ये है एक सुलगती कहानी जहाँ मैंने पति के सामने देवर के मोटे लंड से अपनी चूत और गांड चुदवाई। उसकी चुदाई की आग ने मेरे जिस्म को झुलसा दिया, और पति बस देखता रहा। डूब जाओ इस सेक्सी और नंगे मज़े में!
मेरा नाम रानी है, मैं 28 साल की हूँ। मेरे पति, अजय, 32 के हैं, लेकिन उनकी मर्दानगी अब ठंडी पड़ चुकी है। रात को वो बस सो जाते हैं, और मेरी चूत की आग बुझाने वाला कोई नहीं था। मेरा देवर, संजय, 25 का जवान और तगड़ा लड़का, हमारे साथ ही रहता था। उसकी चौड़ी छाती और पैंट में उभरता मोटा लंड मुझे हर बार तड़पा देता था। एक रात अजय घर पर थे, और मैंने सोचा, “क्यों न आज पति के सामने ही देवर से चुदाई करवाऊँ?” मैंने टाइट नाइटी पहनी, जिसमें मेरे चूचे और गांड साफ़ दिख रहे थे। संजय को देखकर मैंने होंठ काटे और कहा, “देवर जी, आज मेरी चूत को मज़ा दे दो।”
अजय सोफे पर बैठे टीवी देख रहे थे। मैंने संजय को आँख मारी और उसे बेडरूम में बुलाया। “रानी भाभी, अजय भैया यहाँ हैं,” उसने फुसफुसाया। “तो क्या? उनके सामने ही चोदो मुझे, देखें कि तेरा लंड कितना दम रखता है,” मैंने गरम लहजे में कहा। संजय का लंड पैंट में तन गया। उसने मुझे बिस्तर पर धकेला और मेरी नाइटी फाड़ दी। मेरे नंगे चूचे हवा में लहराने लगे। “क्या मस्त चूचे हैं तेरे, भाभी, इन्हें चूस-चूस कर लाल कर दूँगा,” उसने कहा और एक निप्पल को मुँह में भर लिया। “आह्ह, संजय, चूसो, मेरी चूत गीली हो रही है!” मैं सिसक उठी। अजय ने दरवाज़े से झाँका, लेकिन कुछ बोला नहीं।
संजय ने मुझे बिस्तर पर उल्टा किया और मेरी गांड को हवा में उठा दिया। “पति के सामने तेरी गांड चोदूँगा,” उसने कहा और मेरी गांड पर जोरदार थप्पड़ मारा। “मारो, मेरी गांड लाल कर दो, फिर अपने मोटे लंड से चीर डालो!” मैं चिल्लाई। उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका लंड बाहर निकला—सख्त, गरम और तैयार। उसने लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आह्ह, मेरी चूत फट गई, और तेज़ चोद!” मेरी चीखें बेडरूम में गूँज उठीं। मेरी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। “तेरी चूत तो लंड को निगल रही है, भाभी,” संजय ने कहा और मुझे कुतिया बनाकर पेलने लगा। अजय चुपचाप देख रहा था, उसका चेहरा लाल हो गया।
मैंने संजय को रोका और अजय की तरफ़ देखा। “देखो, तुम्हारा भाई मुझे कैसे चोद रहा है,” मैंने हँसते हुए कहा और संजय को अपनी गोद में बिठा लिया। उसने मेरी चूत में लंड डाला, और मैं उछलने लगी। “आह्ह, संजय, तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” मेरे चूचे हवा में नाच रहे थे। संजय ने मेरे होंठ चूसना शुरू किया। “तेरे होंठ तो शहद हैं, इन्हें काट डालूँगा,” उसने कहा और मेरे होंठों को दाँतों से दबाया। मैंने उसका लंड मसलते हुए कहा, “तो मेरी चूत को भी काट, इसे चोद-चोद कर फाड़ दे!” अजय पास आया, लेकिन बस देखता रहा।
