पड़ोस की लड़की उषा रानी की पहली चुदाई

दोस्तों, हमारे घर के बगल ही एक श्रीवास्तव परिवार रहता था। 4 भाई थे और 2 बहने। उनके बाप मर चुके थे। माँ बीमार रहती थी। 4 भाई सुबह ही काम पर चले जाते थे। और बहनें कॉलेज जाती थी। बड़ी बहन बड़ी सीधे स्वाभाव की थी। पर छोटी उषा रानी चंचल स्वाभाव की थी।

वो दुबली पतली थी। बड़ी गोरी थी। उसे हम लोग करिश्मा कपूर बुलाते थे। वो सारा दिन रोड पर लेफ्ट राईट करती थी। सारे लड़के उसे देखते थे तो मचल पड़ते थे और उनके लण्ड खड़े जो जाते थे उषा रानी को चोदने के लिये। उषा रानी पढाई , नाचने गाने, खाना बनाने में माहिर थी जैसा की सभी श्रीवास्तव परिवार में लड़कियां होती है। श्रीवास्तवो की लड़कियां थोड़ी आल्टर और सीटियाबाज भी होती है जैसा मैंने अभी तक देखा है।

उषा रानी पैदल 2 ही कॉलेज पढ़ने जाती थी। उसे कई लड़के लेने देते थे। पर वो कोई रिस्पांस नही देती थी। गली के सारे इश्कबाज लड़कों ने सोचा की सायद ये प्यार, व्यार , बुर और लण्ड के खेल के बारे में कुछ नही जानती है। सायद इसीलिये कोई रिस्पांस नही देती है। लड़कों को साफ 2 कुछ समज नही आ रहा था। वो दूसरी लड़कियों को लाइन मारने लगे।

उषा रानी का चेहरा आज भी मेरे दिमाग में कैद है। वो बड़ी दुबली पतली थी। वो बड़ी तेज चाल से चलती थी। लड़के सोचते थे की देगी तो बड़ी तेज 2 देगी। वो पैरों की धूल उड़ाते हुए चलती थी। वो चोर आँखों से सरे लड़कों को एक नजर देख लेती थी पर कभी किसी को बात करने का मौका नही देती थी। सरे लड़के हाथ मलते रह जाते थे जब वो रोड से गुजरती थी।

इस तरह कुछ साल बिट गए। उषा रानी बीए में पढ़ने लगी। और सबसे बड़ी बात उसे इश्क़, मुहब्बत, बुर और लण्ड के खेल के बारे में पता चल गया। उसके घर में उसके मामा का लड़का आता था। और उषा रानी को उससे प्यार हो गया। दोंनो की आँखे टकराई और मुहब्बत परवान चढ़ने लगी।

दोनों ने योजना बनाई की कैसे अकेले में मिला जाए। मनोहर जो इसके मामा का लड़का था उसने प्लान बनाया की अगर उषा उससे ट्यूशन पढ़ने के बहाने हर सुबह उसके घर आ जाए तो मिलन हो जाएगा और किसी को शक भी नही होगा। चूँकि मनोहर रिस्ते में उषा का ममेरा भाई लगता था पर उषा उससे ही फस गयी थी।

एक दिन मनोहर उषा रानी के घर आया…..
बुआ अगर तुम कहो तो मैं उषा को ट्यूशन पढ़ा दूँ  मनोहर बोला
उषा की माँ मान गयी क्योंकि घर में बड़ी गरीबी थी। उनके बाप इंटरवल में ही निकल गए थे। उषा और मनोहर के मिलने का जुगाड़ फिट हो गया। और उषा रानी सुबह 5 बजे अपने मामा के घर जाने लगी मनोहर से ट्यूशन पढ़ने।

