ये है एक जलती हुई कहानी जहाँ मेरी प्यासी चूत को पड़ोसी के मोटे लंड ने तृप्त किया। जब पति घर पर नहीं था, रवि ने मेरी रसीली चूत को चाटा, मेरी टाइट गांड को चोदा, और जोरदार चुदाई से मेरे चूचों और होंठों पर अपना रस बिखेर दिया। इस सेक्सी और नंगे मज़े में खो जाओ
मेरा नाम राधा है, मैं 29 साल की हूँ। मेरा पति दिल्ली में नौकरी करता है और महीने में एक बार घर आता है। मेरी चूत की आग हर रात मुझे तड़पाती थी, और उंगलियाँ डालकर भी वो प्यास नहीं बुझती थी। हमारी गली में एक नया पड़ोसी आया था, रवि, 27 का जवान और तगड़ा लड़का। उसकी चौड़ी छाती और पैंट में उभरता मोटा लंड मुझे हर बार ललचाता था। एक दोपहर मैं छत पर कपड़े सुखा रही थी, मेरी टाइट साड़ी में मेरे चूचे और गांड साफ़ दिख रहे थे। रवि अपनी छत से मुझे घूर रहा था। “राधा भाभी, आपकी चूत तो लंड माँग रही है,” उसने शरारती लहजे में कहा।
मेरा जिस्म सिहर उठा। “क्या बोल रहे हो?” मैंने कहा, लेकिन मेरी चूत गीली हो गई। रवि मेरे घर आया और दरवाज़ा बंद कर दिया। “भाभी, आज तेरी प्यास बुझाऊँगा,” उसने कहा और मेरी साड़ी का पल्लू खींच लिया। मेरी चोली फट गई, और मेरे नंगे चूचे हवा में लहराने लगे। “क्या मस्त चूचे हैं तेरे, इन्हें चूस-चूस कर लाल कर दूँगा,” उसने कहा और एक निप्पल को मुँह में भर लिया। “आह्ह, रवि, चूसो, मेरी चूत में आग लग रही है!” मैं सिसक उठी। उसने मेरी सलवार नीचे सरकाई, और मेरी चूत चमक रही थी। “तेरी चूत तो रस से तर है, इसे चोदने का मज़ा आएगा,” उसने कहा।
रवि ने मुझे सोफे पर धकेला और मेरी टाँगें चौड़ी कर दीं। “पड़ोसी के लंड से तेरी चूत की प्यास बुझाऊँगा,” उसने कहा और अपनी जीभ मेरी चूत पर फेर दी। “चाट ले मेरी चूत, इसे चूस डाल!” मैं चिल्लाई। उसने मेरी चूत के होंठ चाटे, और मेरा रस उसके मुँह में भर गया। “क्या स्वाद है तेरी चूत का, इसे चोदने का मन कर रहा है,” उसने कहा और अपनी पैंट उतार दी। उसका मोटा लंड बाहर निकला, सख्त और गरम। “ये तो मेरी चूत फाड़ देगा, रवि, डाल दे इसे अंदर!” मैंने चिल्लाते हुए कहा। उसने लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई, और जोर से चोद!” मेरी चीखें गूँज उठीं।
रवि ने मुझे कुतिया की तरह झुका दिया। मेरी मोटी गांड हवा में तन गई। “अब तेरी गांड चोदूँगा,” उसने कहा और मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “मारो, मेरी गांड लाल कर दो, फिर अपने लंड से चीर डालो!” मैं चिल्लाई। उसने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रगड़ा और एक झटके में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और गहरा डाल!” मेरी चीखें तेज़ हो गईं। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और गांड रवि के लंड को चूस रही थी। “तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है, इसे रगड़ डालूँगा!” उसने कहा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। मेरी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी।
