समधी के साथ चरम सुख मिला मुझे

समधी समधन सेक्स कहानी : मेरा नाम कुसुम है, और मैं 44 साल की एक हॉट, चुदास भरी औरत हूँ। मेरा गोरा, भरा हुआ बदन, बड़ी-बड़ी चूचियाँ, गोल गांड, और पतली कमर आज भी मर्दों के लंड में आग लगा देता है। मेरे रसीले होंठ और गीली चूत चुदाई का खुला न्योता देती है। मेरी बेटी, नेहा, की शादी हुए दो साल हो चुके हैं, और उसका ससुर, महेश, 48 साल का एक गठीला, मर्दाना मर्द है। महेश का चौड़ा सीना, गहरी आँखें, और 8 इंच का मोटा लंड मेरी चूत में चुदास की आग सुलगा देता था। ये कहानी उस रात की है, जब मैंने अपने समधी, महेश, के साथ चरम सुख की चुदाई की, और मेरी चूत और गांड उनके लंड की गुलाम बन गई।

बात पिछले हफ्ते की है। नेहा और उसका पति, रोहन, अपने हनीमून के लिए गोवा गए थे, और महेश की पत्नी (मेरी समधन) अपने मायके गई थी। महेश हमारे घर आए थे, क्योंकि हमें नेहा की शादी की कुछ औपचारिकताएँ पूरी करनी थी। मैंने एक टाइट, लाल साड़ी पहनी थी, जो मेरी चूचियों और गांड के उभारों को पूरी तरह उजागर कर रही थी। मेरा ब्लाउज इतना गहरा था कि मेरे चूचों की गहरी रेखा साफ दिख रही थी, और मेरी नंगी कमर चमक रही थी। मेरी चूत में पहले से ही चुदास सुलग रही थी, क्योंकि मैंने कई बार महेश की आँखों में मेरे लिए जंगली प्यास देखी थी।

रात के 10 बजे थे। हम लिविंग रूम में बैठे थे, और हल्की ठंडी हवा खिड़कियों से आ रही थी। मैंने जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू हल्का सा सरकाया, ताकि मेरे चूचे और निप्पल ब्लाउज में उभरे हुए दिखें। महेश की नजर मेरे चूचों पर अटक गई, और उनकी पैंट में उनके मोटे लंड का उभार साफ दिख रहा था। मेरी चूत गीली होने लगी, और मेरे रसीले होंठ काँपने लगे।

“कुसुम जी, आप आज बहुत हॉट लग रही हैं,” महेश ने फुसफुसाया, उनकी आवाज में एक मादक, चुदास भरी तड़प थी।

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“महेश जी, आपका ये उभार मेरी चूत को बेचैन कर रहा है,” मैंने शरारत से कहा, और अपनी जीभ से अपने रसीले होंठ चाट लिए। मेरे चूचे ब्लाउज में और तन गए, और महेश की नजर मेरी चूत की ओर फिसल गई, जहाँ मेरी साड़ी मेरी जाँघों से चिपक रही थी।

वह मेरे करीब आए, और उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे को छूने लगी। “कुसुम, मैं तुम्हारी चूत और गांड को अपने लंड से चोदना चाहता हूँ,” उन्होंने गुर्राते हुए कहा, और मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए। मेरी बड़ी, नंगी चूचियाँ उनके सामने उछल पड़ीं, और मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे। उन्होंने मेरी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया, और मेरी चिकनी, गीली चूत और गोल गांड उनके सामने नंगी थी। मेरा चूत का रस मेरी जाँघों पर टपक रहा था।

महेश ने मेरे एक चूचे को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगे, जबकि उनकी उंगलियाँ मेरे दूसरे चूचे के निप्पल को मसल रही थीं। मेरी सिसकारी कमरे में गूँज रही थी, और मैंने उनकी पैंट के ऊपर से उनके मोटे लंड को पकड़ लिया। वह सख्त और गर्म था, और मेरी चूत चुदाई के लिए तड़प रही थी। मैंने उनकी शर्ट और पैंट उतार दी, और उनका 8 इंच का मोटा लंड मेरे सामने तन गया। उसकी नसें फूली हुई थीं, और मेरी चूत में बिजली सी दौड़ गई।