पहले ही दिन जब वो कॉपी किताब लेकर सुबह 5 बजे निकली तो सब जाने की वो पढ़ने जा रही है। पर उषा रानी मुहब्बत का पाठ पढ़ने वाली थी। जैसे ही वो मनोहर के स्टडी रूम में गयी, मनोहर से उसे बाँहों में जकड़ लिया। और उषा को साइन से लगा लिया। उषा रानी को पहली बार पता चला की मुहब्बत क्या चीज है। उसे भी सुरूर चढ़ा। उषा ने भी मनोहर को खुद से चिपका लिया।

दोनों काफी देर तक एक दूसरे से चिपके रहे। फिर दोनों बेड की ओरे बढ़ गए। मनोहर का हाथ उषा रानी की छाती पर चला गया। उनसे मम्मे जरा से थे, निम्बू के आकार के थे। क्योंकि उषा बड़ी दुबली पतली थी। पर उषा एक तो बड़ी गोरी थी, दूसरे उसकी आँखें ऐस्वर्या की तरह नीली थी। इसलिए मोहल्ले में वो नम्बर 1 क्वालिटी का मॉल थी।

मोहल्ले के सारे लड़के उसे चोदना चाहते थे। मनोहर ने उसके निम्बू के आकार के मम्मे हल्के 2 दबाने शुरू किये। उषा रानी को जवानी की मौज मिलने लगी। अभी तक उषा इस तरह के सुख से अनजान थी। ये पहली बार था उसे प्यार मुहब्बत के बारे में पता चला था। मनोहर का भी ये पहला प्यार था पर उसने bf देख देख कर काफी जानकारी ले ली थी। वो उषा रानी यानि अपनी बुआ के लड़की को चोदना चाहता था।

उषा आई रियली लव यू   मनोहर बोला
ई लव यू टू मनोहर   उषा बोली

पर ट्यूशन के पहले दिन चुदाई ना हो पायी। इसके पीछे कई वजह थी। एक तो मनोहर और उषा का रिश्ता इल्लीगल था। उषा मनोहर की फुफेरी बहन लगती थी, तो क्या वो बहनचोद बन जाता। दूसरा मनोजर एक अच्छा लड़का था। वो पहली बार प्यार में पड़ा था। वो उषा की माँ से डरता था क्योंकि बुढ़िया लंगड़ थी। और बहुत झगडेलु थी।

अगर भुढ़िया को मालूम चल जाता की उषा मनोहर से सेट है तो वो मनोहर की गांड में उंगली कर दी। भुढ़िया ही इस कहानी की असली विलेन है। इस तरह उषा हर रोज अपने मामा के घर सुबह 5 बजे उठकर ट्यूशन पढ़ने आने लगी।

पहले 1 महीने तो मनोहर उसको पहले मेहनत से पढ़ाता फिर चुम्मा चाटी करता। पर शूरु के एक महीने वो उषा रानी को पेल नही पाया। हलाकि वो उसे पहले ही दिन पेलना चाहता था। पर उसे डर था की कहीं उषा पेट से ना हो जाए। मनोहर उषा को अपनी बाँहों में लेकर लेट जाता था। उसकी नीली आँखों में डूब जाता था और उसे बार 2 चूमता था। उषा रानी को मुहब्बत के बारे में पता चल गया था।

मोहल्ले के लड़कों ने मार्केट में उषा और मनोहर को कई बार एक साथ देखा था और सारे लड़के बोलते थे की   घर का माल घर में ही सेट हो गया   उषा और मनोहर पूरे बरेली शहर में स्कूटर से घूमते थे। कई महीने बिट गए पर उषा और मनोहर चुदाई का गरमा गरम रसगुल्ला नही खा पाये।

उषा का मामा यानि मनोहर का बाप एक फौजी था। वो बेहद सख्त स्वबाव का था। अगर उसे भनक लग जाती की उसका लड़का मनोहर का अपनी बुआ की लड़की से चक्कर है तो वो मनोहर को गोली मार देता। इसलिए मनोहर की बहुत फटती थी अपने बाप से। दिन बीतते गए पर उषा और मनोहर को चुदाई का सुख नही मिल पाया।