रवि ने मुझे पलटा और मेरे ऊपर चढ़ गया। “तेरी चूत को फिर से चोदूँगा,” उसने कहा और लंड मेरी चूत में ठोक दिया। “आह्ह, रवि, मेरी चूत चीर डाल, और तेज़!” मैं चिल्लाई। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “तेरी चूत तो रस की नदी है, इसे चोद-चोद कर सूखा दूँगा,” उसने कहा और मेरे चूचों को मसलते हुए धक्के मारे। मैंने अपने नाखून उसकी पीठ में गड़ा दिए, “चोद मुझे, मेरी चूत को अपने लंड का गुलाम बना दे!” मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं। उसकी चुदाई से पूरा सोफा हिल रहा था। “तेरी प्यास बुझाऊँगा,” रवि ने चीखा।
चुदाई का खेल और गरम हुआ। रवि ने मुझे दीवार से सटा दिया। मेरी टाँगें हवा में लटक रही थीं। “अब तेरी चूत और गांड एक साथ चोदूँगा,” उसने कहा और मेरी चूत में लंड पेलते हुए उंगली मेरी गांड में डाल दी। “आह्ह, रवि, मेरी चूत और गांड फाड़ दो!” मैं चिल्लाई। उसकी उंगली और लंड ने मुझे पागल कर दिया। “तेरी चूत और गांड मेरे लंड की भूखी हैं,” उसने कहा और तेज़ी से पेलने लगा। मेरी चूत से रस बह रहा था, और गांड थरथरा रही थी। “और जोर से, मेरी प्यास बुझा दो!” मैं चीखी।
रवि ने मुझे सोफे पर उल्टा लिटाया और मेरे होंठ चूसने लगा। “तेरे होंठ तो आग हैं, इन्हें काट डालूँगा,” उसने कहा और मेरे होंठों को दाँतों से दबाया। मैंने उसका लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “तो मेरी चूत को भी काट, इसे चोद-चोद कर फाड़ दे!” उसने मुझे फिर से कुतिया बनाया और मेरी चूत में लंड ठोका। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” उसने चीखते हुए कहा। मेरी गांड थप-थप की आवाज़ कर रही थी, और मेरी चूत उसके लंड को निचोड़ रही थी। “चोद मुझे, रवि, मेरी प्यास बुझा दे!” मैं चिल्लाई।
रवि ने मुझे घुटनों पर बिठाया। “अब मेरा लंड चूस, भाभी,” उसने कहा और लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके लंड को चाटने लगी। “आह्ह, रवि, तेरा लंड तो मज़ेदार है, इसे पूरा मुँह में लूँगी,” मैंने कहा और लंड को गले तक ठूँस लिया। उसने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में धक्के मारने लगा। “चूस ले मेरे लंड को, तेरे होंठ इसे निचोड़ डालें!” उसने चीखा। मेरी चूत फिर से गीली हो गई, और मैं अपनी उंगलियाँ उसमें डालकर हिलाने लगी। “तेरे लंड का रस मेरे मुँह में डाल दे,” मैंने फुसफुसाया।
आख़िर में रवि का लंड फट पड़ा। उसका गरम रस मेरी चूत में भर गया, फिर मेरी गांड में, और बाक़ी मेरे चूचों, होंठों और मुँह में छिड़क गया। “आह्ह, रवि, तेरा रस मेरे होंठों पर लगा दे,” मैंने कहा और उसके लंड से टपकते रस को चाट लिया। हम दोनों हाँफते हुए सोफे पर गिर पड़े। “राधा, तू तो रंडी है,” रवि ने हँसते हुए कहा। “हाँ, और तेरे मोटे लंड की दीवानी,” मैंने जवाब दिया। मेरी चूत की प्यास आख़िरकार बुझ गई थी। “अगली बार फिर चोदना,” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा। “तेरी चूत और गांड को बार-बार चोदूँगा,” उसने वादा किया।
शाम ढल गई। रवि चला गया, लेकिन उसकी चुदाई की गर्मी मेरे जिस्म में बसी थी। “पड़ोसी के लंड से मेरी प्यास बुझी,” मैंने मन में सोचा। मेरी फटी साड़ी और रस से सने चूचे उस रात की कहानी बयाँ कर रहे थे। मेरी चूत फिर से ललकार रही थी, और रवि की आँखों में वही शरारत थी। ये चुदाई का सिलसिला अब रुकने वाला नहीं था। घर की दीवारें हमारी गर्मी की गवाह बन गई थीं।