सास की चूत और दामाद का लंड

Saas Damad Hot Sexy Village Sex Story – गाँव का वो पुराना मकान था, जहाँ जून की तपती दोपहर में सूरज आसमान से आग बरसा रहा था। हवा में गर्मी की लपटें थीं, और चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। मैं, रोहन, 28 साल का जवान मर्द, अपनी बीवी रानी और उसकी माँ, यानी मेरी सास, निर्मला के साथ रहता था। रानी मेरे बच्चे की माँ बनने वाली थी, और पिछले कुछ महीनों से वो अपनी माँ के घर रह रही थी। मैं भी वहीं आ गया था। मेरा 8 इंच का मोटा, काला लंड हमेशा किसी चूत की तलाश में रहता था। उसकी टोपी गीली होकर चमकती थी, और उसकी नसें उभरी हुई थीं, जैसे कोई हथियार जो चूत को चीरने के लिए तैयार हो। रानी की हालत ऐसी थी कि वो मुझे संतुष्ट नहीं कर पाती थी, और मेरा लंड भूखा रह जाता था। फिर मेरी नज़र निर्मला सास पर पड़ी।

निर्मला 48 साल की थी, लेकिन उसका जिस्म अभी भी भरा हुआ और मस्त था। वो गोरी थी, और उसकी चूचियाँ बड़ी, गोल और रसीली थीं, जैसे दो पके खरबूजे, जो उसकी पुरानी साड़ी में उभरे रहते थे। उसके निप्पल साड़ी के नीचे से हल्के-हल्के दिखते थे, जैसे दो सख्त काले अंगूर जो ब्लाउज़ में कैद होने को तड़प रहे हों। उसकी कमर में हल्की चर्बी थी, जो उसे और सेक्सी बनाती थी, और उसकी गाँड मोटी, नरम और गोल थी, जो चलते वक्त हिलती थी। उसकी जाँघें मोटी और चिकनी थीं, जैसे मलाई की परत, और उसकी चूत की गर्मी उसकी हरकतों से झलकती थी। उसका पति, मेरा ससुर, सालों पहले गुज़र चुका था, और निर्मला की चूत शायद तब से भूखी थी। उसकी आँखों में एक अजीब सी तड़प थी, जो मुझे मेरे लंड की तरफ खींच रही थी।

उस दोपहर रानी अपने कमरे में सो रही थी। मैं आँगन में चारपाई पर लेटा था। पसीने से मेरी बनियान भीग चुकी थी, और मेरी चौड़ी छाती पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं। मेरा लंड पजामे में सख्त होकर तंबू बना रहा था, और मैं उसे बार-बार ठीक कर रहा था। तभी निर्मला आँगन में आई। वो नीली साड़ी में थी, और उसका पल्लू पसीने से तर होकर उसकी चूचियों पर चिपक गया था। उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ में से बाहर झाँक रही थीं, और पसीने की बूँदें उसकी गहरी दरार में लुढ़क रही थीं। उसकी साँसें तेज़ थीं, और उसकी आँखों में एक चमक थी। “रोहन, गर्मी बहुत है ना?” उसने कहा और मेरे पास चारपाई पर बैठ गई। उसकी नज़र मेरे लंड के उभार पर ठहर गई, और उसके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई।

“हाँ सासू माँ, बदन जल रहा है,” मैंने कहा और उसकी चूचियों को घूरने लगा। उनकी भारी गोलाई और निप्पलों का उभार मुझे पागल कर रहा था। “पानी पिएगा?” उसने पूछा और मटके की ओर बढ़ी। जब वो झुकी, तो उसकी साड़ी का पल्लू और नीचे सरक गया। उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ में उछलने लगीं, और उसकी गहरी दरार साफ़ दिख रही थी। उसने मटके से पानी का गिलास भरा और मेरी ओर बढ़ाया। गिलास लेते वक्त उसकी उंगलियाँ मेरे हाथ से टकराईं, और मेरे लंड में करंट दौड़ गया। “सासू माँ, आप भी तो पसीने से तर हैं,” मैंने कहा और उसके चेहरे पर बहते पसीने को अपने हाथ से पोंछ दिया। मेरा हाथ उसके गाल से फिसलकर उसके गले तक गया, और उसकी चिकनी त्वचा की गर्मी ने मेरे लंड को और सख्त कर दिया। “रोहन, गर्मी तो अंदर से भी लग रही है,” उसने धीरे से कहा और अपनी साड़ी का पल्लू और नीचे सरका दिया। उसकी चूचियाँ अब ब्लाउज़ में कैद होने को तड़प रही थीं, और उसके निप्पल साफ़ उभर रहे थे।