कई महीने बाद उषा रानी को कस के पेलने का एक सुनहरा मौका मनोहर के हाथ लगा। उषा का बीएड का सेंटर 50 km दूर पड़ा। इसके चारो भाई प्राइवेट नौकरी करते थे, छुट्टी नही मिली। इसलिए भुढ़िया ने मनोहर से कहा की उषा का पेपर दिला लाये। मनोहर ख़ुशी 2 तैयार हो गया। क्योंकि उसे मुहब्बत की चूत मिलने वाली थी।

पहले दिन जब मनोहर उषा को स्कूटर पर बैठा ले गया तो कुछ दूर जाकर उषा रानी उससे चिपक गयी। और उसको दोनों हाथों ने पकड़ लिया। दोनों मजे से बाटे करने लगे। जन सेंटर में पहुचे तो ना आदमी ना आदमी की जाट। दोस्तों, ये एक बड़ा सा गांव था। गाँव के बीचो बिच कॉलेज बना था। दरवाजे गायब थे। कुछ लोगों ने बताया की  3 घण्टे बाद पेपर सूरी होगा। ये कॉलेज 3 मंजिला था। कम से कम 15 कमरे हर फ्लोर पर। कुछ लड़कियां जो अपने आशिक़ो के साथ आई थी।

एक एक कमरे में बैठ गयी थी। चुम्मा चाटी चल रही थी। मनोहर के लौड़े में गर्मी आ गयी। उसने उषा रानी को तीसरी मंजिल की ओर इशारा किया। उषा रानी ने सफ़ेद रंग का सलवार सूट पहन रखा था। वो हर की परी लग रही थी। दोनों तीसरी मंजिल पर आ गए। बड़े 2 कमरे खली थी। बेंच पड़ी थी। मनोहर की आँखों में वासना उत्तर आई। वो उषा रानी को एक कोने में ले गया। उषा रानी भी दीवानी हो गयी।

मनोहर ने उषा को पकड़ लिया। कॉपी किताब और उसके लेडीज पर्स को उसने एक ओरे रख दिया और उषा रानी को पकड़ लिया। दोनों जवान थे, इसलिए दोनों के लब टकरा गए। मनोहर गहरी साँस लेकर उषा के लब पिने लगा। दोनों अपुतपूर्व सुख के सागर मे डूब गए।
उषा देवी गर्म होने लगी। वो मनोहर के बस में आ गयी।

मनोहर ने उसका दुपट्टा एक बेंच पर बिछा दिया। और उषा रानी को बेच पर लिटा दिया। वो उषा के छोटे 2 नींबू के आकार के मम्मे दाबने लगा। मनोहर का हाथ उषा की सलवार के नारे पर चला गया। वो आज ही उषा को चोदेगा, उसने फैसला किया। आज यही कॉलेज में सुबह के 9 बजे वो उषा को चूत मरेगा। मनोहर ने तय किया।

आखिर उसने उषा की सलवार का नारा खोल दिया और सलवार उतार के दूसरी बेंच में रख दिया। उसने उषा की कमीज भी उतार दी। उषा रानी जिसे हमलोग बड़ा शरीफ, इज्जतदार मानते थे, वो उषा भी फूल चुदने के मूड में थी। उषा का नंगा बदन देख मनोहर की रगों में खून दौड़ गया। वो आपे से बाहर होने लगा। अचानक उसके अंग 11000 वाल्ट की बिजली पैदा हो गयी। उषा रानी की चुदने की तमन्ना भी आज पेपर के बहाने पूरी हो होने वाली थी।

मनोहर उषा के निम्बू साइज़ के मम्मे पिने लगा। उसका लण्ड लोहे जैसा हो गया। उषा रानी की आँखों में मुहब्बत, इश्क़ और चुदाई का नशा छाने लगा। मनोहर ने उषा की चड्डी उतारी। सफ़ेद रंग की साफ चड्डी। उसने उषा रानी की चड्डी को काफी देर सुंघा। उसे एक अलग ही मजा मिल रहा था। जिस चूत को मारने के लिए वो दिन रात सपने देखता था वो चूत फाइनली उसे मिल रही थी।