संजय ने मुझे दीवार से सटा दिया। मेरी टाँगें हवा में लटक रही थीं। “पति के सामने तेरी गांड चोदूँगा,” उसने कहा और मेरी गांड के छेद पर लंड रगड़ा। “डाल दे, संजय, मेरी गांड को चोद-चोद कर ढीली कर दे!” मैं चिल्लाई। उसने अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और जोर से चोद!” मेरी चीखें तेज़ हो गईं। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और गांड संजय के लंड को चूस रही थी। “तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है, इसे रगड़ डालूँगा!” उसने कहा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। अजय का मुँह खुला रह गया, लेकिन वो चुप रहा।
मैंने संजय को बिस्तर पर धकेला और उसके लंड पर चढ़ गई। “अब मैं तेरे लंड की सवारी करूँगी,” मैंने कहा और अपनी चूत में लंड डालकर उछलने लगी। “चोद ले मुझे, मेरे लंड को निचोड़ डाल!” संजय ने मेरे चूचों को मसलते हुए कहा। मेरी गांड हर उछाल के साथ थप-थप की आवाज़ कर रही थी। “तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है, और तेज़!” मैं चिल्लाई। संजय ने नीचे से धक्के मारे, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक ठोकने लगा। “तेरी चूत को रस से भर दूँगा,” उसने चीखा। अजय अब पास आकर अपनी पैंट में हाथ डाले देख रहा था।
संजय ने मुझे घुटनों पर बिठाया। “अब मेरा लंड चूस, भाभी,” उसने कहा और लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके लंड को चाटने लगी। “आह्ह, संजय, तेरा लंड तो मज़ेदार है, इसे पूरा मुँह में लूँगी,” मैंने कहा और लंड को गले तक ठूँस लिया। उसने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में धक्के मारने लगा। “चूस ले मेरे लंड को, तेरे होंठ इसे निचोड़ डालें!” उसने चीखा। मेरी चूत फिर से गीली हो गई, और मैं अपनी उंगलियाँ उसमें डालकर हिलाने लगी। “पति के सामने तेरा रस चखूँगी,” मैंने फुसफुसाया। अजय अब सिसक रहा था।
चुदाई का नशा चरम पर था। संजय ने मुझे उठाया और अजय के सामने टेबल पर लिटाया। “देख, अजय, तेरी बीवी को कैसे चोदता हूँ,” उसने कहा और मेरी चूत में लंड ठोका। “आह्ह, संजय, मेरी चूत फाड़ दो, पति को दिखाओ!” मैं चिल्लाई। उसने तेज़ी से धक्के मारे, और मेरी चूत से रस बहने लगा। ससुर ने मेरे चूचों को मसलते हुए कहा, “तेरी चूत मेरे लंड की दीवानी है।” मैंने अजय को देखा, “देखो, तुमसे बेहतर संजय चोदता है!” अजय चुपचाप सिर झुकाए खड़ा रहा। मेरी गांड टेबल पर थरथरा रही थी।
आख़िर में संजय का लंड फट पड़ा। उसका गरम रस मेरी चूत में भर गया, फिर मेरी गांड में, और बाक़ी मेरे चूचों और होंठों पर छिड़क गया। “आह्ह, संजय, तेरा रस मेरे होंठों पर लगा दे,” मैंने कहा और उसके लंड से टपकते रस को चाट लिया। हम दोनों हाँफते हुए टेबल पर गिर पड़े। “रानी, तू तो रंडी है,” संजय ने हँसते हुए कहा। “हाँ, और तेरे मोटे लंड की दीवानी,” मैंने जवाब दिया। अजय चुपचाप कोने में खड़ा था। “अगली बार फिर चोदना, पति के सामने,” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा। “तेरी चूत और गांड को बार-बार चोदूँगा,” संजय ने वादा किया।
रात गहरा गई। अजय बिना कुछ बोले सो गया, लेकिन मेरी चूत अभी भी संजय के लंड को याद कर रही थी। “पति के सामने चुदाई का मज़ा ही अलग है,” मैंने मन में सोचा। संजय की आँखों में वही शरारत थी, और मेरी चूत फिर से ललकार रही थी। कमरे की दीवारें हमारी चुदाई की गवाह बन गई थीं। मेरी नाइटी फटी पड़ी थी, और संजय का रस मेरे जिस्म पर चमक रहा था। ये रात मेरे लिए एक नया खेल शुरू कर गई थी।