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मैं समझ गया कि सास की चूत में आग लगी है। मैंने उसकी मोटी कमर पकड़ी और उसे अपनी ओर खींच लिया। उसका भरा हुआ जिस्म मेरे सीने से टकराया, और उसकी चूचियाँ मेरे हाथों के नीचे दब गईं। “सासू माँ, ये गर्मी मैं बुझा दूँ?” मैंने फुसफुसाते हुए कहा और उसकी चूचियों पर हाथ रख दिया। उसने कुछ नहीं कहा, बस उसकी साँसें तेज़ हो गईं। मैंने उसके ब्लाउज़ के बटन खोले, और उसकी चूचियाँ नंगी हो गईं। वो गोरी, भारी और मस्त थीं, जैसे दो दूध की थैलियाँ जो मेरे सामने लटक रही हों। उसके निप्पल काले और सख्त थे, और उनकी गोलाई देखकर मेरा लंड पजामे में फटने को तैयार था। “सासू माँ, आपकी चूचियाँ तो माल हैं,” मैंने कहा और एक चूची को मुँह में ले लिया। मैं उसके निप्पल को चूसने लगा, अपनी जीभ से उसे चाटने लगा, और दूसरी चूची को जोर-जोर से मसलने लगा। “आह्ह… रोहन… धीरे… आह्ह…” वो सिसक रही थी। उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में मसल रही थीं, और उसका निप्पल मेरे मुँह में सख्त होकर और बड़ा हो गया। मैंने उसे हल्का सा काटा, और वो चीख पड़ी, “आह्ह… रोहन… मज़ा आ रहा है।”

मैंने उसकी साड़ी ऊपर उठाई। उसकी जाँघें नंगी हो गईं—मोटी, चिकनी और गोरी, जैसे मलाई की परत। उसकी चूत साड़ी के नीचे से गीली दिख रही थी। मैंने उसकी साड़ी पूरी खोल दी, और वो मेरे सामने नंगी थी। उसका पेटीकोट भी नीचे खिसक गया। उसकी चूत की घनी झाँटें पसीने से चिपक गई थीं, और उसकी गुलाबी फाँकें गीली होकर चमक रही थीं। उसकी चूत गर्म, मस्त और भरी हुई थी, जैसे कोई भट्टी जो मेरे लंड को बुला रही हो। उसकी गंध मेरे नाक में घुस रही थी, और मेरी चूत में सनसनाहट होने लगी। “सासू माँ, आपकी चूत तो आग उगल रही है,” मैंने कहा और अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी। “आह्ह… रोहन…” वो चीख पड़ी। उसकी चूत टाइट और गीली थी, और मेरी उंगली को अंदर खींच रही थी। मैंने दो उंगलियाँ डालीं और उसकी चूत को चोदने लगा। उसकी चूत से पानी टपक रहा था, और वो सिसक रही थी, “रोहन, चोदो ना… मेरी चूत तड़प रही है… लंड डाल दो।”

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मैंने अपना पजामा उतारा। मेरा 8 इंच का लंड सख्त, मोटा और काला था। उसकी टोपी गीली होकर चमक रही थी, और उसकी नसें उभरी हुई थीं। मैंने उसे हल्का सा हिलाया, और निर्मला की आँखें मेरे लंड पर ठहर गईं। “रोहन, तेरा लंड तो मस्त है,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने निर्मला को चारपाई पर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कर दीं। उसकी चूत पूरी तरह खुल गई। उसकी जाँघें मोटी और गोरी थीं, और उसकी गाँड नरम और गोल थी, जो चारपाई पर फैल गई थी। उसकी चूत की फाँकें गीली और लाल थीं, और उसका पानी उसकी जाँघों तक बह रहा था। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा। उसकी गर्मी मेरे लंड को छू रही थी, और मैं पागल हो रहा था। “सासू माँ, ले लो मेरा लंड,” मैंने कहा और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। “आह्ह… रोहन… मर गई… आह्ह…” वो चिल्लाई। उसकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड उसे चीर रहा था।

मैंने उसकी चूचियाँ दबाते हुए चुदाई शुरू कर दी। “सासू माँ, आपकी चूत कितनी गर्म है… लंड जल रहा है,” मैं बोला। मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ उसकी गाँड हवा में उछल रही थी। उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में मसल रही थीं, और उसके मुँह से “आह्ह… ओह्ह… रोहन… चोदो… और जोर से… आह्ह…” निकल रहा था। “सासू माँ, तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा,” मैंने कहा और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। अब मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जा रहा था, और उसकी चूत मेरे लंड को चूस रही थी। “रोहन, मेरी चूत फाड़ दो… लंड पूरा डालो… आह्ह…” वो चीख रही थी। उसकी चूत गीली होकर लाल हो गई थी, और उसका पानी मेरे लंड पर चिपक रहा था। मैंने उसकी चूचियों पर चपत मारी, और वो और सिसक उठी। “रोहन, मेरी चूचियाँ चूसो… चोदो मुझे… आह्ह…” वो बोली। मैंने उसकी एक चूची मुँह में ली और चूसने लगा, और दूसरी को मसलता रहा। उसकी चूचियाँ लाल हो गईं, और उसके निप्पल मेरे मुँह में सख्त हो गए।