मनोहर ने अपनी चड्डी उतारी, और उसका लण्ड उषा रानी को लहराता दिखाई दिया। कुछ मिनट तक उषा रानी उसके बड़े से साफ रंग के लौड़े को घूरती रही।
देखा? कैसा लगा? बड़ा है ना?  मनोहर ने पूछा

उषा रानी से इससे पहले सिर्फ छोटे बच्चों का लण्ड ही देखा तो पर आज उसने एक जवान लण्ड देखा था। उसके होश उड़ गए।
कितना बड़ा है?  उषा से शरमाकर कहा फिर वो डरकर बोली ये कहाँ जाता है?
ये उषा रानी का पहला चुदाई उत्सव था, इसलिये वो नादान थी। पर आज इसको बहुत चीज पता चलने वाली थी।

उषा के पैर बहुत चिकने और गोरे थे, जिसे पाकर मनोहर का लण्ड टाइट हो गया। भले ही उषा उसकी फुफेरी बहन लड़की है पर जब लौण्डिया खुद चूत दे रही है तो कैसा ऐतराज। चूँकि उषा पहली बार चुदाई का मजा ले रही थी इसलिये उसे कुछ पता नही था की क्या करते है। मनोहर अपने बड़े ने लौड़े को फेटने लगा। उसके हाथ जल्दी 2 अपने मोठे लौड़े पर दौड़ने लगे।

उषा रानी एक ऐसी लौण्डिया थी जिसे मोहल्ले का हर लड़का चोदना चाहता था। अगर आज आवारा लड़कों को जो हमेशा चूत ढूंढते रहते है पता चल जाता की कॉलेज की तीसरी मंजिल पर एक खुले कमरे के कोने पर उषा रानी का प्रथम चुदाई पर्व चल रहा है तो उषा रानी का गैंगरेप हो जाता।

अरे रानी, तुम तो बड़ी भोली हो, कुछ सेकंड ठहरो! सब बताता हूँ  मनोहर बोला
उषा रानी को पता नही था की ये लण्ड उसकी बुर पढ़ने वाला था।
ले छू के देख  मनोहर से कहा
उषा रानी ने अपने नाजुक हाथों ने मनोहर का लण्ड छूकर बड़ा सा, क्रीम रोल जैसा बड़ा सा गोल सा प्यारा लंड था। उषा रॉनी को ये बेहद प्यारा लगा। पर ताज्जुब था की कैसे ये प्यारा सा मासूम लण्ड उनकी नर्म चूत को फाड़ देगा। वो बहुत मासूम थी। कुछ जानती ना थी।

रानी, इसे चूमो तो!  मनोहर अपनी बुआ की लड़की से बोला।
उषा ने उसे अपने पतले गुलाबी ओंठों से मनोहर के लण्ड को चुम्मी दी। उसने 2 3 बार लण्ड को चूम लिया।  मुझसे दोस्तों करोगे?  उषा मासूमियत से लण्ड से बोली

अब ले इसे चूस!   मनोहर बोला
उषा को ताज्जुब हुआ की इसे चूसते भी है। उसन मुँह खोला और लण्ड को मुँह में ले लिया, और चूसने लगी। अरे इस पर तो एक टिल भी है  उषा बोली
जिसके लंड पे तिल होता है, वो सबकी नानी चोदते है    मनोहर से हस्ते हुए मजाक से कहा
उषा रानी अपने मामा के लड़के का लण्ड चूसने लगी। उसे ये काम थोडा अजीब लग रहा था। पर जवानी के दिनों में ये उसके लिये नया काम था। बिचारी उषा रानी जो एक घरेलु लड़की थी, जो हमेशा सब्जी काटने का काम, खाना बननाने के काम करती थी, उसके लिये ये नया काम था।

