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उस रात के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। नानी मेरे लिए सिर्फ नानी नहीं थीं। वो मेरी चाहत थीं, मेरी आग थीं। उनकी चूचियाँ, उनकी गांड, उनकी चूत—हर चीज मुझे बेकरार करती थी। हमने वो हदें पार कर दी थीं, जो एक नाती और नानी को नहीं पार करनी चाहिए। लेकिन उस आग में एक अजीब सा सुकून था। नानी की जवानी मेरे लिए एक नशा बन गई थी, और मैं उस नशे में डूबने को तैयार था। वो मुझे अपना यार कहती थीं, और मैं उनकी हर सिसकी में खो जाता था।