करीब आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत चोदी। उसकी चूत से पानी की पिचकारी छूट रही थी, और उसकी साँसें तेज़ थीं। फिर मैंने उसे पलटा। उसकी गाँड मेरे सामने थी। उसकी गाँड की दरार में पसीना चमक रहा था, और उसका छेद टाइट और गुलाबी था। उसकी गाँड गोल और नरम थी, जैसे दो तकिए जो मेरे लंड को बुला रहे हों। “सासू माँ, तेरी गाँड भी चोदूँगा,” मैंने कहा और उसकी गाँड पर थूक दिया। मैंने अपनी उंगली उसकी गाँड में डाली, और वो सिसक उठी, “आह्ह… रोहन… धीरे…” मैंने अपना लंड उसकी गाँड की छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… रोहन… फट गई… आह्ह…” वो रो पड़ी, लेकिन मैं रुका नहीं। मेरा लंड उसकी गाँड में पूरा घुस गया, और मैं उसे कुत्तिया की तरह चोदने लगा। “सासू माँ, तेरी गाँड मस्त है… लंड को मज़ा आ रहा है,” मैं बोला और उसकी चूचियाँ पीछे से मसलने लगा।

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उसकी गाँड में मेरा लंड अंदर-बाहर हो रहा था। उसकी गाँड टाइट थी, और मेरा लंड उसे चीर रहा था। “रोहन, और जोर से… मेरी गाँड मारो… आह्ह…” वो चिल्ला रही थी। मैंने उसकी गाँड पर चपत मारी और बोला, “सासू माँ, तेरी गाँड फाड़ दूँगा।” उसकी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं, और मैं उन्हें पीछे से पकड़कर मसल रहा था। उसकी गाँड लाल हो गई थी, और उसकी सिसकियाँ तेज़ हो रही थीं। “रोहन, मेरी चूत में फिर डालो… चोदो मुझे,” उसने कहा। मैंने उसे फिर से सीधा किया और उसकी चूत में लंड पेल दिया। “सासू माँ, तेरी चूत में झड़ूँगा,” मैंने कहा और इतने जोर से चोदा कि चारपाई कड़कड़ाने लगी। उसकी चूत से पानी छूट गया, और वो चीखी, “रोहन, मैं गई… आह्ह…” उसकी चूत से पानी की पिचकारी निकली, और मेरा लंड फट गया। मैंने अपना गर्म माल उसकी चूत में छोड़ दिया। “सासू माँ, तेरी चूत मस्त है,” मैंने कहा और उसके होंठ चूसने लगा।

हम दोनों पसीने से तर होकर चारपाई पर लेट गए। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से दब रही थीं, और उसकी चूत से मेरा माल बह रहा था। “रोहन, ये गर्मी फिर लगेगी,” निर्मला ने हँसते हुए कहा। मैंने उसकी गाँड पर चपत मारी और बोला, “सासू माँ, जब चूत गर्म होगी, मेरा लंड तैयार रहेगा।”

अगले दिन का खेल

अगली सुबह रानी बाज़ार गई थी। निर्मला रसोई में थी। उसकी साड़ी उसकी गाँड से चिपक रही थी, और उसकी चूचियाँ झुकते वक्त हिल रही थीं। मैं उसके पास गया और उसकी कमर पकड़ ली। “सासू माँ, कल का मज़ा फिर लें?” मैंने कहा। वो शरमाई, लेकिन बोली, “रोहन, यहाँ नहीं… गोदाम में चलो।” हम गोदाम में गए। वहाँ उसने साड़ी उठाई और अपनी चूत मेरे सामने कर दी। उसकी चूत अभी भी गीली थी, और उसकी फाँकें लाल थीं। “चोदो ना,” वो बोली। मैंने उसे दीवार के सहारे टिकाया और उसकी चूत में लंड पेल दिया। “सासू माँ, तेरी चूत गोदाम में भी मस्त है,” मैंने कहा और उसे चोदा। उसकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और उसकी गाँड दीवार से टकरा रही थी। “रोहन, मेरी गाँड भी मारो,” उसने कहा। मैंने उसे पलटा और उसकी गाँड में लंड डाल दिया। “आह्ह… रोहन… फाड़ दो,” वो चिल्लाई।

हमने गोदाम में घंटों चुदाई की। उसकी चूत और गाँड मेरे माल से भर गईं। फिर वो बोली, “रोहन, रानी को मत बताना।” मैंने उसकी चूचियाँ चूसीं और कहा, “सासू माँ, ये हमारा राज़ रहेगा।” उस रात उसने मुझे फिर बुलाया, और हमने कमरे में चुदाई की। उसकी चूत, गाँड और मुँह—सब मेरे लंड से भर गए।