मनोहर ने उसके छोटे से सर को पकड़ लिया और गहराई से चुसवाने लगा। वो घरेलु लड़की उषा रानी के सर को पकड़ ऊपर निचे करने लगा। उषा रानी के गले तक लंबा लण्ड जा रहा था। उसके छोटे 2 निम्बू तन रहे थे। उसकी भुंडी तन रही थी। उषा रानी की बेहद नरम चूत धीरे 2 गरम हो रही थी।

उषा मेरे लण्ड को अपने मुँह की दीवारों पर रगड़   मनोहर बोला
उषा लण्ड को अपने मुँह की बायीं और दाई दिवार पर मलने लगी, घिसने लगी। मनोहर को मजा मिलने लगा। उसकी ढीली गोलियां में ताव आने लगा। उषा रानी अपने चुदने के महा पर्व की तैयारी करने लगी। उसे भी मजा आने लगा। मनोहर का लण्ड धीरे 2 लोहे जैसा होने लगा।

नीली आखों वाली ऐस्वर्या राय जैसी बेहद खूबसूरत लड़की को चोदना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी। और ये नेशनल अवार्ड, ऑस्कर अवार्ड मनोहर को मिलने वाला था। मनोहर ने उसके सफ़ेद सूट को भी निकाल दिया। उषा ने कॉटन समीज पहन रखी थी उत्तरपदेश में हर लड़की खुद ही सिलती है। समीज देख कर मनोहर पागल हो गया। प्यासा कुँए के पास पहुच गया था।

मनोहर से उषा की समीज निकल थी तो छरहरी चिकनी दुबली नंगी उषा रानी सामने थी। रुई की तरह या कहे मलाई की तरह 2 सफ़ेद रस गुल्ले उसके सामने थे। उषा की दुबले होने के कारन एक 2 पसलियां दिख रही थीं।
उषा तुम बेहद खूबसूरत को!   मनोहर बोला।
उनसे अपने ओंठ उषा के मलाई जैसे मम्मो पर लगा दिया। और उन्हें पूरा एक बार में खा गया। उषा रानी जवानी के मजे उठाने लगी। मनोहर अपने मुँह को बाहर ही ना करता था। जब उसने चक्कर उषा रानी के मलाई के गोले खा लिए तब उसे याद आया की उषा की तो अभी चूत भी मारनी है।

मनोहर से उषा की तांग फैला दी। उससे नजर ना मिला सकी। क्योंकि उषा का ये प्रथम चुदाई पर्व था। दूसरे, चोदने वाला उसका फुफेरे भाई था। उषा से अपनी आँखें बन्द कर ली, जैसे इंडिया में ज ादातर लड़कियां चुदते समय आँखे बन्द कर लेती है। वो लण्ड तो खाना चाहती है पर उनको सरम आती है।

मनोहर ने देखा की उषा की बुर काली नही बल्कि भूरी 2 लाल लाल थी। रुस्सियन लड़कियों जैसी गोरी होने के कारन उषा रानी की चूत लाल लाल थी। एक दो जगह झांटे उग आई थी। उषा के बुर के ओंठ क्लाइटोरिस के पास बड़े 2 उठे 2 थे। ऐसा कुछ लड़कियों के होता है। मनोहर ने ऊँगली से उषा की चूत फैलाकर चेक की। उसे चूत की बन्द सफ़ेद झिल्ली दिखाई थी। चूत सीलबन्द थी। मनोहर ही सील चोदने जा रहा था।

उसने जरा सा थूक अपने लण्ड पर लगाया और बुर पर रखा। दुबला होने के कारन उषा की बुर भरी 2 गद्देदार ना थी बल्कि दबी 2 सिकुड़ी 2 थी। मनोहर ने धक्का मारा। बुर का गेट एक बार में ही टूट गया और लण्ड अंदर चला गया। खून की खुश बुँदे इधर उधर बहने लगी। उषा रानी की आँखों में दर्द से आँशु आ गए और किनारे से बहने लगे।