“महेश जी, आपका लंड मेरी चूत को चोदने के लिए बना है,” मैंने मादहोश होकर कहा, और उनके लंड को अपने रसीले होंठों में लिया। मैं उनके मोटे लंड को गहराई तक चूस रही थी, और उनकी सिसकारियाँ निकल रही थीं। उन्होंने मेरे बाल पकड़कर मेरा मुँह अपने लंड पर और जोर से दबाया, और मैं उनके लंड को चाट रही थी। मेरी चूत चुदाई के लिए पागल हो रही थी।

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महेश ने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी, और मैं अपनी गांड को हिलाकर उनका मुँह अपनी चूत में और गहरा दबा रही थी। उन्होंने मेरी गांड के छेद को अपनी उंगली से सहलाया, और मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मैं चुदास में चीख रही थी। “महेश… मेरी चूत को चोदो… मुझे चरम सुख दो,” मैंने सिसकारी के साथ कहा।

उन्होंने मेरी जाँघें चौड़ी कीं, और उनका मोटा लंड मेरी गीली चूत में डाल दिया। मैं चीख पड़ी, लेकिन दर्द जल्दी ही मादक सुख में बदल गया। वह जोर-जोर से धक्के मारने लगे, और मेरे चूचे हर धक्के के साथ उछल रहे थे। मैं अपनी गांड को हिलाकर उनका लंड और गहरा ले रही थी, और मेरी सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। “महेश… मेरी चूत को फाड़ दो… और जोर से चोदो,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा।

उन्होंने मेरे चूचियों को मसला, मेरे निप्पलों को चूसा, और मेरी चूत को अपने लंड से रगड़ने लगे। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। मैं मादहोश हो रही थी, और मेरी गांड उनके हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया, और मेरी गोल गांड को थप्पड़ मारते हुए अपना लंड मेरी चूत में फिर से डाल दिया। उनका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और मैं चुदास में चीख रही थी।

फिर उन्होंने मेरी गांड के छेद को अपनी उंगली से सहलाया, और धीरे-धीरे अपना मोटा लंड मेरी गांड में डाल दिया। मैं दर्द और सुख में चीख प “महेश… मेरी गांड को और चोदो… मुझे चरम सुख दो,” मैंने सिसकारी के साथ कहा। उन्होंने मेरी गांड को जमकर चोदा, और मेरे चूचे हवा में उछल रहे थे। मेरी चूत और गांड उनके लंड के लिए तड़प रही थीं।

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हमारी चुदाई इतनी तीव्र थी कि मैं बार-बार झड़ रही थी, और मेरा रस उनकी जाँघों पर टपक रहा था। उन्होंने मेरे चूचियों को मसला, मेरी गांड को थप्पड़ मारे, और मेरी चूत को अपने मोटे लंड से चोदते रहे। “कुसुम… मैं तेरी चूत में झड़ने वाला हूँ,” महेश ने गुर्राते हुए कहा। “हाँ, महेश… मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दो,” मैंने चुदास में चीखते हुए कहा। उन्होंने अपने धक्के और तेज किए, और फिर अपने गर्म, गाढ़े वीर्य को मेरी चूत में छोड़ दिया। मैं सुख से चीख पड़ी, और मेरी चूत उनके वीर्य से भर गई। उन्होंने मेरे चूचियों और रसीले होंठों पर भी अपना वीर्य छोड़ा, और मैंने उसे अपनी जीभ से चाट लिया।

हम दोनों हाँफ रहे थे, और हमारी साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं। उस रात, हमने बार-बार चुदाई की। महेश ने मेरी चूत, मेरी गांड, मेरे चूचे, और मेरे रसीले होंठों को अपने मोटे लंड से चोदा। मेरी सिसकारियाँ रात भर गूँजती रहीं, और मेरी चूत और गांड उनके वीर्य से भर गई।

अगले दिन, जब हम नाश्ते की मेज पर बैठे थे, महेश ने मेरी जाँघों को हल्के से सहलाया। “कुसुम, तुम्हारी चूत और गांड ने मुझे चरम सुख दिया,” उन्होंने फुसफुसाया। मैंने उनकी पैंट के ऊपर से उनके लंड को सहलाया और कहा, “महेश, आपका लंड मेरी चूत को हमेशा तड़पाएगा।” मेरी चूत फिर से चुदाई के लिए तड़प उठी, और मैंने मन ही मन सोचा कि समधी के साथ ये चरम सुख बार-बार लेना है।

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