नौकरानी को लग गया लंड का चस्का

मेरा नाम राजेश है। मैं 40 साल का हूँ, एक अमीर, सांवला मर्द, जिसका जिस्म जिम में तराशा हुआ है। मेरा 9 इंच का मोटा, काला लंड किसी भी चूत को पागल कर देता है, उसकी नसें उभरी हुई, और सुपारा लाल, चमकदार, जैसे किसी रसीली चूत को फाड़ने के लिए तैयार हो। मेरी बीवी, सोनाली, 38 साल की है—एक सुंदर, सेक्सी औरत, जिसकी मोटी, रसीले चूचियाँ और भारी, गोल चूतड़ मेरी चुदाई का मज़ा दोगुना करती हैं। लेकिन यह कहानी मेरी नौकरानी, ललिता, के बारे में है। ललिता 22 साल की थी—एक कांमसी, देसी लड़की, जिसका सांवला, चिकना जिस्म, छोटे लेकिन सख्त चूचियाँ, और गोल, मोटी चूतड़ किसी को भी लंड खड़ा कर देती थीं। ललिता की चूत हमेशा गीली, गरम और भूखी रहती थी, लेकिन वो अभी तक कुंवारी थी। मैंने कई बार उसकी चूचियों और चूतड़ को देखकर सोचा, “काश ललिता की चूत को चोद सकूँ… उसकी चूचियाँ चूस सकूँ, और उसकी गांड को फाड़ सकूँ!”

हमारा घर शहर के एक पॉश इलाके में था, जहाँ ललिता रोज़ सुबह काम करने आती थी। वो साफ-सफाई करती, खाना बनाती, और मेरी आँखों में एक अजीब सी भूख लाती थी। ललिता के पास एक साधारण साड़ी होती थी, लेकिन उसकी चूचियाँ साफ उभरतीं, और उसकी चूतड़ लचकतीं, जैसे चुदाई का न्योता दे रही हों। मेरी बीवी सोनाली अक्सर ऑफिस में व्यस्त रहती थी, और घर में सिर्फ मैं और ललिता होते थे। एक दिन मैंने ललिता को बुलाया और कहा, “ललिता, आज तू बहुत सुंदर लग रही है। क्या तुझे मेरी मदद चाहिए?” ललिता शरमाई, लेकिन उसकी आँखों में एक चुदाई की भूख थी। मैंने सोचा, “आज ललिता की कुंवारी चूत को चोदूँगा… उसकी चूचियाँ चूसूँगा, और उसकी गांड को फाड़ डालूँगा!”

एक सुबह सोनाली ऑफिस चली गई थी। ललिता घर में सफाई कर रही थी। उसने एक टाइट, हरी साड़ी पहनी थी, जिसमें उसकी छोटी, सख्त चूचियाँ उभर रही थीं, और उसकी चूतड़ लचकती दिख रही थीं। उसकी चूत की गर्मी मेरी पैंट में मेरे लंड को तनने पर मजबूर कर रही थी। मैंने उसे बुलाया, “ललिता, किचन में मेरी मदद कर।” वो आई, और मैंने उसके पास खड़ा होकर उसकी चूचियों को देखा। उसकी साड़ी का पल्लू हल्का नीचे सरक गया, और उसके निप्पल सख्त होकर ब्लाउज़ में उभरने लगे। मैंने कहा, “ललिता, तेरा जिस्म तो माल है। मेरी लंड तुझसे तड़प रही है।” ललिता शरमाई, लेकिन उसकी चूत गीली हो गई। वो बोली, “साहब, ये गलत है… लेकिन मेरी चूत को लंड चाहिए, बिना चुदे मैं नहीं रह सकती।”

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मैंने ललिता की साड़ी का पल्लू खींचा। उसकी छोटी, सख्त चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर उछल पड़ीं, गोल, सख्त, और निप्पल लाल, उभरे हुए। मैंने उसकी एक चूची को अपने मज़बूत, खुरदुरी हाथ में लिया और ज़ोर से दबाया। मेरी उंगलियाँ उसके निप्पल को मसल रही थीं, और मैंने उसकी चूची को अपने गर्म, गीली जीभ से चूमा। ललिता सिसक उठी, “आह… साहब, मेरे चूचियाँ चूस डालो… फाड़ डालो इनको!” मैंने उसकी दूसरी चूची को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। मेरी जीभ उसके निप्पल पर तेज़ी से घूम रही थी, और ललिता ने मेरे बाल पकड़े, “साहब, मेरी चूचियाँ फाड़ डालो… मेरी चूत गरम हो रही है!” मेरी लंड पैंट में फटने को तैयार थी।

मैंने ललिता की साड़ी, ब्लाउज़, और सलवार उतारी। उसकी नंगी चूत मेरे सामने थी—गीली, गुलाबी, और गरम, उसकी हर सिलवट पानी से चमक रही थी। उसकी चूतड़ चिकने, मोटे थे। मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डालीं, और वो चिल्ला उठी, “आह… साहब, मेरी चूत में आग लग रही है!” मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर फेरी, और वो पागल हो गई। वो बोली, “चाट डालो… मेरी चूत को चूस डालो… इसे लंड दो!” मैंने उसकी चूत को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसकी गर्म, गीली चूत का स्वाद मेरे मुँह में भर गया, और उसकी चूतड़ उछल रहे थे। मैं चीखा, “ललिता, तेरी चूत तो रसीली है… इसे आज मेरा लंड फाड़ेगा!”