मनोहर जो उषा को प्रेम करता था, ने अपने ओंठ उषा के मुँह पर रख दिए। वो इसे चुप करना चाहता था। उषा रानी जो हमेशा बड़ी नजाकत से रहती थी, ने अपने सफ़ेद रुमाल को हाथों में भीच लिया दर्द के वक़्त। थोड़ा आराम मिलने पर मनोहर ने लण्ड को अंडर बहार सुरु किया। बुर में चीरा लग चूका था। उफ़ बेहद टाइट चूत। मनोहर बोला

मनोहर ने उषा से उसका सफ़ेद रुमाल ले लिया और खून साफ किया और धीरे 2 के पेलने लगा। उषा को अभी 2 दर्द हो रहा था। मनोहर ने थोड़ा और थूक लण्ड पर लण्ड पर मला और उसे पेलने लगा। कुछ मिनट बाद दर्द कम हो गया। मनोहर अपने लौड़े से अपनी बुआ की लड़की की चूत नापने लगा।

मनोहर को आस्चर्य हुआ की उषा की 2 बित्ते की जरा सी कमर में उनका लण्ड पता नही कहा जा रहा था। पर उषा उसे पूरा 2 खा रही थी। कोई भी लौण्डिया चाहे जितनी पतली दुबली हो मोटा लण्ड आराम से खा लेती है। मनोहर इस निष्कर्ष पर पंहुचा। उसने उषा को बिना रुके, बिना साँस लिये घण्टों चोदा। उसे जन्दगी का सबसे बड़ा जवानी का सुख मिला।

जब नाजुक उषा रानी की नीली आँखों में दर्द हो जाता, मनोहर उसकी आँखों को चूम लेता, और ओंठों को पिटे हुए निचे से चोदता रहता। उषा मनोहर का बड़ा का 8 10 इंच का लण्ड पूरा 2 खा रही थी। अब उसे पता चला की जो लण्ड उसे कुछ घण्टे पहले बड़ा मासूम लग रहा था, वो बड़ा कातिल निकला। कैसे चाकू की तरह उसने उसकी बुर में चीरा लगा दिया।

घण्टों चोदने के बाद मनोहर ने उषा को घोड़ी बना दिया। और पीछे से उसकी लाल रंग की चूत मरने लगा। उषा रानी अब कुवारी ना रही। अब वो एक औरत बन गयी। लगभग 2 घण्टे तक उषा रानी को चोदने के बाद मनोहर ने उसकी रसीली चूत में ही अपना माल छोड़ दिया।उषा ने उस रुमाल से अपनी बुर साफ की।

इस रुमाल को सम्हाल के रखना   मनोहर बोला
उषा रानी ने अपनी सील टूटने की खून की छीटों वाला रुमाल मोड़ कर तय किया और अपने लंबे से गोल्डन लेडीज पर्स में रख लिया। उषा रानी से चड्डी पहन ली, फिर समीज पहनी, फिर सलवार सूट।
क्यों रानी मजा आया?   मनोहर ने पूछा
उषा झेप गयी। उसकी नजरे झुक गयी। मनोहर ने उसे सीने ले लगा लिया

उषा रानी, राजेंद्र नगर मोहल्ले की सबसे टॉप लौंडियाँ जिसको देखकर सारे लौंडे आहे भरते थे, आज उसको उसके मामा के लड़के ने ही औरत बना दिया। राजेन्द्र नगर की सबसे खुससुरत लौंदीवां चुद चुकी थी। सन् हाथ मलते रह गए।

चुदाई करके उषा ने अपना कॉपी किताब उठाया और मनोहर के साथ एग्जाम हाल में चली गयी। 2 छोटे लड़के जो छिपकर उसा रानी का प्रथम चुदाई पर्व देख रहे थे, बोले हुई गवा भैया….हुई गवा भैया!