मैंने अपनी पैंट उतारी। मेरा 9 इंच का मोटा, काला लंड बाहर लहराने लगा, नसें उभरी हुई और सुपारा लाल, चमकदार। ललिता ने इसे देखा और बोली, “साहब, ये तो मेरी चूत फाड़ देगा!” मैं हँसा और बोला, “ललिता, आज तेरी चूत और चूतड़ का भोसड़ा बनाऊँगा। तेरी कुंवारी चूत को चोद-चोदकर लंड का चस्का लगाऊँगा।” मैंने उसे किचन के टेबल पर लिटाया। उसकी टाँगें चौड़ी कीं, और मैंने अपना लंड ललिता की चूत पर रगड़ा। उसका सुपारा ललिता की चूत की फाँकों को चीर रहा था। ललिता चिल्लाई, “डाल दे, साहब… मेरी चूत को फाड़ डाल!” मैंने एक ज़ोरदार झटका मारा, और मेरा लंड ललिता की चूत में पूरा घुस गया। ललिता की चूत टाइट थी, और वो चीख पड़ी, “आह… मेरा हो गया… मेरी चूत फट गई!” मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और ललिता की चूचियाँ उछल रही थीं। उसकी चूचियाँ हवा में लटककर हिल रही थीं, और मैंने उन्हें अपने मज़बूत हाथों में भर लिया। मैं सिसका, “ललिता, तेरी चूत तो रसीली है… इसे चोद-चोदकर फाड़ दूँगा!”

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मैंने ललिता को घोड़ी बनाया। उसकी मोटी, गोल चूतड़ मेरे सामने थीं, चिकनी, उभरी हुई, और रसीली। मैंने उसकी चूतड़ पर चार ज़ोरदार थप्पड़ मारे, और उसकी चूतड़ लाल होकर हिलने लगीं। मैं बोला, “ललिता, तेरी गांड भी चोदूँगा… इसे मेरे लंड से फाड़ दूँगा!” ललिता सिसकी, “चोद दे, साहब… मेरी गांड फाड़ डाल!” मैंने अपने लंड पर थूक और तेल लगाया, फिर उसकी गांड में धीरे से डाला। ललिता की गांड टाइट थी, और वो चीख पड़ी, “आह… मेरी गांड फट गई!” मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और उसकी गांड को चोदा। उसकी चूचियाँ हिल रही थीं, और उसकी चूत टपक रही थी। मैं सिसका, “ललिता, तेरी चूत और चूतड़ मेरे लंड की गुलाम हैं!”

रात गहराई, और ललिता की चूत को लंड का चस्का लग गया। मैंने उसे बेडरूम में ले जाया। उसने मुझे बिस्तर पर पटका, और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरी चूत और गांड दोनों उसके सामने खुली थीं। मैंने मेरी चूत में लंड पेला, और ललिता चिल्लाई, “आह… साहब, मेरी चूत को चोद डाल… इसे फाड़ डाल!” मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जा रहा था। मैंने उसके चूचियाँ अपने मुँह में लिए और चूसने लगा। ललिता सिसकी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत और चूतड़ दोनों फाड़ डालो!” मैंने उसकी गांड में उंगली डाली, और वो चीखी, “मेरी गांड में लंड डाल, इसे भोसड़ा बना डाल!” मैंने उसकी गांड में लंड ठूंस दिया, और उसकी चीखें कमरे में गूँजने लगीं। उसकी चुदाई से मेरा लंड और सख्त हो गया।

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ललिता को लंड का चस्का लग गया था। अगले दिन सोनाली ऑफिस में थी, और ललिता फिर आई। उसने मुझसे कहा, “साहब, मेरी चूत को लंड चाहिए… बिना चुदे मैं नहीं रह सकती।” मैंने उसे बेडरूम में ले जाया, और उसकी चूत और गांड को चोदा। उसकी चूचियाँ चूसीं, उसकी चूत चाटी, और उसकी चूतड़ पर थप्पड़ मारे। ललिता चिल्लाती, “साहब, मेरी चूत को फाड़ डाल… मेरी गांड को भोसड़ा बना डाल!” मैंने उसे रोज़ चोदा, और उसकी चूत लंड की गुलाम हो गई।

एक दिन सोनाली ने ललिता को मेरे साथ देख लिया। वो बोली, “राजेश, तू ललिता को चोद रहा है? मुझे भी मज़ा दे।” मैंने सोनाली और ललिता को बिस्तर पर लिटाया। सोनाली की चूत में लंड डाला, और ललिता की गांड में उंगली डाली। हम तीनों की चुदाई शुरू हुई। सोनाली चिल्लाई, “राजेश, मेरी चूत को फाड़ डाल… ललिता की चूत को भी चोद!” ललिता सिसकी, “साहब, मेरी चूत और गांड चोद, मुझे जन्नत दिखा!” हमारी चुदाई रात भर चली, और ललिता की चूत लंड का चस्का लेती रही।